छपरा: नदियों के जलस्तर में धीरे-धीरे कमी आने लगी है. बढ़ा हुआ पानी अब गाँव के खेतों की तरफ बढ़ रहा है. इस कारण शहर के कई इलाकों से पानी भी घट रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी कई सड़के अब भी जलमग्न दिख रही हैं. छपरा के मुख्य बाजार मौना चौक पर जलजमाव होने से शहर के आर्थिक ग्राफ में कमीं आई है. पिछले एक सप्ताह से यह बाजार पूरी तरह जलमग्न है. दुकाने बंद पड़ी है और दुकानदार बाजार से पानी हटने की बाट जोह रहे हैं.

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सरकारी बाज़ार में लगा बाढ़ का पानी                                                                                                      Photo: अमन कुमार

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क्यों गिरा आर्थिक ग्राफ
 मुख्य रूप से यह बाजार खाद्य सामग्रियों और रोजमर्रा के सामानों के लिए जाना जाता है. पूरे शहर के लोग यहाँ खरीददारी के लिए आते है. प्रतिदिन इस मंडी में करोड़ों का कारोबार होता है. लेकिन पिछले एक सप्ताह से यहाँ दुकाने बंद पड़ी है. कई थोक दुकानदार पानी में ही अपनी दुकानों को खोल रहे है. जिससे की दुकानों को खुली देखकर कुछ ग्राहक तो  आये, लेकिन जलजमाव से ग्राहक नही आ रहे हैं. वहीँ कुछ दुकानदार पम्पसेट के जरिये पानी निकलने की जुगत में हैं. लेकिन फायदा कुछ नही मिल रहा है. मौना चौक, तिनकोनिया गली, सरकारी बाजार, जमा मस्जिद तक की पूरी सड़क अब भी जलमग्न दिख रही है.

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सरकारी बाज़ार में बाढ़ की पानी में दूकान खोलने को मजबूर व्यापारी Photo: अमन कुमार

बीच सड़क पर बिक रही है सब्जियां

मौना चौक से साहेबगंज तक जाने वाली सड़क सब्जी मार्केट के नाम से मशहूर है. लेकिन इन दिनों यह मार्केट मौना चौक पर ही लग रहा है. दुकानदार बीच सड़क पर सब्जी बेचने को मजबूर है. कम जगह होने के कारण सुबह से ही सब्जी विक्रेताओं द्वारा जगह की घेराबंदी की जाती है. कई बार सब्जी विक्रेताओं की आपस में नोक-झोक भी हो जा रही है. जिससे  कितने दुकानदार अपनी दुकान लगाने से वंचित हो जा रहे हैं. सब्जी की दुकान लगने से यातायात व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है.हालांकि लोगों को सब्जी मिल जा रही है जिससे वह इस परेशानी को झेलने के लिए भी तैयार हैं .vege
 
क्यों नही हट रहा सड़कों से पानी

नदी का जलस्तर बढे एक सप्ताह होने को है. प्रतिदिन जलस्तर  में कमी भी हो रही है बावजूद इसके सडको से पानी नही हट रहा है. मौना चौक से लेकर साहेबगंज तक की सड़क से सटे खनुआ नाला पूरी तरह कचड़ा से भरा पड़ा है. बाढ़ का पानी शहर में आने के बाद नगर परिषद् द्वारा आनन-फानन में छोटी छोटी नालियों की सफाई की गयी लेकिन खनुआ नाला की सफाई को लेकर कोई भी ठोस कदम नही उठाया गया. जिस कारण तिनकोनिया, सरकारी बाजार, करीम चक, मौना चौक, साहेबगंज का इलाका अब भी जलमग्न है.

 

Santosh Kumar/Kabir Ahmad

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छपरा: छपरा-हाजीपुर NH-19 बाढ़ के कारण कई जगहों पर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है. डोरीगंज, अवतारनगर, ब्रम्हपुर, इनई तथा रिविलगंज के पास सड़कों पर 4 से 5 फिट पानी जमा हो जाने से NH कई जगह टूट गया है. हालांकि सड़कों का कितना नुकसान हुआ है ये तो पूरी तरह से बाढ़ का पानी हटने के बाद ही पता लग सकेगा पर टूटे हुए सड़कों की मरम्मती को लेकर अभी से ही असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

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NH-19 के रूप में अधिसूचित यह सड़क नेशनल हाई-वे ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया(NHI)के जिम्मे है पर हालिया अपडेट के मुताबिक जिस कम्पनी को एनएच पर फोरलेन निर्माण का जिम्मा दिया गया है उसकी रुचि अब इसके निर्माण में नहीं है और अभी तक इसके मरम्मत की जिम्मेवारी भी तय नही की गई है.

जानकार बताते हैं कि विभागीय उदासीनता के कारण ही अबतक फोरलेन का निर्माण पूरी तरह संभव नहीं हो सका है. बाढ़ के बाद सड़क के टूटे हुए हिस्सों की मरम्मती को लेकर असमंजस की स्थिति कायम है.

Prabhat Kiran Himanshu/Kabir Ahmad

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छपरा: बाढ़ के पानी के छपरा शहर में आने के बाद नगर परिषद् की सफाई व्यवस्था की पोल खुल गई है.  शहर को स्वच्छ रखने के तमाम वादे करने वाले नगरपरिषद की कार्यप्रणाली स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ा रही हैं.

बीते दिनों शहर के साहेबगंज, थाना चौक और नगरपालिका चौक जैसे व्यस्ततम इलाकों में बाढ़ का पानी आने की प्रमुख वजह नालों की समय पर सफाई नहीं होना है. शहर के अधिकतर मुहल्लों में नाला पूरी तरह जाम है जिसके चलते ही बाढ़ का पानी नालों में जाने के बजाये सड़कों पर बहने लगा.

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बाढ़ के बाद भी नहीं चेता नगरपरिषद

बाढ़ के पानी का शहर में आने की प्रमुख वजह नालों की ठीक से सफाई नहीं होना ही है. शहर में बाढ़ का पानी आने से स्थिति बिल्कुल नारकीय हो गई है. नाले का कचड़ा पानी के साथ सड़क पर बह रहा है. इन सब से बीच नगरपरिषद् इस घटना से सबक लेने की जगह शहर की साफ़-सफाई में काफी ढिलाई बरत रहा है. अभी भी अधिकतर मुहल्लों में नाला जाम होने की वजह से बाढ़ का पानी जमा है. कई जगहों पर तो पानी के साथ तेज दुर्गन्ध ने आस-पास के लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. 

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आर्यसमाज स्कूल के गेट पर बह रहा नाले का पानी

छपरा के आर्यसमाज स्कूल के मेनगेट पर नाले का पानी सड़क पर बह रहा है. स्कूल में जाने का एक मात्र यह रास्ता छात्र-छात्राओं के लिए काफी मुश्किलें खड़ी कर रहा है. स्कूल जा रही छात्राओं को नाले के पानी से ही गुजर कर प्रांगण में जाना पड़ रहा है. नगर निगम बनने की दहलीज पर खड़ा छपरा नगरपरिषद बाढ़ की विभीषिका के बाद भी चेत नहीं सका है.

Prabhat Kiran Himanshu/Kabir Ahmad

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छपरा: जीवन भर मेहनत कर इंसान का एक ही सपना होता है कि वह अपने लिए एक आशियाना बनाये. ये आशियाना अगर उसके सामने तबाह हो जाये तो उसके दिल पर क्या बीत रही होगी उसको शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता.

बाढ़ की त्रासदी झेल रहे जिले के कई ऐसे क्षेत्र है जहाँ किसी की झोपड़ी डूब गयी तो किसी का दो मंजिला मकान ध्वस्त हो गया. शहर के ब्रह्मपुर में बाढ़ के पानी के कटाव से क्षतिग्रस्त हुए भगवान प्रसाद का दो मंजिला मकान गुरुवार की रात धराशायी हो गया. बाढ़ के पानी ने उनके सपने के आशियाने को कुछ मिनटों में छीन लिया.

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Surabhit Dutt/Kabir Ahmad

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दाउदपुर: दाउदपुर के जैतपुर मठिया में विगत एक सप्ताह से फैली बीमारी की पहचान फलसिफेरम मलेरिया के रूप में कर ली गई है. मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी निर्मल कुमार ने बताया कि डीएम दीपक आनंद के निर्देश पर महामारी की आशंका को देखते हुए डॉक्टरों की एक टीम को इस गाँव में जांच के लिए भेजा गया था. टीम द्वारा गाँव में पीड़ितों की जांच की गई जहाँ कुल 24 लोग बुखार से ग्रस्त पाये गए. इन लोगों के ब्लड सैम्पल के जांच के उपरांत गंभीर रूप से फ़ैल रही इस बीमारी की पहचान कर ली गई है.

सिविल सर्जन ने बताया कि सदर अस्पताल छपरा में भी जांच के उपरांत कुल 6 मरीजों को फलसिफेरम मलेरिया से ग्रस्त पाया गया. सभी मरीज खतरे के निशान से बाहर हैं. जिलाधिकारी दीपक आनंद ने सिविल सर्जन को इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए सभी मरीजों को उचित इलाज उपलब्ध कराने का निर्देश जारी किया है.

विदित हो कि दाउदपुर के जैतपुर मठिया गाँव में पिछले एक सप्ताह के अंदर गंभीर बीमारी से ग्रसित होकर 3 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि दर्जनों लोग इस के प्रभाव में आ चुके हैं.

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छपरा: जनता दल यूनाइटेड ने सदस्यता अभियान के तहत सारण जिला से एक लाख नए सदस्यों को पार्टी से जोड़ने का संकल्प लिया है. पार्टी के संगठन प्रभारी मंजीत सिंह ने छपरा में आयोजित एक बैठक के दौरान बताया कि पार्टी द्वारा चलाए जा रहे सदस्यता अभियान में सारण जिला से अबतक 50 हजार सदस्यों को पार्टी से जोड़ा जा चुका है वहीं आगामी 30 अगस्त तक निर्धारित लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा. सारण के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को छोड़कर अन्य प्रखंडों में कार्यकर्ताओं को सदस्यता अभियान में तेजी लाने सम्बंधित दिशानिर्देश दिया जा चुका है.

उन्होंने बताया कि सारण फिलहाल बाढ़ की आपदा झेल रहा है और बिहार सरकार द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए लगातार कार्य किया जा रहा है. संगठन प्रभारी ने कहा कि सारण जिले में प्रशासन द्वारा जो राहत कार्य किया जा रहा है वो सराहनीय है.

इस बैठक में जदयू के जिलाध्यक्ष तपेश्वर सिंह,शैलेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ.वीरेंद्र नारायण यादव, जिला प्रवक्ता सत्यप्रकाश यादव समेत पार्टी के कई प्रमुख कार्यकर्त्ता उपस्थित रहे.

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छपरा: बाढ़ राहत नहीं मिलने से नाराज़ रिविलगंज प्रखंड के दिलीया रहिमपुर पंचायत के जान टोला के सैकड़ों ग्रामीणों ने गुरुवार को जिलाधिकारी के आवास का घेराव किया. ग्रामीणों का आरोप था कि पिछले दस दिनों से बाढ़ के पानी में जिंदगी कट रही है. बावजूद इसके प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की सहायता मुहैया नहीं करायी जा रही है. ग्रामीणों ने पंचायत के मुखिया पर राहत सामग्री वितरण में भेदभाव करने का आरोप लगाया.
ग्रामीण बबलू बीन ने बताया कि इस इलाके में रहने वाले तीन हज़ार लोग इस वक्त खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं, फसल का नुकसान हो चुका है और मवेशियों को जैसे-तैसे ऊँचे स्थानों पर रखा गया है.
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को आवेदन देकर इस क्षेत्र में राहत कैम्प लगाने, त्रिपाल, खाद्यान आदि के प्रबंध कराने की मांग की है.
जिलाधिकारी दीपक आनंद ने ग्रामीणों की समस्या सुनने के बाद अधिकारियों को तुरंत राहत शिविर लगाने और राहत पहुँचाने का निर्देश दिया है.
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छपरा: एक तरफ जहाँ बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में रह रहे लोग बड़ी मुश्किल से इस आपदा का सामना कर रहे हैं वहीँ इन इलाकों में पानी के साथ बहाव के साथ आ रहे जंगली जानवरों ने भी इन लोगों का जीना मुहाल कर दिया है.

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में इन दिनों जंगली सूअर, सियार, नीलगाय, जहरीले सांप और अजगर पानी के बहाव के साथ आ रहे हैं जिससे आम लोगों के बीच इन जानवरों का भय बना हुआ है. छपरा के निचले इलाकों के कई मुहल्लों जंगली सूअर के काटने से दर्जनों लोग घायल हो चुके हैं.

सड़क पर रहने वाले बाढ़ पीड़ित लोगों ने बताया कि रात के समय इन जानवरों से खतरा और बढ़ जाता है. खुले में रह रहे कई लोग रात भर जाग कर अपने परिवार के की सुरक्षा इन जानवरों से कर रहे हैं.

सांप और अजगर से दहशत में लोग:

बाढ़ प्रभावित इलाकों में दर्जनों की संख्या में सांप और अजगर एक साथ निकल रहे हैं, जिससे लोगों में काफी दहशत है. इन इलाकों में रहने वाले लोग हर दिन कई जहरीले सांपो का सामना कर रहे है. जहरीले सांपो को लोग मार दे रहे हैं जबकि अजगर को दूर नदी में फेंक दिया जा रहा है.

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छपरा: बहुचर्चित मध्याहन भोजन योजना कांड की सुनवाई बुधवार को पूरी कर ली गयी. जिला एव सत्र न्यायाधीश द्वितीय द्वारा इस घटना की मुख्य आरोपी मीना कुमारी को दोषी करार देते हुए 29 तारीख तक फैसले को सुरक्षित कर लिया है वहीँ इस घटना के अप्राथमिक अभियुक्त अर्जुन राय को दोष मुक्त कर दिया है. अंतिम दिन कि सुनवाई को लेकर न्यायालय परिसर में चाक चौबंद व्यवस्था थी. mdm

फैसले को लेकर सभी की निगाहें नयायाधीश के कमरे पर टिकी थी. दोपहर करीब 3:30 बजे से घटना को लेकर कार्यवाही शुरू की गयी. कार्यवाही शुरू होने के साथ ही प्राथमिक विद्यालय गंडामन की तत्कालीन प्रभारी प्रधानाध्यापिका मीना  कुमारी और पति अर्जुन राय कोर्ट पहुचें. मुक़दमे को लेकर बचाव पक्ष से भोला राय और अभियोजन पक्ष से सुरेन्द्र सिंह बेजोड़ ने अपनी अपनी दलील को रखा. कोर्ट के अन्दर मीना कुमारी और अर्जुन राय के पहुँचते कोर्ट ही कार्यवाई शुरू की गयी. जिला एव सत्र न्यायाधीश द्वितीय विजय आनंद तिवारी ने फैसला सुनाते हुए मीना कुमारी को दोषी करार दिया वहीं  उनके पति अर्जुन राय को दोष मुक्त कर दिया.दोषी करार होने के बाद  मीना कुमारी को सजा 29 अगस्त 2016 को सुनाई जाएगी.

विदित हो कि 16 जुलाई 2013 की दोपहर मशरख प्रखंड के धर्मासती गंडामन स्थित प्राथमिक विद्यालय में मध्याहन भोजन खानें से 23 बच्चों की मौत हो गयी थी. मध्याहन भोजन में जहरीले पदार्थ को लेकर मृत आशीष के पिता अखिलेश्वर मिश्रा के द्वारा मशरख थाने में मुकदमा दायर किया गया था. कई दिनों तक फ़रार रहने के बाद मीना कुमारी और अर्जुन राय ने नगर थाने में आत्मसमर्पण किया. आत्मसमर्पण के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच मीना कुमारी की सीजेएम कोर्ट में पेशी की गयी. उस समय से अब तक कई बार दोनों ही अभियुक्तों द्वारा दायर बेल अर्जी को कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.

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छपरा: आम आदमी पार्टी की छपरा ईकाई की एक बैठक जिला संयोजक उमेश्वर सिंह ‘मुनि’ की अध्यक्षता में शहर के पूर्वी दहियांवा में आयोजित की गई.

इस बैठक में पार्टी इकाई के द्वारा जिलाधिकारी दीपक आनंद के माध्यम से प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री से जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आपदा से पीड़ित लोगों के लिए राहत कार्य सम्बंधित मांग की गई. बैठक में सदर प्रखंड के 8 पंचायतों के साथ गरखा, सोनपुर, दिघवारा एवं दरियापुर प्रखंड के विभिन्न पंचायतों के बाढ़ पीड़ितों के बीच सरकार द्वारा अविलम्ब भोजन सामग्री, त्रिपाल, रुपये तथा चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध कराने की मांग की गई साथ ही बाढ़ में जिन किसानो के फसल को नुकसान हुआ है उन्हें जल्द ही सहायता राशि उपलब्ध कराने की भी मांग की गई.

पार्टी के जिला संयोजक ने कहा कि अगर सरकार आम आदमी पार्टी के मांगों को जल्द ही स्वीकार नहीं करेगी तो आने वाले दिनों में पार्टी द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से आन्दोलन भी किया जाएगा. इस बैठक में आम आदमी पार्टी के छपरा जिला पर्यवेक्षक राजवंशी सिंह, नगर कॉर्डिनेटर संतोष यादव, सुनील कुमार, अमृतेश कुमार, राजीव कुमार सिंह, सोशल मीडिया प्रभारी रणजीत कुमार सिंह, भरत सिंह, केदारनाथ सिंह, भोला मिश्र, प्रो. अर्जुन सिंह, प्रो.वसंत कुमार सिंह तथा प्रो.पृथ्वीराज उपस्थित रहे.

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(संतोष कुमार ‘बंटी’) दोपहर का समय था. उपर आसमान से चिलचिलाती धूप और नीचे पानी. पसीने से लथपथ सभी के चेहरे बस एक टक अपने आशियाने को निहार रहे थे. दूर तक फैली सफेद चादरों के बीच उम्मीद की लौ के बीच इनका आशियाना आत्मबल को बढ़ा रहा था, मानों कह रहा हो, मैं अभी तुम्हारे लिये जीवित हूँ. कभी साफ और कभी गंदगी का अंबार लिये नदी की लहरें आँखमिचौली करते हुए पास आती और चली जाती. बच्चों को तो एक खेलने का खिलौना मिल गया हो जब जी चाहा पानी में हंसी ठिठोली कर खेलने लगे.

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अपने मवेशियों के साथ पुल पर शरण लिए बाढ़ पीड़ित

अर्जुन राय का पूरा परिवार सड़क पर लगें पानी के बीच चौकी पर दिन गुजारने की जुगत में है. लेकिन इसी बीच पानी में खेल रहे मोहन ने अचानक पास आकर कहा “माई खाए के दे भूख लागल बा” अपने बेटे की भूख देखकर माँ ने तुरंत रोटिया दे दी. बिना सब्जी और आचार के मोहन ने रोटी खाकर अपनी पेट की आग को ठंडा किया और फ़िर अपने दोस्तों में मग्न हो गया. दोपहर का समय था तो धीरे धीरे फिर सभी लोगों ने रोटिया खाई. 

शहर से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित निचला ईलाका कहने के लिए तो शहर का भाग हो सकता है लेकिन सरकारी दस्तावेजों में यह रिविलगंज प्रखंड क्षेत्र में होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र की श्रेणी में है. पंचायत दिलीया रहीमपुर के सैकड़ो परिवार बाढ़ की त्रासदी से जूझ रहे है. घर पानी में जलमग्न हो गया है. जितना हो सका लोगों ने अपने घरों से सामानों को बाहर किया और उसी के सहारें जीवन का निर्वाह हो रहा है. कुछ लोगों के घर पूरी तरह से पानी से तबाह हो चुकें है जिसके कारण वह बेघर हो चुके हैं. वही कुछ के मकान इन पीड़ितों की तरह आपना हौसला बुलंद कर पानी में भी डटे हुए है.DSCN0043 (1) 

अर्जुन राय का परिवार भी इन्हीं पीड़ितों में से एक है. घर पानी में और जरुरत के सामानों के साथ परिवार सड़क पर. पुरे दिन खुलें आसमान में दिन तो गुजर रहा है लेकिन रात की विभीषिका आंखों की नींद चुरा लेती है. जिंदगी के आख़िरी कदम पर अर्जुन की माँ घर के नजदीक सड़क के पानी में अपने चौकी पर पोते पोतियों के साथ रहने को विवश है. किसी जुगत से परिवार के पुरे दिन में एक बार ही भोजन बन रहा है. लेकिन आर्थिक तंगी से वह भी अब आस की मोहताज बनने वाली है. पुरे दिन जिन्दगीं के लिए एक दुसरें की जद्दोजहद देखकर दिन तो कट जा रहा है. लेकिन जिन्दगीं की असल जंग तो रात के साथ शुरू होती है. बच्चें अपनी थकान के साथ नींद की आगोश में चले जाते है लेकिन पानी की तेज डरावनी आवाज से बड़ों की नींद उड़ जाती है. ऊपर से सांप और बिच्छू का डर उनकी पलकों को झपकने तक नही देता है. विगत चार दिनों से बाढ़ की इस विभीषिका का दंश झेल रहे हजारों लोगों के जुबान पर बस यही शब्द है….

“दुनिया में आये है तो जीना ही पड़ेगा
जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा”

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छपरा: सरयू नदी में आया उफान एकतरफ जहाँ दियारा क्षेत्रों में कहर बरपा रहा है वहीं दूसरी ओर बाढ़ के पानी ने शहरी क्षेत्र के लोगों के दिनचर्या पर भी खासा प्रभाव डाला है. इस बार बाढ़ ने वर्षों के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए छपरा शहर के लगभग आधे हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया है. उम्रदराज लोगों की माने तो लगभग 25 पूर्व बाढ़ का ऐसा प्रकोप देखने को मिला था, नदी के बढ़ते जलस्तर का ऐसा नजारा इस बार फिर से देखने को मिल रहा है.

बाढ़ के कारण आम जनजीवन तो प्रभावित हुआ ही है साथ ही साथ बाजारों की रौनक पर भी खासा असर हुआ है. शहर के व्यस्ततम बाजार साहेबगंज, सोनारपट्टी, सरकारी बाजार, कपड़ा मंडी, सब्जी मंडी, पुरानी गुड़हट्टी के अधिकतर दुकान जलमग्न हो गए है. इन इलाकों में जिधर भी नजर जाती है चारो तरफ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है.

जलजमाव के कारण सोनारपट्टी और सरकारी बाजार के कई दुकान बंद रह रहे हैं जिसकी वजह से आमलोगों के साथ व्यवसायियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ज्यादातर लोग जरूरत के सामानों के लिए गली-मुहल्ले की छोटी दुकानों पर ही निर्भर है. कई दुकान सीमित स्टॉक के चलते ग्राहकों को जरूरी सामान उपलब्ध कराने में असहज महसूस कर रहे हैं.

आसमान छूने आगे सब्जियों का भाव

बाढ़ का असर अब सब्जी मंडी में भी दिखने लगा है. शहर के प्रमुख सब्जी मंडी में बाढ़ का पानी समा चुका है जिसकी वजह से बहुत कम दुकाने ही खुल पा रही है. जहाँ सब्जी की दुकान खुली भी है वहाँ आजकल सब्जियों का भाव आसमान छु रहा है. दियारा क्षेत्र से संपर्क टूट चूका है और एनएच 19 पर भी आवागमन बाधित है. इस कारण सब्जियों का स्टॉक सीमित हो गया है.

आलू की कीमत प्रतिकिलो 22 से 24 रूपए जबकि प्याज 20 रूपए प्रतिकिलो के भाव से बेची जा रही है. भिन्डी 30 से 35 रूपए, अरुई 25 रूपए, कंदा 30 रूपए, झिंगुनि 25 रूपए, टमाटर 70 रूपए प्रतिकिलो जबकि फूल गोभी 40 से 60 रूपए प्रतिपीस के हिसाब से बेंची जा रही है. आम लोगों का कहना है कि प्रायः सभी सब्जियों के कीमत में 5 से 10 रूपए प्रतिकिलो के हिसाब से इजाफा हुआ है.

बाढ़ के पानी के शहरी इलाकों में प्रवेश के साथ कचड़े और नाली का पानी भी तेज बहाव के साथ घरों में प्रवेश कर चुका है. सड़क पर पानी जमा है और धुप भी काफी तेज हो रही है जिस कारण संक्रमित बीमारियों का खतरा आमलोगों के बीच बना हुआ है.

File Photo

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