फेयर एण्ड लवली

बजट सत्र में संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री पर तंज कसते हुए फेयर एण्ड लवली के जुमले का प्रयोग किया. संदर्भ काला धन का मुद्दा है. दरअसल 2014 के आम चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी ने यह कहा था कि हम देश के बाहर रखे कालेधन को वापस लाएंगे. और उस दौरान यह भी कहा था कि विदेशों में इतना कालाधन पड़ा है कि अगर उसे देश में लाया जाए तो हर किसी के खाते में 15 लाख जमा हो जाएंगे.

अब गौर करने वाली बात है कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि मैं ऐसा करूंगा ही. हां यह जरूर कहा था कि कालाधन रखने वालों को जेल के सलाखों के पीछे भेजा जाएगा.
यह तथ्य है कि कालाधन पर सरकार ने थोड़ा सुस्ती से काम किया है. जिससे विरोधियों को हमला करने का अवसर मिला है. वैसे कालाधन पर हर सरकार कुछ ना कुछ स्किम लेकर आती रही है. पी चिदम्बरम ने पहले कई बार इस तरह की योजनाएं ला चुके हैं. जानकारों का भी मानना है कि काला धन निकालने का यही बेहतर विकल्प है. खैर, चूंकि सूट-बूट की सरकार वाले जुमले को वित्त मंत्री ने इस बजट में धोने का काम किया तो राहुल गांधी फेयर एण्ड लवली का जुमला लेकर आए हैं.

सवाल उठता है कि क्या देश में महज जुमलों की राजनीति होगी. जनता अब जुमलों से तंग आ चुकी है. उसे जमीन पर कुछ होता हुआ दिखना चाहिए. अभी तक पक्ष और विपक्ष दोनों में कालाधन के मामले में गंभीरता नजर नहीं आई है. इस संदर्भ में वित्त मंत्री ने एक सार्थक कदम उठाया है, जो स्वागत योग्य है. पर देखना यह है कि इसका वास्तव में कितना असर होता है और कितना कालाधन बाहर आता है. कालाधन किसी भी अर्थव्यवस्था को दीमक की तरह खोखला बना देता है. यही नहीं इनका उपयोग देश विरोधी गतिविधियों में भी होता है. इसलिए कलाधन के खिलाफ सभी को मिल कर काम करना चाहिए.

RAVI NARAYAN PANDEY

रवि नारायण पाण्डेय
Editor-at-Large

0Shares
A valid URL was not provided.