अस्पताल में लगा बोर्ड, मरीजों को दलाल से बचने की दी सलाह

chhapra: सदर अस्पताल में एक पोस्टर लगाया गया है। इसमें लोगों को दलालों के खिलाफ सावधान किया जा रहा है। सदर हॉस्पिटल में भर्ती मरीज को बहला फुसलाकर निजी अस्पताल में ले जाने वाले दलालों को पहले भी हिदायत दी गई थी लेकिन, स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल परिसर में दलालों से बचने का बैनर लगवा दिया है। यह सदर अस्पताल के गेट के ठीक सामने लगाया गया है। सिविल सर्जन को इस मुहिम पर काम करने का आदेश दिया गया है। छुट्टी होने के बावजूद घूम-घूम कर सभी वार्ड सहित अन्य तरह की जानकारी लेने को कहा गया है।

पोस्टर में स्वास्थ्य विभाग और बिहार सरकार का लोगो का चिन्ह भी है। बोर्ड पर स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि दलाल से सावधान रहना है और किसी भी तरह की जानकारी अथवा मदद के लिए पदाधिकारी से मरीज को मिलना है। किसी भी बाहरी व्यक्ति से बातचीत या सलाह नहीं लेना है। किसी के बहकावे में नहीं आना है। मरीज की सहायता के लिए सदर अस्पताल के प्रबंधक, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, अधीक्षक व सिविल सर्जन का मोबाइल नंबर तक दिया गया है। ताकि, मरीजों को किसी प्रकार की समस्या होने पर इन नंबरों पर संपर्क किया जा सके। बताया जाता है कि बोर्ड के लग जाने से गरीब जरूरतमंद लोगों को राहत जरूर मिलेगी। वहीं, सिविल सर्जन ने बताया कि यह बैनर लोगों को जागरूक करने के लिए लगाया गया है।

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Chhapra: आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एवं मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना अंतर्गत लाभार्थिओं के आयुष्मान कार्ड निर्माण के लिए आज से 31 जुलाई 2024 तक आयोजित होने वाले विशेष अभियान के सफल संचालन को लेकर बैठक का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता सारण के जिलाधिकारी अमन समीर ने किया। इस अवसर पर जिलाधिकारी अमन समीर, सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, सोनपुर, मढ़ौरा और सदर अनुमंडल पदाधिकारी, जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविंद कुमार, आयुष्मान भारत के जिला समन्वयक नीरज कुमार और आईटी प्रबंधक अभिनय कुमार सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी उस्पथित थे।

बताया गया कि आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एवं मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजनाओं का क्रियान्वयन पात्र लाभार्थिओं को प्रति वर्ष पांच लाख रुपए तक का निः शुल्क चिकित्सीय लाभ सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जाता है। क्योंकि राज्य सरकार ने आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से संबंधित होने के बाद राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के शेष बचे शत- प्रतिशत लाभार्थियों को राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना में शामिल करते हुए आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के एकीकृत प्लेटफार्म का उपयोग करते हुए पात्र लाभार्थियों का आयुष्मान कार्ड निर्माण कर उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है।

जिसको लेकर उपरोक्त योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए यह आवश्यक है कि पात्र लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड निर्माण कर उपलब्ध कराया जाए। राज्य में शत प्रतिशत आयुष्मान कार्ड निर्माण कार्य को पूरा कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।जिसके लिए 18 जुलाई 2024 से 31 जुलाई 2024 तक विशेष अभियान रूप से अभियान आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। प्रखंड स्तर पर प्रखंड विकास पदाधिकारी को ‘विशेष अभियान’ को लेकर नोडल अधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्ति किया गया है।

जिले के राशनकार्ड धारी 28, 95, 434 लाभार्थियों में से 8, 88, 228 लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड निर्माण कर उपलब्ध कराया गया है। लेकिन इस बार विशेष रूप से अभियान चलाकर अधिक संख्या में कार्ड निर्माण कराए जाने से संबंधित आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है। जिले में विशेष अभियान के तहत जन वितरण प्रणाली के दूकानों पर वसुधा केंद्र संचालकों द्वारा आयुष्मान कार्ड का निर्माण निःशुल्क किया जाना है। आईसीडीएस की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा जिले के सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों के माध्यम से जिले के सभी आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका के अलावा

इस अभियान में जिले के जीविका दीदियों को विशेष अभियान के दौरान परिवार के सभी सदस्यों का आयुष्मान कार्ड निर्माण के लिए जागरूक करते हुए उनका शत प्रतिशत कार्ड बनवाना सुनिश्चित करना है। आयुष्मान भारत के जिला कार्यक्रम समन्वयक को विशेष अभियान के दौरान जिला आपूर्ति पदाधिकारी एवं सोनपुर, मढ़ौरा और सदर अनुमंडल पदाधिकारियों को दैनिक प्रतिवेदन देने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है। अगर किसी कारणवश किसी जन वितरण प्रणाली दूकान पर संबंधित वसुधा केंद्र संचालक नहीं पहुंचता है, तब उस स्थिति में उस जन वितरण प्रणाली दूकान पर किसी अन्य वसुधा केंद्र संचालक की वैकल्पिक व्यवस्था करना वसुधा केंद्र के जिला प्रबंधक एवं जिला समन्वयक और कॉमन सर्विस सेंटर की जिम्मेदारी होगी।

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राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप स्वास्थ्य सेवाओं का संचालन विभाग की प्राथमिकता: आरपीएमयू

शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को एनक्यूएएस प्रमाणीकरण को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित:

शहरी स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सीय सुविधाओं को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार करने के लिए शुरू हुई कवायद: अपर निदेशक

एक्शन प्लान तैयार करने के लिए अधिकारियों को दिया आवश्यक दिशा-निर्देश: आरपीएम

गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना स्वास्थ्य विभाग का मुख्य उद्देश्य:

Chhapra: सारण जिला मुख्यालय स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मासूमगंज और बड़ा तेलपा के साथ—साथ सिवान शहर के महादेवा और लक्ष्मीपुर मोहल्ला स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध चिकित्सकीय सुविधाओं को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) के निर्धारित मानकों के अनुरूप बनाने की कवायद तेज कर दी गई है। जिसको लेकर सारण और सिवान जिले के जिला मूल्यांकन और अनुश्रवण पदाधिकारी, जिला लेखा प्रबंधक, चिकित्सा पदाधिकारी, एएनएम, लैब टेक्नीशियन, डाटा ऑपरेटर को क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक प्रशांत कुमार और जपाइगो की क्षेत्रीय कार्यक्रम समन्वयक बनानी मिश्रा के द्वारा प्रशिक्षित किया गया। संबंधित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारी और कर्मियों के अलावा क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक प्रशांत कुमार, क्षेत्रीय लेखा प्रबंधक विजय कुमार राम, क्षेत्रीय बायो मेडिकल इंजीनियर साबित्री पंडित, कार्यालय सहायक मनोज कुमार, जपाईगो की क्षेत्रीय कार्यक्रम समन्वयक बनानी मिश्रा, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सिफार) के डीपीसी धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी, लेखापाल निहारिका, आरपीएमयू कर्मी अंकुर और रंजय सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे।

शहरी स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सीय सुविधाओं को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार करने के लिए शुरू हुई कवायद: क्षेत्रीय अपर स्वास्थ्य निदेशक

क्षेत्रीय अपर स्वास्थ्य निदेशक डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग को तीन स्तर पर प्रमाणीकरण के लिए लक्ष्य का निर्धारण किया गया है। जिसमें राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्वास) प्रमाणीकरण योजना की शुरुआत की गई है। जिसको लेकर सारण और सिवान के यूपीएचसी में चिकित्सीय सुविधाएं और चिकित्सकीय इंतजामों को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार करने की कवायद शुरू कर दी गई है। इसके तहत अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं में स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार सुधार करने का प्रयास किया जा रहा है। क्योंकि राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) के प्रमाण पत्र के लिए न्यूनतम 70 प्रतिशत अंक लाना होगा। इसके लिए सक्षम पोर्टल पर सभी मानकों से संबंधित डाटा को अपलोड करना होगा।

एक्शन प्लान तैयार करने के लिए अधिकारियों को दिया आवश्यक दिशा- निर्देश: आरपीएम

क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक प्रशांत कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) प्रमाणीकरण को लेकर की जा रही तैयारियों से संबंधित एक्शन प्लान तैयार करने के लिए शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों को दिया आवश्यक दिशा- निर्देश दिया गया। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को आवश्यक दिशा- निर्देश दिया गया है। इसके अलावा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की जिम्मेदारी, संबंधित कार्य में विशेष दक्षता व कौशल रखने वाले कर्मियों को एक महीने का समय दिया गया है। ताकि उसको एनक्यूएएस प्रमाणीकरण से प्रमाण पत्र मिल सके। सक्षम पोर्टल पर संधारण, अंकेक्षण और अनुश्रवण से संबंधित प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया।

गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना स्वास्थ्य विभाग का मुख्य उद्देश्य: जपाईगो

जपाईगो की क्षेत्रीय कार्यक्रम समन्वयक बनानी मिश्रा ने उपस्थित सभी प्रतिभागियों से कहा कि शहरी स्वास्थ्य केंद्रों को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित करने के लिए कार्ययोजना है। लेकिन इसके लिए आप सभी को प्रशिक्षित करना जरूरी है। क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराना है। स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के अलावा स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा अनिवार्य रूप से लगातार प्रयास किया जाता हैं। ताकि शहरी क्षेत्र के निवासियों को स्थानीय स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उपलब्ध कराया जा सके

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Chhapra: जल जनित बीमारियों के मौसम की शुरुआत हो चुकी है। इस मौसम में घर के आसपास बहुत से कीटाणुओं के बढ़ने के कारण लोगों के बीमार होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। जिस कारण ऐसे मौसम में लोगों को डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारी से ग्रसित होने का खतरा मंडारने लगता है।

जिलेवासियों को इसके प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है। जिस दौरान लोगों को डेंगू होने के कारण, पहचानने के लक्षण के साथ- साथ अस्पताल में इसके इलाज के लिए उपलब्ध सुविधाओं के प्रति जागरूक किया जाता है। डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारी से जिलेवासियों को जागरूक करने के उद्देश्य से जिलाधिकारी अमन समीर के अध्यक्षता में शनिवार को जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक आयोजित की गई।

सरकारी अस्पताल के साथ – साथ निजी अस्पतालों में भी डेंगू मरीजों को चिन्हित किया जाए: जिलाधिकारी
जिलाधिकारी अमन समीर द्वारा बताया गया कि बदलते मौसम के साथ जिले में डेंगू मरीजों को सुरक्षित और बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के निजी अस्पतालों और पंजीकृत जांच घरों को डेंगू मरीज की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक दिशा- निर्देश दिया जाता है। निजी अस्पताल व जांच घरों से मरीज के डेंगू ग्रसित होने की जानकारी होने की स्थिति में मरीज को सूचित करते हुए उन्हें इलाज कराने की जानकारी दी जाती है। इसके साथ- साथ संबंधित मरीज के परिजनों को भी डेंगू या चिकनगुनिया जांच करवाने का निर्देश दिया जाता है, जिससे कि लोग संबंधित बीमारी की पहचान कर अपना इलाज सुनिश्चित करें। क्योंकि मानसून के कारण कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है। ऐसे में लोगों को इन बीमारियों से बचाव के उपाय के संबंध में जानकारी अतिआवश्यक हो जाता है। बारिश के समय घर के आसपास पानी का जमाव हो जाता है। स्थिर साफ पानी के जमाव होने से उसमें एडीज मच्छर पनपने लगता है। संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से कोई भी व्यक्ति डेंगू या चिकनगुनिया का शिकार हो जाता है। यह मच्छर दिन के समय में ही लोगों को अपना शिकार बनाता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल और जिले के अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में आवश्यक इलाज की व्यवस्था है। जिलेवासियों से अपील की जाती है कि संक्रमित व्यक्ति को डेंगू से सुरक्षा के लिए अपना और अपने परिजनों का ध्यान रखने के साथ लक्षण दिखाई देने की स्थिति में नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जांच अवश्य करायें।

डेंगू और चिकनगुनिया बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए सदर अस्पताल में 10 तो एसडीएच में 5 जबकि प्रखंड स्तर पर दो बेड सुरक्षित: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि बारिश के मौसम में डेंगू से ग्रसित मरीजों की संख्या काफी बढ़ जाती है। इसके लिए जिले के सभी अस्पतालों में डेंगू वार्ड बनाया जाता है। जहां डेंगू से ग्रसित मरीजों को भर्ती करते हुए उन्हें इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसके लिए जिला मुख्यालय सहित सदर अस्पताल में 10 बेड, अनुमंडलीय अस्पताल में 05 बेड तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 2-2 बेड को डेंगू के मरीजों हेतु सुरक्षित रखा गया है। डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर प्रखंड स्तरीय अस्पताल में मरीजों की एनएस-1 की जांच होती है। इसमें ज्यादा ग्रसित पाए जाने पर संबंधित मरीजों की सदर अस्पताल में एलिजा टेस्ट कराई जाती है। वहां चिन्हित होने के बाद ही उक्त मरीज को डेंगू ग्रसित मानते हुए इलाज की जाती है। डेंगू एवं चिकनगुनिया बुखार की स्थिति में सभी मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि समय पर पहचान और इलाज करवाने पर मरीज घर में ही आइसोलेटेड स्थिति में रह सकता हैं। निजी अस्पताल और जांच घरों से जांच के दौरान अगर दूसरे जिला के रहने वाले कोई व्यक्ति डेंगू या चिकनगुनिया ग्रसित पाया जाता हैं तो मरीज को सूचित करने के साथ- साथ संबंधित जिला के विभागीय अधिकारी को भी सूचित किया जाता है। ताकि संबंधित क्षेत्र के लोगों को भी जागरूक करते हुए ग्रसित मरीजों की पहचान कर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।

डेंगू मरीज होने पर संबंधित क्षेत्रों में कराई जाती है फॉगिंग: डॉ दिलीप कुमार
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार ने बताया कि वर्ष 2024 में फिलहाल डेंगू के मात्र दो मरीजों की पहचान हुई है। हालांकि डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के लिए शहरी क्षेत्र के कटरा, अस्पताल चौक, लाह बाजार, मौना चौक, भगवान बाजार, दहियावां, नई बाजार, रेलवे कॉलोनी तो वहीं रिविलगंज के गोदना मोड़, गड़खा के स्थानीय बाजार ले अलावा बसंत रोड के साथ साथ सोनपुर अनुमंडलीय अस्पताल क्षेत्र के दुधैला और बाकरपुर को हॉट स्पॉट के लिए चिन्हित किया गया है। विभागीय अधिकारियों का ध्यान इन इलाकों में सबसे अधिक है। लेकिन इसके अलावा जिले के सभी क्षेत्रों में डेंगू मरीज की पहचान होने पर संबंधित क्षेत्र के आसपास के घरों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक सप्ताह के अंदर ही फॉगिंग कराया जाता है। इससे संबंधित क्षेत्र के डेंगू होने वाले मच्छर नष्ट हो जाते हैं। साथ ही अन्य लोग डेंगू ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं। इसके अलावा क्षेत्र के लोगों को भी डेंगू की पहचान के लिए लक्षण की जानकारी देते हुए इलाज के लिए अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए जागरूक किया जाता है, ताकि जिलेवासी डेंगू या चिकनगुनिया जैसे बीमारी से सुरक्षित रह सकें।

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जिलाधिकारी ने की जिला स्तरीय स्वास्थ्य विभाग की समीक्षात्मक बैठक

Chhapra: सरकार की अतिमहत्वपूर्ण योजनाओं और कार्यक्रमों को जिले के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में शत प्रतिशत लागू करने और उसका सतत निगरानी और अनुश्रवण करने से संबंधित मासिक समीक्षा बैठक समाहरणालय स्थित सभागार में जिलाधिकारी अमन समीर के अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस अवसर पर जिलाधिकारी अमन समीर, उपविकास आयुक्त प्रियंका रानी, सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा, डीआईओ डॉ चंदेश्वर सिंह, डीवीडीसीओ डॉ दिलीप कुमार, सीडीओ डॉ आरपी सिंह, एनसीडीओ डॉ भूपेंद्र कुमार, आईसीडीएस की डीपीओ कुमारी अनुपमा, डीपीएम अरविंद कुमार, डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह, डीपीसी रमेश चंद्र कुमार, डब्ल्यूएचओ डॉ रंजितेश, यूनिसेफ आरती त्रिपाठी, पीरामल स्वास्थ्य के हरि शंकर कुमार, यूएनडीपी रजनीश और सिफार के धर्मेंद्र रस्तोगी के अलावा जिले के सभी एमओआईसी, एचएम, बीएचएम, बीसीएम सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे।

समीक्षा बैठक के दौरान जिलाधिकारी अमन समीर ने अधिकारियों से गहनतापूर्वक चर्चा के बाद प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) के दौरान गर्भवती महिलाओं को चार तरह की जांच के साथ ही आयरन की गोली खाने को लेकर आवश्यक दिशा- निर्देश दिया। क्योंकि जब तक गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच ठीक से नहीं होगी तब तक प्रसव के दौरान जच्चा व बच्चा सुरक्षित नहीं रह सकता है। जिससे प्रसव के दौरान मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को शून्य किया जा सकता है। इसके लिए आरोग्य दिवस के दिन अधिक से अधिक गर्भवती महिलाओं की जांच अनिवार्य रूप से करना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

जिलाधिकारी अमन समीर द्वारा सिविल सर्जन और संबंधित अधिकारियों से जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल और अनुमंडलीय अस्पताल में प्रसव के दौरान उच्च जोख़िम वाली गर्भवती महिलाओं को सी- सेक्शन के तहत सावधानी पूर्वक प्रसव कराए जाने को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया। क्योंकि प्रसव पूर्व जांच के दौरान ही गर्भवती महिलाओं को चिन्हित किया जाता है। ताकि प्रसव के दौरान किसी तरह की परेशानी नही हो। वहीं जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में रोगी कल्याण समिति का पुनर्गठन, प्रतिदिन उपस्थिति के लिए एफआरएएस और भव्या एप्प को शत प्रतिशत पूरा कराने के लिए संबंधित अधिकारी को निर्देशित किया।

जिलाधिकारी द्वारा प्रसव पूर्व जांच में प्रथम और चौथे का प्रतिशत बढ़ाने, सरकारी अस्पतालों में अधिक से अधिक संस्थागत प्रसव कराने, परिवार नियोजन में पुरुष और महिला नसबंदी को बढ़ावा देने के साथ ही अस्थाई साधनों में पीपीआईयूसीडी, आईयूसीडी, अंतरा को आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाए जाने को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया। क्योंकि आगामी 11 से 31 जुलाई तक जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा मनाया जाएगा। जिसको लेकर उसके पहले प्रतिदिन प्रत्येक कार्यक्रम को अलग अलग थीम के तहत पंचायती राज के जनप्रतिनिधि, जीविका के अधिकारी और कर्मियों का सहयोग लिया जाएगा।

प्रसव पूर्व जाँच में 9 प्रखंडों में उपलब्धि 90 प्रतिशत से कम दर्ज किया गया है। इन सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को इसके लिये जिम्मेदारी का निर्धारण कर कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया।

सभी ए एन एम के कार्यों का संबंधित पैरामीटर के आधार पर मासिक मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया।लगातर खराब प्रदर्शन करने वाली एन एन एम के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी।

जिलाधिकारी अमन समीर ने कहा कि जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में सरकार और विभागीय स्तर पर मिलने वाली चिकित्सीय सुविधाओं को शत प्रतिशत उपलब्ध कराना हम सभी की जिम्मेदारी है। इसे अनिवार्य रूप से हमलोगों को अपने जीवन में अपनी ओर से ।प्राथमिकताओं में शामिल करना होगा। क्योंकि सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग स्थानीय स्तर पर क्षेत्र की जनता का ख्याल करते हुए हर तरह की सुख सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। इसके लिए बेहतरीन चिकित्सीय सुविधाओं के साथ- साथ व्यवस्था प्रदान करने के लिए आवश्यक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।

जिलाधिकारी ने कहा कि अस्पतालों में प्रसव के दौरान उच्च जोख़िम वाली गर्भवती महिलाओं को सी- सेक्शन के तहत सावधानी पूर्वक प्रसव कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। साथ ही जिला और अनुमंडलीय अस्पताल में सभी प्रकार की जांच यथा – एक्सरे, अल्ट्रा साउंड, रक्त जांच शत प्रतिशत होना चाहिए। इसके अलावा गुणवत्ता पूर्ण सुविधाओ की उपलब्धता सुनिश्चित करने को लेकर आवश्यक कदम उठाकर सुदृढ़ किया जाए। ताकि अंतिम पायदान पर रहने वालों को गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सुविधा मिल सकें। जीरो डोज टीकाकरण अभियान को शत प्रतिशत सफलता के लिए जिला टास्क फोर्स का गठन से संबंधित विस्तृत जानकारी ली गई। वहीं डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारी से बचाव और सुरक्षित रहने के लिए जिला स्तरीय समन्वय समिति को लेकर गहन विचार विमर्श किया गया।

जिलाधिकारी ने सोनपुर, मढ़ौरा, बनियापुर और दरियापुर प्रखंडों में संचालित निजी नर्सिंग होम से संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर जांच करने के बाद उसकी जांच रिपोर्ट अविलंब उपलब्ध कराया जाए। इसी तरह अन्य प्रखंडों में भी निजी क्लीनिकों की जांच आने वाले महीनों में कराई जायेगी।

प्रसव पूर्व जांच और प्रसव से संबंधित सभी प्रकार की जानकारियों को उपलब्ध कराते हुए उसमें तेजी लाने के लिए अलग से चर्चा की गई। जबकि मौसमी बीमारी में जल जनित रोग से बचाव को लेकर शत प्रतिशत दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने और बाढ़ पूर्व तैयारी के अलावा डेंगू, चिकन गुनिया, मलेरिया और कालाजार बीमारी से बचाव और सुरक्षित रहने के लिए ठोस कदम उठाए जाने पर चर्चा किया।

जिले में विभिन्न हादसों के बाद जख्मी व्यक्ति के इंज्यूरी रिपोर्ट को ससमय एवं वास्तविकता के आधार पर तैयार करने का निदेश दिया गया।इंजुरी रिपोर्ट को उसी दिन संबंधित थाना/पुलिस अधीक्षक कार्यालय को ईमेल के माध्यम से भेजने को कहा गया। इसकी दैनिक मोनिटरिंग के लिए सदर अस्पताल के उपाधीक्षक और जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम को जिम्मेदारी दी गई। जबकि प्रखंड स्तर पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को इसकी जिम्मेवारी दी गई।

मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना का निगरानी और अनुश्रवण डीआईओ और डैम को करने के लिए नामित किया गया है।

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Chhapra: स्वास्थ्य विभाग की ओर से सदर अस्पताल परिसर में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र विगत कई वर्षों से जिला मुख्यालय सहित आसपास के बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। सारण के जिलाधिकारी अमन समीर ने जिलेवासियों से अपील किया है कि जिले में कोई भी बच्चा कुपोषण की समस्या से पीड़ित है, तो वह स्थानीय आंगनबाड़ी सेविकाओं से संपर्क कर सदर अस्पताल परिसर स्थित एनआरसी में नामांकित (भर्ती) हों। अगर इस दौरान उन्हें किसी प्रकार की कोई असुविधा होती है तो वह अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र या फिर एनआरसी जाकर भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में कुपोषित बच्चे की मां को कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर जागरूक किया जाता है।

मासिक समीक्षा बैठक के दौरान जिलाधिकारी द्वारा एनआरसी की सतत निगरानी को लेकर दिया जाता है आवश्यक दिशा- निर्देश: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि जिलाधिकारी अमन समीर की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग से संबंधित मासिक समीक्षा बैठक के दौरान जिले के अतिकुपोषित बच्चों की ज़िंदगी का ख्याल रखने के उद्देश्य से पोषण पुनर्वास केंद्र में आने वाले बच्चों को लेकर विचार विमर्श करते रहते हैं। क्योंकि यहां पर मिलने वाली सुविधाएं पूरी तरह से नि:शुल्क हैं। केंद्र में नामांकित बच्चों के वजन में न्यूनतम 15 प्रतिशत की वृद्धि के बाद ही उसे यहां से घर वापस यानी डिस्चार्ज किया जाता है। वहीं इस दौरान स्टाफ नर्स और एएनएम के द्वारा मौजूद धातृ महिलाओं को कुपोषण के मुख्य कारण, लक्षण, बचाव एवं इसके उपचार की विस्तृत जानकारी दी जाती है। ताकि महिलाओं को कुपोषण से पीड़ित बच्चों की पहचान करने, साफ- सफाई का विशेष ख्याल रखने, कुपोषण से बचाव के तरीके की जानकारी रहे।

 

कुपोषण की समस्या से पीड़ित बच्चों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है एनआरसी: डीपीएम
डीपीएम अरविंद कुमार के अनुसार सरकार द्वारा संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में नामांकित बच्चों को पूरी तरह से पोषणयुक्त बनाकर उन्हें अपने अभिभावकों के साथ घर वापस भेजा जाता है। इसके पहले कुपोषण की समस्या से जूझ रहे बच्चों को 14 दिनों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में रखा जाता है। जहां कुपोषित बच्चे को अस्पताल के शिशु रोग से संबंधित चिकित्सकों द्वारा दिए गए सलाह के अनुसार खानपान का विशेष ख्याल रखा जाता है। 14 दिनों के अंदर अतिकुपोषित बच्चा पोषणयुक्त नहीं हो पाता हैं तो वैसी स्थिति में अधिक दिनों तक रखकर विशेष रूप से देखभाल की जाती है। इसीलिए पोषण पुनर्वास केंद्र को कुपोषण की समस्या से पीड़ित बच्चों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है।

आवासित बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए एनआरसी में स्टाफ नर्स प्रतिनियुक्त: शिशु रोग विशेषज्ञ
सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ ब्रजेश कुमार ने बताया कि एनआरसी में आवासित बच्चों की देखभाल जीएनएम अंजू कुमारी, कुमारी ममता यादव, कुमारी मीनू यादव और एएनएम लीला कुमारी के द्वारा पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ किया जाता है। हालांकि प्रतिदिन मेरा द्वारा राउंड लगा कर बच्चों को देखा जाता है। स्थानीय केंद्र में छः महीने से अधिक एवं 59 माह तक के ऐसे बच्चे जिनकी बायां भुजा 11.5 सेमी हो और उम्र के हिसाब से लंबाई व वजन नही बढ़ता हो तो वह कुपोषित माने जाते हैं। वैसे बच्चें को ही पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया जाता है। इसके साथ ही दोनों पैरों में पिटिंग एडीमा हो तो ऐसे बच्चों को भी यहां पर भर्ती किया जाता है।

 

अप्रैल 2022 से अभी तक 327 बच्चों को मिला जीवन दान: नोडल अधिकारी
पोषण पुनर्वास केंद्र के नोडल अधिकारी रमेश चंद्र कुमार के अनुसार विगत 2022 से अभी तक लगभग 327 बच्चों को नया जीवन दान मिला है। जिसमें अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक 160, अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक 133 बच्चे को पूरी तरह से पोषित करने के बाद वापस घर भेज दिया गया है। तो वहीं अप्रैल 2024 में 02, मई में 17 जबकि जून में 15 अतिकुपोषित बच्चे पोषक पुनर्वास केंद्र में एनआरसी कर्मियों द्वारा पोषित किया जा रहा है। एनआरसी के सीबीसीई चंदन के द्वारा आंगनबाड़ी सेविका और आशा कार्यकर्ताओ से समन्वय स्थापित कर अतिकुपोषित बच्चें लाने की जिम्मेदारी होती है। वही केंद्र में नामांकित बच्चों की देखभाल आशिका कुमारी और लाखपति देवी की रहती हैं।

नामांकित बच्चों के लिए डायट के अनुसार पोषणयुक्त आहार: पुष्पा कुमारी
पोषण पुनर्वास केंद्र की प्रभारी एएनएम पुष्पा कुमारी कार्यरत ने बताया कि एनआरसी में नामांकित बच्चों को पौष्टिक आहार के रूप में डायट के अनुसार पोषण विशेषज्ञ मनीषा कुमारी के देखरेख में आहार दिया जाता है। हालांकि एनआरसी में नामांकित बच्चों के लिए पोषणयुक्त आहार को लेकर प्लान तैयार किया गया है। जिसके अनुसार बच्चों को प्रतिदिन अलग- अलग तरह के व्यंजन के अलावा चिकित्सीय सलाह और दवा दी जाती है। बच्चों को पौष्टिक आहार में खिचड़ी, दलिया, सेव, चुकंदर, अंडा सहित अंकुरित अनाज नियमित रूप से खिलाया जाता है। साथ ही बच्चों को कार्टून दिखाने के लिए टीवी और खिलौना की व्यवस्था है। वही माताओं को सुबह में योगा के साथ मनोरंजन कराया जाता है। इसके अलावा प्रतिदिन क्षतिपूर्ति के रूप में सौ रुपए देने का प्रावधान है।

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विवेकानंद VIP फार्मेसी के छात्रों द्वारा आमजन को आयुर्वेदिक एवं औषधीय पौधों के बहुमूल्य फायदों से कराया गया अवगत

Chhapra: हम जिस तेज रफ़्तार दुनिया में जी रहे हैं, उसकी वजह से हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं। इन्ही तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सारण जिले का एकमात्र सुप्रसिद्ध फार्मेसी संस्थान विवेकानंद VIP फार्मेसी संस्थान के विद्यार्थियों द्वारा दिनांक 28 जून 2024 को कोपा (सारण) में हर्बल गार्डन कैंप के माध्यम से वहां के आमजन को आयुर्वेदिक एवं औषधीय पौधों के बारे में तथा उनके बहुमूल्य फायदे से पूर्ण रुप से अवगत कराया गया।

कैंप के मुख्य संयोजक ने बताया कि हालाँकि, हम जिस जीवनशैली को जीते हैं, उसका हम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन यह जानना ज़रूरी है कि अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करके हम स्वस्थ और ऊर्जावान बने रह सकते हैं। इसलिए, आयुर्वेद का महत्व आज के जीवन में भी उतना ही है, क्योंकि यह हमें प्रकृति के करीब लाने और बिना किसी दुष्प्रभाव के हमें ठीक करने और स्वस्थ रखने के लिए इसकी प्राकृतिक शक्तियों पर भरोसा करने के सिद्धांत पर आधारित है। अपने दैनिक आहार में आयुर्वेदिक उत्पादों को शामिल करके, छात्र मानसिक स्पष्टता बढ़ा सकते हैं, तनाव कम कर सकते हैं और समग्र स्वास्थ्य बनाए रख सकते हैं। एकाग्रता में सुधार और तनाव को दूर करने के लिए हर्बल सप्लीमेंट जैसे उत्पादों का उपयोग करके, छात्र यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनका शरीर और दिमाग इष्टतम स्थिति में हैं।

वही उपस्थित संस्थान के प्राचार्य ने भी बताया कि प्राकृतिक अवयवों और औषधीय जड़ी-बूटियों के उपयोग के कारण आयुर्वेदिक दवाएं और उत्पाद आज सुरक्षा का प्रतीक बन गए हैं, जबकि सिंथेटिक दवाएं समग्र स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित और खतरनाक मानी जाती हैं। प्रत्येक पौधे या जड़ी-बूटी में एक विशिष्ट गुण होता है और इसका उपयोग कई बीमारियों और रोगों के इलाज के लिए किया जा सकता है। एलो, हल्दी, तुलसी, काली मिर्च, इलायची और अदरक जैसे औषधीय पौधों का आमतौर पर कई आयुर्वेदिक घरेलू उपचारों में उपयोग  किया जाता है और गले और त्वचा से संबंधित बीमारियों से लड़ने में इन्हें सबसे अच्छा सहायक माना जाता है। अन्य दवाओं और औषधियों के विपरीत, आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ बीमारी को जड़ से ठीक करने के लिए जानी जाती हैं और इस प्रकार आपको लंबे समय तक स्वस्थ और फिट रखने में सहायता करती है। अगर हम दुनिया भर के विभिन्न शोधों को देखें, तो पाएंगे कि उपचार और रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग के लिए प्राकृतिक जड़ी-बूटियों की ओर रुख करने वाले लोगों के मामलों में अचानक उछाल आया है। मूल बातों पर वापस जाने पर, लोगों ने महसूस किया है कि रासायनिक रूप से उपचारित उत्पाद उनके जीवन के लिए कितना खतरा पैदा करते हैं और इसलिए वे आयुर्वेद और इसके सिद्धांतों को अपने जीवन का मुख्य आधार बनाकर स्वस्थ जीवन शैली अपना सकते हैं। वहां उपस्थित लोगों में भी इन महत्वपूर्ण जानकारियों को लेकर काफी रुझान देखने को मिला।

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सात सौ ग्यारह यात्रियों का जत्था 27 जून होगा बाबा अमरनाथ के दर्शनों के लिए रवाना

Jaipur: इस बार बाबा श्री अमरनाथ के दर्शन 29 जून से शुरू होंगे। बाबा श्री अमरनाथ यात्रा पिछले 33 वर्षों से गोयल परिवार द्वारा कराई जा रही है। इस यात्रा का संचालन राजकुमार गोयल व गंगा गोयल कर रहीं हैं। इस बार यह यात्रा 27 जून से कराई जा रही है। इस यात्रा को लेकर सभी यात्रियों में काफी उत्साह है।

संचालन राजकुमार गोयल व गंगा गोयल ने बताया कि यात्रा में 711 यात्रियों का जत्था 27 जून 2024 को प्रातः 6 बजे गोयल निवास पंचशील मार्ग सी-स्कीम जयपुर से रवाना होकर मोती डूंगरी गणेश जी के दर्शन कर भोले बाबा के जयकारों के साथ रवाना होगा। आगे बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन करते हुए श्री सालासर हनुमान जी के दर्शन करके देशनोक करणी माता के दर्शन कर के रात्रि विश्राम होगा। प्रातः अमृतसर के लिए रवाना होंगे वहां जलियांवाला बाग और स्वर्ण मंदिर के दर्शन कर के हिमाचल में चिंतपूर्णी माता के रात्रि विश्राम होगा। ज्वाला माता, चामुंडा माता, कांगड़ा माता के दर्शन कर वहीं पर रात्रि विश्राम होगा। प्रातः कटरा के लिए रवाना होंगे वहां माता वैष्णो देवी के दर्शन कर यात्रा बालटाल 2 जुलाई की रात्रि को पहुंचेगी और 3 व 4 जुलाई 2024 को बाबा अमरनाथ के दर्शन करने के पश्चात 5 जुलाई को जयपुर के लिये प्रस्थान करेंगे।

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Muzaffarpur: केंद्रीय विद्यालय सीआरपीएफ कैंप झपहा में 10 वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन प्रातः 8 बजे से 9 बजे एवं 11 बजे से अपराह्न 12 बजे तक दो सत्रों में किया गया।

इस क्रम में विद्यालय के सभी छात्रों एवं अध्यापकों ने प्रमुख आसनों का अभ्यास किया। विद्यालय के खेल प्रशिक्षक अरविन्द कुमार ने छात्रों को सभी प्रमुख आसनों का अभ्यास कराया।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण थीं योग प्रशिक्षिका सुलभा, जिन्होने अपने ज्ञानवर्धक एवं नितांत उपयोगी व्याख्यान के दौरान योग क्रियाओं का पुनराभ्यास कराया ।

10 वा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का थीम है नारी का सशक्तिकरण। योग के तथ्यपरक व्याख्यान में बालिकाओं एवं महिलाओं के मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य की सम्यक जानकारी प्रदान की गई।

योग प्रशिक्षक ने “शरीरमाद्य खलु धर्म साधनम्” की व्याख्या करते हुए नारी के उत्तम स्वास्थ्य के लिए कई उपाय बताए, जिससे नारी स्वास्थ्य लाभ के साथ पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर समाज और राष्ट्र की प्रगति में अपना अमूल्य योगदान दे सकती हैं।

विद्यालय की प्राचार्य मंजु देवी सिंह ने आदि उपस्थित रहे।  

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निर्वाण संघ के तत्वावधान में बाबा लालदास के मठिया पर अंतराष्ट्रीय योग दिवस का हुआ आयोजन

Isuapur: निर्वाण संघ के तत्वावधान में बाबा लालदास के मठिया पर अंतराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन गया. जिसमें संघ के सदस्यों, इसुआपुर बाजार के व्यवसायियों तथा नगर के निवासियों ने भाग लिया।

सभी प्रतिभागियों ने मठिया परिसर में इकट्ठा होकर योगासनों का अभ्यास किया। योगाभ्यास के उपरांत प्रतिभागियों के लिए जलपान का प्रबंध भी किया गया था। विदित हो कि निर्वाण संघ आचार्य श्री सत्येंद्र कुमार द्वारा गठित एक पंजीकृत स्वयंसेवी संस्थान है जिसका मुख्य उद्देश्य धर्म, अध्यात्म और भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करना है।

आज के आयोजन में भाग लेने वाले मुख्य रूप से राजेश प्रसाद, पप्पु प्रसाद, अमीर साह, त्रिभुवन चतुर्वेदी, सुनिल सिंह, श्याम प्रसाद, अनिल, नवल किशोर चौबे (पुजारी जी) ब्रजभूषण पंडित, रविंद्र कुमार सोनी, सोनू कुमार उपस्थित थे।

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Chhapra: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जयप्रकाश विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं व शिक्षक-कर्मियों ने योगाभ्यास किया।

कुलपति प्रो. परमेंद्र कुमार बाजपेई के नेतृत्व में विश्वविद्यालय परिसर में योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर समायोजक, महाविद्यालय विकास परिषद प्रो. वीरेंद्र कुमार, कुलसचिव प्रो.रणजीत कुमार, एनएसएस समन्वयक प्रो. हरिश्चंद्र, खेल निदेशक प्रो. राजेश नायक, सहित विश्वविद्यालय के अन्य पदाधिकारी व कर्मचारी तथा छात्र-छात्रा उपस्थित थे।

कुलपति ने स्वयं भी विभिन्न प्रकार के योगासन किए। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय क्षेत्रान्तर्गत रामजयपाल कॉलेज, पीसी विज्ञान कॉलेज, नारायण कॉलेज, गोरेयाकोठी सहित अन्य महाविद्यालयों में भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि योग स्वस्थ रहने के लिए सर्वोत्तम विधा है। यह प्रसन्नता की बात है कि विश्वविद्यालय में शीघ्र ही योग का पाठ्यक्रम भी प्रारंभ किया जानेवाला है।

वहीं, राजभवन, पटना में 20 जून को आयोजित अन्तर्विश्वविद्यालय योग प्रतियोगिता-2024 में जयप्रकाश विश्वविद्यालय की टीम ने भी हिस्सा लिया।

टीम में 3 छात्र एवं 2 छात्रा शामिल थे। प्रतियोगिता में जयप्रकाश विश्वविद्यालय की टीम ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया।

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Chhapra: योग से शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से हर व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ्य रह सकता है। क्योंकि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल यानी कोविड काल के दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखने के लिए इसका महत्व और भी अधिक बढ़ गया था।


सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि नियमित रूप से योग अपना कर अवसाद से होने वाली बीमारियों के अलावा तनाव और अनिंद्र को भी आसानी से दूर किया जा सकता है।

सबसे अहम बात यह है कि योग की प्रमुख क्रियाओं में सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, मंडूकासन, शशकासन, ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, उष्ट्रासन, योगमुद्रासन, गोमुखासन, भुजंगासन, पादहस्तासन, पवनमुक्तासन, मर्कटासन, वक्रासन, कटिचक्रासन, भुजंगासन आदि मुख्य रूप से शामिल किया गया हैं जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना गया हैं।

जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों के एमओआईसी को दिया गया आवश्यक दिशा- निर्देश: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने को लेकर सभी स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा- निर्देश दिया गया है।

क्योंकि योगाभ्यास के माध्यम से कई तरह की प्रक्रियाएं अपनाने से फेफड़ों में रक्तसंचार बढ़ती है। वहीं प्राणायाम श्वसन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए एक विशेष योगाभ्यास है। श्वसन क्रिया के दौरान गहरी सांस लेते हुए वायु को अंदर की ओर खींचते हैं। सांस को अधिक से अधिक समय तक रोके रखते हैं और अंत में धीरे- धीरे सांस छोड़ते हैं।

इससे शरीर को आवश्यक मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त होता है। श्वसन से संबंधित एवं टीबी जैसे बीमारियों को दूर करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण अभ्यास माना जाता है। इसके अलावा विलोम- अनुलोम प्राणायाम करने से भी फेफड़ों को मजबूती मिलती है। योग के लिए शांत एवं स्वच्छ वातावरण होना चाहिए।

शारीरिक और मानसिक रूप से शांति के लिए योगाभ्यास की महत्वपूर्ण भूमिका: डीपीएम
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल सहित जिले के सभी रेफरल अस्पताल, स्मुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, एपीएचसी के अलावा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर योग दिवस मनाया जाएगा।

शरीर और मन की शांति के लिए योग बहुत ही जरूरी विकल्प के रूप में सामने आया है। योगाभ्यास करने मात्र से आपका शरीर पूरी तरह से स्वस्थ रहता है। साथ ही योग से मानव जीवन पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है।

प्रतिदिन योग करने से शारीरिक और मानसिक बीमारियां दूर होती है। बढ़ते तनाव को कम करने और लाइफ स्टाइल से पैदा होने वाली विभिन्न तरह की समस्याओं को योगाभ्यास करने से दूर किया जा सकता है।

योग करने से शरीर को मजबूती के साथ ही शारीरिक और मानसिक ऊर्जा में वृद्धि भी होती है। वहीं योग करने वाले लोग पूरी तरह से फिट होने के साथ ही इम्यूनिटी के मामले में भी दूसरे लोगों से बेहतर स्वस्थ्य होते हैं। इसी को देखते हुए बाकी लोगों ने भी खुद के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए योग करना शुरू किया है।

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