नई दिल्ली: भारतीय सेना अपने मुख्य युद्धक टैंक टी-90एस को अत्याधुनिक सक्रिय सुरक्षा प्रणाली से लैस करने के लिए पूरी तरह तैयार है। कई साल से अधर में लटकी यह प्रक्रिया फिर से शुरू की गई है। इस बार इसे ‘मेक इन इंडिया’ मेक के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह सक्रिय सुरक्षा प्रणाली पूरी तरह स्वदेशी होगी जिससे भारतीय सेना के टैंक बेड़े की बेहतर सुरक्षा हो सके। सेना ने 818 टैंकों के लिए भारतीय विक्रेताओं को आमंत्रित किया है।
मौजूदा समय में चीन और पाकिस्तान के मोर्चों पर एक साथ सामना करने के लिए भारतीय सेना को सक्रिय सुरक्षा प्रणाली की सबसे ज्यादा जरूरत है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण मुख्य युद्धक टैंक हैं। भारतीय सेना ने इससे पहले भी अपने मुख्य युद्धक टैंकों को सक्रिय सुरक्षा प्रणाली से लैस करने की कोशिश की थी, जिसके दौरान रूसी कंपनी ‘एरीना’ और इजरायल की कंपनी ‘ट्रॉफी’ अंतिम दावेदार थे। बाद में ‘एरीना’ के निविदा वापस लेने की वजह से यह प्रक्रिया रुक गई थी। अब फिर भारतीय सेना ने नए सिरे से 818 टैंकों के लिए भारतीय विक्रेताओं को आमंत्रित करके लम्बे समय से अधर में लटकी प्रक्रिया शुरू की है। इस प्रक्रिया के दौरान शॉर्टलिस्ट कम्पनियां पहले टैंक टी-90 एस/एसके के लिए एएफवी प्रोटेक्शन एंड काउंटर मेजरमेंट सिस्टम के दो प्रोटोटाइप तैयार करेंगी। भारतीय सेना के परीक्षण में जिस कंपनी के टैंक मानकों पर खरे उतरेंगे, उस कंपनी को 818 टैंकों की खरीद के ऑर्डर दिए जायेंगे।
सूत्रों के अनुसार अत्याधुनिक सक्रिय सुरक्षा प्रणाली से लैस यह टैंक लद्दाख के ठंडे तापमान -5 डिग्री सेंटीग्रेड और राजस्थान के गर्म रेगिस्तान में 45 डिग्री के ऑपरेटिंग तापमान में मार्जिन के साथ संचालन में सक्षम होने चाहिए। यह सिस्टम दिन-रात के सभी कार्यों में सक्षम होना चाहिए। मानकों में यह तय किया गया है कि यह समीपवर्ती शत्रुतापूर्ण खतरे (न्यूनतम 0.5 सेकंड के अंतराल) के मामले में हमले की एक से अधिक दिशाओं का पता लगाने और दो खतरों को बेअसर करने में सक्षम होना चाहिए। छोटे हथियारों के हमले, तोपखाने, स्प्लिंटर्स आदि के आकस्मिक हमले के खिलाफ इसकी उच्च सुरक्षा होनी चाहिए। आसपास के क्षेत्रों में विस्थापित सैनिकों के लिए खतरे का क्षेत्र टैंक के 50 मीटर के दायरे से अधिक नहीं होना चाहिए।
टी-90 जंगी टैंक को रूस ने बनाया है जो तीसरी पीढ़ी की श्रेणी में आता है। इसमें ‘टी’ का मतलब टैंक है और इसमें 90 इसलिए लगाया गया है क्योंकि यह 1990 के दशक में बना था। भारत ने पहली बार 2001 में रूस से 310 टी-90 टैंक खरीदने का सौदा किया था।इनमें से 124 टैंक रूस से बनकर आए जबकि बाकी को भारत में निर्मित करके उन्हें ‘भीष्म टैंक’ नाम दिया गया।
सबसे पहले 10 भीष्म टैंक अगस्त, 2009 में सेना में शामिल हुए। अभी भारत के पास सबसे आधुनिक करीब 1000 टी-90 टैंक है। भीष्म टैंक का निर्माण तमिलनाडु के अवाडी स्थित हैवी व्हीकल फैक्ट्री में किया जाता है। भीष्म को और अधिक आधुनिक बनाने के लिए रूस के साथ ही फ्रांस से भी मदद ली जाती है। भारतीय सेना ने जरूरतों को देखते हुए 1640 भीष्म टैंक अपने लड़ाकू बेड़े में शामिल करने की योजना बनाई है। इसीलिए भारतीय सेना अपने मुख्य युद्धक टैंक टी-90 को अत्याधुनिक सक्रिय सुरक्षा प्रणाली से लैस करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
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