(कबीर की कलम से)

पढ़ते के साथ आपको अपने बचपन के दिनों की याद जरुर ताज़ा हो गई होंगी. अब ये खेल देखने को भी नही मिलता. जब दोस्त-साथी मिलते तो एक बार इस खेल की चर्चा जरुर हो जाती है. भले ही मोबाइल के गेम ने इन खेलों की जगह ले ली है. जब मोबाइल नही हुआ करते थे तो इस प्रकार के गेम हम खेला करते थे, लेकिन मोबाइल के गेम ने बहुत सारे खेलों को लुप्त के कागार पर पहुंचा दिया है.

अब खेलने के लिए मैदान भी नही रहे और जहाँ ये खेला करते थे वहां कंक्रीट की इमारतों ने जगह ले लिया है.

इस खेल में एक खिलाडी को छोड़ सभी गोल घेरे में बैठ जाते थे और एक जिसके हाथ में रुमाल होता था, वो गोल घेरे का चक्कर लगते हुए चुपके से किसी के पीछे रुमाल गिरा देता था. यदि यह खिलाड़ी सावधान है तो रुमाल उठा लेता था और चक्कर लगाने वाले की जगह लेता था ताकि वह किसी और खिलाडी के पीछे गमछा रख सके. लेकिन यदि चक्कर किसी खिलाडी के पीछे रुमाल रख सके. खिलाडी दौड़ाते हुए तब तक पिटता था जब तक वह अपनी जगह ना ले ले. इस प्रकार समाप्त होने तक ये खेल चलता रहता था.

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सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर पुरुषों के कदम से कदम मिलकर चलने में आज महिलाएं पीछे नहीं है. हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपने कुशल नेतृत्व और बेहतर प्रबंधन के माध्यम से एक मिशाल पेश की है. समाज को इन महिलाओं से प्रेरणा मिल रही है.

महिलाएं 21 वीं सदी में लगातार नये शिखर छू रही हैं. ऐसी महिलाएं ही दुनिया की आधी आबादी के लिए नयी राहें बना रही हैं. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्हें सलाम किया जाना चाहिए. कोई भी देश तभी विकास के रास्ते पर आगे बढ़ सकता है जब वहां की महिलाएं पढ़ी लिखी हो और सामाजिक और राजनैतिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हो.

महिला अपने कई स्वरुप से समाज का निर्माण करती है. माँ के रूप में हो या फिर बहन या पत्नी के रूप में. शास्त्रों में भी कहा गया है कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता” महिलाएं हरेक रूप को पूरी तरह से निभाती आ रही रही है. एक बेटी, एक माँ, एक बहन, एक पत्नी सभी रूपों में उसने अपना कर्तव्य पूरा किया है और कर रही है. उसका हर रूप पूजनीय है, अनुशंसनीय है, अनुकरणीय है.

यहाँ देखे महिला दिवस पर महिलाओं के विचार

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{अमन कुमार}

8 मार्च को प्रत्येक वर्ष महिलाओं के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. महिलाएं जो हमारे समाज में कई किरदारों को निभाती हैं. चाहे वो एक बेटी हो या फिर एक बहन, बहु से लेकर एक माँ, दादी या फिर नानी का, हमारे भारतीय समाज में और भी कई ऐसे किरदार हैं जिसे ये महिलाएं बखूभी निभाती हैं. हम ये सीधे तौर पर कह सकते हैं की महिलाओं के बिना हमारे समाज की परिकल्पना बिलकूल भी नहीं की जा सकती है.

एक माँ रात भर जागती है ताकि उसका बच्चा चैन से सो सके और अपने बच्चों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अपनी ख़ुशी को न्योछावर कर देती है, पत्नी अपने पति की खातिर अपनी पूरी ज़िन्दगी कुर्बान कर देती है.

हमारे देश में महिलाओं का शुरू से ही बहुत बड़ा योगदान रहा है. एक तरफ कई ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने समाज की सोंच से कहीं आगे बढ़ कर अपने आप में एक अलग ही मिसाल कायम की और अपनी ताकत का लोहा मनवाया है. 1857 की क्रांति में झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई की वीर गाथा हो जिसे आज भी बुंदेलखंड सहित पुरे देश में सुना जा सकता हैं. मदर टेरेसा, सरोजिनी नायडू से लेकर स्वर कोकिला लता मंगेशकर, देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, देश की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी, पी.टी. उषा, भारतीय-अमेरिकी प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना शर्मा, सायना नेहवाल से लेकर पीवी सिन्धु का ओलंपिक्स में देश देश के लिए मैडल जीतना, साक्षी मालिक, सानिया मिर्ज़ा और भी कई ऐसे ढेर सारे नाम हैं जिन्होंने कई क्षेत्रों में हमेशा अपने देश का सर ऊँचा कराया है.

ये महिलाएं हमारे समाज के लिए प्रेरणास्रोत रहीं है वहीँ दूसरी तरफ सबसे बड़ा सवाल है की आज भी महिलाएं समाज में इतनी पीछे क्यों हैं? क्यों उन्हें दबाने की कोशिश की जाती है? क्यों उनके साथ आज भी भेदभाव होता हैं. लेकिन ये कैसा जुल्म कर रहा है समाज, “दहेज़ के लिए किसी की बेटी को जिन्दा जला दिया जाता है तो कोई अपनी नन्ही- सी जान को दुनिया में आने से पहले गर्भ में ही हमेशा के लिए सुला देता है.

अभी भी कई ऐसे लोग हैं जो बेटियों को स्कूल नहीं भेजना चाहते. और यही कारण है कि हमारे देश में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की साक्षरता दर कम है. किसी भी देश का विकाश करने के लिए वहां की महिलाओं का विकाश बेहद ज़रूरी होता हैं. इन मामलों में भारत जैसा देश अभी कहीं पीछे है. कहीं न कहीं आज भी महिलाओं को सामान हक नही मिल रहा है. ज़रुरत है तो बस उनका सम्मान करने की उनके साथ मिलकर आगे बढ़ने की.

यह लेखक के अपने विचार है.

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छपरा: 90 के दशक का चंद्रकांता धारावाहिक आखिर कौन भूल सकता है. धारावाहिक के सभी पात्र आज भी लोगों के मन मस्तिष्क में है. इस धारावाहिक के सबसे चर्चित पात्र ‘क्रूर सिंह’ को और उनकी ‘यक्कू’ बोलने की कला को लोग आज भी याद रखे हुए है.

छपरा टुडे डॉट कॉम के संपादक सुरभित दत्त ने ‘क्रूर सिंह’ का चर्चित पात्र निभाने वाले छपरा के लाल और जाने माने कलाकार अखिलेन्द्र मिश्रा से खास बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के अंश…  

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आप छपरा जैसे छोटे शहर से निकल कर बॉलीवुड पहुंचे और अपनी पहचान बनाई, अपने सफ़र के बार में कुछ बताये.

थियेटर के माध्यम से काम शुरू किया. सभी किरदार में प्रयोग किया. कोशिश थी कि किरदार को जीवंत किया जाए. सभी रोल में कुछ नया करने की कोशिश की पहली फिल्म सलमान खान के साथ वीरगति की जिसमे इक्का सेठ की भूमिका निभाई, सरफ़रोश में मिर्ची सेठ, गंगाजल में डीएसपी भूरेलाल, लीजेंड ऑफ़ भगत सिंह में चंद्रशेखर आज़ाद का किरदार निभाया. आज़ाद के बारे में पढाई की उनके जैसा कैरेक्टर निभाने और दिखने के लिए वजन बढाया. यश चोपड़ा के साथ वीर-जारा की, आमिर के साथ लगान फिल्म किया. हाल में ऋतिक रौशन के साथ काबिल फिल्म की. 

आज के दौर में फिल्म में कैरियर बनाने वालों को सन्देश

एक्टर बनने के लिए थियेटर जरुरी है. थियेटर से व्यक्तित्व में निखार आता है. नयी पीढ़ी को जल्दी बाज़ी ना करते हुए थियेटर से जुड़ कर फिल्म में आने से अभिनय कला में निखर आता है. एक्टिंग 400 मीटर की दौर नहीं बल्कि मैराथन दौड़ है.

छपरा में शुरुआत कैसे हुई.

जिला स्कूल से मैट्रिक की पढाई करने के बाद राजेन्द्र कॉलेज से फिजिक्स में ऑनर्स की पढाई की. पैतृक गाँव दरौधा थाना क्षेत्र के कोल्हुआ में है, जो अब सीवान जिला में आता है. दशहरा की छुट्टियों में गाँव जाते थे वहां नाटक का मंचन होता था. पहली बार ‘गौना के रात’ पहला भोजपुरी नाटक आठवीं क्लास में पढ़ते हुए किया. इसके बाद छपरा में अमेच्योर ड्रामेटिक एसोसिएशन के अंतर्गत छपरा में पहला हिंदी नाटक शरद जोशी का ‘एक था गधा उर्फ़ अल्लाह दाद खान’ किया जिसका निर्देशन रसिक बिहारी वर्मा ने किया था. उन्होंने अपने पुराने मित्रों को याद करते हुए उनके योगदान की चर्चा की.

यहाँ देखे पूरा वीडियो:

एक्टर बनने का सफ़र

मुंबई में पहुँच कर इप्टा से जुड़ा. जहाँ थियेटर की बारीकियों को सीखा. एक संकल्प था कि तब तक एक्टिंग नहीं करूँगा जब तक सामने वाले एक्टर के आँखों में आंखे डाल कर बातें ना कर सकूँ. उन्होंने बताया कि ऐसा ही हुआ और अमिताभ बच्चन के साथ फिल्मे भी की.

उन्होंने बताया कि कैरियर की तलाश में कई परीक्षाएं दी. साथ के मित्रों का हुआ पर शायद मेरे किस्मत में एक्टर बनना था इसलिए ऐसा हुआ. मुंबई जाने का जब सोचा तो पिता से तो नहीं माँ से अपनी इच्छा बताई. माँ को किसी तरह समझा बुझा कर मुंबई पहुंचे जहाँ आज भी संघर्षरत है. उन्होंने बताया कि आपतक सभी A ग्रेड और मीनिंगफुल फ़िल्में की है.

भोजपुरी फिल्मों पर प्रतिक्रिया
भोजपुरी फिल्म एक तरह की बन रही है. ऐसी फ़िल्में बने की सभ्य लोग भी फिल्म दे सकें. भोजपुरी सिनेमा परम्पराओं को छोड़ रही है. रीमेक बन रहा है.

पाठ्यक्रम में सिनेमा की पढाई शामिल हो
उन्होंने कहा कि सिनेमा को पाठ्यक्रम में पढाया जाए. सिनेमा अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाने का एक माध्यम है. सिनेमा को मनोरंजन मात्र का साधन नहीं मानना चाहिए.

उन्होंने युवा पीढ़ी को सन्देश देते हुए कहा कि सभी को अपने पर पूर्ण विश्वास करते हुए संकल्प के साथ आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए.

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(सुरभित दत्त) 

भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने नयी कामयाबी हासिल की है. वैज्ञानिकों ने एक साथ 104 सेटेलाइट लॉन्च कर दुनिया को अपनी क्षमता का अहसास करा दिया है. इसरो ने एक बार में सेटेलाइट लॉन्च का जो शतक जड़ा है उसे अभी तक दुनिया का कोई देश नहीं कर सका है.

इसके पहले रूस ने एक साथ 37 सेटेलाइट लॉन्च का रिकॉर्ड बनाया था जिसे भारत ने तिगुने अंतर से पीछे कर दिया है. इस सफलता के पीछे इसरो के वे सभी वैज्ञानिक है जो इस मिशन पर काम कर रहे थे. साथ ही पूर्व वैज्ञानिकों ने जो नीव रखी थी उसे अब मजबूती प्रदान करते हुए भारतीय वैज्ञानिक दुनिया में अपनी नयी पहचान बना रहे है.

यह भारतीय वैज्ञानिकों की मेहनत का ही नतीजा है कि अमेरिका का नासा भी अब अपने सेटेलाइट लॉन्च के लिए भारत की तरफ देखता है.

हर कामयाबी ये कहती है कि मंज़िलें और भी हैं. ऐसे में इसरो अब अपने नए मिशन पर जुट चूका है. जिसमे री-यूजेबल एंट्री व्हीकल के विकास आदि शामिल है. भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिक आसमान की नयी उचाईयों को छूने को बेकरार है. वह दिन दूर नहीं जब भारत विश्व शक्ति के रूप में उभरेगा.

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छपरा: भोजपुरी फिल्म “रंगदारी टैक्स ” के प्रमोशन को लेकर फिल्म की टीम छपरा पहुंची. फिल्म के नायक यश कुमार और नायिका प्रीति सिंह ने छपरा टुडे डॉट कॉम के सब-एडिटर संतोष कुमार से खास बातचीत में फिल्म के बारे में अपने अनुभव साझा किये.

अभिनेता यश कुमार ने फिल्म ‘रंगदारी टैक्स’ के बारे में बताया कि यह फिल्म अन्य फिल्मों से हट के हैं. पूरी फिल्म वास्तविक जीवन पर आधारित हैं. फिल्म में दर्शकों को मार धार, एक्शन, रोमांस, थ्रिलर देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि यह फिल्म पूरी तरह पारिवारिक हैं.

यश कुमार ने बताया कि फिल्म उत्तर प्रदेश और बिहार पुलिस की नाक में दम कर देने वाले कुख्यात माफ़िया श्रीप्रकाश शुक्ला के वास्तविक जीवन पर आधारित पहली भोजपुरी फिल्म हैं. फिल्म के नायक यश कुमार अबतक 15-16 फिल्मों में काम कर चुके है. जिनमे मुख्य रूप से सपेरा, इच्छाधारी, राजा जी आई लव यू, दिल लागल दुपट्टा वाली से और दिलदार सवारियां शामिल है.SONY DSC

अपनी आने वाली फिल्म के बारे में उन्होंने बताया कि एक्शन राजा, एक रजाई तीन लुगाई, कसम पैदा करने वाले की, रुद्रा, इंडिया vs पाकिस्तान की सूटिंग चल रही हैं. भोजपुरी फिल्म की अश्लीलता को लेकर उन्होंने कहा कि फिल्म अश्लील नही होती है, गाने अश्लील होते है. प्रतिदिन सैकड़ों एल्बम बन रहे है जिनमे द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग गानों के लिए हो रहा है. जिससे भोजपुरी फिल्म दूषित हो रही है.

वही फिल्म की नायिका प्रीति सिंह ने बताया कि फिल्म पूरी तरह पारिवारिक है. जिसे परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठ कर देख सकते है. वर्तमान समय में दर्शकों की दूरी सिनेमा घरों से बढ़ रही है. लेकिन यह फिल्म दर्शकों को एक बार फिर अपनी ओर आकर्षित करेगी. तन्वी मल्टीमिडिया के बैनर तले बनी इस फिल्म के निर्माता मनोज कुमार एवं पंकज मिश्रा है. फिल्म का निर्देशन पराग पाटिल ने किया है. फिल्म आगामी 17 फरवरी को रिलीज हो रही हैं. मौके पर पीआरओ सर्वेश कश्यप, कुंदन कुमार मौजूद थे.

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छपरा: भोजपुरी फिल्म “रंगदारी टैक्स ” के प्रमोशन को लेकर फिल्म की टीम छपरा पहुंची. फिल्म के नायक यश कुमार और नायिका प्रीति सिंह ने छपरा टुडे डॉट कॉम के सब-एडिटर संतोष कुमार से खास बातचीत में फिल्म के बारे में अपने अनुभव साझा किये.
अभिनेता यश कुमार ने फिल्म ‘रंगदारी टैक्स’ के बारे में बताया कि यह फिल्म अन्य फिल्मों से हट के हैं. पूरी फिल्म वास्तविक जीवन पर आधारित हैं. फिल्म में दर्शकों को मार धार, एक्शन, रोमांस, थ्रिलर देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि यह फिल्म पूरी तरह पारिवारिक हैं.
यश कुमार ने बताया कि फिल्म उत्तर प्रदेश और बिहार पुलिस की नाक में दम कर देने वाले कुख्यात माफ़िया श्रीप्रकाश शुक्ला के वास्तविक जीवन पर आधारित पहली भोजपुरी फिल्म हैं. फिल्म के नायक यश कुमार अबतक 15-16 फिल्मों में काम कर चुके है. जिनमे मुख्य रूप से सपेरा, इच्छाधारी, राजा जी आई लव यू, दिल लागल दुपट्टा वाली से और दिलदार सवारियां शामिल है.SONY DSC


अपनी आने वाली फिल्म के बारे में उन्होंने बताया कि एक्शन राजा, एक रजाई तीन लुगाई, कसम पैदा करने वाले की, रुद्रा, इंडिया vs पाकिस्तान की सूटिंग चल रही हैं. भोजपुरी फिल्म की अश्लीलता को लेकर उन्होंने कहा कि फिल्म अश्लील नही होती है, गाने अश्लील होते है. प्रतिदिन सैकड़ों एल्बम बन रहे है जिनमे द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग गानों के लिए हो रहा है. जिससे भोजपुरी फिल्म दूषित हो रही है.
वही फिल्म की नायिका प्रीति सिंह ने बताया कि फिल्म पूरी तरह पारिवारिक है. जिसे परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठ कर देख सकते है. वर्तमान समय में दर्शकों की दूरी सिनेमा घरों से बढ़ रही है. लेकिन यह फिल्म दर्शकों को एक बार फिर अपनी ओर आकर्षित करेगी. तन्वी मल्टीमिडिया के बैनर तले बनी इस फिल्म के निर्माता मनोज कुमार एवं पंकज मिश्रा है. फिल्म का निर्देशन पराग पाटिल ने किया है. फिल्म आगामी 17 फरवरी को रिलीज हो रही हैं. मौके पर पीआरओ सर्वेश कश्यप, कुंदन कुमार मौजूद थे.

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{संतोष कुमार बंटी}

छपरा: सूबे में शराब बंदी को लागू किये एक साल आज पूरा हो गया. शराब बंदी की पहली वर्षगांठ पर विश्व रिकार्ड बनाने की पुरजोर तैयारी की गयी है. मद्य  निषेध अभियान के द्वितीय चरण पर मानव श्रृंखला का निर्माण किया जा रहा है.

शनिवार 21 जनवरी को पूरे बिहार में दोपहर 12 : 15 मिनट से 1 बजे तक मानव श्रृंखला का निर्माण किया जाना है. पुरे सूबे के 38 जिलों में 11 हजार किलोमीटर की मानव श्रृंखला बनाई जाएगी जो अपने आप में एक नया कीर्तिमान बनेगा.

दोपहर एक बजे के बाद बिहार विश्व में पहला राज्य और भारत पहला देश बन जायेगा जहाँ 11 हजार किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला का निर्माण किया गया है. मानव श्रृंखला के निर्माण की शुरुआत पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान से की जायेगी. जहाँ बिहार के मुख्यमंत्री अपने बगल से हाथ से हाथ जोड़कर खड़े होंगे. इसके लिए गांधी मैदान में व्यापक तैयारी की गयी है.सूबे के करीब 2 करोड़ लोग इस श्रृंखला में शामिल होंगे.

मानव श्रृंखला के सफल आयोजन को लेकर प्रत्येक जिले के लिए प्रशासनिक रूप से पदाधिकारी को प्रतिनियुक्त किया गया है. वही सरकार की ओर से सभी 38 जिलो के लिए प्रभारी प्रतिनियुक्त किये गए है.

इसके अलावे जिले के लिए शिक्षा विभाग और सचिवालय की ओर से भी पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गयी है. पुरे मानव श्रृंखला में प्रति किलोंमीटर सेक्टर और प्रति 200 मीटर पर को-ऑर्डिनेटर को प्रतिनियुक्त किया गया है.

जिला स्तर पर मानव श्रृंखला में सभी समस्याओं के निवारण को लेकर जिला में कण्ट्रोल रूम बनाया गया है जहाँ से खैरियत प्रतिवेदन लिया जाना है. सुबह 9 बजे, 11 बजे और 1 बजे सभी से सूचनाएं प्राप्त की जानी है.

इसके अलावे मानव श्रृंखला के दस्तावेजीकरण को भी काफी प्रभावी बनाया गया है. मानव श्रृंखला में शामिल होने वाले सभी लोगों की उपस्थिति बनाई गईं है. वही इस श्रृंखला की फोटोग्राफी इसरो के द्वारा कराई जानी है.

विदित हो कि इसके पूर्व 1100 किलोंमीटर की मानव श्रृंखला बांग्लादेश द्वारा बनाई गई थी जो विश्व रिकार्ड में शामिल है.

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भारतीय संस्कृति की सुगंध को विदेशों में बिखेरनें वाले स्वामी विवेकानंद जी की आज जयंती है. विवेकानन्द जी युवाओं के प्रेरणाश्रोत है. युवा जगत को उनके द्वारा दिखलाई गयी राह युगों-युगों तक प्रेरणा देती रहेगी.
स्वामी जी का जन्म कलकत्ता के बंगाली कायस्थ परिवार में 12 जनवरी 1863 को हुआ था. उनका पूरा नाम नरेंद्रनाथ दत्त था. उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था. स्वामीजी के माता और पिता के अच्छे संस्कारो और अच्छी परवरिश के कारण स्वामीजी के जीवन को एक अच्छा आकार और एक उच्चकोटि की सोच मिली.
स्वामीजी का ध्यान बचपन से ही आध्यात्मिकता की ओर था. उनके गुरु रामकृष्ण का उनपर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा, जिनसे उन्होंने जीवन जीने का सही उद्देश जाना, स्वयम की आत्मा को जाना और भगवान की सही परिभाषा को जानकर उनकी सेवा की और सतत अपने दिमाग को भगवान के ध्यान में लगाये रखा.
विवेकानंद ने रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी भारत में सफलता पूर्वक चल रहा है.
“उठो, जागो और तब तक रुको नहीं
जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये !!”
स्वामी विवेकानंद द्वारा कहे इस वाक्य ने उन्हें विश्व विख्यात बना दिया था. और यही वाक्य आज कई लोगो के जीवन का आधार भी बन चूका है. इसमें कोई शक नहीं की स्वामीजी आज भी अधिकांश युवाओ के आदर्श व्यक्ति है. उनकी हमेशा से ये सोच रही है की आज का युवक को शारीरिक प्रगति से ज्यादा आंतरिक प्रगति करने की जरुरत है.

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(सुरभित दत्त)

छपरा: पतंगबाज़ी का क्रेज इन दिनों युवाओं और बच्चों में देखा जा रहा है. हर साल सर्दियों के शुरुआत से ही बच्चों में पतंबाज़ी का खुमार चढ़ जाता है. शहर के लगभग हर घर के छतों पर युवा पतंगबाज़ी करते दिखते हैं.

वाह क्या काटा है!, जैसे बोल बच्चों से सुनाई पड़ने लगते है. आसमान में पेंच लड़ती है और सफलता मिलने पर इस वाक्य को लड़के जोर से चिल्लाते है. आपने भी जरुर सुना होगा.

पतंगबाज़ी का यह सिलसिला सूर्य के उत्तरायण यानि मकर संक्रांति (खिचड़ी) तक चलता है. पतंग उड़ाने के लिए ज़रूरी मांझा, पतंग और लटाई की इन दिनों बाज़ारों में मांग है. बैन के बाद चाईंनीज़ धागे की जगह भारतीय धागों ने  ले ली है. वहीं धागे, लटाई और पतंग की खरीदारी के लिए युवा दुकानों पर पहुँच रहे हैं.

वर्षों से पतंगों का काम करते आ रहे मुन्ना बाताते हैं कि आधुनिक होती दुनिया के साथ- साथ जब मनोरंजन के कई साधन आ गए हैं. पतंगबाज़ी से जुड़े पारंपरिक व्यवसाय इसके प्रभाव में आ गये हैं. पहले की तुलना में व्यवसाय में काफी गिरवाट आ गई है. जिस से पतंग बनाने वाले के रोज़ी रोजगार पर असर पड़ा है.

वही भगवान बाजार में पतंग, लटाई और धागे की दूकान चला रहे आकाश कुमार ने बताया कि पतंगों की खरीदारी के लिए युवा उनकी दुकान पर पहुँच रहे है. हालाकि पहले की तुलना में कम लोग पतंगबाजी कर रहे है. आकाश ने बताया कि अब केवल मकर संक्रांति के दिन जमकर पतंगबाजी होती है. आम दिनों में एक्का दुक्का लोग ही पतंग खरीदने पहुंचते है.

2 रुपये से लेकर 15 रुपये तक के पतंग

पतंगबाजी के शौक के लिए पतंगों की खरीदारी करने पहुँच रहे युवाओं को महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है. इस साल पतंगों के दामों में इजाफा हुआ है. पतंग 2 रुपये से लेकर 15 रुपये तक की बिक रही है. कुछ खास बड़े साइज़ के पतंगों के दाम उनके साइज़ के अनुसार ज्यादा भी है.

चाइनीज धागों की जगह भारतीय धागों की बिक्री

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पतंगबाजी का नाम आते ही पिछले कुछ दिनों से चाइनीज धागों का जिक्र होने लगता है. भारत में इन धागों पर लगे प्रतिबंध के बाद अब बाजारों में चाइनीज टाइप भारतीय धागे दिख रहे है. ये धागे दिखने में चाइनीज धागों के जैसे ही है पर इनका निर्माण भारत में हुआ है.

लकड़ी की जगह प्लास्टिक की लटाई

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पतंगबाजी के लिए लटाई भी जरुरी घटक है. ऐसे में बाज़ार में पहले बिकने वाली लकड़ी की लटाई की जगह अब प्लास्टिक की लटाई ने ले ली है. हालाकि लकड़ी के लटाई आज भी पतंगबाजों की पहली पसंद है. पर नए उत्साही बच्चे प्लास्टिक की लटाई से पतंगबाजी का मज़ा ले रहे है. प्लास्टिक की लटाई लकड़ी की लटाई की तुलना में सस्ती बिक रही है.

छपरा शहर में लोग पहले खूब पतंबाज़ी करते थे. आलम यह रहता था कि आकाश में केवल पतंग ही पतंग दिखाई पड़ते थे पर अब समय बदला है और उसके साथ साथ लोगों के मनोरंजन के साधन भी बदल गए हैं.

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{संतोष कुमार बंटी}

छपरा: वैसे तो सारणवासियों को वर्ष 2016 में कई नई सुविधाएं मिली है लेकिन इस वर्ष यानि 2017 में आम जनता के लिए सुविधाओं की बरसात होने वाली है.साल के पहले माह से ही इसकी शुरुआत होने वाली है जिसके बाद से लगभग प्रत्येक महीने कुछ न कुछ नया मिलने वाला है.जिससे वर्ष 2017 अपने आप में खास बन जायेगा.

यह मिलेगी सुविधाएं

जंक्शन पर मिलेगी वाई फाई की सुविधा

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नया साल शुरू हो चुका है इसके साथ ही नयी उम्मीदें भी शुरू हो चुकी है. नए साल में सारणवासियों को छपरा जंक्शन पर फ्री वाई-फाई की सुविधा मिलने जा रही है.छपरा जंक्शन पर वाई फाई लगाने का कार्य लगभग पूरा होने वाला है. जिसके बाद से इस जंक्शन से यात्रा करने वाले सभी यात्री इसका उपयोग कर सकेंगे.

 

छपरा से मशरक तक कर सकेंगें यात्रा

mashrak1नए वर्ष में सारणवासियों के इंतेजार का समय समाप्त होने वाला हैं.छपरा से मशरक तक की रेल यात्रा का सुखद अनुभव सारण के लोग प्राप्त करेंगें. छपरा-मशरक रेलखंड के अमान परिवर्तन का कार्य पूरा हो चूका है. साथ ही इसके रेलखंड में आने वाले सभी स्टेशन का कार्य भी लगभग पूरा हो चूका है. ट्रेन चलाने को लेकर सीआरएस द्वारा इस रेलखंड का निरीक्षण भी किया जा चूका है. जिसके बाद इसी माह इस रेलखंड पर ट्रेन का परिचालन शुरू होने वाला है.

जंक्शन पर अप्रैल तक मिलेगी स्वचालित सीढ़ी 

excalatorछपरा जंक्शन पर अप्रैल माह के अंत तक स्वचालित सीढ़ियों की सौगात यात्रियों को मिलने जा रही है.  जंक्शन पर लगाई जाने वाली स्वचालित सीढ़ियां छपरा पहुँच चुकी है. जंक्शन के बाहरी और अंदर प्लेटफार्म पर इन सीढ़ियों को लगाया जाना है जिसका काम चल रहा है.

 

नए बायपास से लोगों को जाम से मिलेगी मुक्ति!
शहर में सड़को से दिनभर जाम से जूझ रहे आमजनता को नए वर्ष में राहत मिलने जा रही है. शहर से सटे बन रहे फोरलेन का कार्य पूरा होने जा रहा है. हाजीपुर से छपरा होकर बनने वाली यह सड़क का कार्य 80% से अधिक पूरा हो चूका है. परमानंदपुर, शीतलपुर, दिघवारा, विष्णुपुरा और रामनगर के समीप नदी और सड़क पुल के पूरा होते ही इस सड़क पर वाहनों का चलना शुरू हो जायेगा.

छपरा से बनारस और गोरखपुर, लखनऊ तक चलेंगी परिवहन की बसें!

bsrtcनए वर्ष में सारण के रास्ते बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की बसें उत्तर प्रदेश के वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ और अन्य जिलों के लिए जाने लगेगी. इस कार्य को लेकर दोनों ही राज्यों में आपसी सहमति बन चुकी है. जिसके बाद से परिवहन के साथ साथ अन्य बसें भी चलना शुरू हो जायेगी.

छपरा-आरा पुल की होगी शुरुआत!

इस वर्ष के अंततक अगर सबकुछ ठीक ठाक रहा तो सारण सहित पड़ोसी जिले और राज्य के लिए छपरा आरा सड़क पुल पर यात्रा का सुनहरा उपहार मिल जायेगा.पुल का कार्य दोनों छोर पर लगभग लगभग पूरा होने के करीब है. वही दो से तीन पाया के बीच सड़क जोड़ने का कार्य चल रहा है. जो 6 से 8 माह में पूरा हो सकता है.

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साल 2016 का आज अंतिम दिन है. कल हम सभी नए साल 2017  का स्वागत अपने अंदाज में करेंगे. ऐसे में गुजरा साल कई खट्टे-मिठ्ठे यादें दे गया. उन सभी यादों को हम लेकर आये है एक साथ.

बीते साल में हुई कुछ प्रमुख घटनाओं/ख़बरों को हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे है Chhapra Year Review-2016 में…     

 

3 फ़रवरी 2016: इंतज़ार ख़त्म, पहली ट्रेन सोनपुर को हुई रवाना – उत्तर बिहार से ट्रेन से सूबे की राजधानी तक का सफर करने का सपना इस वर्ष साकार हुआ. काफी समय से निर्माणाधीन दीघा-सोनपुर रेल पुल पर परिचालन शुरू हुआ. इसके साथ ही उत्तर बिहार से दक्षिण बिहार ट्रेन के माध्यम से जुड़ गया. यात्रियों ने पहली ट्रेन की सवारी कर यात्रा को यादगार बनाया…… पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े

21 फरवरी 2016: राजेन्द्र कॉलेज को NAAC से मिला B-Grade – जय प्रकाश विश्वविद्यालय के प्रीमियर कॉलेज में शुमार राजेन्द्र कॉलेज को NAAC के द्वारा B ग्रेड दिया गया. इसके साथ ही राजेन्द्र कॉलेज NAAC एक्रीडिएशन प्राप्त करने वाला जेपी विश्वविद्यालय का तीसरा कॉलेज बना. कॉलेज के लिए यह साल बढ़िया रहा…… पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े

10 मार्च 2016: सारण में ‘विहिप’ को पहचान दिलाने वाले श्यामलाल चौधरी का निधन – सारण में विश्व हिन्दू परिषद् को पहचान दिलाने वाले शहर के प्रसिद्द व्यवसायी श्याम लाल चौधरी का निधन हो गया…….पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े 

26 मार्च 2016: उत्कृष्ट कार्य के लिए सारण के डीएम दीपक आनंद को मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित
सारणवासियों को इस वर्ष भी गर्वान्वित होने के मौका मिला जब सारण जिले के जिलाधिकारी दीपक आनंद को पथ निर्माण विभाग की परियोजनाओं को मूर्त रूप देने में उत्कृष्ट योगदान के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सम्मानित किया है….पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े  

मार्च-अप्रैल  2016: इसी वर्ष सारण में 10 चरणों में पंचायत चुनाव हुए. छिट-पुट घटनाओं को छोड़ दे तो पंचायत चुनाव को शांतिपूर्ण समपन्न कराना प्रशासन की बड़ी उपलब्धि रही.

10 अप्रैल 2016: डॉ एसके पाण्डेय चुने गए लायंस क्लब के वाईस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर – भागलपुर में आयोजित लॉयन्स क्लब इंटरनेशनल का 35वां वार्षिक अधिवेशन में वाईस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर-2 के पद के लिए उत्तर बिहार के सुप्रसिद्ध नेत्र विशेषज्ञ सह लायन क्लब छपरा, सारण के वरीय पदाधिकारी डॉ एस के पाण्डेय को निर्विरोध निर्वाचित किया गया…….पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े 

5 अप्रैल 2016: पूर्ण शराब बंदी का शहर में दिखा असर, दुकानें बंद, प्रशासन सख्त
1 अप्रैल को मुख्यमंत्री द्वारा शराबबंदी के बाद शहर में इसका असर देखने को मिला. शराबबंदी होने के बाद सभी दुकाने बंद दिखी तो वही प्रशासन भी पूरी तरह चुस्त दिखा……पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े  

5 अप्रैल 2016: बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू – इस सफ़र में आगे बढ़ाते हैं और बात करते हैं नीतीश कुमार के उस ऐतिहासिक शराबबंदी के फैसले की. विधानसभा चुनाव से पहले जनता से बिहार में पूर्ण शराबबंदी का वादा कर उन्होंने वोट मांगे थे. पुनः सत्ता में आने के कुछ की महीनो बाद सूबे में पहले देसी दारु पर रोक लगाईं और फिर इसके कुछ ही दिनों बाद विदेशी शराब पर भी रोक लगा पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी. 

18 अप्रैल 2016: सिविल कोर्ट में बम धमाका, महिला समेत 3 घायल – छपरा व्यवहार न्यायलय परिसर में हुए बम धमाके ने न्यायपालिका की सुरक्षा पर कई सवाल खड़े कर दिए. कोर्ट परिसर में हर दिन की तरह सब कुछ सामान्य चल रहा था तभी धमाका हुआ और सभी घबरा गए. धमाके में बम लेकर कोर्ट पहुंची महिला समेत 3 लोग घायल हो गए….
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11 मई 2016: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का छपरा दौरा..यहाँ क्लिक कर पढ़े पूरी खबर

30 जून 2016: मीणा अरुण चुनी गयी जिला परिषद् अध्यक्ष, सुनील राय बने उपाध्यक्ष – जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए गहमा-गहमी के बीच चुनाव हुआ. जिसमे मढ़ौरा भाग-2 की जिला परिषद सदस्य मीना अरुण परिषद की अध्यक्ष और सुनील राय उपाध्यक्ष चुने गये…….पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े  

26 जून 2016: नई उम्मीद और नए जोश के साथ ‘सारण जिला पत्रकार संघ’ का हुआ गठन, देखें पूरी लिस्ट – यह वर्ष सारण के पत्रकारों के लिए बहुत अहम रहा. नई उम्मीद और नए जोश के साथ पत्रकार संघ का गठन हुआ. जिसमे अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह, सचिव पंकज कुमार और कोषाध्यक्ष देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव समेत 51 सदस्यी टीम का गठन हुआ. वहीँ छपरा टुडे डॉट कॉम के संपादक सुरभित दत्त को संयुक्त सचिव और संवाददाता कबीर को पत्रकार संघ का कार्यालय सचिव बनाया गया…… पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े 

7 जुलाई 2016: शहर का पहला रेल ओवरब्रिज बनकर तैयार, उद्घाटन का इंतज़ार – इस साल नए सौगात के रूप में शहरवासियों को शहर का पहला रेल ओवरब्रिज मिला. जिसे लेकर लोगों में काफी ख़ुशी दिखी. इस पर छोटी-बड़ी गाड़ियाँ भी सरपट दौड़ने लगी हैं. ओवर ब्रिज के बन जाने से अब लोगो को समय की बचत भी हो रही है. शहर को उत्तरी छोर से जोड़ने वाले इस पूल से आने जाने लोगो को बहुत सहूलियत भी मिलती है. गौर करने वाली बात है की अभी तक इस ओवरब्रिज का आधिकारिक उद्घाटन नही हुआ है. जो अब सिर्फ एक औपचारिकता मात्र ही है…..पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े  

10 अगस्त 2016: अब बदलेगी शहर की सूरत, छपरा को मिला नगर निगम का दर्जा – छपरा को नगर निगम का दर्जा प्राप्त होते ही शहर की सूरत बदलने की उम्मीदें बढ़ी है. शहरवासियों को नगर निगम के तर्ज पर तमाम हाईटेक सुविधाएं मिलनी शुरू हो जाएंगी. नगर निगम बनने के बाद नगरपरिषद में स्थित सभी 44 वार्ड के साथ-साथ नगर से जुड़े पंचायत क्षेत्रों में विद्युत, सड़क, जल, साफ़-सफाई के अंतर्गत बेहतर सुविधाएं प्राप्त हो सकेंगी. लेकिन अब तक ऐसा कुछ भी देखने को नही मिला है. पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े

19 अगस्त 2016: बलागुन मोबिन के जनाजे में शामिल हुए सैकड़ों लोग – समाज सेवा के जरिये लोगों के बीच अपनी अलग पहचान बनाने वाले ‘बलाक साहेब’ के नाम से मशहूर  बलागुल मोबिन को सारण ने इस साल खो दिया. जनाजे में पहुंचे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने बलाक साहब को राजद का सच्चा सिपाही बताया….पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े

21 अक्तूबर 2016: चाइनीज सामानों को जलाकर बजरंग दल ने जताया विरोध – इस वर्ष चाईनीज सामानों के बहिष्कार को लेकर अभियान चलाये गए. अलग अलग संगठनों ने अपने अपने तरीके से बहिष्कार किया और लोगों को स्वदेशी  सामान अपनाने को लेकर जागरूक किया….पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े

26 अगस्त 2016: बाढ़ से बेहाल रहा सारण – जीवन भर मेहनत कर इंसान का एक ही सपना होता है कि वह अपने लिए एक आशियाना बनाये. ये आशियाना अगर उसके सामने तबाह हो जाये तो उसके दिल पर क्या बीता उसको शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. इस वर्ष सारण जिले में बाढ़ से हुई त्रासदी को कौन भूल सकता है. जिसने कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. ऐसा कहा जाने लगा कि जिले में 1971 के बाद पहली बार ऐसी बाढ़ आई थी. सरयू नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि होने से नदी का पानी गाँव में घुस गया. छपरा शहर भी इस से अछुता नहीं रहा. रातों-रात शहर के किनारे बसे बस्तियों में पानी घुस गया. फिर क्या था धीरे-धीरे शहर के बाज़ारों में भी पानी घुसने लगा. सोनारपट्टी, कटहरीबाग़ जैसे रिहायशी इलाके भी जलमग्न हो गये. पानी लगे होने के कारण मजबूरन दूकाने बंद करनी पड़ी. सड़के नदियाँ बन गयी. बाढ़ ने शहर के जनजीवन को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया……पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े 

29 अगस्त 2016: 17 साल की सजा सुन फफक कर रो पड़ी मीना – बहुचर्चित मध्याहन भोजन खाने में 23 बच्चों की मौत के मामले में 29 अगस्त को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय विजय आनंद तिवारी ने विद्यालय की तत्कालीन प्रधानाध्यापिका मीना कुमारी को दो अलग-अलग धाराओं में 17 साल की सजा सुनाई. सजा सुनते ही मीना देवी फफक कर रो पड़ी….पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े 

7 सितम्बर 2016: सारण सृजन विवरणिका का डीएम ने किया लोकार्पण-यहाँ क्लिक कर पढ़े पूरी खबर

8 नवम्बर 2016:  PM का देश के नाम संबोधन, 500 और 1000 के नोट बंद करने का किया ऐलान – देश में काला धन पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया. जिसके बाद PM ने इसकी घोषणा की….पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े

10 नवम्बर 2016: बैंकों में देखने को मिली लम्बी कतार, डटे रहे बैंक कर्मचारी पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े 

14 नवम्बर 2016 : मानव सेवा पुरस्कार से सम्मानित हुए देवेश नाथ दीक्षित- बाल दिवस के दिन राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में अनाथ, असहाय बच्चों के उत्थान के लिए लम्बे समय से काम कर रहे देवेश नाथ दीक्षित को राष्ट्रपति ने मानव सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया……पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े      

19 नवम्बर 2016 : सारण की बेटी प्रीति को राष्ट्रपति ने NSS पुरस्कार से किया सम्मानित – NSS से जुड़ी जयप्रकाश विश्वविद्यालय की छात्रा प्रीति कुमारी को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार से सम्मानित किया….पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े  

25 दिसम्बर 2016: डिजिटल मीडिया कॉन्क्लेव का हुआ आयोजन – सीवान में सारण प्रमंडल के डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्र. कारों के लिए डिजिटल मीडिया कॉन्क्लेव-2016 का आयोजन किया गया. सीवान की श्रीनारद मीडिया के द्वारा इसका आयोजन किया गया था. आयोजन में बड़ी संख्या में वेब पोर्टल से जुड़े पत्रकार शामिल हुए……..पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े     

नवम्बर-दिसम्बर: रेत पर कलाकृति बना अशोक कुमार ने दिखाई अपनी प्रतिभा – कला के क्षेत्र में भी यह साल याद किया जायेगा. शहर के कलाकार अशोक कुमार ने अपनी रेत पर बनायी गयी कलाकृति से देश-दुनिया का ध्यान अपनी ओर खिंचा. अपनी बेहतरीन कलाकृति के माध्यम से वे इस साल सुर्ख़ियों में रहे. पूरी खबर यहाँ क्लिक कर पढ़े

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