देश की 4​1​ साल सेवा के बाद नौसेना के जहाज आईएनएस राजपूत की विदाई

देश की 4​1​ साल सेवा के बाद नौसेना के जहाज आईएनएस राजपूत की विदाई

– ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के लिए परीक्षण मंच के रूप में निभाई है मुख्य भूमिका
– डी-51 नामक राजपूत वर्ग का यह जहाज प्रमुख विध्वंसकों में रहा है शामिल

नई दिल्ली: देश की 41 साल तक सेवा करने के बाद भारतीय नौसेना के पहले विध्वंसक जहाज आईएनएस राजपूत शुक्रवार को विशाखापत्तनम के नेवल डॉकयार्ड में एक समारोह के दौरान रिटायर कर दिया जायेगा.

भारतीय नौसेना में डी-51 नामक इस राजपूत वर्ग के जहाज की प्रमुख विध्वंसकों में गिनती होती रही है. इस जहाज ने मुख्य रूप से सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के लिए परीक्षण मंच के रूप में कार्य किया है. राष्ट्र के लिए अपनी चार दशकों की शानदार सेवा के दौरान जहाज को ‘राज करेगा राजपूत’ के आदर्श वाक्य और अदम्य भावना के साथ पश्चिमी और पूर्वी दोनों बेड़े में सेवा करने का गौरव हासिल है.

आईएनएस राजपूत का निर्माण निकोलेव (वर्तमान में यूक्रेन) में 61 कम्युनार्ड्स शिपयार्ड में उनके मूल रूसी नाम ‘नादेज़नी’ यानी ‘होप’ के तहत किया गया था. जहाज के निर्माण की शुरुआत 11 सितम्बर, 1976 को हुई थी और 17 सितम्बर, 1977 को लॉन्च किया गया था. राजपूत वर्ग के इस प्रमुख जहाज को 04 मई, 1980 को पोटी, जॉर्जिया में यूएसएसआर में भारत के तत्कालीन राजदूत आईके गुजराल और जहाज के पहले कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन गुलाब मोहनलाल हीरानंदानी ने नौसेना के बेड़े में शामिल किया था.

तत्कालीन कमोडोर गुलाब मोहनलाल हीरानंदानी बाद में नौसेना के वाइस एडमिरल भी बने. राजपूत ने सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के लिए एक परीक्षण मंच के रूप में कार्य किया. इसके बाद 1980 के दशक में भारत को निर्यात के लिए इस वर्ग के आईएनएस राणा, आईएनएस रणवीर और आईएनएस रणविजय का निर्माण किया गया था. ये सभी जहाज मौजूदा समय में पूर्वी नौसेना कमान से जुड़े हैं.

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नौसेना प्रवक्ता के मुताबिक यह जहाज भूमि लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम रहा है। राजपूत वर्ग के जहाजों को पनडुब्बियों, कम उड़ान वाले विमानों और क्रूज मिसाइलों के खिलाफ विमान रोधी और पनडुब्बी रोधी युद्ध भूमिकाएं विरासत में मिलीं हैं। इसलिए इन जहाजों ने दोनों ही भूमिकाओं को पूरा करने के लिए टास्कफोर्स या कैरियर एस्कॉर्ट के रूप में भी कार्य किया है। यह ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम को तैनात करने वाले भारतीय नौसेना का पहला जहाज है। इसके लिए एकल लॉन्चर (पोर्ट और स्टारबोर्ड) को दो बॉक्स लॉन्चर्स में बदल दिया गया था, जिनमें से प्रत्येक में दो ब्रह्मोस सेल थे। 2005 में धनुष बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण उड़ीसा के तट पर बंगाल की खाड़ी में आईएनएस राजपूत से किया गया था, जो करीब 60 किमी की दूरी पर चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से लांच की गई थी। मार्च, 2007 में आईएनएस राजपूत से पृथ्वी-III मिसाइल के नए संस्करण का परीक्षण किया गया था।

प्रवक्ता के मुताबिक इस जहाज को निर्देशित मिसाइल विध्वंसक और विमान-रोधी निर्देशित मिसाइल लॉन्च करने के लिए डिजाइन किया गया था। पनडुब्बी रोधी, वायु रोधी और सतह रोधी ऑपरेशन करने के लिए लैस आईएनएस राजपूत के अलावा भारतीय नौसेना के पास राजपूत वर्ग के अन्य विध्वंसकों में आईएनएस राणा, आईएनएस रणवीर और आईएनएस रणविजय भी हैं। इसके बावजूद डी-51 नामक इस राजपूत वर्ग के जहाज की प्रमुख विध्वंसकों में गिनती होती रही है। राजपूत वर्ग का यह जहाज सोवियत काशिन श्रेणी के विध्वंसक का संशोधित संस्करण है, इसलिए इसे काशिन-द्वितीय वर्ग के रूप में भी जाना जाता है। काशिन श्रेणी के विध्वंसक की डिजाइन में बदलाव करके इसे भारतीय नौसेना के लिए पूर्व सोवियत संघ में बनाया गया था।

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आईएनएस राजपूत ने राष्ट्र को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से कई अभियानों में भाग लिया है। इनमें से श्रीलंका में ऑपरेशन अमन, श्रीलंका के तट पर गश्ती कर्तव्यों के लिए ऑपरेशन पवन, मालदीव से बंधक स्थिति को हल करने के लिए ऑपरेशन कैक्टस और लक्षद्वीप से ऑपरेशन क्रॉसनेस्ट शामिल हैं। इसके अलावा जहाज ने कई द्विपक्षीय और बहुराष्ट्रीय अभ्यासों में भाग लिया है। यह जहाज भारतीय सेना की राजपूत रेजिमेंट से संबद्ध होने वाला पहला भारतीय नौसेना जहाज भी था। अपनी शानदार 41 वर्षों की सेवा के दौरान जहाज ने 31 कमांडिंग ऑफिसर देखे हैं। जहाज के आखिरी कमांडिंग ऑफिसर ने 14 अगस्त, 2019 को कमान संभाली थी। आईएनएस राजपूत पर लगी नौसेना की पताका और कमीशनिंग पेनेंट को 21 मई को सूरज डूबने के साथ नीचे उतारा जाएगा, जो नौसेना से उसकी विदाई का प्रतीक है।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत
Submitted By: Sunit Nigam Edited By: Dadhibal Yadav Published By: Dadhibal Yadav at May 20 2021 4:46PM

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