कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर वाराणसी में देव दीपावली का आयोजन किया जाता है. गंगा के पावन घाट पर दीपोत्सव का आयोजन होता है. इस विहंगम दृश्य को देखने के लिए दूर दूर से पर्यटक वाराणसी पहुंचते है.

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Chhapra: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया. सारण जिले के प्रमुख नदी घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना जारी था.

कार्तिक पूर्णिमा को लेकर हर वर्ष मेला का आयोजन होता है, जो इस बार कोविड महामारी के मद्देनजर नही हुआ. हालांकि लोगों ने नदी घाटों पर पहुंच स्नान किया. जिले के सोनपुर और रिविलगंज में गंडक और घाघरा नदी, डोरीगंज में गंगा नदी में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई.

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•कार्तिक पुर्णिमा स्नान कार्यक्रम के लिए दिशानिर्देश जारी, करें सख्ती से अनुपालन
•मजबूत प्रतिरोधक क्षमता से होगा कोरोनावायरस से बचाव

Chhapra: कोरोना से बचाव को लेकर वैसे तो हर किसी को विशेष एहतियात बरतने की जरूरत है किन्तु बुजुर्गों, छोटे बच्चों और गर्भवतियों का कुछ खास ख्याल रखना जरूरी है। इन लोगों में अमूमन रोग प्रतिरोधक शक्ति कम होती है। इसलिए उनका बाहर निकलना, किसी सामुदायिक कार्यक्रम में शामिल होना या अधिक लोगों के बीच रहना संक्रमण को खुला आमंत्रण है। इन बातों को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने 30 नवम्बर को होने वाले कार्तिक पूर्णिमा स्नान के दौरान घाटों पर श्रद्धालुओं के जमा होने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया है।

यह है दिशा- निर्देश 

पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण में बढ़ोतरी को देखते हुये राज्य सरकार के पत्रांक 6344 द्वारा सभी जिला प्रशासन को यह स्पष्ट किया है कि पुर्णिमा स्नान को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाई जाय। उन्हें घाटों पर जमा होने के बजाय अपने घर में ही रहकर स्नान करने के लिए प्रेरित किया जाय। पत्र में 60 साल से ऊपर के लोगों, बुखार या किसी भी गंभीर बीमारी से ग्रसित, 10 साल से कम उम्र के बच्चों और गर्भवतियों को घाट पर नहीं जाने की सलाह दी गयी है। साथ ही यह निर्देश भी दिया गया है की इस अवसर के लिए परिचालित विशेष यातायात के साधनों (यात्री वाहनो, बसों )में उपलव्ध कुल सीट के 50 प्रतिशत यात्री हीं एक समय में बैठ (यात्रा कर )सकते हैं। यातायात से संबन्धित यह निर्देश विशेष रूप से बेगूसराय, वैशाली, पश्चिमी चंपारण, सारण, जमुई और पटना से आने जाने वाले यात्री वाहनों के लिए जारी किया गया है क्योंकि विगत कुछ दिनों से इन जिलों में कोरोना संक्रमण दर में वृद्धि देखी गयी है। ऐसे में कार्तिक स्नान करने के लिए गंगा घाटों पर लोगों के विशेष तौर पर बुजुर्गों और महिलाओं के एकत्रित होने से उनके संक्रमित होने की संभावनाएं और बढ़ जाती हैं।इसलिए बुजुर्गों को घर के भीतर हीं रहने को कहें ताकि वो सुरक्षित रहें और उनके खानपान का ध्यान रखें ।

रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाकर और सही दिनचर्या से दे सकेंगे कोरोना को मात

मजबूत प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में कोरोना के संक्रमण की संभावना काफी कम होती है। यही नहीं ऐसे व्यक्ति कोरोना संक्रमित भी हो जाए तो भी जल्दी स्वस्थ हो जाते हैं। इसलिए घर के बुजुर्गों, शिशुओं और गर्भवतियों के आहार में ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन एवं फाइबर शामिल करें। अंकुरित अनाज जैसे अंकुरित गेहूं, अंकुरित मूंग, सोयाबीन आदि से उन्हें पर्याप्त प्रोटीन मिलता रहेगा। इसके अलावा गेहूं का आटा व उससे बनी दलिया, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, दूध, विटामिन-सी से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। विटामिन-सी खट्टे फलों प्राप्त होती है। इसलिए नींबू,आंवला संतरा जैसे फल और पर्याप्त पानी पिलाएँ। ज्यादा तले भुने या मैदा से बने चीजों के सेवन से बचाएं। धूम्रपान, तंबाकू या मद्यपान से बुजुर्गों को दूर रहने को कहें क्योंकि इससे किडनी और हृदय रोगों की संभावना बढ़ जाती है। भरपूर नींद, नियमित दिनचर्या और नियमित हल्का-फुल्का योग करने को उत्साहित करें। मास्क का नियमित उपयोग, हाथों की स्वच्छता का ध्यान और शारीरिक दूरी का पालन कर संक्रमण से बचा जा सकता है।

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Chhapra:

उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य के साथ छठ महापर्व संपन्न हो गया. सूर्योपासना के पर्व पर भगवान भास्कर के दर्शन होते ही व्रतियों ने अर्घ्य देना शुरू किया.

नदी घाटों, तालाबों और घरों के छतों पर व्रतियों ने अर्घ्य दिया. अर्ध को लेकर नदी घाटों पर अहले सुबह से ही लोग पहुंच चुके थे. घाटों को शानदार तरीके से सजाया गया था. घाटों पर पहुंच लोगों ने कोशी भरा.

छपरा टुडे डॉट कॉम संवाददाताओं ने आपतक छठ की छटा पहुंचाई. आपको हमारा प्रयास कैसा लगा. हमें chhapratoday@gmail.com मेल करें.

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Chhapra: आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन अस्ताचलगामी भगवान को व्रतियों ने अर्घ्य दिया.

शुक्रवार को संध्या समय मे व्रतियों ने फल, पकवान के साथ भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर तीसरे दिन के अनुष्ठान को समाप्त किया. इसके बाद व्रती चौथे दिन के अनुष्ठान में शनिवार को भगवान भाष्कर को अर्घ्य देगी.

महापर्व छठ को लेकर शहर से गांव तक माहौल भक्तिमय था. हर तरफ छठ माता के गीत बज रहे थे.

शहर के नदी घाट के साथ गांव के पोखर, तालाब एवं नदी को आकर्षक रूप से सजाया गया था. रंगबिरंगी फूल, बैलून और रौशनी से घाट सराबोर थे. इस अवसर पर सुरक्षा के प्रबंध थे. लगभग सभी स्थानों पर पुलिस बलों की तैनाती के साथ गस्ती दल द्वारा गस्ती किया जा रहा था.

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Chhapra: चार दिवसीय छठ महापर्व के तीसरे दिन व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया गया. व्रतियों ने तालाबों, नदी घाटों पर अर्घ्य दिया. वही कुछ लोगों ने घरों के छतों पर कृत्रिम जलाशय बना कर अर्घ्य दिया.

अर्घ्य के बाद व्रतियों ने घर के आंगन में कोशी भरा. परंपरा के अनुसार घाट से आने के बाद घरों में कोशी भारी जाती है. मनोकामनाओं के पूर्ण होने पर घरों में कोशी भरी जाती है.

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Chhapra: धनतेरस को लेकर शहर से गांव तक के बाजार सज चुके है. दुकान पर आने वाले ग्राहकों के लिए रंगबिरंगी रौशनी के साथ खरीददारी पर आकर्षक छूट के साथ उपहार भी रखे गए है.

कोरोना काल के बार हुई मंदी के बाद धनतेरस पर बाजारों में रौनक है. जिससे बाजार में उछाल पर रहने के आसार दिख रहे है. हालांकि इस कोरोना की आर्थिक मंदी के कारण बड़ी बड़ी खरीदारियों में कमी आंकी जा रही है. एक अनुमान के मुताबिक विगत वर्ष के अनुपात में इस वर्ष बाजार में कम बिक्री होने के आसार है. दुकानदारों द्वारा भी आर्थिक स्थिति को देखकर लिमिट में ही समानों को बाहर से मंगाया गया है.

धनतेरस पर स्वर्ण बाज़ार, बर्तन बाजार, इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट के साथ साथ मोबाइल दुकान पूरी तरह से सजे है. धनतेरस पर बर्तनों के साथ साथ स्वर्ण आभूषणों की खरीददारी की परंपरा है. ऐसे में विगत कुछ वर्षों से झाड़ू की खरीददारी पर भी लोगो ने ज्यादा जोड़ दिया है.

विगत वर्षों की बात करे तो छपरा के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 50 लाख से अधिक के झाड़ू का कारोबार धनतेरस पर हुआ था. वही स्वर्ण एवं बर्तन बाजार में 10 करोड़ से अधिक के सामानों की बिक्री हुई थी. इसके अलावे 5 करोड़ के करीब मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स समानों की बिक्री हुई थी. लेकिन इसबार कोरोना का असर बाजारों में देखने को मिलेगा.

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Chhapra: शहर के प्रसिद्ध धर्मनाथ मंदिर के महंत की गिरफ्तारी होने के बाद स्थानीय लोगों ने मंदिर प्रांगण में महत्वपूर्ण बैठक की.  इस दौरान आसपास के  सैकड़ों लोगों ने मंदिर प्रांगण में इकट्ठा हुए मन्दिर के संचालन व पूजा पाठ को लेकर चर्चा की.

स्थानीय  लोगों ने धर्मनाथ मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने की मांग की और कमेटी बनाकर जल्द से जल्द इस को लागू करने की बात कही गयी.

लोगों ने कहा कि मंदिर जूनागढ़ अखाड़ा का है यहाँ के मंदिर के महंत द्वारा की गई करतूत की सूचना दी जानी चाहिए.

स्थानीय लोगों ने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि मंदिर की जमीन पर जिसके भी अवैध कब्जे हैं उन्हें तुरंत मुक्त कराया जाय.  इसके अलावें मन्दिर की संपत्ति आय व्यय आदि की जानकारी पता की जाय. लोगों ने कहा कि मंदिर के लिए जल्द से जल्द एक कमिटी बनाई जाए जो मंदिर का संचालन बेहतर ढंग से करें. जिसमें शहर के प्रबुद्ध लोगों मौजूद रहे.

स्थानीय लोगों ने प्रस्ताव रखा कि मंदिर परिसर में बंद पड़ा  पुस्तकालय फिर से चालू कराया जाए.

आपको बता दें कि 2 दिन पहले छपरा के प्रसिद्ध धर्मनाय मंदिर के महंत का अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बवाल मच गया. जिसके बाद लोगों ने महंत की पिटाई की और पुलिस के हवाले कर दिया.

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आज शरद पूर्णिमा है. शरद पूर्णिमा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा (कोजागिरी लक्ष्मी पूजा 2020) की रात को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत की वर्षा करते है. शरद पूर्णिमा को कौमुदी यानि मूनलाइट या कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस पर्व पर चंद्रमा की रोशनी में खीर को रखा जाता है.


शरद पूर्णिमा मंत्र
ओम लक्ष्मी नम:।

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:।

पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।

ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:!

शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में खीर रखने का है विशेष महत्व
आज का दिन बेहद खास है. आज की रात चंद्रमा की किरणें अमृत छोड़ती है. इसलिए आज चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का खास महत्व है. शरद पूर्णिमा की खीर को चांदी के बर्तन में रखना ज्यादा उत्तम रहता है. चांदी का बर्तन न होने पर किसी भी पात्र में उसे रख सकते हैं.

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Chhapra: नवरात्र में नव दिनों तक आराधना के बाद माता की विदाई की गयी. इस दौरान शहर के काली बाड़ी में पारंपरिक बंगाली रीति रिवाजों के साथ माता की विदाई की गयी. पारंपरिक परिधानों में महिलाओं ने सिंदूर खेला और माता की आराधना की. अगले साल फिर से आने की माता से कामना की.

वही दूसरी ओर शहर के मंदिरों में स्थापित माता की प्रतिमाओं का विसर्जन भी किया गया. पारंपरिक तरीके से नदी घाटों पर विसर्जन किया गया.

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#DurgaPuja2020: एक बार मेँ देखें छपरा सहित सारण जिले में स्थापित माता की प्रतिमा यहाँ देखें

 

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