छपरा में बास्केटबॉल खेलने वाले ही ढंग से फेंक सकेंगे कचड़ा ! नही तो…
Chhapra: अगर आप बास्केटबॉल के अच्छे प्लेयर है, या फिर थोड़ी बहुत प्रैक्टिस है तभी आप अपने घर का कचड़ा फेंक सकते है. यह बातें आपको पढ़ने में थोड़ा विचलित कर सकती है लेकिन यह हम नहीं बल्कि छपरा नगर निगम की कारगुजारी को देख आम लोग कह रहे है. छपरा नगर निगम जनता के टैक्स के टैक्स के पैसे का सदुपयोग कर रहा है या फिर दुरुपयोग इस पर निगम के पदाधिकारी ही अपनी राय दे सकते है. बाकी जो शहर का हाल बेहाल है.
शहर के अतिव्यस्ततम चौक जिसे मौना चौक कहा जाता है विगत कई दिनों से पत्थर बाजार के मुहाने पर डस्टबिन रखी गई है. निश्चित तौर पर शहर के स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से रखे गए इस डस्टबिन को देखकर लोग अमूमन निगम के कर्मचारियों की कारगुजारी पर हंसी आती है.
पत्थर बाजार के मुहाने पर दो डस्टबिन रखा गया है. हद तो तब है जब एक डस्टबिन के उपर एक और डस्टबिन रख दिया गया. एक के उपर एक डस्टबिन रखने से दूसरे डस्टबिन की ऊंचाई लगभग 8 फीट से उपर है जो बास्केटबॉल बॉल के बास्केट की हाइट के करीब करीब बराबर है. ऐसे में इस डस्टबीन में कचड़ा वही लोग डाल सकते है जो या तो बास्केटबॉल प्लेयर है या फिर उसको खेलना जानते हो. लिहाजा कचड़ा डस्टबिन में फेंकने को बजाय लोग सड़क पर ही फेंक रहे है.
वही नीचे रखा डस्टबिन नकारा बन गया. इस रास्ते से आम से लेकर खास गुजरते है. सुबह या शाम निगम के कर्मियों का आना जाना, साफ सफाई, वार्ड पार्षद के अलावे हजारों लोग प्रतिदिन आते है जिनका सरोकार निगम से है. लेकिन इस लचर व्यवस्था पर किसी का ध्यान नहीं जाता.
शहर में रहने वाले लोग पूरे दिन गर्मी, बरसात तथा ठंडी में कमाई कर छपरा नगर निगम को टैक्स देते है. लेकिन मेयर, डिप्टी मेयर से लेकर वार्ड पार्षद के साथ साथ निगम के पदाधिकारी और कर्मचारियों की इस लापरवाही से जनता के टैक्स के पैसों का दुरुपयोग हो रहा है.
शहर में डस्टबिन लगाना निगम के लिए कोई नई बात नही है. विगत वर्ष भी डस्टबिन खरीदे गए, लगाए गए और फिर धीरे धीरे सड़कों से गायब हो गए. निगम द्वारा कितने डस्टबिन खरीदे जाते है इसका पता भले ही निगम को हो लेकिन शहर में कितने डस्टबिन कहा कहा लगे है, उनकी सफाई भी होती है या नही, क्या रखे गए स्थान पर डस्टबिन है या नही, टूट गया या गायब हो गया इसका पता निगम को नहीं है. बहरहाल छपरा नगर निगम साफ सफाई को लेकर काफी चुस्त दुरुस्त है. सफाई के नाम पर एक दिन में करीब डेढ़ लाख रुपए खर्च किए जा रहे है. डेढ़ लाख रुपए में सफाई कहा हो रही यह निगम को दिखता है आम जनता सिर्फ सड़क पर कचड़ा ही देखती है. लेकिन आप शहर को साफ बनाने में निगम की मदद करें, समय पर टैक्स जमा करें जिससे कि संसाधन खरीदे जा सकें और उन्हें सड़क पर नमूना बनाकर छोड़ दिया जा सकें.