नाग पंचमी: जानें कथा तथा पूजन विधि

नाग पंचमी: जानें कथा तथा पूजन विधि

सावन का महीना तो बहुत ही पावन है धार्मिक दृष्टि से बहुत ही पूज्य मास है. भगवान शिव का बहुत ही प्रिये मास है इस मास में पूजा -पाठ करना बहुत ही शुभ होता है.

हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन मास के शुक्लपक्ष के पंचमी तिथि को विशेष पूजन किया जाता है इस दिन का बहुत ही महत्व है इस दिन नागो की प्रधान के रूप में पूजा की जाती है, इसलिए इस दिन को नाग पंचमी कहते है।

इस दिन नाग यानि सर्प की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह में नाग और नागिन के जोड़े को दूध से पूजन करते है। जिसे मनुष्य के सांप के भय से दुर रहते है। इस दिन घर के दोनों बगल में नाग की मूर्ति खीचकर पूजन किया जाता है. इस सावन के नागपंचमी को बन रहा है शुभ दिन इस दिन सावन शुद्ध शुक्लपक्ष का प्रथम सोमवारी है तथा पुरे सावन का तिसरा सोमवार पड़ रहा है. जो शिव भक्तो के उतम फलदायी है। इस दिन नाग की पूजन के साथ भगवान शिव का जलाभिषेक करे तो सभी मनोरथ पूर्ण होता है।

ज्योतिष शास्त्र के पंचमी तिथि के देवता नागराज है एवं इस समय भगवान विष्णु ने शेष शयन पर रहते है, सावन मास में भगवान शिव का पूजन किया जाता है और सर्प उनका सवारी है।

समुंद्र मंथन के समय साधन रूप बनकर वासुकी नाग ने प्रभु के कार्य में निमित्त बनने का मार्ग खुला कर दिया है इसलिए सर्पराज का पूजन पंचमी को किया जाता है।

कब है नाग पंचमी क्या है मुहूर्त2

1 अगस्त 2023 दिन सोमवार को मनाया जायेगा .पंचमी तिथि का शुरूआत 21 अगस्त 2023 रात्रि 12:21 मिनट से

पंचमी तिथि की समाप्ति 22 अगस्त 2023 दिन मंगलवार रात्रि 02:00 तक मिल रहा है

नागपंचमी के दिन कितने नाग देवता का पूजन किया जाता है।

नाग पंचमी के दिन जिन नाग देवता का पूजन की जाती है वह इस प्रकार है। वासुकी, कालिया, शेषनाग, काकोटक, मणिभद्रक, धृतराष्ट्र, शंखपाल, तक्षक है इनका पूजन नाग पंचमी के दिन किया जाता है। इनके पूजन करने से परिवार में सर्प भय से मुक्त होते है।

साथ जिन लोगो को कालसर्प दोष बना हुआ है इन नाग देवता का पूजन करने से उनके दोष में कमी होती है सभी काम पूर्ण होते है।

पूजा विधि :

(1) नाग पंचमी के एक दिन पहले चर्तुथी को एक समय ही भोजन करे।

( 2) नाग पंचमी के दिन सुबह उठकर घर की सफाई करे, उसके बाद स्नान कर के साफ वस्त्र धारण करे तथा व्रत का संकल्प ले।

(3) नागपंचमी के दिन अपने घर के दरवाजे के दोनों तरफ गोबर से सांप बनाये.

(4 ) सांप को दही, दूर्वा, कुशा, अक्षत, फूल तथा मोदक को समर्पित करे। उनकी पुजा करने से सर्प के डर से मुक्ति मिलती है।

 

(5) एक पात्र में दूध के साथ चीनी मिलकर नाग देवता को इसका भोग लगाये।

(6) इस दिन ब्राह्मण को भोजन कराये और व्रत को करे ऐसा करने से घर में सांप से भय नहीं रहता है।

(7) इसके आलावा नाग को दूध से स्नान कराये।

(8) पूजन करने के बाद किसी सपेरे को कुछ दक्षिणा दे।

कथा :

कथा के अनुसार एक ब्राह्मण के सात पुत्रबधूये थी .सावन मास लगते ही छः बहुए तो भाई के साथ मायके चली गई परन्तु आभागी सातवी के कोई भाई नहीं था कौन बुलाने आता बेचारी ने अति दुखित होकर पृथ्वी को धारण करने वाले शेषनाग को भाई के रूप में याद किया. करुनायुक्त ,दीन वाणी को सुनकर शेष जी वृद्ध ब्राह्मण के रूप में आये ,और फिर उसे लेकर चल दिये थोड़ी दुर रास्ता तय करने पर उन्होंने अपना असली रूप धारण कर लिए। तब अपने फन पर बैठाकर नाग लोक ले गए, वहा वह निचिन्त होकर रहने लगी पाताल लोक में जब वह निवास कर रही थी उसी समय शेष जी की कुल परम्परा में नागो के बहुत से बच्चे ने जन्म लिया उस नाग के बच्चे को सर्वत्र विचरण करते देख शेष नाग रानी ने उस वधु को पीतल का एक दीपक दिया तथा बताया की इसके प्रकाश से तुम अँधेरे में भी सब कुछ देख सकोगी एक दिन आकस्मात उसके हाथ से दीपक निचे टहलते हुए नाग बच्चो पर गिर गया परिणाम स्वरुप उन सबकी थोड़ी पूंछ कट गई।

यह घटना घटित होते ही कुछ समय बाद वह ससुराल भेज दी गई जब अगला सावन आया तो वह बधू दिवाल पर नाग देवता को बनाकर उसकी विधवत पूजा तथा मंगल कामना करने लगी हुई थी, इधर क्रोधित नाग बालक माताओं से अपनी पूंछ काटने का आदिकारण इस वधु को मारकर अपनी बदला चुकाने आये थे। लेकिन अपनी ही पूजा में श्रद्धा से उसे देखकर वे प्रसन्न हुए और उनका क्रोध समाप्त हुआ, बहन स्वरूपा उस वधु के हाथ से प्रसाद के रूप में उन लोगो को दूध के साथ चावल खाया। नागो ने उसे सर्पकुल से निर्भय होने के वरदान तथा उपहार में मणियो की माला दी उन्होंने यह भी बताया की सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को हमें भाई के रूप में जो पूजेगा उसकी हम रक्षा करते है।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा 

ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ 

8080426594/9545290847

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