Patna: बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए है. ये दिशानिर्देश 28 अक्टूबर 2020 को सुबह सात बजे से 7 नवंबर 2020 को शाम 6.30 बजे तक तक लागू होंगे. इस दौरान एग्जिट पोल से संबंधित नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.

चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनावों को देखते हुए एग्जिट पोल को लेकर दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. आयोग के आदेशानुसार 28 अक्टूबर, 2020 को सुबह 7:00 से 7 नवंबर, 2020 के शाम 6.30 बजे तक किसी भी एग्जिट पोल का संचालन करना और, प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रकाशन या प्रचार करना और किसी भी एग्जिट पोल के परिणाम के संबंध में किसी भी अन्य तरीके से प्रसार निषिद्ध है.

आयोग ने इस मामले में संबंधित पक्षों को आगाह किया है कि जिसने भी तय समय के दौरान एग्जिट पोल से संबंधित नियमों का पालन नहीं किया उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी इसमें उस मीडिया संगठन पर 48 घंटो तक रोक लगाई जा सकती है.

Chhapra: युवा राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील राय ने छपरा विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क किया. शनिवार को सुनील राय अपने समर्थकों के साथ विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में निकले और जनता से संवाद किया. इस दौरान उन्होंने लोगों की समस्याओं को जाना और छपरा के मुद्दों पर चर्चा की. राजद नेता ने कहा कि छपरा शहर विकास के हर पैमाने पर फेल हो गया. छपरा बदलाव की राह देख रहा है. ऐसे में जनता खुद तय करे कि 5 साल में कितना विकास हुआ. सुनील राय ने कहा कि इतने सालों से छपरा में राजनीति कर रहा हूं लेकिन सत्ता पर काबिज लोगों द्वारा शहर का विकास नहीं देखा. उन्होंने कहा कि आप सब ने काफी लोगों को मौका दिया,उन्होंने कहा कि जनता सोच समझ कर अपना प्रतिनिधि चुने.

New Delhi: लोक जनशक्ति पार्टी ने बिहार विधान सभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ने से इनकार कर दिया है. पार्टी की संसदीय बोर्ड में बिहार चुनाव में अकेले लड़ने का निर्णय हुआ है.

पार्टी ने एक बयान जारी कर कहा है कि उनका जनता दल यूनाइटेड से वैचारिक मतभेद है ऐसे में साथ लड़ना उचित नही है. हालांकि इसका केंद्र में भाजपा-लोजपा गठबंधन पर कोई असर नही पड़ेगा.

पार्टी के प्रधान महासचिव अब्दुल खालिक ने बयान जारी कर कहा कि चुनाव जीतने के बाद लोजपा के सभी विधायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास मार्ग के साथ रहकर भाजपा-लोजपा सरकार बनाएंगे.

Chhapra: जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह-जिलाधिकार सुब्रत कुमार सेन के द्वारा समाहरणालय सभागार में बैंकर्स के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक में निर्वाचन आयोग से प्राप्त पत्र के आलोक में बिहार विधान सभा निर्वाचन-2020 के अवसर पर जिला अग्रणी प्रबंधक (एल.डी.एम) को निदेश दिया गया.

बैंकों को निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान बैंक खाते से नगद की प्रति दिन संदेहास्पद निकासी से संबंधित प्रतिवेदन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए है.

जिलाधिकारी के द्वारा असामान्य तथा संदेहास्पद नकद निकासी या निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान एक लाख से अधिक की राशि उस परिस्थिति में बैंक में जमा करवाने जबकि पिछले दो महीने के दौरान इस प्रकार जमा व निकासी न की गई हो, निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान जिला/निर्वाचन क्षेत्र में विभिन्न व्यक्तियों के बैंक खाते में एक ही बैंक खाते से आरटीजीएस द्वारा राशि का असामान्य स्थानांतरण जबकि ऐसे अंतरण का पहले कोई नजीर नहीं रहा हो, निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान राजनैतिक दल के खाते में एक लाख से अधिक नकदी की जमा या नकदी की निकासी, अन्य कोई संदेहास्पद नकदी का लेन देन जिसका निर्वाचकों को रिश्वत देने में उपयोग किया गया हो से संबंधित प्रतिवेदन की माँग की गयी है. इसके अतिरिक्त यदि बैंक में रूपया दस लाख से अधिक नकदी को जमा होने अथवा निकासी किये जाने से संबंधित मामला भी घटित होता है तो उक्त सूचना को बैंक आयकर विभाग के नोडल पदाधिकारी को भी देना सुनिश्चित करें ताकि उनके स्तर से भी मामले में नियमों के अंतर्गत आवश्यक कार्रवाई की जा सके.

बैठक में जिलाधिकारी के साथ उप विकास आयुक्त अमित कुमार, राज्यकर संयुक्त आयुक्त सौरभ कुमार सिंह, जिला अग्रणी प्रबंधक (एल.डी.एम) एवं सभी बैंकों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.

पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव के साथ-साथ विधान परिषद चुनाव का भी बिगुल बज गया है।बिहार के स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के लिए चुनाव आयोग ने कार्यक्रम जारी कर दिया है।22 अक्टूबर को विधान परिषद के लिए मतदान की तारीखें तय की गई है।


बिहार के 04 शिक्षक और 04 स्नातक विधान परिषद सीटों के लिए 28 सितंबर को अधिसूचना जारी होगी‌।05 अक्टूबर तक नामांकन पत्र दाखिल किए जाएंगे और 06 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी।08 अक्टूबर तक नामांकन पत्र वापस लिए जा सकेंगे।

विधान परिषद के लिए 22 अक्टूबर को मतदान होगा।सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक वोटिंग होगी और 12 नवंबर को मतगणना की तारीख रखी गई है।आपको बता दें कि विधानसभा के लिए होने वाले चुनाव की मतगणना 10 नवंबर को होगी,जबकि विधान परिषद की 8 सीटों की मतगणना 12 नवंबर को होगी.

सारण जिले के 10 विधानसभा सीट पर दूसरे चरण में 3 नवंबर को डाले जाएंगे वोट

Chhapra:  बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है. तीन चरण में चुनाव संपन्न कराए जाएंगे. सारण की 10 विधानसभा सीट पर 3 नवंबर को वोट डाले जाएंगे.

Chhapra: चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनावों की घोषणा ही गयी है. इस बार बिहार में 3 चरणों में मतदान सम्पन्न कराया जाएगा.

पहले फेज में 28 अक्टूबर को मतदान कराया जाएगा. दूसरे फेज का चुनाव 3 नवंबर और तीसरे फेज का चुनाव 7 नवंबर को संपन्न होगा. वही वोटों गिनती 10 नवंबर को की जाएगी.

पहले चरण में 71 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे वहीं दूसरे चरण में 94 और तीसरे चरण में 78 विधानसभा सीटों पर मतदान होंगे.

पहला चरण 
पहले चरण के मतदान के लिए 1 अक्टूबर को नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा. नॉमिनेशन की अंतिम तारीख 8 अक्टूबर होगी. वहीं स्क्रूटनी 9 अक्टूबर को और कैंडिडेट विड्रॉल के लिए 12 अक्टूबर तक का समय दिया गया है. पहले चरण का चुनाव 28 अक्टूबर को होगा.

दूसरा चरण 
दूसरे फेज के नॉमिनेशन के लिए 9 अक्टूबर को अधिसूचना जारी जी की जाएगी, वहीं नॉमिनेशन के अंतिम तारीख 16 अक्टूबर है.  स्क्रूटनी 17 अक्टूबर और कैंडिडेट विड्रॉल 19 अक्टूबर तक होगा. दूसरे फेज का चुनाव 3 नवम्बर को सम्पन्न होगा.

तीसरा चरण 
वहीं तीसरे चरण के मतदान के लिए 13 अक्टूबर को नॉमिनेशन की अधिसूचना जारी की जाएगी. नॉमिनेशन की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर तथा स्क्रूटनी के लिए 31 अक्टूबर और कैंडिडेट का विड्रोल 23 अक्टूबर तक  होगा. वहीं मतदान 7 अक्टूबर को संपन्न होगा.

 

(संतोष कुमार बंटी)
राजनीति में वही जीत दर्ज कर सकते हैं जिनकी बिसात बेहतर बिछाई गई हो. राजा के लिए समर्पित सैनिक एक बेहतर राजनीति के तहत जीत दर्ज कर सकते हैं. कहा भी गया है, योजनाबद्ध तरीके से किया गया कार्य ही सफल होता है. साफ मंसूबे ही जीत के दावेदार होते हैं.

इन सारी बातों का अगर गहन अध्ययन करें तो मंगलवार को आयोजित राजनीति के रणनीतिकार प्रशांत किशोर की प्रेस वार्ता ने बहुत कुछ साफ करते हुए अपना बिहार की राजनीति में एक संकेत जरूर दे दिया है. हालांकि स्पष्ट रूप से भले ही उन्होंने कुछ भी नहीं कहा लेकिन जिस तरह से उन्होंने वर्तमान नीतीश सरकार के 15 वर्षों के कार्यों की प्रशंसा के साथ आलोचना की, नीतीश कुमार से निजी और राजनीतिक संबंध तथा 15 वर्षों के विकासात्मक कार्यों की 2005 की सरकार से की गई तुलना. साथ ही साथ प्रदेश के विकास में जन सरोकार के मुद्दे शिक्षा, बिजली और सड़क तीनों का समेकित विश्लेषण कर एक खास वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करने के प्रयास से यह कहा जा सकता हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए रणनीति बनाने वाले राजनीति के रणनीतिकार प्रशांत किशोर मुख्यमंत्री पद के लिए बिहार में एक विकल्प हो सकते हैं.

नीतीश कुमार से पिता पुत्र की भांति संबंध, जोड़ना-हटाना उनका निर्णय
प्रशांत किशोर ने प्रेसवार्ता में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पिता और पुत्र की भांति संबंध होने की बात कही. उनका कहना है कि पार्टी में उन्होंने जोड़ा और हटाया यह उनका निर्णय है. प्रत्येक व्यक्ति की अपनी एक विचारधारा होती है. जिसके साथ वह आगे बढ़ता है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15 वर्षों में निश्चित ही बिहार की तस्वीर बदली है. लेकिन प्रदेश का विकास 15 वर्ष पहले जहां था आज भी वही है.

प्रदेश के विकास में जन सरोकार के मुद्दे बन सकते हैं हथियार
प्रशांत किशोर ने राजनीति में रणनीतिकार के रूप में अपनी शुरुआत की और सफल भी हुए. भाजपा, कांग्रेस और तत्काल में आप के साथ सफलता की गाथा लिखी है. जनता के नब्ज को वह अच्छी तरह से जानते है. 2020 के चुनाव में प्रदेश के विकास में जन सरोकार के मुद्दे को एक हथियार के रूप में शामिल कर सकते हैं.

श्री किशोर ने प्रेस वार्ता में कहा कि राज्य में 2005 के मुकाबले साइकिल योजना, पोशाक योजना एवं छात्रवृत्ति योजना का वितरण कर सरकार ने विद्यालयों में नामांकन का ग्राफ़ भले ही बढा लिया लेकिन गुणवत्ता वाली शिक्षा बच्चों को नहीं मिली.

प्रदेश में बिजली के क्षेत्र में बेहतर कार्य हुए जिसके लिए सीएम बधाई के पात्र हैं लेकिन सूबे में बिजली की खपत नहीं है. सूबे में परिवार सिर्फ एक बल्ब और एक पँखे के सहारे जीता है. उसके पास अन्य चीजों के खरीदने के पैसे नहीं है. जिसका वह उपयोग कर सकें.

सड़को का सूबे में जाल बिछा 2005 के मुकाबले सड़कों की स्थिति अच्छी है. वाहनों की संख्या भी अच्छी खासी निबंधित है लेकिन सड़क पर चलाने के लिए उनके पास आय नहीं है. बेरोजगारी बढ़ी है और इसके चलते पलायन होता है.

विगत कई वर्षों से राजनीति में युवाओं को जोड़ने का कर रहे हैं कार्य

जंग में सिपाही का होना बेहद जरूरी है और सिर्फ उनकी संख्या ही नहीं बल्कि उनमें हुनर हो. सिपाही अगर हुनरमंद होंगे तो वह संख्या में कम होने के बावजूद भी विपक्षी पर भारी पड़ सकते हैं. प्रशांत किशोर ने विगत वर्षों में राजनीति की रणनीति और उसमें युवाओं की भागीदारी को लेकर तैयारी की जा चुकी है. जिसके कारण उनके साथ हुनरमंद और हर काम मे माहिर काम करने वाले युवाओं की अच्छी खासी तादाद है जो उन्हें किसी भी लड़ाई में जीत दिलवा सकते है.

दिल्ली में संपन्न दिल्ली चुनाव के परिणाम के बाद ऐसा माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर बिहार में एक नया ढांचा खड़ा कर सकते हैं. हालांकि जानकारों का मानना है कि प्रशांत किशोर एक प्रोफेशनल व्यक्ति है. दिल्ली चुनाव में उन्होंने अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी के लिए रणनीति बनाई थी.

बहरहाल 2020 बिहार के लिए चुनावी वर्ष है और सभी पार्टी अपनी तरफ से इस चुनाव को जीतने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रही है. बीते वर्ष में प्रशांत किशोर ने चुनाव में किसी न किसी पार्टी के लिए काम किया है. वैसे श्री किशोर ने मीडिया के सामने भी चुनावी महाकुंभ में डुबकी लगाने की अपनी इच्छा जाहिर नहीं की है. लेकिन जन सरोकार के मुद्दे को आंकड़ों के साथ प्रदर्शित करना निश्चित तौर पर एक विकल्प के रूप में देखने को मजबूर करता है.

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