अनंत चतुर्दशी पर मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता, जलाभिषेक और पूजा कर बांधा अनंत सूत्र

अनंत चतुर्दशी पर मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता, जलाभिषेक और पूजा कर बांधा अनंत सूत्र

अनंत चतुर्दशी पर गुरुवार को सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से ही रही। लोगों ने भगवान को जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की। बड़ी संख्या में महिलाओं ने पूजा-अर्चना कर कथा श्रवण किया।  सुबह ही श्रद्धालुओं ने कतारबद्ध होकर जलार्पण करके मंगलकामना किया। जलार्पण के बाद श्रद्धालु मंदिर परिसर में विभिन्न अनुष्ठान संपन्न कराए।

शास्त्रों के अनुसार महाभारत में युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से कष्टों के निवारण के संबंध में पूछा था। इसके जवाब में भगवान ने अनंत चतुर्दशी पर व्रत, पूजा और कथा सुनने को कहा। उसी समय से यह परंपरा चली आ रही है। इस दिन महिला और पुरुष व्रत रखकर कथा सुनते हैं। साथ ही हाथ पर अनंत डोरा बांधा जाता है। कहते हैं कि दस दिनों तक डोरा बांधने सभी तरह के कष्टों का निवारण हो जाता है और इच्छा पूरी होती है।

अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा के बाद बाजू में बांधे जाने वाले अनंत सूत्र में 14 गांठें होती हैं। पुराणों के अनुसार ये चौदह गांठों वाला अनंत सूत्र 14 लोकों भू, भुव, स्व, मह, जन, तपो, ब्रह्म, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल लोक के प्रतीक हैं। अनंत सूत्र की हर गांठ हर लोक का प्रतिनिधित्व करता है।इसके अलावा अनंत चतुर्दशी के दिन बांधें जाने वाले रक्षासूत्र की 14 गांठें भगवान विष्णु के 14 रूपों अनंत, ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द का प्रतीक भी मानी जाती है।

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