कब सीखेगा देश, महिलाओं का सम्मान करना

कब सीखेगा देश, महिलाओं का सम्मान करना

{अमन कुमार}

8 मार्च को प्रत्येक वर्ष महिलाओं के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. महिलाएं जो हमारे समाज में कई किरदारों को निभाती हैं. चाहे वो एक बेटी हो या फिर एक बहन, बहु से लेकर एक माँ, दादी या फिर नानी का, हमारे भारतीय समाज में और भी कई ऐसे किरदार हैं जिसे ये महिलाएं बखूभी निभाती हैं. हम ये सीधे तौर पर कह सकते हैं की महिलाओं के बिना हमारे समाज की परिकल्पना बिलकूल भी नहीं की जा सकती है.

एक माँ रात भर जागती है ताकि उसका बच्चा चैन से सो सके और अपने बच्चों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अपनी ख़ुशी को न्योछावर कर देती है, पत्नी अपने पति की खातिर अपनी पूरी ज़िन्दगी कुर्बान कर देती है.

हमारे देश में महिलाओं का शुरू से ही बहुत बड़ा योगदान रहा है. एक तरफ कई ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने समाज की सोंच से कहीं आगे बढ़ कर अपने आप में एक अलग ही मिसाल कायम की और अपनी ताकत का लोहा मनवाया है. 1857 की क्रांति में झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई की वीर गाथा हो जिसे आज भी बुंदेलखंड सहित पुरे देश में सुना जा सकता हैं. मदर टेरेसा, सरोजिनी नायडू से लेकर स्वर कोकिला लता मंगेशकर, देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, देश की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी, पी.टी. उषा, भारतीय-अमेरिकी प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना शर्मा, सायना नेहवाल से लेकर पीवी सिन्धु का ओलंपिक्स में देश देश के लिए मैडल जीतना, साक्षी मालिक, सानिया मिर्ज़ा और भी कई ऐसे ढेर सारे नाम हैं जिन्होंने कई क्षेत्रों में हमेशा अपने देश का सर ऊँचा कराया है.

ये महिलाएं हमारे समाज के लिए प्रेरणास्रोत रहीं है वहीँ दूसरी तरफ सबसे बड़ा सवाल है की आज भी महिलाएं समाज में इतनी पीछे क्यों हैं? क्यों उन्हें दबाने की कोशिश की जाती है? क्यों उनके साथ आज भी भेदभाव होता हैं. लेकिन ये कैसा जुल्म कर रहा है समाज, “दहेज़ के लिए किसी की बेटी को जिन्दा जला दिया जाता है तो कोई अपनी नन्ही- सी जान को दुनिया में आने से पहले गर्भ में ही हमेशा के लिए सुला देता है.

अभी भी कई ऐसे लोग हैं जो बेटियों को स्कूल नहीं भेजना चाहते. और यही कारण है कि हमारे देश में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की साक्षरता दर कम है. किसी भी देश का विकाश करने के लिए वहां की महिलाओं का विकाश बेहद ज़रूरी होता हैं. इन मामलों में भारत जैसा देश अभी कहीं पीछे है. कहीं न कहीं आज भी महिलाओं को सामान हक नही मिल रहा है. ज़रुरत है तो बस उनका सम्मान करने की उनके साथ मिलकर आगे बढ़ने की.

यह लेखक के अपने विचार है.

0Shares
A valid URL was not provided.

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें