इतिहास ने अपने अन्दर कई घटनाओं को समेट कर रखा है. इस सेक्शन के माध्यम से हम आपको इतिहास के इन पन्नों में छिपे घटनाओं से रूबरू कराते है. आइये आज (16 जून) के इतिहास को जानते है.

जयंती

1. हिंदी के प्रथम तिलिस्मी लेखक बाबू देवकीनन्दन खत्री का जन्म 18 जून 1861को बिहार के मुजफ्फरपुर में हुआ था. उन्होने चंद्रकांता, चंद्रकांता संतति, काजर की कोठरी, नरेंद्र-मोहिनी, कुसुम कुमारी, वीरेंद्र वीर, गुप्त गोदना, कटोरा भर, भूतनाथ जैसी रचनाएं की. ‘भूतनाथ’ को उनके पुत्र दुर्गा प्रसाद खत्री ने पूरा किया. हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में उनके उपन्यास चंद्रकांता का बहुत बड़ा योगदान रहा है. इस उपन्यास ने सबका मन मोह लिया. बाबू देवकीनंदन खत्री ने ‘तिलिस्म’, ‘ऐय्यार’ और ‘ऐय्यारी’ जैसे शब्दों को हिंदीभाषियों के बीच लोकप्रिय बनाया.

2. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंचम सर संघचालक कुप्पाहाली सीतारमय्या सुदर्शन का जन्म 18 जून 1931 को हुआ था.

महत्वपूर्ण घटनाएँ 

1576 – महाराणा प्रताप और मुगल शासक अकबर के बीच हल्दीघाटी का युद्ध शुरू हुआ. 1946 – डॉ़ राममनोहर लोहिया की अगुवाई में गोवा में पुर्तगाल के शासन से आजादी के लिए पहला सत्याग्रह आंदाेलन शुरू हुआ.

1980 – शकुंतला देवी ने दो 13 डिजिट के नंबरों का गुणा किया और 28 सेकंड्स में सही उत्तर दे दिया.

1987 – एम. एस. स्वामीनाथन को पहला विश्व खाद्य पुरस्कार मिला.

2003 – गूगल ने इंटरनेट प्रोग्राम एडसेंस पेश किया.

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इतिहास ने अपने अन्दर कई घटनाओं को समेट कर रखा है. इस सेक्शन के माध्यम से हम आपको इतिहास के इन पन्नों में छिपे घटनाओं से रूबरू कराते है. आइये आज (16 जून) के इतिहास को जानते है.

आज ही के दिन महान स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चितरंजन दास का निधन 16 जून 1925 को हुआ था.बैरिस्टर के तौर पर उन्होंने अपना पहला मुकदमा 1908 के अलीपुर बम कांड में अरविंद घोष का बचाव करते हुए लड़ा था.वे कलकत्ता के मेयर भी रहे. उन्होंने स्वराज पार्टी की स्थापना की थी. 

प्रसिद्ध गायक, संगीतकार और फिल्म निर्माता हेमंत कुमार मुखोपाध्याय ने हेमन्त कुमार के नाम से हिंदी फिल्मों में अनेक गीत गाए थे. उनका जन्म 16 जून 1920 को वाराणसी में हुआ था. उनका परिवार पश्चिम बंगाल के बहारू गांव से संबंध रखता था. बीसवीं सदी के शुरुआती दिनों में ही उनका परिवार कोलकाता आकर बस गया. अपने मित्र सुभाष मुखोपाध्याय के प्रभाव में आकर हेमंत कुमार ने 1933 में ऑल इंडिया रेडियो के लिए अपना पहला गीत रिकॉर्ड करवाया था.

1606 – सिक्खों के पांचवें गुरु अर्जुन देव का निधन हुआ था.
1815 – नेपोलियन ने नीदरलैंड में लिग्नी की लड़ाई में प्रूसिया को पराजित किया. 1
1824 – ब्रिटेन में जानवरों की क्रूरता की रोकथाम के लिए रॉयल सोसाइटी की स्थापना की गई.
1858 – प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान मोरार की लड़ाई लड़ी गई. 1
1911 – IBM कंपनी की स्‍थापना न्‍यूयॉर्क में हुई. पहले इसका नाम Computing-Tabulating-Recording Company था.
1915 – ब्रिटिश महिला संस्थान की स्थापना हुई।
1963 – 26 वर्षीय रूसी महिला लेफ्टिनेंट वलेंटीना तेरेशकोवा अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरने वाली दुनिया की पहली महिला थीं.
2007 – सुनीता विलियम्स अन्तरिक्ष में लगातार सबसे लम्बे समय तक रहने वाली महिला बनीं.

निधन
1925 – स्वतंत्रता सेनानी चित्तरंजन दास का निधन
1999- राजनीतिज्ञ सी एस वेंकटाचारी का निधन

जन्म 
1920 – बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध गायक हेमंत कुमार का जन्म
1936 – कवि अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान का जन्म

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1960: चीन में चक्रवाती तूफान मैरी के कारण 1600 लोगों की मृत्यु हो गई.

1815: लबजमबर्ग फ्रांस के कब्जे से आजाद हुआ.

1964: लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने.

1944: रूस ने फिनलैंड के केरेलिया क्षेत्र पर आक्रमण किया.

2011: पेंटर और फिल्म निर्देशक रह चुके एमएफ हुसैन का निधन हुआ.

2011: सउदी अरब के रियाद में वाहन चलाने पर 6 महिलाओं को गिरफ्तार किया गया.

2001: लिएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी ने फ्रेंच ओपेन का युगल खिताब जीता.

1949 में आज ही के दिन देश की पहली महिला IPS अधिकारी किरण बेदी का जन्म हुआ था. वे फिलहाल पुदुचेरी की लेफ्टिनेंट गवर्नर है.

1976 में आज ही के दिन अभिनेत्री अमीषा पटेल का जन्म हुआ था.

1985 में आज ही के दिन अभिनेत्री सोनम कपूर का जन्म हुआ था.

 

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विश्व पर्यावरण दिवस प्रत्येक वर्ष 5 जून को मनाया जाता है. यह दिवस धरती पर लगातार बेकाबू होते जा रहे प्रदुषण और ग्लोबलवार्मिंग जैसे कारणों से निपटने के लिए धरती और मानव जाति के बीच तालमेल बनाने के लिए मनाया जाता है.

इस दिवस को प्रत्येक साल अलग अलग थीम के साथ मनाया जाता है. इस बार की थीम ‘Time for Nature’ है.

संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर लाने के लिए 1972 में इस दिवस को मानाने की घोषणा की थी. इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था. पहला विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 1974 को मनाया गया था.

चलो करें वृक्षारोपण
पर्यावरण का हो संरक्षण।

आइये हम सब मिलकर पर्यावरण को बचाये, पेड़ लगाए, अपनी आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ वातावरण दें।

छपरा टुडे डॉट कॉम की इस मुहिम से जुड़े, पर्यावरण दिवस पर पौधारोपण कर हमसे शेयर करें अपनी सेल्फी.

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(प्रशांत सिन्हा) 

मेरे पिताजी अक्सर जयप्रकाश आंदोलन की चर्चा अपने मित्रों से करते थे और मैं उनके पास बैठ कर उनकी बातें सुना करता था। मेरा विद्यालय जयप्रकाश बाबू के घर के ठीक सामने था। मैं हमेशा उन्हें धूप में किताबें पढ़ते हुए देखा करता था। शिक्षकगण भी उनके विषय में चर्चा किया करते थे। जयप्रकाश बाबू के घर पर देश विदेश के गणमान्य लोगों का आना जाना लगा रहता था। इससे अनजाने में ही जयप्रकाश बाबू में लगाव हो गया। उनके विषय में कहीं भी चर्चा होती थी मैं ध्यान से सुना करता था। उनके व्यक्तित्व और उनके द्वारा दिए गए नारा “ सम्पूर्ण क्रांति “ से मैं बहुत प्रभावित हुआ।

मैं राजनीति में नहीं हूँ लेकिन अछूता भी नहीं हूँ क्योंकि पटना या बिहार की राजनीति का तापमान हमेशा ऊँचा रहता है। बिहार में राजनीतिक जागरूकता देश के दूसरे राज्यों से ज़्यादा है। ये सभी को मालूम है जयप्रकाश बाबू चिंतक भी थे और सामाजिक आंदोलन के ऐसे पुरोधा भी थे कि इन्दिरा गांधी की सत्ता हिली ही नहीं वे ख़ुद भी हार गयीं। यह कोई मामूली घटना नहीं थी। जयप्रकाश बाबू को विश्व के कोने कोने के लोग जानते थे। अपनी अपनी तरह से विचारकों ने उनका मूल्याँकन भी किया था। भारत में स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर सम्पूर्ण आंदोलन तक का जेपी का योगदान जगज़ाहिर है।

राजनीति एवं सत्ता दोनो अलग अलग है ये मैंने जयप्रकाश बाबू को थोड़ा जानने के बाद जाना। अधिकांश लोग राजनीति और सत्ता को एक मानते हैं। लोग राजनीति में आते हैं  और सत्ता दौड़ में शामिल हो जाते हैं। जयप्रकाश नारायण ने इस नियम को तोड़ा। वे अपनी ज़िंदगी के आख़िरी क्षण तक राजनीति में रहें लेकिन सत्ता को ठुकराया। वे चाहते तो सत्ता के शिखर तक आसानी से पहुँच जाते। भारत के राजनीतिक आकाश पर लोकनायक जयप्रकाश नारायण ध्रुवतारे की तरह बने रहेंगे।
लोगों ने पूरे मन से उन्हें “लोकनायक” की उपाधि दी। वह ऐतिहासिक क्षण था 5 जून 1975 । जगह – पटना का गांधी मैदान । यह मैदान अनेक घटनाओं का जीता जागता गवाह है। पूरे बिहार से लोग विधान सभा भंग करने की माँग को लेकर पटना में जुटे थे। जेपी उस जुलूस की अगुवाई कर रहे थे। दस लाख से भी ज़्यादा लोगों की जुलूस थी। उस भीड़ से गांधी मैदान छोटा पड़ गया था। गांधी मैदान की सभा में उनके सिर पर लोगों ने “लोक नायक “ का ताज रख दिया जो हमेशा लगा रहा। यहाँ पर जयप्रकाश नारायण ने भी लोगों से अपील की।
उन्होंने कहा था “ दोस्तों , ये संघर्ष सीमित उद्देश्यों के लिए नहीं हो रहा है। इसके उद्देश्य दूरगामी है। भारतीय लोकतंत्र को वास्तविक और सूधृढ़ बनाना और जनता का सच्चा राज क़ायम करना है। एक नैतिक, सांस्कृतिक, तथा शैक्षणिक क्रांति करना, नया बिहार बनाना और नया भारत बनाना है। यह सम्पूर्ण क्रांति है – टोटल रेवलूशन ( total revolution ) उसके बाद यह नारा निकला 
     
       “सम्पूर्ण क्रांति अब नारा है,
         भावी इतिहास हमारा है”
सम्पूर्ण क्रांति का अर्थ प्रत्येक दिशा में सतत विकाश ही समग्र क्रांति है। आचार परिवर्तन, विचार परिवर्तन, व्यवस्था परिवर्तन एवं शिक्षा में परिवर्तन कर के उन्हें जीवनपयोगि बनाने की आवश्यकता है। ग्राम स्तर से राष्ट्र स्तर तक जनसमिति एवं छात्र समिति बना कर छात्र जन-समस्याओं का निराकरण करते हुए तथा स्वच्छ छवि वाले जनप्रतिनिधियों को भेजना सुनिश्चित करना होगा। जन विरुद्ध कार्य करने पर प्रतिनिधि वापसी का अधिकार का उपयोग करते हुए उन्हें पदच्युत करना ताकि जनजीवन उन्नत एवं सरस बनाया जा सके।
जयप्रकाश जी ने सम्पूर्ण क्रांति के आंदोलन में अंतर्जातिय विवाह और जनेउ तोड़ने का कार्यक्रम अपनाया था। इसके साथ ही उन्होंने जाति और सम्प्रदाय से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में काम करने के लिए लोगों को युवकों एवं युवतियों को संगठित करना शुरू कर दिया था।साथ ही बिना तिलक दहेज के सादगी के साथ शादी विवाह का कार्यक्रम भी शुरू कर दिया था।
जयप्रकाश नारायण की दृष्टि में सम्पूर्ण क्रांति का अर्थ :  सम्पूर्ण क्रांति का मतलब समाज में परिवर्तन हो – सामाजिक,आर्थिक,राजनैतिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक,और नैतिक परिवर्तन। सामाजिक परिवर्तन ऐसा हो कि सामाजिक कुरीतियाँ दूर हो। इसमें से नया समाज निकले जिसमें सभी सुखी हों। अमीर ग़रीब का जो आकाश पाताल का भेद है वह नहीं रहे। शोषण न हो इंसाफ़ हो।
आर्थिक परिवर्तन ऐसा हो कि जो सबसे नीचे के लोग हैं जो सबसे ग़रीब हैं – चाहे वे किसी जाति या धर्म के हों ऊपर उठे। सांस्कृतिक परिवर्तन है – समाज में त्याग, बलिदान,प्रेम, अहिंसा, भाई चारा आदि सदगुणों का विकास करना।
जयप्रकाश शुरू से ही युवा हृदय सम्राट के रूप में विख्यात थे। नौजवानों की उनके ऊपर अटूट आस्था थी। इसी आस्था और प्यार के चलते अपने जीवन के चौथेपन में भी करोड़ों युवक, किशोरों का नेतृतव कर सके।
आज के युवकों को लोक नायक जयप्रकाश की  ” सम्पूर्ण क्रांति” को समझने की आवश्यकता है ।
 
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Chhapra: सोशल मीडिया, यह शब्द सुनते ही कुछ लोग इसे भ्रामक जानकारियों को फैलाने वाला करार देते है. विडंबना यह है कि सोशल मीडिया को भ्रामक करार देने के लिए भी उसके ही प्लेटफॉर्म को चुना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह असीमित है और इसकी पहुँच व्यापक है.

सोशल पर आप रोजाना सुबह-शाम गुड मॉर्निंग, गुड नाईट के मैसेज अपने मित्रों सगे संबंधियों से पाते है. कई ग्रुप भी होंगे जिनमे आपको जोड़ा गया होगा. जिसको जिस उद्देश्य से बनाया गया होगा उससे इतर वहां अब केवल अनर्गल जानकारियां शेयर की जाती होंगी. इसके साथ ही कुछ जरूरी और सकारात्मक जानकारी त्वरित रूप से आपको सोशल मीडिया के ही माध्यम से मिलती है.

ऐसे में सारण के कुछ शिक्षाविदों ने इन दिनों सोशल मीडिया पर सकारात्मक पहल की है और एक नया अभियान छेड़ दिया है.

इन शिक्षाविदों के द्वारा लोगों के बीच सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक, चैटिंग ऐप व्हाट्सऐप के माध्यम से रोजाना सुबह शिक्षा की अलख जगायी जा रही है. सुप्रभात, Good Morning के मैसेज से इतर सभी को शिक्षित और विकसित बनने का पाठ पढ़ाया जा रहा है.

‘शिक्षित बनें, विकसित बनें’, इस स्लोगन के साथ रोजाना सुबह पोस्ट की जाती है. जिससे लोग शिक्षा के प्रति सजग हो सके. समाज से कुरीतियों, अज्ञानता और अंधविश्वास को दूर भगाया जा सके. लोग शिक्षा को ग्रहण कर विकसित बन सके और समाज को नई ऊंचाई दे सके.

 

इस अभियान की शुरुआत करने वाले छपरा शहर के शिक्षाविद विक्की आनंद बताते है कि अपने अनन्य मित्र शिक्षाविद मनोज कुमार संकल्प के साथ मिलकर कई वर्षों से लोगों के बीच शिक्षा का अलख जगाने के अभियान में जुटे है.

उनका कहना है कि इन दिनों युवाओं के साथ साथ सभी आयु वर्ग के लोग सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्म पर है. अक्सर ऐसा देखा जाता है कि राजनीतिक या द्वेषपूर्ण पोस्ट को लोग ज्यादा पढ़ते है और अनर्गल टिप्पणियां भी करते है. जो इस व्यापक प्लेटफॉर्म का एक तरह से दुरूपयोग है. वही युवा शिक्षा से भाग रहे है. अभिभावक भी उन पर सही ध्यान नहीं रख रहे है. कही ना कही शिक्षक भी दोषी है.

ऐसे में समाज में शिक्षा की अलख जगाने और उन तक अपनी बात को पहुंचाने के लिये सोशल मीडिया कारगर है. सभी को जागरूक करने के उद्देश्य से इस अभियान की शुरुआत हुई है. लोगों का साथ मिल रहा है. बहुत लोग जुड़ रहे है. जिससे इस अभियान को बल मिल रहा है.   

सोशल मीडिया की व्यापकता और उसके सकारात्मक इस्तेमाल का यह एक उदाहरण है. निःसंदेह ही लोगों जागरूक करने में बेहतर साबित होगा.

अगर आप भी सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के ऐसे कोई प्रयास कर रहे है तो, हमें मेल कीजिये chhapratoday@gmail.com पर.

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प्रेस समाज का आइना होता है, जो समाज में घट रही हर अच्छी बुरी चीज को जनता के सामने लाता है. प्रेस समाचार को आप तक पहुँचाने का सबसे पुराना और विश्वस्त तरीका है. प्रेस की आजादी से किसी भी देश में अभिव्यक्ति की आजादी का पता चलता है.

आज हम एक ऐसी दुनिया में जीते हैं जहां अपनी दुनिया से बाहर निकल कर आसपास घटित होने वाली घटनाओं के बारे में जानने का ज्यादा वक्त नहीं होता. ऐसे में प्रेस और मीडिया हमारे लिए एक खबर वाहक का काम करती हैं जो हर सवेरे हमारी टेबल पर गरमा गर्म खबरें परोसती हैं. यही खबरें हमें दुनिया से जोड़े रखती हैं.

आज मीडिया लोगों के लिए एक पेशा बन कर रह गया है. खबरें आज समाज से निकाली कम जाती हैं और उन्हें बनाई ज्यादा जाती हैं. लेकिन प्रेस की आजादी को छीनना भी देश की आजादी को छीनने की तरह ही होता है.

चीन, जापान, जर्मनी, पाकिस्तान जैसे देशों में प्रेस को पूर्णत: आजादी नहीं है. यहां की प्रेस पर सरकार का सीधा नियंत्रण है.

लेकिन भारत में प्रेस का आजादी है. भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत इस आजादी को व्याख्यायित किया गया है.

प्रेस की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क) के अंतर्गत दी गई वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में अंतर्निहित है कि एक व्यक्ति न केवल अपने विचारों के प्रचार का अधिकार रखता है, बल्कि वह चाहे मौखिक रूप से या लिखित रूप से उनको प्रकाशित, प्रसारित तथा परिचालित करने का अधिकार भी रखता है.

हर साल 3 मई को अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस (World Press Freedom Day) के रूप में मनाया जाता है.

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सुरभित दत्त

केंद्र सरकार ने देश भर में पिछले 24 मार्च से लागू lockdown को दूसरी बार बढ़ाने का फैसला लिया है. इस बार 17 मई तक इसे बढ़ाया गया है. देश में 55 दिनों तक के lockdown के दौरान आम जनजीवन खासकर दैनिक मजदूरी कर के अपना गुजारा करने वालों पर असर पड़ा है. Lockdown लागू होते ही काम, धंधे बंद होने पर घर पहुंचने की जद्दोजहद के बीच एक लंबा समय बीत गया है.

अब जब केंद्र सरकार ने lockdown 3 की शुरूआत की है, जिसे हम केंद्र का lockdown से exit प्लान भी कह सकते है, तो एक बार फिर से अलग अलग प्रदेशों में फंसे यह मजदूर फिर से शंका, आशंकाओं में घिरे नजर आ रहे है. जो अपने घर जैसे तैसे पहुंच गए वे या तो वहीँ रहेंगे या एक बार फिर काम की तलाश उन्हें शहरों तक लाएगी, लाएगी भी शायद क्योंकि जीवन चलाने के लिए रोजगार का होना भी जरुरी है पर ये भविष्य के गर्त में है. फिलहाल वैसे प्रवासी जो अबतक घर नही जा सके थे वे सब अब क्या करें, क्या ना करें के संशय की स्थिति में पहुंच गए है.

फैक्ट्रियों, कार्यालयों और अन्य दैनिक मजदूरी बंद थी तब एक ही सोच थी की घर जाना है. परिवार को संभालना है. लेकिन lockdown के कारण जा नही सके. अब जब सरकार से कुछ छूट मिलने पर काम शुरू होगा, फैक्ट्रियां खुलने वाली है ऐसे में दिमाग में घर जाना और जीवन चलाने के लिए काम भी करना है दोनों ही बातें आएगी. वही इसका दूसरा पहलू यह भी है कि प्रवासी मजदूरों को हीन नजर से देखने वाले बड़े पूंजीपति क्या अपने कल कारखानों को इनके बिना चला सकेंगे.

मजदूरों को अपने घर में रोजगार मिलना एक बड़ी चुनौती होगी, जो भविष्य में फिर उन्हें  महानगरों की ओर जाने के लिए मजबूर करेगी. 

इन सबके बीच प्रवासी मजदूर दोराहे पर खड़े यही सोचने को विवश होंगे  ‘क्या करें, क्या ना करें’

#lockdownindia

Photo Courtesy: Twitter

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सुरभित दत्त

क्या लोग देश में आई कोरोना संकट को गंभीरता से ले रहे है? ऐसा सवाल इसलिए क्योंकि शहर की मंडियों, गलियों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है की लोग गंभीर नही है. ऐसे लोग अपने घर तक इस बीमारी को आमंत्रित कर रहे है. ऐसे लोगों को लग रहा है कि महामारी से वे बच के रह सकेंगे. लेकिन वे नही जानते की उनकी यह गलती केवल उन पर ही नही बल्कि उनके परिवार और समाज पर भारी पड़ेगी.

लोगों को दिक्कत ना हो इसके लिए सरकार ने मंडियों को खोलने के आदेश दिए थे. इसके साथ ही एडवाइजरी भी दी थी की सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जाए. इसके बावजूद लोग मानने को तैयार नही है. सामान बेचने वाले से लेकर खरीदने वाले लोग भी सोशल डिस्टेंसिंग का कोई ख्याल नही रख रहे है.

सोशल डिस्टेंसिंग शब्द बोलते हुए आपको लोग दिख जायेगे पर उनके व्यवहार से यह अब भी बाहर है. WHO के ताजा रिपोर्ट के अनुसार महामारी के और बढ़ने की संभावना है. ऐसे में भारत में लोगों की लापरवाही सरकार के सभी प्रयाशों पर पानी फेर सकती है. बिहार में जिस प्रकार पिछले एक हफ्ते में कोरोना पॉजिटिव केस बढ़ें है वैसे में यह आने वाले बड़े खतरे की आहात है.  

सुबह होते ही जिस प्रकार घरेलू सामान खरीदने और बेचने वाले लोगों की भीड़ मंडियों में देखी जा रही है वह अलार्मिग है. बीमारी से किसी एक के संक्रमित होने पर भीड़ और आपस के संपर्क के कारण यह सैकड़ों लोगों तक कुछ पल में पहुंच सकता है. लोग अपने को सेफ मां रहे है और सड़क पर निकलना बंद नही कर रहे है. कभी दवाई, कभी सब्जी, कभी अन्य जरूरत के सामानों की खरीदारी के नाम पर सड़क पर घूमने वाले इस बीमारी के जद में आने के बाद पछतायेंगे और अपने साथ साथ परिवार के लोगों को भी आफत में डालेंगे.

इन दिनों जरूरतमंद लोगों को राहत की जरूरत है. कुछ लोगों ने बीड़ा भी उठाया है. लेकिन इस दौरान भी Social Distancing केवल एक शब्द के रूप में ही दिख रहा है व्यवहार में गायब है. हालांकि कुछ मामलों में पुलिस साथ रहने पर इसे मेंटेन कराया जा रहा है. जबकि छोटे स्तर पर राहत पहुंचाने वाले लोग इसका ख्याल रख रहे है पर लेने वालों में धैर्य की कमी दिखने से भीड़ बढ़ रही है और साथ ही बीमारी का खतरा भी उतना ही बढ़ रहा है. वही कुछ लोग घर घर राशन पहुंचाकर इसका पालन भी कर रहे है.

कोरोना वायरस के बढ़ते आंकड़ों ने अब देश में चिंता को बढ़ा दिया है. इस लिए सभी को मिलकर इससे निपटने में सहयोग करने की जरूरत है. ताकि इस महामारी को अब और बढ़ने से किसी भी तरह रोका जाए. जिससे की एक बार पुनः देश की व्यवस्था सही हो सके और हम सभी पूर्व के जैसे आराम से रह सकें.

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1. सारण जिले के रिविलगंज थाना क्षेत्र के बैजू टोला में अपराधियों ने पुलिस पर की फायरिंग, एक अपराधी गिरफ्तार, डकैती के आधा दर्जन मामले में वांटेड है. अपराधियों ने पुलिस पर की फायरिंग, एक गिरफ्तार

2. देश में कोरोना वायरस से अब तक 3260 स्वस्थ हुए है. इस संक्रमण से संक्रमितों की संख्या 18985 हुई. बिहार में अब तक कुल 126 कोरोना संक्रमित मरीज मिले है. सूबे में सोमवार को 13 नए मामले सामने आएं हैं. बिहार में अबतक 126 कोरोना संक्रमित मरीज

3. सारण पुलिस ने मुफस्सिल थाना क्षेत्र से देसी कट्टा और गोली के साथ एक अपराधी को किया गिरफ्तार. एसपी हरकिशोर राय ने बताया कि यह अपराधी 20 दिन पूर्व भगवान बाज़ार थाना से फरार हुआ था.

4. आपदा राहत केन्द्र पर आवासितों को जिलाधिकारी ने उपलब्ध करायी उनके जरूरत के सामान, इंजीनियरिंग कॉलेज छपरा में संचालित आपदा राहत केन्द्र पर फिलहाल 63 लोग है आवासित. आपदा राहत केन्द्र पर आवासितों को जिलाधिकारी ने उपलब्ध करायी उनके जरूरत की चीजें

5. कोरोना संक्रमण को देखते हुए सारण जिला प्रशासन द्वारा कराया जा रहा है डोर टू डोर सर्वे, कुल 3 लाख 18 हजार 189 घरों के सर्वे का है लक्ष्य. 20 अप्रैल तक 1 लाख 91 हज़ार 789 घरों का सर्वे का काम पूरा. 

6. जिले में चलाये जा रहे घर-घर सर्वे अभियान में आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं को सही जानकारी देने की प्रशासन की की अपील. क्षेत्रीय अपर स्वास्थ्य निदेशक ने डोर टू डोर सर्वे अभियान का लिया जायजा. डोर टू डोर सर्वे में तीन स्तर पर हो रहा सूचनाओं का एकत्रीकरण, पदाधिकारियों ने आमजनता से की सहयोग की अपील

 

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Chhapra: कोरोना वायरस से पूरे देश मे लॉक डाउन है. सरकार के इस पहल से कई सकारात्मक बातें सामने आई है. जिनमे सबसे बड़ा परिवर्तन वायुमंडल का है. देश के अलग अलग राज्यों के साथ साथ वायुमंडल में हुए इस परिवर्तन का सीधा असर छपरा में भी देखने को मिल रहा है. प्रतिदिन सड़कों पर दौड़ते हजारों चारपहियां, दुपहियां वाहनों के अलावे ट्रेन, ट्रक, ट्रैक्टर, जेनरेटर में से इन दिनों गिने चुने संख्या में सड़को पर दिख रहे है. ऐसे में वायुमंडल में ना सिर्फ कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक तत्वों की मात्रा कम हुई है बल्कि हवा भी स्वच्छ हुई है.

विगत 10 दिन से जारी लॉक डाउन की इस अवधि में वायु प्रदूषण में कमी के साथ साथ ध्वनि प्रदूषण में भी कमी आयी है. जो वृद्ध एवं छोटे बच्चों के लिए एक वरदान साबित हो रहा है. स्वच्छ हवा लोगों के मन मस्तिष्क को प्रफुल्लित कर रही है. घुटन वाली जिंदगी के अर्से बाद लोग स्वच्छ हवा में सांस ले रहे है और कुछ बेहतर महसूस कर रहे है.

निश्चित तौर पर इस लॉक डाउन की अवधि में कई सकारात्मक पहलू सामने आए है. आने वाले दिनों में यह एक बड़े परिवर्तन का घोतक बन सकता है. सरकार इस दिशा में पहल भी कर सकती है. जिससे के हम अपने बच्चों को एक सुनहरा भविष्य दे सकते है.

जिंदगी को जीने की जद्दोजहद और भागम भाग की इस जिंदगी में यह लॉक डाउन एक विराम के समान है लेकिन शारीरिक थकान, मानसिक तनाव को दूर करने और परिवार से पुनः लगाव का कारण भी यह लॉक डाउन ही बना है. इस अवधि में सभी ने अपने परिवार के छोटे बड़े बुजुर्ग के साथ जो समय व्यतीत किया वह एक इस सदी की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जायेगी.

लोग अपने घरों में रह रहे है, परिवार के लोगो से बातचीत कर रहे है, उनके साथ खेल रहे है, घरेलू कार्यो में हाथ बटा रहे है, पारिवारिक जीवन मे पुनः वापसी का श्रेय लॉक डाउन को ही मिलेगा. निश्चित तौर पर कोरोना वायरस ने हमे सीख दी है जिसपर अमल करने की जरूरत है.

 

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आइये इतिहास के पन्नों में 25 फ़रवरी  से जुड़ी देश-विदेश के इतिहास के कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में जानते है. 

महत्वपूर्ण घटनाएँ 

  • 1557 लंदन में रूस का दूतावास खुला.
  • 1594 हेनरी IV फ्रांस का राजा बना.
  • 1921 वियना में इंटरनेशनल वर्किंग यूनियन ऑफ सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना हुई.
  • 1931 क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद ने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में ब्रिटिश पुलिस के साथ मुठभेड़ में गिरफ्तारी से बचने के लिए खुद को गोली मार ली.
  • 1956 मिस्र में महिलाओं को वोट डालने का अधिकार मिला.
  • 1965 फ्रांस ने एकर अल्जीरिया में भूमिगत परमाणु परीक्षण किया.
  • 1974 अमेरिकी साप्ताहिक पत्रिका ‘पीपुल’ की बिक्री शुरू.
  • 1988 को पहली बार हेलीकॉप्टर डाक सेवा का उद्घाटन किया गया था.
  • 1999 नाइजीरिया में असैन्य शासन के लिए चुनाव
  • 2005 मारिया शारापोवा ने कतर ओपन खिताब जीता.
    • 2007 लान्साना कोयटे गुयाना के नये प्रधानमंत्री बने.
    • 2009 पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी लोकसभा सीट का उत्तराधिकारी पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल जी टंडन को सौंपा.
    • 2013 पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक बाजार में आग लगने से 20 लोगों की मौत.

    27 फरवरी को जन्में प्रमुख व्यक्ति

    • 1882 प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी विजय सिंह पथिक का जन्म.
    • 1943 राजनीतिज्ञ बी.एस. येदियुरप्पा का जन्म हुआ.

    27 फरवरी को हुए निधन

    • 1931 प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद का निधन.
    • 1956 लोकसभा के पहले स्पीकर जी. वी. मावलंकर का निधन.

     

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