सारण के सुधांशु ने माया नगरी में बनाई अपनी पहचान, कहा- बिना संघर्ष के कामयाबी नहीं मिलती

सारण के सुधांशु ने माया नगरी में बनाई अपनी पहचान, कहा- बिना संघर्ष के कामयाबी नहीं मिलती

हिंदी फिल्म और भोजपुरी फिल्म जगत में कई फिल्मों का किया है निर्देशन 

(कबीर की रिपोर्ट)
जब आंखों में सपने हो, मजबूत और नेक इरादे हो तो कामयाबी देर ही सही इंसान के कदम चूमती दिखाई देती है. मेहनत में ईमानदारी हो तो उस इंसान को सफल व्यक्ति बनाने से कोई नही रोक सकता. सारण से निकलकर दिल्ली और फिर माया नगरी पहुंचकर अपने हुनर और काबिलियत की बदौलत फिल्मीस्तान में जगह बनाना आसान नहीं होता लेकिन ऐसा कर दिखाया है सारण जिले डेरनी स्थित सूतिहार बजराहां के रहने वाले सुधांशु त्रिपाठी ने.

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सुधांशु त्रिपाठी ने हिंदी फिल्म और भोजपुरी फिल्म जगत में कई फिल्मों का निर्देशन किया है. तो कई फिल्मों में बतौर कलाकार काम किया है. सुधांशु त्रिपाठी बताते हैं कि बिना संघर्ष किसी इंसान को कामयाबी नहीं मिली है. जब आप संघर्ष नहीं करेंगे तो कामयाबी आपको नहीं मिलेगी. अपने हुनर पर भरोसा करते हुए कामयाब होने के लिए आपको संघर्ष करना होगा. उन्होंने कहा कि पिता मणिकांत त्रिपाठी एवं घर के पूरे सदस्यों द्वारा उन्हें पूरी आजादी मिली और सहयोग भी भरपूर मिला, जिसकी बदौलत वह आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं.

उन्होंने कहा कि जब वह राजधानी दिल्ली से मुंबई माया नगरी पहुंचे तो उन्होंने काफी संघर्ष किया. मेहनत की बदौलत ही उन्होंने भोजपुरी फिल्म हिंदी फिल्म और दूरदर्शन पर आने वाले कई सीरियल में निर्देशन का काम किया. सुधांशु त्रिपाठी ने छपरा के सारण एकेडमी से अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की, वहीं इंटर की पढ़ाई जगदम कॉलेज से पूरी की. इंटर की पढ़ाई के बाद 4 सालों तक लगातार देश की राजधानी दिल्ली में एक्ट वन में थिएटर किया. अपने अनुभव बताते हुए सुधांशु त्रिपाठी कहते हैं कि हिंदी फिल्म जगत में केसी बोकाडिया और सुभाष घई जैसे दो सीनियर डायरेक्टरों से निर्देशन की तकनीक सीखी है. खासकर सुभाष घई के साथ काम कर बहुत कुछ सीखा है. टेक्निक के साथ काम कैसे बेहतर किया जाए.

जब मायानगरी मुंबई पहुंचे तो काफी संघर्ष के बाद उन्हे फिल्म भोले शंकर, शक्ति, हथकड़ी, जाल, मुन्ना मवाली, टाइगर जिंदा है जैसी फिल्मों का निर्देशन करने का मौका मिला और उन्होने बखूबी निभाया भी. उन्होंने कहा कि बचपन से ही फिल्मों में अभिनय करने और काम करने का सपना था, उस जुनून ने आज मुझे यहां लाकर खड़ा किया है. साथ ही साथ उनका कहना है कि सारण के युवाओं को अगर इस क्षेत्र में रुचि है तो उनका भरपूर सहयोग उन्हें मिलेगा.A valid URL was not provided.

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