दोराहे पर प्रवासी मजदूर, घर जाए या फिर से काम पर लौटे

दोराहे पर प्रवासी मजदूर, घर जाए या फिर से काम पर लौटे

सुरभित दत्त

केंद्र सरकार ने देश भर में पिछले 24 मार्च से लागू lockdown को दूसरी बार बढ़ाने का फैसला लिया है. इस बार 17 मई तक इसे बढ़ाया गया है. देश में 55 दिनों तक के lockdown के दौरान आम जनजीवन खासकर दैनिक मजदूरी कर के अपना गुजारा करने वालों पर असर पड़ा है. Lockdown लागू होते ही काम, धंधे बंद होने पर घर पहुंचने की जद्दोजहद के बीच एक लंबा समय बीत गया है.

अब जब केंद्र सरकार ने lockdown 3 की शुरूआत की है, जिसे हम केंद्र का lockdown से exit प्लान भी कह सकते है, तो एक बार फिर से अलग अलग प्रदेशों में फंसे यह मजदूर फिर से शंका, आशंकाओं में घिरे नजर आ रहे है. जो अपने घर जैसे तैसे पहुंच गए वे या तो वहीँ रहेंगे या एक बार फिर काम की तलाश उन्हें शहरों तक लाएगी, लाएगी भी शायद क्योंकि जीवन चलाने के लिए रोजगार का होना भी जरुरी है पर ये भविष्य के गर्त में है. फिलहाल वैसे प्रवासी जो अबतक घर नही जा सके थे वे सब अब क्या करें, क्या ना करें के संशय की स्थिति में पहुंच गए है.

फैक्ट्रियों, कार्यालयों और अन्य दैनिक मजदूरी बंद थी तब एक ही सोच थी की घर जाना है. परिवार को संभालना है. लेकिन lockdown के कारण जा नही सके. अब जब सरकार से कुछ छूट मिलने पर काम शुरू होगा, फैक्ट्रियां खुलने वाली है ऐसे में दिमाग में घर जाना और जीवन चलाने के लिए काम भी करना है दोनों ही बातें आएगी. वही इसका दूसरा पहलू यह भी है कि प्रवासी मजदूरों को हीन नजर से देखने वाले बड़े पूंजीपति क्या अपने कल कारखानों को इनके बिना चला सकेंगे.

मजदूरों को अपने घर में रोजगार मिलना एक बड़ी चुनौती होगी, जो भविष्य में फिर उन्हें  महानगरों की ओर जाने के लिए मजबूर करेगी. 

इन सबके बीच प्रवासी मजदूर दोराहे पर खड़े यही सोचने को विवश होंगे  ‘क्या करें, क्या ना करें’

#lockdownindia

Photo Courtesy: Twitter

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