Chhapra: जिलाधिकारी डाॅ. निलेश रामचन्द्र देवरे के द्वारा वर्चुअली सम्पन्न हुयी जिला स्तरीय सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की बैठक में कहा गया कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण के तहत सभी लम्बित मामले का त्वरित निष्पादन कराया जाएगा एवं पीड़ित परिवार के मुआवजा भुुगतान की कार्रवाई की जाएगी.

बैठक में छपरा सांसद राजीव प्रतप रूडी, विधायक केदार सिंह, श्रीकान्त यादव, जनक सिंह, कृष्णा कुमार सिंह (मंटु), छोटे लाल राय तथा विधान पार्षद डाॅ वीरेन्द्र नारायण यादव भी वर्चुअली जुड़े हुए थे.

जिलाधिकारी के द्वारा अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत सारण जिला में किये गये कार्यों की जानकारी दी गयी. जिलाधिकारी ने कहा कि सारण जिला में इस अधिनियम का समुचित अनुपालनकराया जा रहा है तथा प्रभावित परिवार के मुआवजे की बकाया राशि की भुगतान हेतु 2 करोड़ 72 लाख रूपये की आवंटन की माँग की गयी है. आवंटन शीघ्र ही प्राप्त होने वाला है. जैसे ही आवंटन आता है पीड़ित परिवार को मुआवजा की राषि का भुगतान कर दिया जाएगा

बैठक में ही जिलाधिकारी के द्वारा जिला अभियोजन पदाधिकारी को सभी गंभीर मामलों को चिह्नित कर कन्वीक्शन कराने तथा इसे अंतिम निर्णय तक पहँुचाने का निदेश दिया गया ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके. जिलाधिकारी ने कहा कि कन्वीक्शन होने लगेंगे तो अत्याचार भी कम होंगे.

सांसद राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि यह बहुत गंभीर विषय है. अनुसूचित जाति एवं जनजाति परिवार के पीड़ित लोगों को शीघ्र न्याय मिले तथा दोषी व्यक्ति छूटे नहीं इसकी व्यवस्था करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पुलिस की जाँच एवं अनुसंधान भी निष्पक्ष होनी चाहिए.

बैठक में जनप्रतिनिधि द्वारा जो सुझाव प्राप्त हुआ उस पर जिलाधिकारी ने कहा कि इस सभी पर कारवाई होगी और अगली बैठक में उसका अनुपालन प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाएगा.

बैठक में पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार, अपर समाहत्र्ता डाॅ गगन, भरत भूषण प्रसाद, जिला कल्याण पदाधिकारी, पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय, जिला अभियोजन पदाधिकारी, विशेष लोक अभियोजक व्यवहार न्यायालय, थानाध्यक्ष अनुसूचित जाति एवं अनु०जनजाति थाना, छपरा उपस्थित थे.

Chhapra: शहर के साहेबगंज में सिविल कोर्ट के सामने दुकानों के बीच स्थित एक पुराने मकान का छज्जा गिर गया. हालांकि गनीमत रही कि इसकी चपेट में आकर कोई घायल नही हुआ.

मिली जानकारी के अनुसार मकान पुराना है और जर्जर हालत में होने के कारण भारी बारिश के बाद और कमजोर हो गया था. जिसके कारण धराशाई हो गया. हालांकि जहां यह घटना हुई वह इलाका भीड़ भाड़ वाला है. गनीमत रही कि लोगों को कोई नुकसान नही हुआ है.

• मेगा टीकाकरण अभियान का सीएम ने किया उद्घाटन
• “6 माह में 6 करोड़ टीकाकरण” अभियान की शुरूआत
• डीएम ने किया टीकाकरण केंद्र का निरीक्षण


Chhapra: जिले में अब सुबह 9 से रात 9 बजे तक कोविड टीकाकरण का कार्य किया जायेगा। यह सुविधा सिर्फ जिला मुख्यालय में लागू होगी। सोमवार को सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा मेगा टीकाकरण “6 माह में 6 करोड़ टीकाकरण” कर दिखाएगा बिहार, अभियान का शुभारंभ वर्चुअल माध्यम से किया गया। शहर के अंबेडकर स्मारक टीकाकरण केंद का लाइव वेबकास्टिंग के माध्यम से उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय न की। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मेगा टीकाकरण अभियान में पूरे राज्य में प्रतिदिन 05-05 लाख लोगों का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया है। डीएम ने कहा कि अब शहरी क्षेत्र में लोगों का टीकाकरण सुबह 09 बजे से रात्रि 09 बजे तक जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह 09 बजे से शाम 05 बजे तक किया जाएगा। टीकाकरण के महाभियान के जरिए राज्य ने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया कि यदि वैक्सीन उपलब्ध होगी तो टीका देने की रफ्तार को कितना भी तेज किया जा सकता है। अब बिहार एक नई इबारत लिखने की शुरुआत करने जा रहा है। दिसंबर तक अधिकतर का टीकाकरण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। लोगों को जागरूक कर लक्ष्य अनुरूप शत-प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित कराएं। प्रत्येक पीएचसी, सीएचसी के अतिरिक्त टीका एक्सप्रेस द्वारा अधिक से अधिक टीकाकरण सुनिश्चित करवाएं। उद्घाटन के दौरान स्वास्थ्य प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि टीकाकरण के प्रति जागरूकता लाने के लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जायेगा। दुकानों पर भी पोस्टर लगाया जायेगा। ताकि अधिक से अधिक लोगों को जागरूक किया जा सके।

बिहार पहला राज्य जहां मुफ्त में दिया जा रहा टीका

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है जहां पर मुफ्त में हर वर्ग के लोगों को टीका दिया जा रहा है। उन्होने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य सेवाओ को बेहतर बनाने का कार्य किया जा रहा है। इस साल के अंत तक हर किसी को टीका देने का लक्ष्य रखा गया है। आज का दिन एतिहासिक दिन होगा। टीकाकरण के महाअभियान की शुरूआत हुई है। एक जुलाई से यह अभियान गति लेगा। टीका एक्सप्रेस के माध्यम से भी ग्रामीण क्षेत्रों व शहर के मुहल्लों में घूम रही है। टेस्टिंग में भी तेजी लायी जा रही है। जन जागरण का कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों का सहयोग जरूरी है। ताकि कोरोना के खिलाफ लड़ाई को मजबूत किया जा सके।

आकर्षक रूप से सजाया गया है टीकाकरण केंद्र

डीएम डॉ. नीलेश रामचंद्र देवरे ने टीकाकरण केंद्र का निरीक्षण किया और कहा कि शहर के अंबेडकर स्मारक में बनाये गये टीकाकरण केंद्र को आकर्षक रूप से सजाया गया है। यहां सुबह 9 से रात 9 बजे तक टीकाकरण किया जायेगा। इस केंद्र पर 18 से 44 तथा 45+ के लाभार्थियों का टीकाकरण होगा। इस केंद्र पर सभी आवश्यक सुविधा उपलब्ध करायी गयी है। लाभार्थियों को बैठने के लिए कुर्सी, पीने के लिए पानी,शौचालय आदि की व्यवस्था की गयी है।

बनाया गया है सेल्फी प्वाइंट

जिलाधिकारी ने बताया कि इस विशेष टीकाकरण केंद्र पर जागरूकता लाने के लिए सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है। जहां पर टीकाकरण के बाद लाभार्थी अपना सेल्फी ले सकते है। सेल्फी को सोशल मीडिया पर शेयर कर अपने दोस्तों व रिश्तेदारों को टीकाकरण के प्रति प्रेरित कर सकते है।

ऑनसाइट रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध

इस टीकाकरण केंद्र पर लाभार्थियों को ऑनसाइट रजिस्ट्रेशन की सुविधा मिलेगी। इस केंद्र पर आकर ही अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते है। इसके अलावा पहले से भी रजिस्टर्ड लाभार्थियों का भी टीकाकरण किया जायेगा। इसके लिए लाभार्थियों को पहचान पत्र लाना अनिवार्य होगा।
[5:37 pm, 21/06/2021] Dpro Gyaneshwar Prakash: जिलाधिकारी सारण डॉ नीलेश रामचन्द्र देवरे द्वारा दिनांक 21.06.2021 को 6 करोड़ 6 माह कोविड टीकाकरण महाअभियान की शुरुआत के दिन सुबह 9 बजे से संध्या 9 बजे तक मलखाना चौक स्थित बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्मारक स्थल टीकाकरण केंद्र का निरीक्षण किया गया तथा आवश्यक निदेश दिए गए।

नई दिल्ली: पतंजलि के योग सूत्र में क्रिया-योग का कई बार उल्लेख है। यह साधना की एक प्रक्रिया है। इसका एक आयाम जीवन जीने की कला से सीधे संबंधित है। किसी मनुष्य का मन निष्काम भाव में आ जाए तो क्रिया-योग के एक आयाम से वह अपने आप जुड़ जाता है।

इसे समझने के लिए गीता के दूसरे अध्याय का 40वां श्लोक बहुत सहायक है। उसे इस तरह पढ़ सकते हैं- ‘निष्काम कर्म योग में बीज का नाश नहीं होता है। इसलिए इस निष्काम कर्मयोग रूप धर्म का थोड़ा अभ्यास जन्म-मृत्यु रूप महान भय से उद्धार कर देता है।’ यह तो थोड़ी ऊंची बात है। साधारण शब्दों में कह सकते हैं कि बिना अपेक्षा के जो व्यक्ति अपना काम करते हैं वे निष्काम भाव वाले होते हैं।

इसके उलट सकाम बुद्धि होती है, जो हमेशा लाभ का विचार करती है। जहां निष्काम के विफल होने का सवाल नहीं है। वहीं सकाम में सफलता की मंजिल कभी नहीं मिलती। क्योंकि सकाम व्यक्ति में हमेशा तृष्णा होती है, तो निष्काम भाव में तृप्ति का सुख होता है। क्रिया-योग तृप्ति की साधना है। इसे ही मनुष्य अपने में उतार सके, इसके लिए श्वास की कुछ क्रियाएं इस पद्धति में निर्धारित की गई हैं।

अपने अस्तित्व से जुड़ने का एक मार्ग क्रिया-योग है। जिस तरह एक वृक्ष पृथ्वी से अपनी बहुत सी जड़ों से जुड़ा होता है, उसी तरह मनुष्य के लिए भी अस्तित्व से जुड़ने के लिए उसके शरीर में ही कई माध्यम हैं। क्रिया-योग में ‘कूटस्थ’ शब्द मूल है। उसी में यह योग का सूत्र समाया हुआ है। इसे लाहिड़ी महाशय के वंशज सत्यचरण लाहिड़ी ने उनके जीवन के जरिए समझाया है।

जब उन्होंने देखा कि क्रिया-योग के बारे में बहुत भ्रम फैल रहा है तो 1984 में जीवनी लिखवाई। क्रिया-योग को समझाने के लिए लाहिड़ी महाशय की डायरियों को आधार बनाया। अपनी एक डायरी में लाहिड़ी महाशय ने ‘कूटस्थ’ के संबंध में इस तरह लिखा है- ‘भूलो ना, भूलो ना तारे, से घन सृष्टि संहारे, सर्वदा आछे सम्मुखे देखोना-देखोना तारे। सदा स्मरण कर ओंकारेर तारे।’

अर्थात ‘कूटस्थ वही है जो सृष्टि से संहार तक सभी अवस्थाओं में ही घन कृष्णवर्ण के रूप में वर्तमान है, उसे कभी मत भुलाओ। वह हमेशा सबके सामने है उसे भर आंख देखो और ओंकार जप-क्रिया के माध्यम से नित्य स्मरण करो।’

इसके लिए व्यक्ति को अपनी देह में प्रवेश करने की विधि चाहिए। जो किसी गुरु से उपलब्ध हो जाए तो सबसे अच्छा। नहीं तो स्वयं की आती-जाती श्वास को देखने का अभ्यास कर यह जाना जा सकता है कि अपने शरीर में ऊर्जा का केंद्र कहां है।

क्रिया-योग में कर्म की प्रधानता है। हर व्यक्ति के शरीर में कर्म का ऊर्जा केंद्र आज्ञाचक्र में होता है। वह माथे के बीच में है। वह संकल्प का भी केंद्र है। उस पर ध्यान केंद्रित करें तो संकल्प की गति शुरू हो जाती है। यह पुरुष के लिए है, लेकिन स्त्री के लिए यह केंद्र है हृदय। क्रिया-योग के अभ्यास से किसी भी व्यक्ति को अपनी भावनात्मक प्रतिक्रियाओं में संतुलन बनाना सरल होता है। ब्लड प्रेशर की भांति उसका ‘ब्रेथ-प्रेशर’ भी संतुलित रहता है।

क्रिया-योग की परंपरा में उनके वंशज शिवेंदु लाहिड़ी इस समय हैं। जो ज्यादातर विदेश में रहते हैं। कुछ अवसरों पर भारत में रहते हैं। इनकी उम्र 77 साल है। इस परंपरा में संस्था का निर्माण नहीं हुआ है। यह संतान परंपरा है। शिवेंदु लाहिड़ी क्रम में चौथे हैं। बनारस के चैशट्टी घाट स्थित ‘सत्यलोक’ को इस परंपरा के क्रिया साधक तीर्थ मानते हैं। वही लाहिड़ी महाशय की कर्म स्थली रही। उन्होंने 1895 में शरीर छोड़ा। उससे पहले 15 साल वहीं रहे।

 नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने  कहा कि आज जब पूरा विश्व कोरोना महामारी का मुकाबला कर रहा है तो योग उम्मीद की एक किरण भी बना हुआ है। प्रधानमंत्री सोमवार को 7वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

प्रधानमंत्री ने कहा “जब कोरोना के अदृश्य वायरस ने दुनिया में दस्तक दी थी, तब कोई भी देश अपने  साधनों से, सामर्थ्य से और मानसिक अवस्था से, इसके लिए तैयार नहीं था। हम सभी ने देखा है कि ऐसे कठिन समय में योग आत्मबल का एक बड़ा माध्यम बना।”

7वें  अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का विषय ‘योगा फॉर वेलनेस’ है, जो शारीरिक और मानसिक कल्याण के लिए योग का अभ्यास करने पर केन्द्रित है।

उल्लेखनीय है कि दुनिया में योग को आधिकारिक मान्यता दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितंबर, 2014 को पहल की थी। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में अपने पहले संबोधन के दौरान योग के विषय को मजबूती से उठाते हुए कहा था कि ‘योग प्राचीन भारतीय परंपरा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है।

उसी वर्ष 11 दिसंबर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्यों ने 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। तब 177 देशों ने सह समर्थक बनकर इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया। इस प्रस्ताव को 90 दिनों के अंदर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया।

21 जून, 2015 को पहले सामूहिक योग दिवस के कार्यक्रम में 84 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस दिन दुनिया के 192 देशों के 251 शहरों में योग के सामूहिक कार्यक्रम आयोजित हुए, जिनमें 46 मुस्लिम देश भी थे। उस दिन दुनिया भर में कुल मिलकर दो करोड़ लोगों ने योगासन किया।

-पर्यावरण और हिमालय के लिए ताउम्र संघर्ष की राह पर चले बहुगुणा
-गांधीवादी नेता की एक ललकार से दिल्ली में बढ़ जाती थी हलचल

देहरादून (एजेंसी): ‘यह वर्ष 1986 की बात होगी. राजकीय इंटर काॅलेज कोटद्वार के सभी छात्रों की कक्षाओं में पढ़ाई रोककर उन्हें मैदान में इकट्ठा होने के लिए कहा गया. बताया गया कि कोई खास मेहमान काॅलेज रहा है. सभी छात्रों की तरह मेरे मन में भी इस खास मेहमान को लेकर बेहद उत्सुकता थी. सफेद कुर्ता-पायजामा पहने, सिर पर साफा बांधे और कंधे पर झोला लटकाए सुंदरलाल बहुगुणा काॅलेज पहुंचे तो सभी बच्चों को इस खास मेहमान को देखकर आश्चर्य हुआ. आज-तक उन्होंने खास मेहमान को सूट-बूट और बड़ी गाड़ियों में ही आता देखा था. बहुगुणा आए और बच्चों से पर्यावरण पर बच्चा बनकर ही बात की. अपने झोले से टेप रिकार्डर निकाला और उस वक्त तेजी से उभर रहे नरेंद्र सिंह नेगी के गीत को बजा दिया. गीत के बोल थे-ना काटा तौं डाल्यूं यानी इन पेड़ पौधों को मत काटो.’ यह इस संवाददाता के सुंदरलाल बहुगुणा को देखने का पहला वाकया रहा.

इसके बाद उनके जीते-जी कई मौके आए, जब उनसे मुलाकात करने, उन्हें सुनने-समझने की स्थिति बनी. राजकीय इंटर काॅलेज में पहली मुलाकात के वक्त उनके चेहरे पर उगी दाढ़ी उस तरह से सफेद नहीं थी, जो कि बाद में उनकी स्थापित पहचान का हिस्सा रही, लेकिन जीवन के आखिरी पड़ाव तक हिमालय और पर्यावरण के लिए उनकी चिंता, उनके नजरिये में कोई फर्क नहीं आया. ढलती उम्र की वजह से उनके प्रयास जरूर प्रभावित होने लगे थे. नहीं, तो न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि पूरे देश ने देखा है कि टिहरी में बैठकर सुंदरलाल बहुगुणा एक बार आंदोलन की चेतावनी देते तो दिल्ली में हलचल मच जाती. देश-दुनिया का मीडिया टिहरी में जमा हो जाता. 

30वीं पुण्यतिथि पर याद किये गए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी

टिहरी बांध विरोधी आंदोलन के दौरान उन्हें हिरासत में लिया गया तो विदेश में कई जगह संसद में सवाल उठ गए. टिहरी बांध विरोधी आंदोलन के दौरान उन्होंने 47 दिन तक अनशन किया और केंद्र सरकार के पसीने छूट गए. पेट पर मिट्टी का लेपन करके, नींबू पानी को अपनी ताकत बनाकर सत्ता प्रतिष्ठान से लोहा लेने का उनका अपना तरीका था.

गांधीवादी नेता सुंदरलाल बहुगुणा बापू की तरह ही कम बोलने में यकीन रखते थे. जिस वक्त अनशन पर होते तब तक बोलना ही बंद कर दिया करते थे. पहाड़ी हितों से सरोकार रखने वाले कांग्रेस के नेता अभिनव थापर अपना अनुभव साझा करते हैं. वह बताते हैं-एक बार जब बहुगुणा अनशनरत थे. वह अपने पिता के साथ उनसे मिलने चले गए। बहुगुणा की टिहरी में पुल से सटी कुटिया थी. वह वहीं पर आंदोलन करते थे. थापर ने बहुगुणा को समर्थन देते हुए उनसे कई तरह की बातें कीं, लेकिन वह कुछ न बोले. थापर को बुरा लगा तो उन्होंने साथ गए अपने पिता से इस बात का जिक्र किया, तो उनके पिता ने सारी गलतफहमी दूर कर दी. उन्होंने बताया कि अनशन के दौरान अपनी ऊर्जा बचाने के लिए वह मौन व्रत ले लिया करते थे. फिर उनके साथ किसी भी तरह का संवाद कागज में लिखकर ही हुआ करता था.

सत्तर के दशक में रैणी गांव में चिपको आंदोलन के बहुगुणा प्रणेता रहे. गौरा देवी और अन्य महिलाओं के साथ उन्होंने पेड़ पौधों को बचाने के लिए अनूठा आंदोलन चलाया. चूंकि बहुगुणा पत्रकार भी थे, इसलिए वह चिपको आंदोलन को देश-दुनिया में उस स्तर तक ले जाने में सफल रहे, जहां तक सामान्य स्थितियों में पहुंचना बहुत मुश्किल होता है. चार साल पहले उनके साथ उनके जन्मदिन की खुशियां मनाने का मुझे (इस संवाददाता) भी मौका मिला. देहरादून में शास्त्रीनगर स्थित बेटे के निवास पर अपनी पत्नी विमला बहुगुणा के साथ सुंदरलाल बहुगुणा प्रसन्नचित्त थे. हमेशा की तरह सादगी, सफेद कुर्ता पायजामा, सिर पर साफा उनके साथ थे. बातचीत में छोटे-छोटे बांधों की पैरवी करते हुए वह उस वक्त भी दिखे. बडे़ बांधों को पहाड़ के विनाश का प्रमुख कारण बताते हुए वह उसी तेवरों में दिख रहे थे, जैसे तब थे, जबकि टिहरी शहर बांध की वजह से डूब रहा था.

वैश्विक महामारी कोरोना ने 94 वर्ष के हिमालय के सुंदर लाल को चिरनिद्रा में सुला दिया है, लेकिन हिमालय बचाने के लिए जो अलख उन्होंने जगाई है, वह हमेशा पर्यावरणप्रेमियों में ऊर्जा का संचार करती रहेगी. विनम्र श्रद्धाजंलि.

Chhapra: सारण जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा मोबाइल टेस्टिंग वैन से कोरोना की जांच की जा रही है. इस दौरान रैपिड एंटीजन टेस्ट के माध्यम से ग्रामीणों की जांच की जा रही है. अलग अलग प्रखंडों में मोबाइल टेस्टिंग वैन भेजी जा रही है ताकि ग्रामीण लोग आसानी से अपना टेस्ट करा सके.  

जिलाधिकारी डॉ निलेश रामचंद्र देवरे ने बताया कि गुरुवार को 1677 टेस्ट हुए जिनमे से 04 टेस्ट कोविड पॉजिटिव पाए गए है. उन्होंने बताया कि 17 मई से जिला प्रशासन द्वारा गांव में मोबाइल टेस्टिंग वैन भेजकर रैपिड एंटीजन टेस्ट से जांच किया जा रहा है. जिसमे 17 मई को 1516 टेस्ट हुए 18 रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आये. वही 18 मई को 2233 टेस्ट, 22 कोविड पॉजिटिव और 19 मई को 2519 टेस्ट हुए जिनमे 18 कोविड पॉजिटिव मरीज मिले थे.


उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग तत्पर है. किसी गांव में यदि सर्दी, खांसी आदि से लोग पीड़ित है और जांच के लिए कैंप लगाना चाहते है तो 06152- 245023 (कंट्रोल रूम) पर संपर्क कर सकते है.

Chhapra: बिहार में 18 से 44 वर्ष के लोगों के लिए अब टीकाकरण अभियान शुरू हो चुका है. सारण जिला में टीकाकरण अभियान के पहले दिन टीका केंद्रों पर युवा काफी उत्साह में टीकाकरण के लिए पहुंचे थे. इन टीकाकरण केंद्रों पर लंबी लाइन सुबह से ही देखी गई. साथ ही युवाओं में टीकाकरण को लेकर काफी उत्साह देखने को मिला.

युवाओं ने टीकाकरण कराते अपनी तस्वीरों को सोशल मीडिया के माध्यम से पोस्ट किया.

 

कुछ युवाओं ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर अपनी तस्वीरों को जिलाधिकारी और जिला प्रशासन को टैग किया. इसके बाद उन सभी के उत्साह को ध्यान में रखते हुए और अन्य लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से जिलाधिकारी सारण डॉ नीलेश रामचंद्र देवरे ने भी सभी तस्वीरों को रिट्वीट किया. लगातार तस्वीरों को रिट्वीट कर जिलाधिकारी ने लोगों को प्रेरित करने की अपनी ओर से पूरी कोशिश की.

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टीकाकरण अभियान को लेकर युवाओं में जो जोश देखा जा रहा है उससे सारण जिले में टीकाकरण अभियान ने अब जबरदस्त रफ्तार पकड़ ली है. सारण में युवाओं के टीकाकरण के लिए 24 केंद्र निर्धारित किए गए हैं. जहां फिलहाल टीकाकारण चल रहा है. टीकाकरण के लिए युवाओं को ऑनलाइन रेजिस्ट्रेशन करना है. युवाओं में उत्साह के कारण इसके स्लॉट तुरंत ही फुल हो जा रहें है.

जिलाधिकारी ने बताया कि सारण जिले में टीकाकरण के लिए टीके की प्रयाप्त संख्या मौजूद है. यहां सभी को टिकट मिले इसकी पूरी व्यवस्था की गई है.

ऐसे करें रेजिस्ट्रेशन
कोविड-19 टीकाकरण के लिए आप Arogya Setu App या Cowin पोर्टल से रेजिस्ट्रेशन कर सकते है. इसके लिए मोबाइल नम्बर और आधार कार्ड का नम्बर अनिवार्य है. यहां आप अपने नजदीकी टीकाकरण केंद्र को चुन कर सिस्टम द्वारा तय दिन और समय पर केंद्र पर पहुंच कर टिका ले सकते है. इसे भी पढ़ें: 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को वैक्सीन के लिए ऐसे करना होगा रजिस्ट्रेशन, जानें

Chhapra: रहमतो व नेमतो की बारिश का मुकद्दस माहे रमजान के रोजे अब आखिरी पड़ाव में पहुंच गए हैं. शुक्रवार को रमजान का आखिरी जुमा को खुदा की बारगाह में सजदा करते हुए नम आँखे लिए अकीदत के साथ रोजेदारों ने घरों मे में नमाज-ए-अलविदा अदा की. लॉकडाउन की वजह से रोजेदारों ने घर में ही नमाज़ अदा की. रोजेदारों ने अफ़सोस जताते अलविदा नमाज पढ़ी की अब यह मुबारक महीना हमलोगों के बीच से जुदा हो रहा है.

अलविदा के जुमे को ही छोटी ईद भी कहा जाता है. अलविदा नमाज के साथ ही ईद के करीब आने की खुशी रोजेदारों में परवान चढ़ने लगी है. अलविदा जुमे की नमाज़ बुजुर्ग, नौजवानों के साथ छोटे बच्चे ने भी घरों में पढ़ा. नमाज के बाद अल्लाह से मुल्क व राज्य की तरक्की, सुख समृद्धि की दुआएं मांगी गईं.

Chhapra: जीवन पथ पर संघर्षों को झेलते हुए अपने को साबित करने वाले इंसान दूसरों के लिए प्रेरणा के श्रोत बनते है. कुछ ऐसे ही थे दिवंगत पत्रकार गुड्डू राय. संघर्षों से उनका सामना बचपन में ही हो गया था.

गुड्डू राय के संघर्षपूर्ण जीवन को याद करते हुए उनके मौसेरे भाई अभय लिखते है कि गौतम स्थान रेलवे स्टेशन पर एक छोटी चाय की दूकान से अपने पिताजी द्वारा बनाये हुए चाय को केटली में डाल, ट्रेन में छपरा से लेकर बलिया तक के बीच चाय और अखबार बेचने का काम भी उन्होंने किया. ताकि वे अपनी पढ़ाई कर सके. रिविलगंज के ऐतिहासिक प्राइमरी स्कूल में पढाई की. ऐतिहासिक इसलिए क्योंकि इसी प्राइमरी पाठशाला से लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने भी अपनी प्रारंभिक पढ़ाई की थी.

अभय आगे लिखते है की अबोध बालक जब चाय की दूकान पर अखबार का इंतज़ार करते लोगों को देखता तो अक्सर सोचता आखिर इस अख़बार को कौन लिखता है, जो अखबार में लिखने वाले की लेखनी पढ़ने के लिए लोग सुबह सुबह बिना हाथ मुँह धोये लाइन लगाकर पन्नो को अलग अलग कर के पढ़ते हैं. इसी उहापोह ने उस अबोध बालक के मन में प्राइमरी की शिक्षा के दौरान ही एक प्रेरणा डाल दी कि मैं भी अख़बार में लिखने वाला ही बनूँगा.

दिवंगत पत्रकार गुड्डू राय ने राष्ट्रीय सहारा, प्रभात खबर, दैनिक जागरण जैसे अखबारों में अपना बहुमूल्य योगदान दिया. उन्होंने संजीवनी समाचार के नाम से अपना न्यूज़ पोर्टल भी शुरू किया.

वे अत्यंत मिलनसार और सौम्य स्वभाव के व्यक्ति थे. उनके निधन से सारण की पत्रकारिता जगत को अपूरणीय क्षति हुई है. वे अपने पीछे पत्नी और दो छोटे बच्चे छोड़ गए है. 7 भाइयों में सबसे बड़े गुड्डू राय ने अपने सभी भाइयों की परवरिश में कोई कमी नही होने दी. आज उन सबको उनकी कमी खल रही है.
सारण के वरिष्ठ पत्रकार डॉ लाल बाबू यादव ने भी अपनी स्मृतियों को साझा किया है. उन्होंने लिखा कि-स्मृति शेष गुड्डू राय।
यह संभवतः 1984-85 की बात रही होगी उस वक़्त मैं पटना से प्रकाशित जनशक्ति का जिला स्तरीय संवाददाता था जनशक्ति उस वक़्त बिहार का पहला ऐसा दैनिक अखबार था जो जर्मनी से लाये गए ऑफसेट प्रेस में रंगीन छपता था विद्याभूषण श्रीवास्तव उस वक़्त रिविलगंज से जनशक्ति संवाददाता थेl मैं उनके साथ रिविलगंज बाजार से गुजर रहा था तो हमने देखा कि मुख्य बाजार में एक नौजवान जो पैरों से दिव्यांग था दोपहिया वाहनों को रोक कर टिकट के पैसे वसूल रहा है। हमलोग कुछ देर वही रूक गये इसबीच रिविलगंज के कम्युनिस्ट नेता डॉ. गोपाल जी वहां पहुँचे और उन्होंने ही मुझसे उस नवजवान का परिचय गुड्डू राय के रूप में करवाया मैंने उसके आँखों में कुछ कर गुजरने की बेचैनी देखी और यह तय हुआ कि गुड्डू राय अब रिविलगंज नगरपालिका क्षेत्र में जनशक्ति अखबार बेचेंगे….

स्मृति शेष गुड्डू राय।
यह संभवतः 1984-85 की बात रही होगी उस वक़्त मैं पटना से प्रकाशित जनशक्ति का जिला स्तरीय संवाददाता…

Posted by Lal Babu Yadav on Thursday, 22 April 2021

उनके पारिवारिक मित्र व पत्रकार मुकेश कुमार यादव उर्फ़ सोनू बताते है कि गुड्डू भाई का जीवन संघर्षों से भरा रहा. उन्होंने परिवार के हर सदस्य के जीवन को सवारने के लिए अपने स्तर से हर बेहतर प्रयास किये. वे सबको साथ लेकर चलने वाले थे. उनका असमय जाना हम सब के लिए बेहद दुःखद और अपूरणीय क्षति है.

डूब गया सितारा

Posted by Mukesh Kumar Yadav on Wednesday, 21 April 2021

सारण जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष डॉ विद्याभूषण श्रीवास्तव ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा- “पत्रकार गुड्डू राय नहीं रहे।
मेरे एवं पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति”

हमने एक युवा सहयोगी को खो दिया….

जिसे हमने अपने क्षेत्र में चलना सिखाया, लिखने पढ़ने की आदत डलवाया ,हौसला…

Posted by Vidya Bhushan Srivastawa on Thursday, 22 April 2021

उनको याद करते हुए छपरा टुडे डॉट कॉम के सम्पादक सुरभित दत्त ने लिखा- वरिष्ठ पत्रकार गुड्डू राय भैया नहीं रहें. उनके असामयिक निधन से सारण की पत्रकारिता को अपूरणीय क्षति हुई है.

गुड्डू भैया से सबसे पहली बार 2013 में नेशनल यूनियन ऑफ जॉर्नलिट्स के राज्य सम्मेलन में मुलाकात हुई थी. प्रभात खबर के सारण ब्यूरो प्रमुख ठाकुर संग्राम सिंह जी ने उनसे मेरी मुलाकात करवाई थी. तब गुड्डू भैया प्रभात खबर में कार्यरत थे. उस वक्त मैं सारण का पहला वेब न्यूज़ पोर्टल छपरा टुडे डॉट कॉम लांच कर चुका था. मुझे याद है ठाकुर साहेब ने उनसे मेरी मुलाकात यह कहते हुए करायी थी कि मुझे ये वेब समझ नहीं आता, आप गुड्डू जी को बताइए वे ये सब समझेंगे. इसके बाद उनसे जब भी मिला अपने से जूनियर को भी उन्होंने बेहद सम्मान दिया. अपने से छोटे से बातचीत का उनका विनम्र अंदाज हमेशा याद रहेगा.

पत्रकार नीरज प्रताप ने लिखा-<

#नमन : कोरोना ने पत्रकार व बचपन के मित्र गुड्डू राय को हम सबों से सदा के लिये दूर कर दिया। हमेशा मुझे कोरोना से बचने की…

Posted by Niraj Pratap on Wednesday, 21 April 2021

पत्रकार डॉ सुनील प्रसाद लिखते है कि- निःशब्द! आप इतना जल्दी हम सबों के बीच से चले जायेंगे विश्वाश नही हो रहा। आप हमेशा दिलों में जिंदा रहेंगे। आप कई दशकों से अपनी लेखनी से सारण की पत्रकारिता को एक नई ऊंचाई प्रदान की वह हमेशा अमर रहेगी। कई वर्षों तक आपके साथ कार्य करने का मौका मिला उसकी यादें हमेशा जिंदा रहेगी। आप एक नेकदिल इंसान के साथ कर्मठ व्यक्तित्व के धनी रहें हैं। मैं और मेरा परिवार आपका सदैव ऋणी रहेगा । मुश्किल दौर में जब मेरी पत्नी को खून की जरूरत थीं आपने उसे पूर्ण कर मुझे ऋणी बनाया था। एक बड़े भाई की तरह हमेशा आपका सानिध्य प्राप्त होता रहा।

छपरा टुडे डॉट कॉम के सह संपादक संतोष कुमार बंटी ने लिखा-

जो कोरोना की भयावहता को नही समझ रहे है. वह अब से भी सतर्क हो जाये.

💐💐💐💐दुखद 💐💐💐💐
छपरा की पत्रकारिता में एक कलम के सिपाही ( क्राइम बीट) की संख्या घट गई.
भगवान मृत आत्मा को शांति प्रदान करें.
💐💐💐💐💐💐💐💐💐नमन

Posted by Banty Kumar on Wednesday, 21 April 2021

गुड्डू राय जैसा संघर्षशील व्यक्ति आखिरकार जीवन और मौत के बीच संघर्ष में जीत नहीं सके पर उनके निधन ने मौजूदा स्वास्थ्य व्यवस्था  पर कई सवाल खड़े किये है. उनके इलाजरत रहने के क्रम में ऑक्सीजन के लिए उनके भाइयों और करीबियों को संघर्ष करना पड़ा. उनके छोटे भाई गणपत आर्यन ने कई बार सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से दवा की उपलब्धता की गुहार भी लगाई जो सिस्टम की पोल खोलता है. 

सारण के वरिष्ठ पत्रकार गुड्डू राय जी को छपरा टुडे डॉट कॉम की विनम्र श्रद्धांजलि…..    

एक बार फिर से संकट के बादल छा गए है. बड़े उम्मीद से इस वर्ष पिछले वर्ष की भरपाई की आस लिए शादियों की बूकिंग शुरू हुई थी. लेकिन एक बार फिर से कोरोना के पाँव पसारते के साथ कई लोगों पर रोजी रोटी का संकट गहराने लगा है. शादियों की बूकिंग तो हुई लेकिन नई गाइडलाइन के बाद आधी से ज्यादा बूकिंग कैन्सल होती दिख रही है.

ऑल बिहार टेट डेकोरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने बताया कि नयी गाइडलाइन लागू होने से बुकिंग पर काफी असर पड़ा रहा है. सब लोग कैंसिल करना चाहते है. लेकिन पार्टी को समझा रहे हैं. पिछले साल भी कोरोना का भेंट चढ़ गया. उन्होंने बताया कि एक दिन की बुकिंग में एक मैरेज हॉल से कम से कम 40-50 लोगों को रोजगार मिलता है. अब ये उसे भी प्रभावित करेगा.

बैंक्वेट हॉल के मालिक, फूल वाला, बग्धी वाला, बैंड, शहनाई, बेटर, मसालची, कूक, सफाईकर्मी और बिजली मिस्त्री ने बताया कि हम इस साल होने वाली शादियों के जरिए 2020 में हुए अपने नुकसान की भरपाई करना चाहते थे, लेकिन ऐसा लगता है कि हमारे मुश्किल दिन अभी खत्म नहीं हुए हैं. लग्न से ही इनका जीवन यापन चलता है. लेकिन बुकिंग कैंसिल होने से हम सभी बेरोजगार हो गये हैं.

Chhapra: मुस्लिम समुदाय में बहुत पवित्र माना जाने वाला रमजान का महीना शुरू हो गया है. 14 अप्रैल यानि आज से रोजा शुरू हो गया है. रमजान के महीने की शुरुआत चांद देख कर होती है. चांद देखने के अगले दिन से रोजे रखे जाते हैं. इस महीने को बरकतों का महीना माना जाता है. मुस्लिम समाज में इसकी बहुत अहमियत है. रमजान के महीने में 29 या 30 दिन के रोजे रखे जाते हैं और इबादत की जाती है.

इस दौरान लोग पांचों वक्‍त की नमाज अदा करते हैं और कुरआन मजीद की तिलावत करते हैं. दुनिया भर में मुस्‍लिम समुदाय के लोग इस मौके पर पूरे महीने लोग सुबह से शाम तक उपवास करते हैं फिर इफतार के बाद खास तरह की नमाज अदा की जाती है. गौरतलब है कि इस बार कोरोना संकट के कारण पूरी दुनिया में रोजेदारों को घरों में ही इबादत करने की सलाह दी जा रही है.