पटना: बिहार विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरे दिन बालू के अवैध खनन का मामला उठा। प्रश्नोत्तर काल में सत्ता पक्ष के ही विधायक रामप्रवेश राय ने इस मामले को उठाया। उन्होंने सरकार से यह जानना चाहा कि बालू के खनन दर में 50 फीसदी का एकाएक इजाफा सरकार ने क्यों किया। जब बालू खनन में लगी कंपनियों ने हाथ खड़े कर दिए, तो सरकार ने आगे क्या कार्रवाई की।

भाजपा विधायक रामप्रवेश राय के साथ-साथ संजय दरभंगा विधानसभा सीट से भाजपा विधायक सरावगी ने भी इस मामले को सदन में उठाया।संजय सरावगी ने कहा कि अवैध खनन में लगे माफिया के खिलाफ तो क्या कार्रवाई हो रही है, यह सरकार बताएं।खनन माफिया सरकार के तमाम दावों के बावजूद अवैध खनन में लगा हुआ है।

इसके जवाब में राज्य के खनन मंत्री जनक राम ने कहा कि 50 प्रतिशत रेट बढ़ाए जाने के फैसले का केवल दो कंपनियों ने विरोध किया। ब्रॉडसन के साथ-साथ एक और कंपनी ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया,जबकि बाकी कंपनियां बढ़े हुए दर पर बालू खनन को तैयार थी।

मंत्री ने विधानसभा में इस बात का खुलासा भी किया कि इन दो कंपनियों ने सरकार को राजस्व का चूना लगाया है। जनक राम ने कहा कि बालू के अवैध खनन पर सरकार की नजर है। हम किसी भी कीमत पर खनन माफिया पर नकेल कसना चाहते हैं और ऐसी कंपनियां जो अवैध खनन को बढ़ावा देती है या राजस्व का नुकसान सरकार को पहुंचाती है, उनके ऊपर भी हम नकेल कसेंगे।

छपरा: अवैध बालू खनन कर रहे माफियाओं के खिलाफ प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है. इसको लेकर सारण जिलाधिकारी हरिहर प्रसाद ने अवैध बालू खनन रोकने के सम्बन्ध में शनिवार को अपने कार्यालय में एक बैठक की. उन्होंने कहा कि अवैध बालू के खनन पर हर हाल में रोक लगाईं जाए.

बैठक में जिलाधिकारी ने खनन पदाधिकारियों को दो दिनों के अन्दर सारण जिला के सभी भू भण्डारण को सत्यापन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. जिसमे सत्यापन की तिथि तक किन किन स्थलों पर बालू की कितनी मात्रा है तथा ट्रकों की संख्या के अनुमान के आधार पर बालू भण्डारण का आंकलन कर समेकित रूप से प्रतिवेदन जिला अधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को देना सुनिश्चित करें .

जिलाधिकारी ने ई-चालान में देरी की वजह से बड़ी संख्या में ट्रकों की लम्बी लाइनें लगने से नाराजगी ज़ाहिर करते हुए कहा कि बालू खनन हेतु अधिकृत बॉडसन कमोडिरीज प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी को निर्देश दिया कि वे पर्याप्त मात्रा में आवश्यक उपकरण (कंप्यूटर, प्रिंटर एवं इन्टरनेट) की समुचित व्यवस्था करें ताकि कम से कम समय में अधिक से अधिक ट्रकों का ई -चालान ज़ारी किया जा सके.

इस बैठक में जिलाधिकारी के साथ पुलिस अधीक्षक अनसुईया रणसिंह साहू, एसडीओ सदर चेत नारायण राय , जिला परिवहन पदाधिकारी, जिला खनन पदाधिकारी, सहायक पुलिस अधीक्षक एवं बॉडसन कंपनी के प्रतिनिधि ने हिस्सा लिया.

मुरादाबाद: अबतक आपने सुखे पत्ते, लकड़ियों, पशुओं को कच्चा या पकाकर खाने वाले लोगों के जीवन बिताने की दर्जनों कहानियाँ सुनी होगी. लेकिन यह बात सुनने में थोड़ी अटपटी जरूर लगेगी कि आखिर कोई मनुष्य कैसे पिछले 17 वर्षों से मिट्टी, बालू ईट, पत्थर खाकर भी पुरी तरह से तंदरुस्त हैं.

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले का रहने वाला ये शख्स पिछले 17 वर्षों से हर रोज मिट्टी खाता है. आश्चर्य की बात यह है कि ये शख्स पिछले 17 वर्षों से बालू और पत्थर खाकर न सिर्फ जीवित बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से फिट भी है.

रामेश्वर नाम का यह शख्स मिट्टी और रेत को 17 साल से खा रहा है. कुछ वर्षों पूर्व रामेश्वर गम्भीर रुप से बीमार था. जिसके कारण इसके मुंह से खून आने लगा था. डॉक्टरों को दिखाने के बाद और काफी उपचार के बाद भी जब रामेश्वर ठीक नहीं हुआ और डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया. तब उसने रेत और मिट्टी खाना शुरू कर दिया. तब से लेकर आज तक इसको न तो कोई बीमारी हुई और न ही किसी तरह की कोई दिक्कत हुई है. रामेश्वर की मानें तो रेत मिट्टी खाने से इसका पेट साफ रहता है और यह हर रोज दो से तीन बार 100 से 150 ग्राम तक रेत और मिट्टी खा लेता है.

रामेश्वर का कहना है मिट्टी खाना उनकी आदत में शुमार है लेकिन उन्हें इसे खाने से कोई दिक्कत नहीं है और ना ही उसे कोई बीमारी है. लिहाजा वे पूरी तरह ठीक हैं. साथ ही रामेश्वर ने खुद का इलाज कराने से भी साफ इन्कार कर दिया.

पटना(DNMS): सूबे में उत्पन्न बालू संकट के लिए राज्य सरकार पूरी तरह से जिम्मेवार है. सरकार ने 2014 के बनाए अपने ही नियमों का उल्लंघन कर बालू उत्खनन का आदेश दिया और जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने उक्त नियमों का हवाला देकर बालू खनन पर रोक लगाया तो अब राज्य सरकार ट्रिब्यूनल के खिलाफ ही बयानबाजी कर जहां कोर्ट की अवमानना कर रही है. वहीं केन्द्र सरकार पर झूठा आरोप भी लगा रही है. बालू संकट के मद्देनजर राज्य सरकार की स्थिति ‘नाचे न जाने, आंगन टेढ़ा’ वाली है. उक्त बातें बिहार भाजपा विधान मंडल दल के नेता सुशील कुमार ने रविवार को पटना में एक प्रेस बयान जारी कर के कहीं.
उन्होंने कहा कि बिहार माइनर मिनरल कंसेशन (एमेंडमेंट) रूल्स, 2014 (Bihar Minor Minerel (Amendment)Rules-2014) के सेक्शन 21 ‘ए’ में राज्य सरकार ने खुद ही प्रावधान किया है कि बिना स्वच्छता प्रमाणपत्र प्राप्त किए कोई भी उत्खनन कार्य नहीं कर सकता है. बिहार सरकार को बताना चाहिए कि उसने अपने ही बनाये नियमों का उल्लंघन कर बालू खनन की बंदोवस्ती कैसे कर दी? इतने दिनों तक बालू का खनन जारी कैसे रहा? 19 जनवरी को ही जब बालू खनन पर ट्रिब्यूनल ने रोक लगा दी तो राज्य सरकार ने अब तक कौन सी कार्रवाई की है? ऐसे में अभी जो बालू संकट उत्पन्न हुआ है, उसके लिए क्या राज्य सरकार पूरी तरह से जिम्मेवार नहीं है?

भाजपा नेता ने कहां कि बिहार के 24 जिलों में 20 लोगों को बालू खनन की बंदोवस्ती की गई जिनमें से मात्र 10 लोगों ने केन्द्र सरकार को स्वच्छता व पर्यावरण क्लियरेंस प्रमाण पत्र के लिए आवेदन दिया. केन्द्र ने प्रक्रियाओं को पूरा करने की पृच्छा के साथ सभी आवेदन बिहार को भेजा मगर सरकार ने आज तक केन्द्र के पृच्छा का जवाब तक नहीं दिया है. दूसरी ओर 12 प्रस्ताव एक साल बाद इसी माह राज्यस्तरीय इन्वायरमेंटल क्लियरेंस प्राधिकार के पास भेजा गया है, जहां वह लम्बित है. दरअसल राज्य सरकार अपनी नाकामियों के लिए नाहक में केन्द्र सरकार को कोस रही है. 

नवीन सिंह परमार की रिपोर्ट