स्वयं सिद्ध मुहूर्त मानी गयी अक्षय तृतीया, सुबह 11.45 से रात्रि 12.08 तक खरीदारी का मुहूर्त

अक्षय तृतीया इस बार 10 मई को मनायी जायेगी. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस तिथि को जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है, इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है. वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, लेकिन वैशाख माह की तृतीया तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है.

अक्षय तृतीया सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व रखता है इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों, घर, भूखंड, वाहन की खरीददारी कर सकते हैंं. इस दिन दान देने, पूजन करने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है.

अक्षय तृतीया को आखा तीज भी कहते हैं. यह तिथि चिरंजीवी तिथि भी कहलाती है. इस बार वाहन व भूमि खरीदने का शुभ मुहूर्त सुबह 11.45 से शाम में 05.07 तक है, वहीं ज्वेलरी की खरीदारी दोपहर 12.08 से रात्रि 09.15 मिनट तक है. इस दौरान खरीदारी की जा सकती है.

अक्षय तृतीया से जुड़ी पौराणिक महत्व की कई कहानियां

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन कई पौराणिक घटनाएं हुईं थीं. इसलिये इसे एक अबूझ मुहूर्त के तौर पर माना जा जाता है. इसे युगादि तिथि भी माना जाता है. कहते हैं कि सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन ही हुई थी. भगवान विष्णु ने नर नारायण का अवतार भी इसी दिन लिया था. भगवान परशुराम का जन्म भी इसी दिन हुआ था. इसी दिन बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं. यही वह पवित्र दिन है जब वृंदावन में बांके बिहारी के चरणों के दर्शन होते हैं.

मान्यता है कि इस दिन ही मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी. इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को अक्षय पात्र दिया था, जिसमें भी भी भोजन समाप्त नहीं होता था. महाभारत और विष्णु पुराण के अनुसार परशुराम नाम का मूल नाम राम था, लेकिन भगवान शिव ने उन्हें जब अपना परशु नामक अस्त्र प्रदान किया तभी से उनका नाम परशुराम पड़ गया. मान्यता है कि परशुराम का जन्म जिस दिन हुआ था, उस दिन को अक्षय तृतीया कहा गया. परशुराम चिरंजीवी माने गये और उनकी आयु अक्षय है, इसलिये इसे अक्षय तृतीया या चिरंजीवी तिथि कहा गया है.

पितरों के तर्पण से अक्षय फल की प्राप्ति

माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने व भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है. इस दिन पितरों को किया गया तर्पण व पिंडदान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.

अक्षय तृतीया के दिन मनुष्य जाने-अनजाने अपराधों की सच्चे मन से ईश्वर से क्षमा प्रार्थना करें तो भगवान उसके अपराधों को क्षमा कर देते हैं और उसे सदगुण प्रदान करते हैं, इसलिये इस दिन अपने दुर्गुणों को भगवान के चरणों में सदा के लिये अर्पित कर उनसे सदगुणों का वरदान मांगना चाहिये

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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