रवियोग और रोहिणी नक्षत्र में अक्षय तृतीया मनाया जायेगा, श्रीहरि और माता लक्ष्मी की बरसेगी कृपा

 

सनातन धर्म में वैशाख मास को अत्यंत पुण्यमय माना जाता है। इस मास में भगवान श्रीहरि और माता लक्ष्मी की असीम कृपा बरसती है। सनातन धर्मावलंबियों का प्रमुख त्योहार अक्षय तृतीया इस साल 10 मई को रोहिणी नक्षत्र और मृगशिरा नक्षत्र के युग्म संयोग में मनाया जाएगा। इस दिन रवियोग का भी सुखद संयोग रहेगा।

अक्षय पुण्य की प्राप्ति:

ज्योतिष शास्त्र में अक्षय तृतीया को “अबूझ मुहूर्त” कहा गया है। इस दिन स्नान, दान, व्रत, पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान, शुभ कार्य आदि करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

महिलाओं का व्रत और पूजा:

10 मई को अक्षय तृतीया पर महिलाएं सुहाग की रक्षा के लिए भगवान श्रीहरि विष्णु, माता लक्ष्मी और माता गौरी की पूजा करेंगी और व्रत रखेंगी। इस दिन भगवान नारायण और लक्ष्मी देवी को कमल पुष्प, श्वेत फूल, कमलगट्टा, इत्र, अभ्रक, खीर का भोग, घी का दीपक आदि अर्पित कर श्रीसूक्त और कनकधारा का पाठ करने से अक्षय पुण्य लाभ और वैभव, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

दान का पुण्य:

अक्षय तृतीया पर सत्तू, जल, गुड़, छाता, चरण पादुका, अन्न, ऋतुफल, भोजन सामग्री, वस्त्र आदि का दान करना और बेजुबानों को भोजन-पानी देना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

स्वर्ण खरीदारी का महत्व:

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह-नक्षत्रों के शुभ संयोग, शुभ योगों के महासंयोग, सर्वसिद्ध मुहूर्त और अबूझ मुहूर्त में स्वर्ण, मोती, रत्न, स्थिर संपत्ति आदि खरीदने से जातक के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण, रजत, धातु, रत्न और अन्य शुभ वस्तुओं की खरीदारी करना बेहद शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-समृद्धि, संपन्नता में वृद्धि, अक्षय लाभ और लक्ष्मी माता का वास होता है।

मिट्टी के पात्र का महत्व:

शास्त्रों में भारत भूमि की तुलना स्वर्ण से भी बढ़कर बतायी गयी है। अक्षय तृतीया के दिन मिट्टी का पात्र, मिट्टी का दीपक, कसोरा, कलश की खरीदारी करने से भी स्वर्ण के बराबर शुभ फल प्राप्त होता है।

भगवान परशुराम का प्राकट्योत्सव:

इसके अलावा, भगवान परशुराम का प्राकट्योत्सव भी इसी दिन मनाया जाएगा।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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