Chhapra: चार दिवसीय छठ महापर्व के तीसरे दिन व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया गया. व्रतियों ने तालाबों, नदी घाटों पर अर्घ्य दिया. वही कुछ लोगों ने घरों के छतों पर कृत्रिम जलाशय बना कर अर्घ्य दिया.

अर्घ्य के बाद व्रतियों ने घर के आंगन में कोशी भरा. परंपरा के अनुसार घाट से आने के बाद घरों में कोशी भारी जाती है. मनोकामनाओं के पूर्ण होने पर घरों में कोशी भरी जाती है.

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Chhapra: धनतेरस को लेकर शहर से गांव तक के बाजार सज चुके है. दुकान पर आने वाले ग्राहकों के लिए रंगबिरंगी रौशनी के साथ खरीददारी पर आकर्षक छूट के साथ उपहार भी रखे गए है.

कोरोना काल के बार हुई मंदी के बाद धनतेरस पर बाजारों में रौनक है. जिससे बाजार में उछाल पर रहने के आसार दिख रहे है. हालांकि इस कोरोना की आर्थिक मंदी के कारण बड़ी बड़ी खरीदारियों में कमी आंकी जा रही है. एक अनुमान के मुताबिक विगत वर्ष के अनुपात में इस वर्ष बाजार में कम बिक्री होने के आसार है. दुकानदारों द्वारा भी आर्थिक स्थिति को देखकर लिमिट में ही समानों को बाहर से मंगाया गया है.

धनतेरस पर स्वर्ण बाज़ार, बर्तन बाजार, इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट के साथ साथ मोबाइल दुकान पूरी तरह से सजे है. धनतेरस पर बर्तनों के साथ साथ स्वर्ण आभूषणों की खरीददारी की परंपरा है. ऐसे में विगत कुछ वर्षों से झाड़ू की खरीददारी पर भी लोगो ने ज्यादा जोड़ दिया है.

विगत वर्षों की बात करे तो छपरा के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 50 लाख से अधिक के झाड़ू का कारोबार धनतेरस पर हुआ था. वही स्वर्ण एवं बर्तन बाजार में 10 करोड़ से अधिक के सामानों की बिक्री हुई थी. इसके अलावे 5 करोड़ के करीब मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स समानों की बिक्री हुई थी. लेकिन इसबार कोरोना का असर बाजारों में देखने को मिलेगा.

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Chhapra: शहर के प्रसिद्ध धर्मनाथ मंदिर के महंत की गिरफ्तारी होने के बाद स्थानीय लोगों ने मंदिर प्रांगण में महत्वपूर्ण बैठक की.  इस दौरान आसपास के  सैकड़ों लोगों ने मंदिर प्रांगण में इकट्ठा हुए मन्दिर के संचालन व पूजा पाठ को लेकर चर्चा की.

स्थानीय  लोगों ने धर्मनाथ मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने की मांग की और कमेटी बनाकर जल्द से जल्द इस को लागू करने की बात कही गयी.

लोगों ने कहा कि मंदिर जूनागढ़ अखाड़ा का है यहाँ के मंदिर के महंत द्वारा की गई करतूत की सूचना दी जानी चाहिए.

स्थानीय लोगों ने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि मंदिर की जमीन पर जिसके भी अवैध कब्जे हैं उन्हें तुरंत मुक्त कराया जाय.  इसके अलावें मन्दिर की संपत्ति आय व्यय आदि की जानकारी पता की जाय. लोगों ने कहा कि मंदिर के लिए जल्द से जल्द एक कमिटी बनाई जाए जो मंदिर का संचालन बेहतर ढंग से करें. जिसमें शहर के प्रबुद्ध लोगों मौजूद रहे.

स्थानीय लोगों ने प्रस्ताव रखा कि मंदिर परिसर में बंद पड़ा  पुस्तकालय फिर से चालू कराया जाए.

आपको बता दें कि 2 दिन पहले छपरा के प्रसिद्ध धर्मनाय मंदिर के महंत का अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बवाल मच गया. जिसके बाद लोगों ने महंत की पिटाई की और पुलिस के हवाले कर दिया.

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आज शरद पूर्णिमा है. शरद पूर्णिमा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा (कोजागिरी लक्ष्मी पूजा 2020) की रात को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत की वर्षा करते है. शरद पूर्णिमा को कौमुदी यानि मूनलाइट या कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस पर्व पर चंद्रमा की रोशनी में खीर को रखा जाता है.


शरद पूर्णिमा मंत्र
ओम लक्ष्मी नम:।

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:।

पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।

ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:!

शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में खीर रखने का है विशेष महत्व
आज का दिन बेहद खास है. आज की रात चंद्रमा की किरणें अमृत छोड़ती है. इसलिए आज चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का खास महत्व है. शरद पूर्णिमा की खीर को चांदी के बर्तन में रखना ज्यादा उत्तम रहता है. चांदी का बर्तन न होने पर किसी भी पात्र में उसे रख सकते हैं.

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Chhapra: नवरात्र में नव दिनों तक आराधना के बाद माता की विदाई की गयी. इस दौरान शहर के काली बाड़ी में पारंपरिक बंगाली रीति रिवाजों के साथ माता की विदाई की गयी. पारंपरिक परिधानों में महिलाओं ने सिंदूर खेला और माता की आराधना की. अगले साल फिर से आने की माता से कामना की.

वही दूसरी ओर शहर के मंदिरों में स्थापित माता की प्रतिमाओं का विसर्जन भी किया गया. पारंपरिक तरीके से नदी घाटों पर विसर्जन किया गया.

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#DurgaPuja2020: एक बार मेँ देखें छपरा सहित सारण जिले में स्थापित माता की प्रतिमा यहाँ देखें

 

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Chhpara: नवरात्री को लेकर लोग घरों में पूजा पाठ में व्यस्त है. कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर इस बार लोग पूजा पंडालों के निर्माण पर रोक है वही मंदिरों में स्थापित होने वाले प्रतिमाओं को लेकर कई जरुरी दिशा निर्देश जारी किये गए है.

नवरात्र के छठे दिन माँ भगवती के पट खुले. शहर के भगवान् बाज़ार मंदिर में प्रतिवर्ष स्थापित होने वाली देवी दुर्गा की प्रतीक के पट षष्ठी को ही खुलते है. बुधवार को देर शाम माता के पट खुले तो दर्शन के लिए लोग पहुंचे. शंख, घंटा, ढोल और नगाड़ों की ध्वनि के साथ माता के पट खोले गए. 

नवरात्री में इस बार मेला लगाने और प्रसाद वितरण पर कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर रोक है. इन सभी दिशा निर्देश के बाच लोग भक्ति भाव से पूजा अर्चना में जुटे हुए है.     

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Dighwara: शारदीय नवरात्र शुरू होते ही प्रखंड के शक्तिपीठ स्थल अंबिका भवानी मंदिर आमी में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा और दोपहर तक मां के इस दरबार में आस्थावान श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहा, वहीं पंक्तिबद्ध होकर हजारों श्रद्धालु मां अंबिका के दर्शन कर अपने-अपने घरों की ओर लौटते नजर आए. मां अंबिका की आस्था के आगे कोरोना के संक्रमण का डर पीछे छूटता नजर आया. कोरोना के संक्रमण के बीच मंदिर में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में पूर्व के वर्षो की तुलना में इस साल भी तनिक भी कोई कमी नहीं दिखी. हर कोई मां अंबिका के दर्शन को बेताब नजर आया. सामान्य लोगों के अलावे बड़ी संख्या में प्रशासनिक पदाधिकारियों व चुनावी किस्मत आजमाने वाले सैकड़ों प्रत्याशियों ने भी मां के दरबार में माथा टेका और हर किसी ने अपनी अपनी मन्नतों के पूर्ण होने की कामना की.

मार्च में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच हुए लॉकडाउन के बाद पहली बार मां अंबिका का दरबार श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी भीड़ से गुलजार दिखा. मंदिर के आसपास की फिजा दुर्गा सप्तशती के मंत्रों व श्रद्धालुओं के जयकारों की गूंज से गुंजायमान होता देखा गया. बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने नवरात्र के पहले दिन मां के दरबार में सपरिवार अपनी हाजिरी लगाई और पारिवारिक खुशहाली, समृद्धि व तरक्की की कामना की.

सुबह चार बजे से ही मंदिर में जुटने लगी थी भीड़, पाठ करने वाले श्रद्धालुओं से पटा नजर आया मंदिर परिसर-

कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच शनिवार को मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में तनिक भी कोई कमी नहीं दिखी और हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सुबह चार बजे से ही मंदिर में पाठ करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी. दिघवारा,हराजी, अवतारनगर व मूसेपुर की तरफ से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को पैदल ही मंदिर पहुंचते देखा गया. मंदिर पहुंचने के बाद श्रद्धालुओं ने गर्भगृह के चारों ओर साफ किए गए जगहों पर आसन ग्रहण कर दुर्गा सप्तशती का पाठ पूरा किया और फिर श्रद्धालुओं ने सामूहिक तौर पर आरती की और उसके बाद पंक्तिबद्ध होकर गर्भगृह के बाहर से मां अंबिका के पिंडी रूप के दर्शन कर अपनी मुरादों के पूर्ण होने की कामना की. गर्भगृह के अंदर पंडित राजकुमार पांडेय द्वारा सभी श्रद्धालुओं के प्रसाद व अन्य पूजन सामग्रियों को पिंड पर अर्पित किया गया. बड़ी संख्या में मन्नत पूर्ण हुए श्रद्धालुओं ने मां की पिंडी रूप पर चुनरी चढ़ाकर मां अंबिका के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की.

मंदिर के आसपास स्थित दुकानों पर खूब दिखी ग्राहकों की भीड़, चहल पहल से बढ़ी मंदिर की रौनक-

लॉक डाउन के बाद पहली बार आमी मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा दिखा और मंदिर के आसपास अवस्थित पूजन सामग्री व प्रसाद की दुकानों पर ग्राहकों की भारी भीड़ देखी गयी और दुकानदार ग्राहकों को सामान देने में व्यस्त नजर आए. मंदिर के आसपास चहल-पहल बढ़ने से माहौल नूरानी होता दिखा. दोपहर तक मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गयी और मां अंबिका के दर्शन के लिए गर्भगृह तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को घंटों पंक्ति में खड़ा होना पड़ा. धूप में खड़े श्रद्धालुओं का हौसला तनिक भी डिगता नहीं दिखा और हर किसी ने मां अंबिका के जयकारों के बीच आगे बढ़ते हुए गर्भगृह के बाहर से मां अंबिका के दर्शन किए. इस दौरान रितेश तिवारी, मुनचुन तिवारी,संतोष तिवारी, धीरज तिवारी, भीखम बाबा समेत तमाम पुजारी सक्रिय देखे गए. संजय दिघवारवी, रमेश वैश्य,राजू सिंह,रौशन मिश्रा,ब्रजेश सिंह व अनिल पांडेय सरीखे सैकड़ों भक्तों को मां अंबिका की आराधना में लीन देखा गया.

 

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Chhapra: शारदीय नवरात्र को लेकर लोग तैयारी में जुटे हैं. नवरात्र शनिवार 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. घरों में कलश स्थापना की जाएगी और भक्ति भाव से पूजा आराधना होगी.

मां दुर्गा की पूजा आराधना के लिए लोग देर शाम तक खरीदारी में जुटे रहे. पूजा को लेकर बाजारों में रौनक देखने को मिली. लॉकडाउन के बाद नवरात्रों से दुकानदारों के चेहरे पर भी रौनक देखने को मिल रही है. बाजारों में पूजा पाठ के सामानों की दुकान और स्टॉल सज चुके हैं. वही फलों की बिक्री भी बढ़ गई है. लोग देर शाम तक पूजा की तैयारियों में जुटे रहे.

छपरा शहर के सभी बाजारों में मां दुर्गा के पूजा आराधना से जुड़े सामानों की दुकानों पर खासा भीड़ देखने को मिली. हालांकि इस बार नवरात्र में प्रशासन के आदेशों के कारण और कोविड के मद्देनजर पूजा पंडालों की स्थापना नहीं होगी. जिसने पूजा घरों और मंदिरों में ही की जा सकेगी.

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Chhapra: नवरात्रि के अवसर पर देश भर में सार्वजनिक रूप से दुर्गा पूजा का आयोजन किये जाते है लेकिन कोरोना काल मे इसबार सार्वजनिक तौर पर पूजा पंडाल निर्माण और मेला आयोजन पर सरकारी प्रतिबंध है. दुर्गा पूजा को लेकर एक अलग हीं उत्साह रहता है. परंतु इस बार कोरोना ने इसपर भी ग्रहण लगा दिया है.
गृह विभाग की विशेष शाखा ने कोरोना को लेकर एक एडवाइजरी जारी की गयी है जिसमे यह कहा गया है कि सार्वजनिक रूप से पूजा पंडालों का निर्माण नहीं किया जाएगा. सरकार के इस फैसले से दुर्गापूजा आयोजकों में भारी रोष है.

मंगलवार को शहर के सभी पूजा समितियों ने एक सामूहिक बैठक आयोजित की गई. बैठक की अध्यक्षता सियाराम सिंह (अनुज्ञप्तिधारी) ने की.

बैठक में सभी ने एक स्वर में सरकार के इस फैसले को गलत ठहराते हुए रोष जताया और कहा कि सरकार खुद यह दावा कर रही है कि राज्य में कोरोना से रिकवरी का दर 94% से भी अधिक है. इसी आधार पर राज्य में एक साथ विधानसभा और विधान परिषद् दोनो के चुनाव हो रहे हैं. चुनावी सभाओं का आयोजन किया जा रहा है.

सियाराम सिंह ने कहा कि महीने दिन तक चलने वाली इस प्रक्रिया में जब किसी को कोरोना नहीं होगा तो यदि इसी दौरान अगर 9 दिनों के दुर्गापूजा का आयोजन होता है तो कौन सी आफत आ जाएगी ? सरकार यह दोहरा रवैया क्यों अपना रही है?

उनका कहना है कि चुनावी प्रक्रिया को लेकर जो गाइडलाइंस जारी की गई है, उसकी सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है. सैकड़ों-हजारों की संख्या में नेताओं के समर्थक जिला प्रशासन के सामने खड़े रह रहे हैं बिना मास्क के और बिना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किये. फिर भी किसी को कोरोना का खतरा नहीं दिख रहा और दुर्गा पूजा के आयोजन पर कोरोना का खतरा हो जाएगा ? आखिर यह किस प्रकार की दोहरी मानसिकता है?

पूजा समिति के सदस्यों ने बैठक में यह निर्णय लिया है कि बुधवार को दुर्गा पूजा आयोजकों का एक प्रतिनिधि मंडल जिलाधिकारी से मुलाकात करेगा और अपनी मांगों को रखेगा और यदि वहां से कोई सकारात्मक पहल नहीं होती तो न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया जाएगा.

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Chhapra: दुर्गा पूजा को लेकर रविवार को भगवान बाजार थाना में शांति समिति की बैठक हुई. इस बैठक में दुर्गा पूजा में शांति और सौहार्द बना  पूजा करने पर चर्चा की गई. इस दौरान सदस्य सत्येंद्र कुमार सिंह व थानाअध्यक्ष मुकेश कुमार झा ने समिति के सदस्यों से पूजा में किसी भी तरह की आपसी सौहार्द न न बिगड़े इसको लेकर सख्त निर्देश दिए. वही करोना वैश्विक महामारी को लेकर अपने घर में ही पूजा पाठ करने की बात कही.

वहीं समिति के सदस्यों ने सीओ से यह अपील की कि दुर्गा पूजा में पंडाल तथा मूर्ति  रखकर पूजा करने की अनुमति दी जाए मगर सीओ ने वरीय अधिकारियों व गाइडलाइन का हवाला देते हुए कहा कि जो मूर्ति अभी बन गई है, उसे रख कर पूजा करें मगर अब से कोई मूर्ति व पंडाल का निर्माण नहीं किया जाएगा.

सभा के अंत में किसी भी तरह का निर्णय ना होने से सदस्यों की नाराजगी भी देखने को मिली. सदस्यों में केदारनाथ सिंह वार्ड पार्षद मुन्ना सिंह खुसरू खान विजय कुमार, निरंजन कुमार,आशीष कुमार समेत कई लोग शामिल थे.

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करमा पर्व कल 29 अगस्त दिन शनिवार को है. करमा पर्व झारखंड के प्रमुख त्यौहारों में से एक है और काफी लोकप्रिय है. यह पर्व भादो महीने के शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस पर्व को मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य है बहनों द्वारा भाईयों के सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना की जाती है. झारखंड के लोगों की परंपरा रही है कि धान की रोपाई हो जाने के बाद यह पर्व मनाया जाता रहा है.

धरती अपनी हरियाली की चादर फैला रही होती है तब करम पर्व खुशियों से मनाने का आनंद और अधिक बढ़ जाता है. आज देश के वैज्ञानिकों ने भी माना है कि पहाड़-पर्वत, जंगल-झाड़, नदी-नाले, पेड़-पौधे आदि हमारे जीवन का अटूट हिस्सा बन गयी है. पेड़-पौधे पर्यावरण को संतुलित रखते हैं. जिससे समय पर वर्षा होती है. इसके बिना हमारा जीवन असंभव है. क्योंकि प्रकृति के इन गुणों को पहचान कर इनकी रक्षा करनी होगी.

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