ये तस्वीरें हाल ही में मेरे द्वारा उड़िशा के कंधमाल के आदिवासी इलाके में फील्डवर्क के दौरान ली गयीं है। तस्वीरे तो बस सिमित दायरे में ही तथ्यों को रख पा रही है बाकी मैं वास्तविकता अपनी आँखों से देख बहुत विचलित हुआ। यानि की जंगल को लूटने या दोहनREAD MORE CLICK HERE

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छपरा(सुरभित दत्त): समाज सेवा में अग्रणी रामकृष्ण मिशन आश्रम में लगभग 800 बच्चे निःशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे है. आश्रम के द्वारा इन्हें ज्ञान की ज्योति दी जा रही है.  अमूमन विद्यालय सुबह से शुरू होते है पर यहाँ विद्यालय का समय थोड़ा अलग है. विद्यालय शाम 3 बजे सेREAD MORE CLICK HERE

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छपरा: एक एक ईंट जोड़ कर दूसरों के घरों को बनाने वाले मजदूर खुद प्रतिदिन घर में चूल्हा जले इसलिए सुबह से लेकर शाम तक मेहनत करते है. सुबह-सुबह शहर के कई ऐसे जगह है जहां मजदूर इकट्ठे होकर मजदूरी ढूंढते दिखते है. प्रतिदिन सुबह शुरू होने वाला यह संघर्षREAD MORE CLICK HERE

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{संतोष कुमार बंटी} सूबे की शिक्षा व्यवस्था कहाँ और किस दिशा में जा रही है, यह किसी को पता नही हैं. प्राथमिक से लेकर उच्च प्राथमिक शिक्षा सिर्फ नाम के लिए ही रह गयी हैं. देश और प्रदेश के विकास में महत्पूर्ण योगदान निभाने वाली शिक्षा व्यवस्था धीरे धीरे हासियेREAD MORE CLICK HERE

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मित्रों नमस्कार!  सारण जिले के पहले न्यूज़ पोर्टल के रूप में हुई हमारी शुरुआत आज 4 वर्ष पूरी कर चुकी है. आज ही के दिन 2013 में हमने आपतक ख़बरों को अपने वेबसाइट के जरिये पहुँचाने का सिलसिला शुरू किया था, जो अब भी जारी है. आपके गाँव, शहर सेREAD MORE CLICK HERE

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(अमन कुमार) बिहार जिसे पूर्व में मगध के नाम से जाना जाता था.1912 में बंगाल के विभाजन के समय अस्तित्व में आया बिहार भारत का एक ऐसा राज्य है जो अपनी सांस्कृतिक छटा के लिए बखूबी जाना जाता है. बिहार भारत के इतिहास में साहित्यिक, ऐतिहासिक, धार्मिक सभी स्तर परREAD MORE CLICK HERE

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सारण के हरदिल अज़ीज़ जिलाधिकारी दीपक आनंद का तबादला राज्य सरकार ने कर दिया है. जिले में अपने 25 महीने के कार्यकाल में उन्होंने लोगों के दिलों में जगह बनायीं है उसे लोग भूल नहीं सकते.READ MORE CLICK HERE

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{संतोष कुमार ‘बंटी’} होलिका दहन यानि हम अपनी भाषा में कहे तो ‘समहत’. होली की पूर्व संध्या पर मनाया जाने वाली यह पारंपरिक विधि जिसको लेकर लोगों में ख़ासकर युवाओं में अलग ही उत्साह रहता हैं. लेकिन बदलते दौड़ में यह विधाएं भी बदलती जा रही हैं. होलिका दहन कोREAD MORE CLICK HERE

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(कबीर की कलम से) पढ़ते के साथ आपको अपने बचपन के दिनों की याद जरुर ताज़ा हो गई होंगी. अब ये खेल देखने को भी नही मिलता. जब दोस्त-साथी मिलते तो एक बार इस खेल की चर्चा जरुर हो जाती है. भले ही मोबाइल के गेम ने इन खेलों कीREAD MORE CLICK HERE

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सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर पुरुषों के कदम से कदम मिलकर चलने में आज महिलाएं पीछे नहीं है. हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपने कुशल नेतृत्व और बेहतर प्रबंधन के माध्यम से एक मिशाल पेश की है. समाज को इन महिलाओं से प्रेरणा मिल रही है. महिलाएं 21 वीं सदी मेंREAD MORE CLICK HERE

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{अमन कुमार} 8 मार्च को प्रत्येक वर्ष महिलाओं के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. महिलाएं जो हमारे समाज में कई किरदारों को निभाती हैं. चाहे वो एक बेटी हो या फिर एक बहन, बहु से लेकर एक माँ, दादी या फिर नानी का, हमारे भारतीय समाज मेंREAD MORE CLICK HERE

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छपरा: 90 के दशक का चंद्रकांता धारावाहिक आखिर कौन भूल सकता है. धारावाहिक के सभी पात्र आज भी लोगों के मन मस्तिष्क में है. इस धारावाहिक के सबसे चर्चित पात्र ‘क्रूर सिंह’ को और उनकी ‘यक्कू’ बोलने की कला को लोग आज भी याद रखे हुए है. छपरा टुडे डॉटREAD MORE CLICK HERE

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