चिराग़े मुहब्बत जलाते रहेंगे, मुख़ालिफ हवाओं की ऐसी की तैसी

चिराग़े मुहब्बत जलाते रहेंगे, मुख़ालिफ हवाओं की ऐसी की तैसी

छपरा: इप्टा के 75 वें प्लैटिनम जुबली वर्ष के आगाज़ सह जनसंस्कृति दिवस पर जनक यादव लाईब्रेरी समय संवाद का आयोजन किया गया. जिसमें पटना, सीवान गोपालगंज से आए और स्थानीय कवि शायरों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समय के साथ जीवंत संवाद स्थापित किया. कार्यक्रम का उद्घाटन विधान पार्षद् सह इप्टा अध्यक्ष प्रो0 वीरेन्द्र नारायण यादव ने किया.

समय संवाद का आगाज़ पटना के मुख्य शायर समीर परिमल ने अपनी ताजा तरीन नज्म ऐसी की तैसी से कर शुरूआत में ही मंच के स्तर को काफी ऊँचा उठा दिया. समीर ने जब शेर पढ़ा कि पतीली है खाली और खामोश चूल्हा, बहारों नजारों की ऐसी की तैसी तो सामयिनों की सरगोशियाँ गूँज उठीं. राजनीति पर समीर ने आगे पढ़ा कि जुबां पे शहद, आस्तीनों में खंजर, सियासी अदाओं की ऐसी की तैसी.

पटना के ही शायर रामनाथ शोधार्थी ने कहा दिल समझदार हो गया है क्या, जीना दुश्वार हो गया है क्या, आजकल सीरिअस बहुत हो तुम, वाकई प्यार हो गया है क्या. सीवान की कवयित्री डॉ0 नीलम श्रीवास्तव ने अपनी रचनाओं में नारी विमर्श के विविध आयामों को जुबां दी, इस विमर्श को आगे बढाते हुए कंचन बाला ने तरन्नुम में पढ़ा मत खोजिए सुकून कहीं नौनिहाल में जब दूध में नफरत की चिंगारी रहेगी, जब तक कि आधी दुनिया लाचारी रहेगी धरती के जर्रे जर्रे पे सिसिकारी रहेगी. अशोक शेरपुरी, रिपुंजय निशांत, रवि भूषण हंसमुख, ऐनुल बरौलवी, खुर्शीद साहिल, सुहैल अहमद हाशमी, अरूण कुमार संत, कुमार चंदन, अमरेन्द्र सिंह, शमीम परवेज़, शालिनी, प्रियंका, बैतुल्लाह, मृणाम कुमार, नज्मुल्लाह नज्म, रमजान अली रौशन आदि ने अपनी रचनाओं से सामयिनों का दिल जीत लिया.

कार्यक्रम में श्याम सानू, विनोद सिंह, मेहदी शॉ, दिनेश पर्वत, जवाहर राय, विनय कुमार, नन्हे कुमार, शिवांगी सिंह, विजय साह, नेहाल की महत्वपूर्ण भूमिका रही. समय संवाद का संयोजन और संचालन सचिव अमित रंजन और सुहैल अहमद हाशमी ने किया.

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