राहुल सांकृत्यायन की वाणी और सारण की पानी रुक नही सकती: नवल किशोर यादव

राहुल सांकृत्यायन की वाणी और सारण की पानी रुक नही सकती: नवल किशोर यादव

Chhapra: स्थानीय राम जयपाल महाविद्यालय के सभागार में महापंडित राहुल सांकृत्यायन की 125 वी जयंती पर राम जयपाल महाविद्यालय एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा संयुक्त तत्वाधान में ‘महापंडित राहुल सांकृत्यायन और सारण’ विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया.

इस अवसर पर अपने संबोधन में विधान परिषद सदस्य नवल किशोर यादव ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन विचारों के धार थे. राहुल सांकृत्यायन की वाणी और सारण की पानी कभी रुक नहीं सकती है. वह एक विद्वान थे उनके जैसे कई लोग विद्वान थे, लेकिन उनमें एक विजन था.

आजादी के पहले और बाद में गरीब, किसान और पगडंडियों पर रहने वाले लोगों की परेशानियों को उन्होंने उजागर किया. सारण उनकी कर्मभूमि थी. सारण के लोग ओजस्वी क्यों होते हैं, क्रांतिकारी क्यों होते हैं यह आज पता चला है.

उन्होंने कहा कि यहाँ के लोग एक्सट्रीम लाइनर होते हैं. भिखारी ठाकुर, राजेंद्र प्रसाद, जयप्रकाश नारायण एक्सट्रीम लाइनर थे. यही कारण है कि सारण भारत के मानचित्र पर अपनी छाप छोड़े हैं.

वही विधान परिषद डॉ वीरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन को सारण से जोड़ कर रखना बड़ी बात है. उन्होंने कहा कि मैनेजर पांडेय ने कहा था राहुल को सारण से जोड़कर रखना है.

सारण के विषय में राहुल सांकृत्यायन ने जो बातें कहीं और जो बातें लिखी हैं उनका समेकन है.

डॉ यादव ने कहा कि आजमगढ़ के केदार पांडे का राहुल सांकृत्यायन में रूपांतरण बीसवीं शताब्दी की एक बहुत बड़ी शैक्षणिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक घटना है.सारण को इस पर गौरव है.

श्री यादव ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन ने उर्वरा भूमि को औपनिवेशिक और जमीदारों के खिलाफ विद्रोह का कार्यक्षेत्र बनाया. आज 125 वी जयंती है आज भी लोग राहुल सांकृत्यायन से प्रेरणा लेते हैं. अत्याचार, अन्याय, किसान, मजदूरों के पक्ष में सारण के लोग खड़े होते हैं यह एक बहुत बड़ी बात है.

कार्यक्रम में पटना विश्वविद्यालय के प्रो चंद्रमा सिंह, जयप्रकाश विश्वविद्यालय के प्रो लाल बाबू यादव, BHU के राधेश्याम दुबे, पटना विश्वविद्यालय के प्रो अरुण कमल एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के निदेशक नंदकिशोर पांडे के साथ राम जयपाल महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर सिद्धार्थ शंकर, प्रो एच के वर्मा सहित कई गणमान्य मौजूद थे.

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