पूरे विश्व में साल में दो दिन 21 मार्च और 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। लेकिन 1970 से हर वर्ष 22 अप्रैल को मनाए जाने वाले विश्व पृथ्वी दिवस का सामाजिक और राजनैतिक महत्व है। 1969 में कैलिफोर्निया के सांता बारबरा में तेल रिसाव हुआ जिससे भारी तबाही हुई। भीषण जन-धन की हानि भी हुई। इस तबाही के दौरान दस हजार से भी ज्यादा समुद्री मछली, डॉलफिन, सील इत्यादि मौत के गाल में समा गए । इससे अमेरिकी सासंद गेलार्ड नेल्सन बेहद दुखी हुए और उन्होंने पर्यावरण को लेकर कुछ करने का फैसला किया।

1970 में इस दिन लगभग दो करोड़ अमेरिकी लोगों ने पृथ्वी दिवस के पहले आयोजन में भाग लिया जिसमें समाज के हर वर्ग और क्षेत्र के हजारों लोग शामिल हुए । इस प्रकार यह आंदोलन आधुनिक समय के सबसे बड़े पर्यावरण आंदोलन में बदल गया। उसके बाद समय-समय पर

कुछ पर्यावरण प्रेमी, प्रबुद्ध समाज, स्वैच्छिक संगठन समुद्र में तेल फैलने की घटनाओं को रोकने , नदियों में उद्योगों के रसायन युक्त विषैला गंदा पानी डालने वाली कम्पनियों को रोकने, जहरीला कूड़ा इधर उधर फैंकने और जंगलों को निर्ममता पूर्वक काटने वाली आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए प्रदर्शन किये जाते रहे हैं और आज भी करते हैं जो कि मौजूदा दौर में नाकाफी प्रतीत होते हैं।

यहां इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पृथ्वी दिवस को लेकर देश और दुनिया में जागरूकता का भारी अभाव है।

सामाजिक और राजनीतिक दोनों ही स्तर पर इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। बस औपचारिकताएं पूरी कर अपने कर्तव्य की सरकारें इतिश्री कर शांत बैठ जाती हैं। हां यह सच है कग कुछ ही पर्यावरण प्रेमी अपने दायित्व को समझते हुए निजी स्तर पर कोशिश अवश्य करते रहे हैं किन्तु यह विषय किसी एक व्यक्ति, संस्था या समाज की चिंता तक सीमित नहीं होना चाहिए। सभी को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इसमें कुछ न कुछ सहयोग कहें या भागीदारी अवश्य करनी होगी। असलियत यह है कि पृथ्वी को बचाने के लिए जन संकल्प की बेहद जरुरत है। यह समय की मांग है। पृथ्वी को बचाने के लिए जन संकल्प का अर्थ है कि सभी को इस दिशा में पहल करने की आवश्यकता है। इसके लिए किसी एक दिन को ही माध्यम बनाया जाए, यह उचित नहीं है। पृथ्वी बहुत व्यापक शब्द है, वह हमारा आधार है जिसमें जल, हरियाली, वन्य प्राणी सहित बहुतेरे अन्य कारक भी हैं।

हमारी पृथ्वी एक मात्र ऐसा ग्रह है जहां जीवन संभव है। पृथ्वी पर जीवन को बचाए रखने लिए पृथ्वी की प्राकृतिक संपत्ति को बनाए रखना बहुत ज़रूरी है। लेकिन इंसान धरती के संसाधनों का निर्दयतापूर्वक इस्तेमाल कर रहा है। यह बेहद दुखद है और चिंतनीय भी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ओजोन परत में क्षरण है जो हमें सूर्य की घातक किरणों से बचाता है। वायु गुणवत्ता सूचकांक अक्सर खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। भूजल का दूषित होना आज की कटु वास्तविकता है। भूजल का स्तर दिन ब दिन घटता चला जा रहा है। वैश्विक तापमान में वृद्ध और जलवायु परिवर्तन का दुष्परिणाम समुद्री जल स्तर के बढ़ने के रूप में सामने आ रहा है। वाहन और उद्योग भी वायु प्रदूषण में महती भूमिका निबाह रहे हैं। प्लास्टिक कचरा पूरे पारिस्थितिक तंत्र को अवरूद्ध कर रहा है और लैंडफिल शहरों के क्षितिज में छा रहे हैं। नतीजन सांस, फेफडे़, लिवर, आंत आदि घातक बीमारियों के कारण बन रहे हैं।

पर्यावरण प्रदूषण इस गिरावट का संकेत ही नहीं दे रहा है बल्कि जीता जागता सबूत है जो मानव जीवन के लिए भीषण खतरा बन चुका है। बार – बार बाढ़, सूखा अप्रत्याशित मौसम चक्र में बदलाब,फसल चक्र में बदलाव , तटीय क्षेत्रों का पीछे हटना ऐसे ही कुछ बदलाव हैं जो मानव जाति के अस्तित्व पर मंडरा रहे हैं। कई दशकों से हो रही पर्यावरण से अनवरत छेड़ छाड़ अंततः पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के समक्ष खतरा पैदा कर रहा है जिसमें हम जी रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण वायुमंडल लगातार गर्म हो रहा है और इसके चलते ही अंटार्टिका के साथ ग्रीन लैंड में भी मौजूद बर्फ की चादर तेजी से पिघल रही है। अनुमान है कि 2050 तक अधिकांश ग्लेशियर खत्म हो जाएंगे। इसमें हिमालय के छोटे-बडे़ ग्लेशियर भी शामिल हैं। इसलिए अब हमे चेत जाना होगा। क्योंकि अब समय नहीं बचा है। दुखद बात तो यह है कि अब भी हमारे कार्य- व्यवहार पर यथा स्थितिवाद हावी दिख रहा है। जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारक प्रदूषण के मुददे पर अभी भी उसके अपेक्षित नतीजे नहीं सामने दिख रहे हैं। इस मामले में नीति निर्धारकों ने गम्भीरता तो दिखाई लेकिन उसके अपेक्षित नतीजे अभीतक सामने नही आये हैं। इसका कारण समाज में जागरूकता की बेहद कमी है। कुछ लोगों ने इस दिशा में पहल की है लेकिन वह नाकाफी है। यदि प्राकृतिक संपदा और पर्यावरण सरंक्षण के प्रति हमारी उदासीनता दूर नहीं हुई तो आने वाला समय बेहद भयावह होगा, जिसकी भरपायी असंभव होगी। दरअसल आजकल सरकारों का जोर लोक लुभावन नीतियों पर है, जीवन के आधार पर्यावरण संरक्षण पर नहीं। यही चिंता की असली वजह है। जरूरत है सरकार को विकास के साथ – साथ प्रकृति को सहेजने वाली नीतियां बनाने की। अब समय आ गया है कि हमें बुनियादी बातों को समझना होगा कि पर्यावरण सरंक्षण केवल शासन- प्रशासन का काम नहीं है,इसमें हर व्यक्ति का योगदान जरूरी है।

युवाओं में पृथ्वी बचाओ से संबंधित जागरूकता को बढ़ावा देने के संदर्भ में उनके अध्ययन में यह विषय शामिल करना चाहिए। उन्हें पर्यावरण के बारे में जागरूकता लाने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में आयोजित वृक्षारोपण, बैनर बनाने, नारे लिखने, निर्धारित विषय पर आधारित नाट्य -प्रदर्शन व प्रतियोगिताओं आदि मे भाग लेना चाहिए।

पृथ्वी दिवस को हम कई प्रकार से मना सकते हैं। पौधारोपण,भूमि और जल प्रदूषण को टालने के लिए प्लास्टिक थैलों के इस्तेमाल मे कमी लाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना, सड़क, पार्क और दूसरी सार्वजनिक जगहों पर उन्हें गंदगी हटाने के लिए भी प्रोत्साहित करना चाहिए। विभिन्न उपलब्ध व्यवहारिक संसाधनों के द्वारा ऊर्जा सरंक्षण के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए। लोगों को शिक्षा देनी चाहिए कि पृथ्वी को हम हर पल भोगते हैं, इसलिए हमारे लिए हर दिन पृथ्वी दिवस है। इसलिये हर दिन उन्हें धरती का ख्याल रखना चाहिए। लोगों को पृथ्वी की सुरक्षा से संबंधित गतिविधियों के बारे में दिनों दिन बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग और दूसरी पर्यावरणीय संबंधित तबाही से बचाने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने के लिए मजबूर करना चाहिए।

महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि प्रकृति में इतनी ताकत है कि वह वह प्रत्येक मनुष्य की जरुरत को पूरा कर सकती है लेकिन पृथ्वी कभी भी मनुष्य के ” लालच ” को पूरा नहीं कर सकती है। इसलिए हमें अपनी जीवनशैली बदलते हुए प्रकृति से जुड़ना चाहिए, तभी कुछ बदलाब की उम्मीद की जा सकती है।

लेखक

प्रशांत सिन्हा

(जाने-माने समाज सेवी व पर्यावरण मामलों के जानकार)

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गिरीश्वर मिश्र
आज सामाजिक जीवन की बढ़ती जटिलता और चुनौती को देखते हुए श्रीराम बड़े याद आ रहे हैं, जो प्रजा वत्सल तो थे ही अपने निष्कपट आचरण द्वारा पग-पग पर नैतिकता के मानदंड स्थापित करते चलते थे। सत्य की स्थापना के लिए बड़ी से बड़ी परीक्षा के लिए तैयार रहते थे। लोक का आराधन तथा प्रजा का सुख उनके लिए सर्वोपरि था परन्तु आज राजा और प्रजा दोनों संकट के दौर से गुजर रहे हैं। आज के समाज में रिश्तों में दरार, कर्तव्य से स्खलन, मिथ्यावाद, अन्याय और भेदभाव के साथ नैतिक मानदंडों से विमुखता के मामले जिस तरह बढ़ रहे हैं वह चिंताजनक स्तर पर पहुँच रहा है। विशेष रूप से समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उच्च पदस्थ और संभ्रांत कहे जाने वाले लोगों का आचरण जिस तरह संदेह और विवाद के घेरे में आ रहा है वह भारतीय समाज के लिए घातक साबित हो रहा है।
यह स्थिति इसलिए भी नाजुक हो रही क्योंकि यहाँ ‘महाजनो येन गता: स पन्था:’ का आदर्श मानते हुए सामान्य जनों द्वारा बड़े लोगों का अनुकरण बड़ा स्वाभाविक और उचित माना गया है क्योंकि वे आदर्श माने जाते हैं। यहाँ तो पढ़े लिखे लोग भी देखी-देखा पाप-पुण्य करते हैं। इसीलिए शायद उपनिषद् में गुरु-शिष्य को ‘आचार्य देवो भव’ का उपदेश देते हुए यह हिदायत भी देता चलता था कि ‘ सिर्फ हमारे अच्छे कार्यों को ही अपनाओ, बाकी को नहीं।’ परन्तु आज नैतिकता हाशिये पर धकेली जा रही है और माननीय लोगों के (सामाजिक !) जीवन की वरीयताएं भी निजी और क्षुद्र स्वार्थ के इर्द-गिर्द ही मडराती दिखती हैं। न्याय की पेचीदा व्यवस्था में इतने पेंच होते हैं कि अपराधी को खूब अवसर मिलते हैं और न्याय होने में अधिक विलम्ब होता है। इसी तरह आपसी सौहार्द और सहिष्णुता की जगह अनर्गल आरोप-प्रत्यारोप की झड़ी विकारग्रस्त मानसिकता को व्यक्त करती है। दुर्भाग्य से टीवी और सोशल मीडिया में ऐसे माहौल को सतत बढ़ावा मिल रहा है वह भी तीव्र वेग से। सूचना, तथ्य, सत्य, असत्य, मिथ्या, भ्रान्ति, और प्रवाद आदि के बीच की सीमा रेखाएं टूटती जा रही हैं। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की कृपा से आज इनमें से कुछ भी कभी भी ‘वायरल’ हो सकता है। इस अशांत परिवेश में विश्रान्ति की प्राप्ति दूभर हो रही है। ऐसे में श्रीराम की कथा मंगल करने वाली और कलिमल को हरने वाली है: मंगल करनि कलिमल हरनि तुलसी कथा रघुनाथ की।
धरती पर भगवान के अवतार का अवसर सृष्टि-क्रम में आई विसंगति और असंतुलन को दूर करने के लिए पैदा होता है। रामावतार भी इसी पृष्ठभूमि में ग्रहण किया जाता है जो अंतत: राक्षस राज रावण के विनाश और राम राज्य की स्थापना को रूपायित करता है। राम को अनेक तरह से देखा जाता है और बहस चलती रहती है कि वे इतिहास पुरुष हैं या ईश्वर हैं, सगुण हैं या निर्गुण हैं। पर जो राम सबके मन में बसे हैं और जिस राम नाम को भजना बहुतों के लिए श्वास-प्रश्वास तुल्य है उनको प्रति वर्ष चैत महीने की नवमी को जीवन में उतार कर लोग कृत कृत्य होते हैं। राम का स्मरण भारतीय इतिहास, काव्य, कला, संगीत आदि में जीवित हो और संस्कृति का अभिन्न अंग बन चुका है। राम का रस अनपढ़, गंवार, सुशिक्षित सभी को भिगोता रहता है।
हमारे सामने राम को उत्कृष्ट जीवन में अपेक्षित सात्विक प्रवृत्तियों के पुंज के रूप में वाल्मीकि रामायण, गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस और देश की लगभग सभी भाषाओं में उपलब्ध विभिन्न राम कथाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। इनका गायन और लीला का मंचन भी शहर, कस्बा और गाँवों में होता रहता है। कई कथा वाचकों ने रामकथा के विशिष्ट रूप भी विकसित किए हैं जिनको सुनकर लोग भाव विभोर हो जाते हैं। प्रजा वत्सल राम सबको आश्वासन देते हैं और सबके लिए सुलभ हैं। रामकथा इतने व्यापक वितान में संयोजित है कि जीवन के रिश्तों में आने वाले हर किस्म के उतार-चढ़ाव, हर्ष-विषाद, मिलन-विछोह, द्वंद्व-सहयोग और घृणा-प्रीति जैसी का शंका समाधान की शैली में प्रस्तुति सभी के लिए ग्राह्य है।
रामकथा ने जन मानस में सुशासन की एक झांकी बैठा दी है जिसमें राजा के चरित्र और चर्या का एक आदर्श रूप गढ़ा गया है। श्रीराम का यह आदर्श राज्य राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी भा गया था। नैतिकता और धर्म की प्रधानता ने उनको बड़ा प्रभावित किया था। राम राज्य का स्वप्न जिन मूल्यों पर टिका हुआ है उनमें सत्य, शील, विवेक, दया, समता, वैराग्य संतोष, दान , अहिंसा, विवेक, क्षमा, बल, बुद्धि, शौर्य और धैर्य के मूल्य प्रमुख हैं। इन्हीं से धर्म रथ बनता है। तभी दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से छुटकारा मिलता है। राम राज्य में सभी परस्पर प्रेम भाव से रहते हैं और स्वधर्म का आचरण करते हैं : सब नर करहिं परस्पर प्रीति चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति।
श्रीराम इस सुशासन के लिए लम्बी साधना और कठोर दीक्षा से गुजरे थे। वन में भटके थे, अति सामान्य कोल किरात, निषाद, वानर आदि के सुख दुःख के सहभागी हुए और जाने कितने तरह की पीड़ाओं को झेला। वे प्रतापी पान्तु अहंकारी और विवेकहीन रावण को परास्त करते हैं। राम देश काल और समाज से जुड़ते चलते हैं और कर्म के जीवन को प्रतिष्ठापित करते हैं। मनुष्य का जन्म दुर्लभ है जो ‘साधन धाम मोच्छ कर द्वारा’ है।
महात्मा गांधी ने स्वराज, सर्वोदय, समता, समानता वाले जिस भारतीय समाज का स्वप्न देखा था उसके लिए प्रेरणा ही नहीं आधार रूप में उन्होंने सत्य रूपी ईश्वर को प्रतिष्ठित किया था और राम नाम उनके जीवन का अभिन्न अंग बना रहा। राम धुन उनकी दैनिक प्रार्थना में सम्मिलित था। अधर्म, पाप, अनीति के विरुद्ध वे सदैव खड़े रहे। उनके राम परमेष्ठी थे, शाश्वत और सार्व भौम। राम सगुण निर्गुण सभी रूपों में सबके लिए हैं, उपलब्ध हैं और सर्वव्यापी होने से उनकी उपस्थिति की अनुभूति के लिए आस्था चाहिए। करुणासागर और दीनबंधु श्रीराम का ध्यान और विचार का आशय है नैतिकता के बोध का विकास। आज के बेहद कठिन होते समय में राम का स्मरण निश्चय ही मंगलकारी होगा।
(लेखक, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विवि, वर्धा के पूर्व कुलपति हैं।)

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डॉ. अजय खेमरिया
राम मानवता की सबसे बड़ी निधि है। वे संसार में अद्वितीय प्रेरणापुंज है। वे शाश्वत धरोहर है मानवीय सभ्यता, संस्कृति और लोकजीवन के। राम जीवन के ऐसे आदर्श हैं जो हर युग में सामयिकता के ज्वलन्त सूर्य की तरह प्रदीप्त है। मर्यादा, शील, संयम, त्याग, लोकतंत्र, राजनय, सामरिक शास्त्र, वैश्विक जबाबदेही, सामाजिक लोकाचार, परिवार प्रबोधन, आदर्श राज्य और राजनीति से लेकर करारोपण तक लोकजीवन के हर पक्ष हमें राम के चरित्र में प्रतिबिंबित और प्रतिध्वनित होते हैं। हमें बस राम की व्याप्ति को समझने की आवश्यकता है।
गोस्वामी तुलसीदास ने राम के चरित्र सन्देश की व्याप्ति को स्थाई बनाने का भागीरथी काम किया है। वैसे तो दुनिया में बीसियों रामायण प्रचलित हैं लेकिन लोकभाषा में राम को घर-घर पहुंचाने का काम तुलसीकृत रामचरितमानस ने ही किया है। वस्तुतः राम तो मानवता के सर्वोच्च और सर्वोत्तम आदर्श है। उन्हें विष्णु के सर्वश्रेष्ठ अवतारों में एक कहा जाता है। तुलसी ने राम के दोनों अक्षर ‘रा’और ‘ म ‘ की तुलना ताली से निकलने वाले ध्वनि सन्देश से की है। जो हमें जीवन के सभी संदेह से दूर ले जाकर मर्यादा और शील के प्रति आस्थावान बनाता है। राम उत्तर से दक्षिण सब दिशाओं में समान रूप से समाज के उर्जापुंज है। राम सभी दृष्टियों से परिपूर्ण पुरुष हैं उन्होंने अपने जीवन में जो सांसारिक लीला की है, काल की हर मांग को सामयिकता का धरातल देता है। एक पुत्र का पिता के प्रति आज्ञा और आदरभाव, भाइयों के प्रति समभाव, पति के रूप में निष्ठावान अनुरागी चरित्र, प्रजापालक, दुष्टसंहारक अपराजेय योद्धा, मित्र, आदर्श राजा, लोकनीति और राजनीति के अधिष्ठाता से लेकर आज के आधुनिक जीवन की हर परिघटना और समस्या के आदर्श निदान के लिए राम के सिवाय कोई दूसरा विकल्प हमें नजर नहीं आता है। राम ने सत्ता के लिए साधन और साध्य की जो मिसाल प्रस्तुत की है वह आज भी अपेक्षित है।
नए समाज के नए समाज शास्त्री राम को केवल एक अवतारी पुरुष के रूप में विश्लेषित कर उनकी व्याप्ति को कमजोर साबित करना चाहते हैं। खासकर वामपंथी वर्ग के बुद्धिजीवी राम की आलोचना नारीवाद, दलित और सवर्ण सत्ता को आधार बनाकर करते हैं। सच्चाई तो यह है कि राम को सीमित करने के लिए नियोजित और कुत्सित मानसिकता के दिमाग पिछले कुछ समय से ज्यादा सक्रिय हैं। वे तुलसीकृत मानस की कतिपय चौपाई और दोहों की व्याख्या अपने नियोजित एजेंडे के अनुरूप ही करते आये हैं। पहले तो राम के अस्तित्व को ही नकारा जाता है। यूपीए की सरकार ने तो सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा तक देकर उनकी काल्पनिकता को प्रमाणित करने से परहेज नहीं किया। यह अलग बात है कि उसी सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम के अस्तित्व को अधिमान्य कर रामद्रोहीयों पर एक वज्रापात किया है।
असल में राम भारत की चेतना का शाश्वत आधार हैं। ठीक वैसे ही जैसे दही में नवनीत समाहित है। जिस अंतिम छोर तक राम लोगों को प्रेरित करते है वही राम की वास्तविक अक्षुण्य शक्ति भी है।राम के चरित्र को नारी और दलित विरोधी बताने का षडयंत्र हमारे सामने जिन कुतर्क औऱ प्रायोजित मानसिकता से किया जाता है उसे समझने की आवश्यकता है। नए एकेडेमिक्स में यह कहा जाता है कि राम एक असफल इंसान थे क्योंकि उन्होंने कभी पति धर्म का निर्वाह किया। एक अच्छे अविभावक नहीं थे। राम ने धोखे से दलित हत्या की। लेकिन हमें यह भी जानना चाहिये कि राम ने पति के रूप में एक उच्च आदर्श की स्थापना की है। सीता को मिथिला से अयोध्या लाकर राम ने पहला वचन यही दिया था कि वे जीवन भर एकपत्नी व्रत का पालन करेंगे। जिस सूर्यवंश में राम पैदा हुए वहां के राजा बहुपत्नी वाले हुए। राजा दशरथ की स्वयं तीन रानियां थी लेकिन राम ने इस प्रथा को त्याग कर एक श्रेष्ठ पति के रूप में अपने दाम्पत्य की नींव रखी। राम राजीवलोचन थे, अप्रितम सौंदर्य और यौवन के स्वामी थे। रावण सीताजी का हरण करके ले गया। राजकुमार राम चाहते तो किसी भी राज्य की राजकुमारी से विवाह रचा सकते थे लेकिन वह अपने पति धर्म के निर्वाह में सीताजी की खोज में उत्तर से हजारों किलोमीटर दूर लंका तक जाते हैं। वह इस संकट भरी यात्रा से बच भी सकते थे।
राम के साथ नारीवादी एक धोबी के कहने पर परित्याग को लांछित करते हैं लेकिन यह भी तथ्य है कि रामायण में उत्तर कांड की प्रमाणिकता असन्दिग्ध नहीं है। बाल्मीकि रामायण रावण वध के बाद समाप्त हो जाती है। तुलसीकृत मानस की मूल पांडुलिपि का दावा भी कोई नहीं कर सकता है। जाहिर है अग्निपरीक्षा का प्रसंग मिथक और आलोचना के उद्देश्यों से स्थापित किया गया है। एकबार अगर इसे सच भी मान लिया जाए तो इस मिथ का प्रयोग आज के शासकों की सत्यनिष्ठा उनके पारदर्शी जीवन और जनविश्वास के साथ क्यों स्थापित नहीं किया जा सकता है?
मौजूदा सियासत का सर्वाधिक सुविधाजनक शब्द है “दलित आदिवासी”। इस वर्ग की जन्मजात प्रतिभा प्रकटीकरण के प्रथम अधिष्ठाता राम ही हैं। अवध नरेश का राज पूरे भारत तक फैला था वह अगर चाहते तो अपनी शाही सेना के साथ भी रावण से युद्ध कर सकते थे। दूसरे राजाओं से भी सहायता ले सकते थे। लेकिन राम ने वनवासियों के साथ उनकी अंतर्निहित सामरिक शक्ति के साथ रावण और दुसरे असुरों से संघर्ष करना पसन्द किया। वनवासियों, दलितों के साथ पहली शाही सेना बनाने का श्रेय भी हम राम को दे सकते हैं। राम के मन में ऊंच-नीच का भाव होता तो क्यों केवट, निषाद, सबरी, वनवासी सुग्रीव और हनुमान के साथ खुद को इतनी आत्मीयता से संयुक्त करते। असल में वनवासी राम तो लोकचेतना का पुनर्जागरण करने वाले प्रथम प्रतिनिधि भी हैं। गांधीजी ने राम के इस मंत्र को स्वाधीनता आंदोलन का आधार बनाकर ही गोरी हुकूमत को घुटनो पर लाने में सफलता हासिल की थी। राम वंचितों, दलितों, सताए हुए लोगों के प्रथम संरक्षक भी हैं। वे उनमें स्वाभिमान और संभावनाओं के पैगम्बर भी हैं। इसलिए दलित चिंतन की धारा को यह समझना होगा कि राम पर विरोधी होने का आरोप मनगढ़ंत ही है।
राम की चिर कालिक व्याप्ति आज के जिनेवा कन्वेंशन और तमाम अंतरराष्ट्रीय सन्धियों, घोषणाओं में नजर आती है। राम के दूत बनकर गए अंगद को जब बन्दी बनाकर रावण के दरबार में लाया गया तब विभीषण ने यह कहकर राजनयिक सिद्धांत का प्रतिपादन किया- ‘नीति विरोध न मारिये दूता।”
आज पूरी दुनिया में राजनयिक सिद्धान्त इसी नीति पर खड़े हैं। जिस लोककल्याणकारी राज्य का शोर हम सुनते हैं उसकी अवधारणा भी हमें राम ने ही दी है। वंचित, शोषित, वास्तविक जरूरतमंद के साथ सत्ता का खड़ा होना रामराज की बुनियाद है। वह राज्य में अमीरों से ज्यादा टैक्स वसूलने और गरीबों को मदद की अर्थनीति का प्रतिपादन करते है। आज की सरकारें भी यही कहती हैं। राम आज चीन और अमेरिका की नव साम्राज्यवादी नीतियों के लिए भी नैतिक आदर्श हैं।  राम ने बाली को मारकर उसका राज पाट नहीं भोगा। इसी तरह तत्सम के सबसे प्रतापी अनार्य राजा रावण के वध के बाद सारा राजपाट विभीषण को सौंप दिया। वह चाहते तो किष्किंधा और लंका दोनों को अयोध्या के उपनिवेश बना सकते थे। साम्रज्यवाद की घिनौनी मानसिकता के विरुद्ध भी राम ने एक सुस्पष्ट सन्देश दिया है।
राम भारत के सांस्कृतिक एकीकरण के अग्रदूत भी है। उत्तर से दक्षिण तक उन्होंने जिस आर्य संस्कृति की पताका स्थापित की वह सेना या नाकेबंदी के दम पर नहीं बल्कि अनार्यों के सहयोग से उनका दिल जीतकर उन्हीं के बल और सदिच्छा जाग्रत कर। राम अकेले ऐसे राजा हैं जो विस्तारवाद, साम्राज्यवाद और नस्लवाद को नीति और नैतिकता के धरातल पर खारिज करते हैं। ध्यान से देखें तो आज के सभी वैश्विक संकट राम पथ से विचलन का नतीजा ही है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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सियाराम पांडेय ‘शांत’
यूं तो हम 1 जनवरी से नया साल मानते हैं लेकिन हिंदू नववर्ष यानी विक्रम संवत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होता है। इसबार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 13 अप्रैल को पड़ रही है। ब्रह्म पुराण में वर्णित है कि ब्रह्मा जी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि रचना आरंभ की थी। सतयुग का प्रारम्भ इसी तिथि से हुआ था। सृष्टि का कालचक्र इसी दिन से शुरू हुआ था इसीलिए इसे सृष्टि का प्रथम दिन माना जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था। धर्मराज युधिष्ठिर इसी दिन राजा बने थे और उन्होंने युगाब्द (युधिष्ठिर संवत) का आरंभ इसी तिथि से किया था। मां दुर्गा की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्र भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही प्रारंभ होता है। उज्जयिनी नरेश सम्राट विक्रमादित्य ने भी विक्रम संवत् का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही किया था। महर्षि दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना भी इसी दिन की थी। इस नाते भी हम भारतीयों का नया साल चैत्र प्रतिपदा से ही शुरू होता है न कि एक जनवरी से।

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार 13 अप्रैल 2021 को विक्रम संवत 2078 और नवरात्र का शुभारंभ हो रहा है। साल में जिस तरह 12 मास होते हैं, उसी तरह 60 संवत्सर होते हैं। आंग्ल पंचांग में केवल सन बदलते हैं। वहां अधिमास नहीं होता लेकिन हिंदू पंचांग में हर वर्ष के अलग-अलग नाम और प्रभाव होते हैं। उनका अपना अधिपति देवता भी होता है। उसमें अधिमास भी होता है। 60 संवत्सरों के नाम प्रभव, विभव, शुक्ल, प्रमोद, प्रजापति, अंगिरा, श्रीमुख, भाव, युवा, धाता, ईश्वर, बहुधान्य, प्रमाथी, विक्रम, वृषप्रजा, चित्रभानु, सुभानु, तारण, पार्थिव, अव्यय, सर्वजीत, सर्वधारी, विरोधी, विकृति, खर, नंदन, विजय, जय, मन्मथ, दुर्मुख, हेमलम्बी, विलम्बी, विकारी, शार्वरी, प्लव, शुभकृत, शोभकृत, क्रोधी, विश्वावसु, पराभव, प्ल्वंग, कीलक, सौम्य, साधारण, विरोधकृत, परिधावी, प्रमादी, आनंद, राक्षस, नल, पिंगल, काल, सिद्धार्थ, रौद्रि, दुर्मति, दुन्दुभी, रूधिरोद्गारी, रक्ताक्षी, क्रोधन और अक्षय बताए गए हैं।

वर्तमान में प्रमादी नामक संवत्सर चल रहा है। आंग्ल वर्ष 2021 के मान से 13 अप्रैल को विक्रम संवत 2078 से आनन्द नाम का संवत्सर शुरू होगा। इस संवत्सर में जनता में खुशहाली होगी। इस संवत के राजा, मंत्री और वर्षा के अधिपति मंगल हैं। मंगल दंगल भी कराते हैं और मंगल भी करते हैं। इस संवत की ग्रह परिषद में छह पद क्रूर ग्रहों और 4 पद सौम्य ग्रहों के पास हैं। अमावस्या और नव संवत्सर के दिन सूर्य और चंद्रमा मीन राशि में एक ही अंश पर होना ज्योतिषीय लिहाज से पूरी दुनिया के लिए बेहद सुखद संयोग है। मंगल युद्ध और विद्रोह के देवता हैं। हिंसा, दुर्घटना, भूकंप, उपद्रव, सामाजिक और राजैनतिक अस्थिरता के कारक ग्रह हैं। ऐसे में इस साल आंधी-तूफान का भी जोर रहेगा। मंगल अग्नि और बल के प्रतीक हैं। माना जा सकता है कि नव संवत्सर दुनिया में नवोत्साह और नव ऊर्जा भरेगा। अवरोध आएंगे लेकिन प्रभावहीन रहेंगे।

नव संवत्सर का नाम इसबार राक्षस बताया गया है। ऐसे में इस वर्ष तामस प्रवृत्तियों की अधिकता देखने को मिल सकती है। तकरीबन 90 वर्ष बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब संवत 2078 राक्षस नाम से जाना जाएगा जबकि संवत्सर के क्रमानुसार नाम की गणना में प्रमादी संवत्सर के बाद आनंद और उसके बाद राक्षस संवत्सर आता है। निर्णय सिंधु के मुताबिक, 89 वर्ष का प्रमादी संवत्सर अपना पूरा वर्ष व्यतीत नहीं कर रहा। इस कारण 90 वें वर्ष में पड़ने वाला संवत्सर विलुप्त नाम वाला होगा। उसके नाम आनंद का उच्चारण नहीं किया जाएगा। इस निर्णय के अनुसार वर्तमान प्रमादी संवत 2077 फाल्गुन मास तक रहेगा जो 28 फरवरी 2021 से लेकर 28 मार्च 2021 तक रहेगा। इसके आनंद नाम का विलुप्त संवत्सर पूर्ण वत्सरी अमावस्या तक रहेगा जबकि आगामी संवत्सर संवत 2078 जो राक्षस नाम का होगा वह चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होगा।

शास्त्रों में हर ऋतु चक्र को वत्स कहा गया है। सूर्य को इनका पिता माना गया है। इसी वत्स से वत्सर या संवत्सर नाम पड़ा है। सूर्य के संबंध से संवत्सर, बृहस्पति के संबंध से परिवत्सर एवं सावन के संबंध से ईडा वत्सर, चंद्र के संबंध से अनुवत्सर, नक्षत्र के संबंध से वत्सर कहा गया है। अधिकतर संवत्सरों को उसके प्रवर्तकों द्वारा अपनी उपलब्धियों को प्रकाश की तरह श्रेष्ठ दिखाने के लिए शुक्ल प्रतिपदा को प्रारंभ किया गया।
इसमें शक नहीं कि पश्चिमी देश लंबे समय तक सुव्यवस्थित और वैज्ञानिक संवत्सर का निर्माण नहीं कर सके। इसकी वजह लंबे समय तक उन्हें संख्या का ज्ञान न होना भी हो सकता है। भारतीय नववर्ष हमेशा 12 माह का रहा। चांद्रमास के नाम चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ तथा फाल्गुन बताए गए हैं। वैदिक युग में इसे मधु, माधव, शुक्र, शुचि, नभ, नमस्य, इष, ऊर्ज, सह, सहस्य, तप और तपस्या के नाम से जाना जाता था। यह सभी माह ऋतु आधारित थे। यह भी सच है कि नक्षत्र हमारे आकाश मंडल के मील के पत्थरों की तरह हैं जिससे आकाश की व्यापकता का पता चलता है। वैसे नक्षत्र तो 88 हैं किंतु चंद्र पथ पर 27 ही माने गए हैं। चंद्रमा अश्‍विनी से लेकर रेवती तक के नक्षत्र में विचरण करता है, वह काल नक्षत्रमास कहलाता है। यह लगभग 27 दिनों का होता है इसीलिए 27 दिनों का एक नक्षत्रमास कहलाता है।

भारतीय संवत्सर पूरी तरह प्रकृति और विज्ञान पर आधारित है लेकिन पाश्चात्य जगत में प्रकृति और विज्ञान दोनों को किनारे रख दिया गया है। पाश्चात्य जगत में पहले 10 महीने का ही वर्ष होता था। प्रारंभ में उनका वर्ष 304 दिन का ही होता था। 48 ई. में इसे बढ़ाकर 355 दिन का कर दिया गया। राजा इंपोरियम ने वर्ष के महीनों को 10 से बढ़ाकर 12 माह किया और इसमें जनवरी और फरवरी दो नए महीने जोड़े। राजा जूलियस सीजर ने पूर्व में प्रचलित ‘पेटेंबर’ महीने को अपने नाम पर ‘जुलाई’ कर दिया और पहले के शासकों से अपने को बड़ा दिखाने के लिए 31 दिन का महीना निर्धारित किया। रोम के शासक आगस्टक का जन्म छठे मास में हुआ था। इसीलिए पूर्व के महीने ‘हैक्सेंबर’ को अपने नाम पर ‘अगस्त’ कर दिया। 1582 ई. में रोम के पोप ग्रेगरी अष्टम ने पुन: रोम कैलेंडर में सुधार किया। उनसे पहले यहां नववर्ष 25 मार्च को मनाया जाता था। पोप ने 25 मार्च के स्थान पर 1 जनवरी को पहला दिन घोषित किया, जिसका विश्वभर में प्रबल विरोध हुआ। इंग्लैंड तथा अमेरिका के उपनिवेशों में सन 1732 तक नववर्ष 25 मार्च को ही प्रारंभ होता था। ग्रेगेरियन कैलेंडर में दसवां मास दिसंबर अब बारहवां मास बन गया।
भारत में इसे दो प्रकार का माना गया- एक, धरती द्वारा सूर्य की परिक्रमा के आधार पर सौर वर्ष और दूसरा, चंद्रमा द्वारा धरती की 12 परिक्रमा पूर्ण करने के आधार पर चांद्र वर्ष। रोम में पूर्व में चांद्र वर्ष मनाया जाता रहा है। अरब में अब भी चांद्र वर्ष ही चलता है। जबकि पाश्चात्य देशों में सौर वर्ष का प्रचलन है। नवंबर, 1952 में भारत में गठित ‘पंचांग सुधार समिति’ ने 1955 में सौंपी अपनी रपट में विक्रमी संवत् को भी स्वीकार करने की सिफारिश की थी, किंतु तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के आग्रह पर ग्रेगेरियन कैलेंडर को ही राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में स्वीकार किया गया। ग्रेगेरियन कैलेंडर की कालगणना मात्र 2 हजार वर्ष प्राचीन है, जबकि यूनान की कालगणना 1,582 वर्ष, रोम की 2,757 वर्ष, यहूदी 5,768, मिस्र की 28,691, पारसी 1,98,875 तथा चीन की 9,60,02,305 वर्ष पुरानी है। भारतीय कालगणना की बात करें तो ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार पृथ्वी की आयु एक अरब 97 करोड़ 39 लाख 49 हजार 110 वर्ष है जिसके व्यापक प्रमाण उपलब्ध हैं। इस लिहाज से भारतीय काल गणना सबसे पुरानी, वैज्ञानिक और ग्रह-नक्षत्रों की चाल पर आधारित है।

भारतीय विक्रम संवत् प्रकृति में बदलाव, जीवन में नूतनता, शौर्य और विजय का अहसास कराता है। 372 ई. में यह संवत् कृतनाम से जाना जाता था। गुजरात प्रांत को छोड़कर पूरे भारत में यह संवत् चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चलता है। चैत्र शुक्ल पक्ष आरंभ होने के पूर्व ही प्रकृति नववर्ष के आगमन का संदेश देने लगती है। प्रकृति की पुकार, दस्तक, गंध, दर्शन आदि को देखने, सुनने, समझने का प्रयास करें तो हमें लगेगा कि प्रकृति कह रही है कि पुरातन का समापन हो रहा है और नवीन बदलाव आ रहा है।
भारतीय मनीषियों ने इस वैज्ञानिक एवं कालजयी ज्ञान-विज्ञान को लंबे अनुसंधान एवं प्राप्त परिणामों के आधार पर विकसित किया था। लेकिन नई पीढ़ी को अपनी इस श्रेष्ठ परंपरा का ज्ञान ही नहीं है। इसलिए आवश्यक है कि नववर्ष का पहला दिन पूरे भारत में चैत्र शुल्क प्रतिपदा को ही माना जाए और इसी हिसाब से सरकारी कामकाज भी निर्धारित हों। भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्त हुए लंबा समय बीत चुका है। इसके बाद भी हम कबतक गुलामी का दस्तावेजी पंचांग अपने माथे पर लादे फिरेंगे।

(लेखक समाचार एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

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(कबीर अहमद)

समय के साथ सब कुछ बदलता है, वैसे भी परिवर्तन संसार का नियम है. विगत सालों में जो सबसे तेजी से बदलता दिखा है वो है हाथों में किताबों की जगह स्मार्ट फ़ोन्स. जो आंख कभी किताबों के पन्ने पढ़ने पर नींद की आगोश में खो जाती थी अब वो सोशल साइट्स को देखे बगैर पलक भी नही झपकती. वो भी क्या दिन थे जब युवाओं में किताबों को पढ़ने का शौक था. अब गूगल के सहारे ही ज़िन्दगी को बिताना बेहतर लगने लगा है. सवालों के जवाब के लिए किताबों के पन्ने पलटने के बजाय आसानी से गूगल पर सर्च करना बेहतर लगता है.

किताब पढ़ने का क्रेज खत्म होने लगा है. जिस कारण किताब की दुकानो से ज्यादा मोबाइल की दुकाने दिन प्रतिदिन खुलती जा रही है. जो लग्न पहले युवाओं में किताबों को खोजने, पढ़ने और किताबों को सहेज कर रखने में दिखती थी अब वो नदारत है. ऐसा लगता है किताबें अब अलमीरा की शोभा बढ़ाने मात्र रह गई है. लेकिन ऐसा हर जगह नही है. जिन्हें किताब पढ़कर सोने की आदत है वो अब भी बिना किताबों के पन्ने पलटे नही सोते.

डिजिटल क्रांति के इस दौर में हमे ये जरूर समझना चाहिए कि अगर ज्ञान अर्जित करना है तो किताब को अपना मित्र बनाना होगा. किताब एक ऐसा समुन्दर है इसे जो भी अपनाएगा उसकी ज्ञान रूपी प्यास बुझनी ही है.

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(प्रशांत सिन्हा)
हर वर्ष विश्व के लगभग कई देशों में 8 मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देना है. इस वर्ष के लिए अंतराष्ट्रीय महिला दिवस का थीम “women in leadership : Achieving an equal future in Covid 19 world. ( महिला नेतृत्व कोविड 19 की दुनिया में एक समान भविष्य को प्राप्त करना ) रखी गई है. यह थीम महामारी के दौरान स्वास्थ देखभाल, श्रमिकों, स्वास्थ अधिकारी आदि के रूप में दुनिया भर में महिलाओं के योगदान को दर्शाता है.

“अंतराष्ट्रीय महिला दिवस” की शुरूआत वर्ष 1908 में अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में हुए एक महिला मजदूर आंदोलन से हुई थी. हजारों की संख्या में महिलाएं अपने अधिकारों की मांग के लिए सड़कों पर उतरीं थी.

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस को औपचारिक मान्यता वर्ष 1975 में उस वक्त मिली, जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने उसे मनाना शुरू किया.

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस को पहली बार 1996 में एक थीम के तहत मनाया गया था. इस साल संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसकी थीम तय की थी “अतीत का जश्न, भविष्य की योजना “.

आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस एक ऐसा दिन बन गया है जिसमे हम समाज, राजनीति और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में महिलाओं के सशक्तिकरण और तरक्की का जश्न मनाते है.
बहुत से देशों में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश होता है जिसमें रूस भी शामिल है. चीन में बहुत महिलाओं को 8 मार्च को आधे दिन की छुट्टी दी जाती है. इटली में इस दिन को “ला फेस्टा डेला डोना” के नाम से मनाया जाता है.

भारत में भी अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. जश्न के साथ महिला सशक्तिकरण की बात की जाती है. लेकिन भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने लिए बहुत काम करने की जरुरत है. भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी गलत सोच को खत्म करना होगा. जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार इत्यादि.

वैसे महिला सशक्तिकरण के बारे में जानना ज़रूरी है. सशक्तीकरण से तात्पर्य किसी व्यक्ति की उस क्षमता से है जिससे उसमें ये योग्यता आ जाती है जिसमे वह अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय स्वयं ले सके.

इस दिन महिलाओं की संघर्ष और और छोटी बड़ी कामयाबी का जिक्र भी करना ज़रूरी है. अमूमन ऐसा होता है कि महिला सशक्तीकरण का जिक्र छिड़ते ही हमारे जेहन में उन सफल महिलाओं की तस्वीरें उभरने लगती है जो या तो बहुराष्ट्रीय कंपनी की सीईओ या कोई बड़ी सामाजिक कार्यकर्ता या कोई बडा सेलिब्रिटी.

हम क्यों मध्यमवर्गीय महिलाओं की सशक्तीकरण से जोड़कर देखने की आदि नहीं है. क्यों ऐसी महिलाओं के संघर्ष चकाचौंध भरी महिलाओं के नीचे दबकर रह जाते हैं.

आज ऐसी महिला का जिक्र करना चाहता हूँ जिन्होंने महिला सशक्तीकरण की परिभाषा गढ़ी. पटना की श्यामा सिन्हा जो एक राजकीय उच्च कन्या विद्यालय में अध्यापिका, प्राध्यापिका रहीं और शिक्षा के क्षैत्र में अपने 36 वर्ष दिए. वह भी वैसे समय में जब शहर में निजी एवम मिशनरी स्कूल गिने चुने होते थे. अमीर और गरीब सभी छात्र छात्राएं सरकारी विद्यालयों में ही पढ़ा करते थे. उनके द्वारा न जाने कितनी छात्राएं आज डाक्टर, इंजीनियर, अध्यापिका या सरकारी ऑफिसर बनी होंगी. इस कारण वह इतनी लोकप्रिय थीं कि विद्यालय मे पढ़ने वाली छात्राएं जिस मुहल्ले में रहती थीं वहां सभी उन्हें बेशुमार प्यार और इज्जत देते थे. उनकी लोकप्रियता को देखते हुए वहां के सासंद और विधायक प्रत्याशी उनसे उन मुहल्लों में प्रचार करने के लिए आग्रह किया करते थे. किन्तु सरकारी नौकरी की वजह से मना कर दिया करती थीं. इसमें भारत सरकार में रहे पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा जी की पत्नी भी शामिल थीं.

वे अध्यापन के अलावा सामाजिक कार्य भी किया करती थीं. उन्होंने बहुत से गरीब लड़कियों की शादी कराई. लोग उनके पास अपनी समस्या लेकर आते थे और समाधान लेकर जाते थे

एक घटना का जिक्र करना भी ज़रूरी है. एक व्यक्ति, जो रेस्टोरेंट चलाता था लेकिन लम्बी बीमारी की वजह से उसे रेस्टारेंट बंद करना पड़ा था. वह व्यक्ति अपनी पत्नी और छः छोटे छोटे बच्चों के साथ आया. श्यामा जी के घर के सामने की जमीन पर ढाबा खोलने की अनुमति मांगी. वहीं पास में असामाजिक तत्वों द्वारा खोली गईं चाय की दुकान वाला नही चाहता था कि वहां ढाबा खुले. उसने इसका विरोध किया. श्यामा जी ने प्रशासन की मदद से उस व्यक्ति की ढाबा खुलवा दी. जिसका एहसान उसकी संतानें आज भी मानती है. आज उसके सारे बच्चे अपने पैरों पर खड़े हैं. इस प्रकार श्यामा जी ने उनकी जिंदगी संवार दी.

उन्होंने शिक्षण, सामाजिक कार्यों के साथ साथ अपनी पारिवारिक भूमिका भी निभाई. पति जिनकी सुनने की क्षमता समय के साथ कम हो गईं थी उनकी आवाज़ बनी. अपने बच्चों को पढ़ाया लिखाया. इसके साथ साथ अपने ससुराल और मायके का भी पुरा ख्याल रखा.

श्यामा जी को शिक्षा से बहुत लगाव था. उन्होनें उस समय बीए बीएड किया था जिस समय बहुत कम महिलाएं उच्च शिक्षा प्राप्त करती थीं. लोगों को भी शिक्षा के लिए प्रोत्शाहित किया करती थीं. इन सबके साथ धार्मिक भी थीं. उन्होनें लगभग 25 से भी ज्यादा वर्षों तक लगातार तन मन धन से छठ व्रत किया

“अंतराष्ट्रीय महिला दिवस” के अवसर पर क्यों मध्य वर्गीय महिलाओं की उपलब्धियां गरीब और मजदूरी करने वाली या चकाचौंध भरी या उच्च वर्गीय महिलाओं की उपलब्धियों के नीचे दब कर रह जाते हैं. सामाजिक, शैक्षणिक, पारिवारिक और धार्मिक दायित्व निभाना सभी के लिए आसान नहीं होता.

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आज का राशिफल

मेष राशि : पारिवारिक जीवन सुखी रहेगा। साथ में प्रवास का और सुरुचिपूर्ण भोजन का भी योग है। कोई खोई हुई वस्तु आज मिलने की संभावना अधिक है। फिर भी अपने विचारों और आवेश पर अंकुश रखें। विदेशी व्यापार से जुडे़ हुए लोगों को सफलता और लाभ मिलेगा। कोर्ट-कचहरी के विवाद सुलझने की संभावना है।

वृषभ राशि: आज दिनभर मन आनंदित रहेगा। अपने कार्य में व्यवस्थित रूप से आप आगे बढ़ पाएंगे। योजना के अनुसार अपूर्ण कार्यों को सफलतापूर्वक पूर्ण कर पाएंगे। कार्यालय में सहकर्मियों का सहयोग अच्छा मिलेगा। मायके से शुभ समाचार मिलने की संभावना अधिक है। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य आज अच्छा रहेगा।

मिथुन राशि: आज का दिन मध्यम रहेगा। जीवनसाथी और संतान के विषय में चिंता रह सकती है, जिसके कारण मन में उद्वेग बना रहेगा। अपच के कारण स्वास्थ्य भी कुछ नरम-गरम रह सकता है। खर्च की भी मात्रा आज कुछ अधिक रहेगी। विद्यार्थियों के लिए समय अनुकूल है। वाद-विवाद से बचना ही ठीक है। अपमान अथवा मानभंग की स्थिति से बचें।

कर्क राशि: आज मन को शांत रखना जरूरी है। शारीरिक स्फूर्ति और मानसिक प्रसन्नता बनाए रखें। छाती में पीड़ा अथवा अन्य विकार से भी कष्ट की अनुभूति हो सकती है। घर में सदस्यों के साथ वाद-विवाद से बचें। धन खर्च के योग हैं। सामाजिकरूप से मानहानि का प्रसंग उपस्थित न हो इसका ध्यान रखें। पूरी नींद लें, इससे आप खुद को तरो-ताजा अनुभव करेंगे।

सिंह राशि: कार्य सफलता और प्रतिस्पर्धियों पर विजय मिलने से आपके मन में प्रसन्नता छाई रहेगी। भाई-बहनों के साथ संबंधों में मिठास भी बनी रहेगी। मित्रों और स्नेहीजनों के साथ किसी रमणीय पर्यटनस्थल पर घूमने-फिरने का आनंद उठा सकते हैं। आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। आर्थिक रूप से भी आपको लाभ होगा। मन शांत रहेगा। भाग्यवृद्धि होने के भी संकेत है। नए कार्य प्रारंभ करने के लिए आज का दिन शुभ है।

कन्या राशि: आपके लिए आज का दिन शुभ रहेगा। वाणी की मधुरता से दूसरे लोगों के मन पर आप अपनी सकारात्मक छाप छोड़ सकेंगे। पारिवारिक वातावरण भी अच्छा रहेगा। फिर भी वाणी पर संयम बरतने से वाद-विवाद की संभावना कम हो जाएगी। आर्थिक कार्य भी आज सुखपूर्वक संपन्न होंगे। नकारात्मक विचारों से आप दूर रहें। मित्रों और स्नेहीजनों से भेंट होगी। छोटा प्रवास हो सकता है।

तुला राशि: आर्थिक योजनाएं भी सरलतापूर्वक बना सकेंगे। शारीरिक तथा मानसिक रूप से प्रसन्नता का अनुभव होगा। वस्त्राभूषण और आनंद-प्रमोद के पीछे खर्च होगा। वैचारिक रूप से दृढ़ता रहेगी। सृजनात्मक कार्यों में मन लगेगा।

वृश्चिक राशि: आज मौज-शौक और मनोरंजन के पीछे खर्च हो सकता है। सगे-संबंधियों के साथ गलतफहमी या अनबन हो सकती है। स्वास्थ्य के संबंध में शिकायत रह सकती है। मन परचिंता के बादल छा सकते हैं। तनाव को खुद पर हावी न होने दें। कोर्ट-कचहरी से संबंधित कार्यों में सावधानी रखें। हर विषय में संयमित व्यवहार अनर्थ होने से बचा लेगा।

धनु राशि: आर्थिक लाभ और सामाजिक प्रतिष्ठा मिलने के साथ सुख-संतोष की भावना अनुभव करेंगे। आय में वृद्धि और व्यापार में लाभ मिलेगा। किसी स्नेहीजन के साथ सुखद समय बिताएंगे। मित्रों के साथ रमणीय स्थानों में पर्यटन का आयोजन होगा। अविवाहितों के लिए वैवाहिक योग बनेंगे। पत्नी तथा पुत्र द्वारा लाभ प्राप्ति की संभावना है।

मकर राशि: परिवार और संतान के विषय में आपको आनंद के साथ-साथ संतोष का भी अनुभव होगा। मित्रों और स्नेहीजनों के साथ हुई भेंट से आपका मन प्रसन्न हो उठेगा। बिजनस में मनी कलेक्शन के लिए बाहर जाना पड़ सकता है, जो कि लाभप्रद रहेगा। धन तथा मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। उच्च अधिकारियों की प्रसन्नता आप पर बनी रहेगी। व्यवसाय में भी आपको पदोन्नति मिलने की पूरी संभावना है। अचानक होनेवाली घटनाओं में संयम से काम लें।

कुंभ राशि: प्रतिस्पर्धियों के साथ अनावश्यक वाद-विवाद करने से बचें। शारीरिक रूप से अस्वस्थता का अनुभव हो सकता है। शिथिलता और आलस्य बना रह सकता है, फिर भी मानसिक रूप से प्रसन्नता बनी रहेगी। व्यवसाय में उच्च अधिकारियों के साथ कार्य करते समय संभलकर रहें। आनंद-प्रमोद के पीछे आज धन खर्च हो सकता है। संतान के विषय में चिंता हो सकती है।

मीन राशि: आज अनैतिक कार्य में न पड़ें। क्रोध और वाणी पर संयम बरतना जरुरी है। स्वास्थ्य को लेकर सतर्कता बरतें। किसी भी ऐसे कार्य से बचें जो गैरकानूनी हो। स्वास्थ्य के पीछे धन खर्च होने की संभावना है। मानसिक रूप से आप थकान का अनुभव कर सकते हैं। परिवार में विवाद से बचें। ईष्टदेव का जप-ध्यान और उनके प्रति आपकी आस्था आपको उचित मार्ग दिखाएगी।

नोट…यह केवल राशि आधारित फलकथन है, करोड़ो जन के नाम समान होने पर भी हर जन का भविष्य अलग अलग होता है. कारण सभी की कुंडली मे ग्रह स्थिति अलग अलग होती है. सटीक फलकथन जातक की स्वंम की जन्मपत्रिका से सम्भव है.

📕एस्ट्रोलोजी एडवाजर गर्ग जी..
Whats App Number 80786-65041

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आज का राशिफल

मेष राशि: आज का दिन मित्रों और परिजनों के साथ आनंद में बीतेगा। नए वस्त्र और आभूषण प्राप्‍त होंगे। मान-सम्‍मान प्राप्त होगा। मध्याह्न के बाद से आपको अपने व्‍यवहार में थोड़ा संयम रखना होगा। नए संबंध बनाने से पूर्व विचार करने की जरूरत है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

वृषभ राशि: व्‍यापारियों के लिए आज का दिन बहुत लाभदायी है। घर में सुख-शांति बनी रहेगी। प्रतिस्पर्धियों पर आपको विजय प्राप्त होगी। व्यावसायिक स्थल पर साथ काम करने वाले आपका सहयोग करेंगे। मध्याह्न के बाद मनोरंजन का आनंद लूट सकेंगे। साझेदारों के साथ संभलकर कार्य करने की जरूरत है।

मिथुन राशि: आज का दिन मध्यम फलदायी है। नए कार्य का प्रारंभ आज न करें। बौद्धिक चर्चाओं के लिए आज का दिन शुभ नहीं है। संतान के संबंध में चिंता रहेगी। मध्याह्न के बाद घर का वातावरण शांतिपूर्ण रहेगा। मानसिक रूप से आनंदित रहेंगे। आर्थिक रूप से लाभ होगा।

कर्क राशि: हताशा के कारण आप कुछ थकान और निराशा का अनुभव करेंगे। संभव हो तो प्रवास आज टाल दें। संपत्ति के मामले में आपको फिलहाल कोई भी योजना स्‍थगित करनी होगी। मध्याह्न के बाद प्रसन्नता का अनुभव होगा। नए कार्यों में मुश्किल से सफलता प्राप्त होगी।

सिंह राशि: आज धार्मिक यात्रा होने की संभावना है। नए कार्य का प्रारंभ कर पाएंगे। विदेश से लाभदायी समाचार मिलने की उम्‍मीद है। निवेश करने वालों के लिए समय लाभदायी है। मध्याह्न के बाद आप कुछ भावुक हो सकते हैं। मन में हताशा की भावना में भी वृद्धि हो सकती है। स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।

कन्या राशि: आज किसी बिजनस के मामले में किसी भी प्रकार के नए कार्य को करने से बचें। आज मौन रहकर दिन बिता देने में ही बुद्धिमानी है, नहीं तो किसी के साथ मनमुटाव का प्रसंग बन सकता है। मध्याह्न के बाद आपकी स्थिति में परिवर्तन आएगा। निवेश करना आज आपके हित में रहेगा। भाग्यवृद्धि का दिन है।

तुला राशि: आज संतुलित विचारों के साथ दिन का प्रारंभ होगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखिएगा। नए वस्त्र और आभूषणों को खरीदने के पीछे खर्च हो सकता है। मध्याह्न के बाद किसी बात को लेकर असमंजस की स्थिति आ सकती है। आवश्यक निर्णयों को आज टाल सकते हैं।

वृश्चिक राशि: आध्यात्मिक और ईश्वर की भक्ति से आज मन को शांति प्राप्त होगी। मन में उठ रही नकारात्मक भावनाओं पर संयम रखना आवश्यक होगा। कोर्ट- कचहरी के मामले में संभलकर चलें। स्वास्थ्य बिगड़ने की आशंका है। मध्याह्न के बाद कार्यपूर्ति होती नजर आएगी। आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होती जाएगी।

धनु राशि: आज का दिन आपकी आय में वृद्धि और लाभ देने वाला है। सामाजिक कार्यों में भाग लेने से मन प्रसन्न रहेगा। मान-सम्मान एवं आय में वृद्धि होगी। व्यापार में लाभ होने की संभावना है। स्वास्थ्य बिगड़ने की संभावना है। आय की अपेक्षा खर्च अधिक होगा। वाणी पर संयम रखें। किसी से तकरार न हो इसका ध्यान रखिएगा।

मकर राशि: संपत्ति के मामले में लेन-देन करने के लिए आज का दिन अच्‍छा है। व्यावसायिक क्षेत्र में सफलता मिलेगी। ऊपरी अधिकारी वर्ग आपको प्रोत्साहित करेगा। पदोन्नति के योग हैं। परिवार में वातावरण आनंदपूर्ण रहेगा। मित्रों से भी लाभ होने की संभावना है।

कुंभ राशि: आज के दिन व्यावसायिक वर्ग के लिए संभलकर चलना आवश्यक है। ऊपरी अधिकारियों के साथ बातचीत करते समय विवेक रखना होगा। संतान के आरोग्य के विषय में चिंता रहेगी। लंबे समय के प्रवास की योजना आप बना सकेंगे। धार्मिक स्थल की यात्रा होने के संकेत है।

मीन राशि: किसी के साथ वाद-विवाद या तकरार न करने की सलाह है। क्रोध पर संयम बरतिएगा। सुखमय विषयों में आपको रुचि रहेगी। गहन चिंतन आप के मन को शांति प्रदान करेगा। मध्याह्न के बाद समय कुछ अनुकूल होता दिखेगा। बौद्धिक रूप से लेखन कार्य में आप सक्रिय रह पाएंगे।

नोट…यह केवल राशि आधारित फलकथन है ..

करोड़ो जन के नाम समान होने पर भी हर जन का भविष्य अलग अलग होता है…

कारण सभी की कुंडली मे ग्रह स्थिति अलग अलग होती है…

सटीक फलकथन जातक की स्वंम की जन्मपत्रिका से सम्भव है….

📕एस्ट्रोलोजी एडवाजर गर्ग जी..
Whats App Number 80786-65041

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🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन अकस्मात लाभ की प्राप्ती कराएगा लेकिन ध्यान रखें लापरवाही से कार्य करने पर आज जो विचार में नही रहेगा वह घटना घट सकती है। मध्यान तक का समय मानसिक रूप से शांति प्रदान करेगा। आध्यात्मिक आयोजनों में सम्मिलित होंगे धर्म कर्म के प्रति आस्था बढ़ेगी लेकिन अन्य व्यस्तता के चलते चाह कर भी अधिक समय नही दे सकेंगे महिलाए आज धर्म के रंग में रंगी रहेंगी सेहत संबंधित शिकायत रहने के बाद भी सामर्थ्य से अधिक कार्य करने पर बाद में स्थिति गंभीर होने की संभावना है। कार्य व्यवसाय से अचानक धन मिलने पर प्रसन्न रहेंगे। सरकारी कार्य मे आज ढील ना दे वर्ना लंबे समय तक पूर्ण नही कर सकेंगे।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज आपका मानसिक संतुलन स्थिर नही रहेगा असमंजस की स्थिति के कारण पल पल में निर्णय बदलेंगे इससे कार्य विलंब के साथ अन्य लोगो को परेशानी होगी फिर भी स्वार्थी पूर्ति के कारण आज आपसे कोई शिकायत नही करेगा। मन आज अनैतिक कार्यो में जल्दी आकर्षित होगा स्वभाव में भी उदण्डता रहेगी बिना कलह किये किसी कार्य को नही करेंगे। कार्य क्षेत्र पर भी मन मर्जी व्यवहार के कारण जिस लाभ के अधिकारी है उसमें कमी आएगी। धन की आमद आज पूर्व नियोजित रहेगी थोड़ी बहुत अतिरिक्त आय भी बना लेंगे लेकिन खर्च के आगे आज कमाई कम ही लगेगी। मौसमी बीमारियों एवं संयम की कमी के कारण सेहत बिगड़ सकती है।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन आशानुकूल रहने से दिन भर प्रसन्न रहेंगे आज आपकी दिनचार्य व्यवस्थित नही रहेगी फिर भी सौभाग्य वृद्धि के योग बनने से सभी तरह से खुशहाली मिलेगी। काम-धंधा दिन के आरंभ से मध्यान तक इसके बाद संध्या से रात्रि तक प्रगति पर रहेगा। आज आपके द्वारा गलती से किया कार्य भी कुछ ना कुछ लाभ ही देकर जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्र पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। प्रतिस्पर्धा में किसी से आंतरिक मतभेद होने की भी संभावना है। पारिवारिक जीवन आनदमय रहेगा सभी सदस्य एक दूसरे को आदर देंगे भाई बंधु से थोड़ी नोंकझोंक हो सकती है परन्तु स्थिति गंभीर नही होगी। थकान को छोड़ सेहत ठीक रहेगी।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन बनते कार्यो में विघ्न खड़े करेगा। दिन का पहला भाग शांति से व्यतीत करेंगे लेकिन इसके बाद किसी ना किसी उलझन में फंसते ही रहेंगे जिस भी कार्य को करने का मन बनाएंगे वह किसी ना किसी अभाव के कारण आरम्भ नही हो सकेगा। कार्य व्यवसाय में भी आज अकस्मात हानि के योग बन रहे है धन संबंधित मामले निवेश अथवा उधार के कार्य को आज निरस्त ही रखे। धन लाभ अधिक परिश्रम के बाद अल्प मात्रा में होगा। घर मे भी किसी से नुकसान होने की संभावना है सतर्क रहकर कार्य करें। सेहत में भी कुछ ना कुछ कमी लगी रहेगी।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन सार्वजिनक कार्यो आपका महत्त्वपूर्ण योगदान स्वयं के साथ परिजनों का भी मान बढ़ाएगा किसी अपरिचित से कहासुनी भी हो सकती है धैर्य से काम लें। मध्यान तक घरेलू अथवा अन्य कार्यो में व्यस्त रहेंगे जिससे व्यवसायिक कार्यो में फेरबदल करना पड़ेगा। अधीनस्थों के प्रति नरमी रखें आज इनके सहयोग से ही धन लाभ की प्राप्ति होगी लेकिन ज्यादा जिम्मेदारी वाले कार्य भी ना सौपे अन्यथा नुकसान भी हो सकता है। धन लाभ आवश्यकतानुसार होगा ज्यादा पाने के चक्कर मे हाथ आये लाभ से भी वंचित ना रह जाये इसका ध्यान रखें। हर में कार्य अधिक रहने के कारण महिलाए बेचैन रहेंगी आरोग्य में कमी आयेगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज परिस्थितियां आपके पक्ष में रहेंगी भाग्य का साथ भी मिलने से सोची हुई योजनाए निर्विघ्न पूर्ण कर सकेंगे। दिन के आरंभ में घर मे पूजा पाठ के कारण भाग-दौड़ करनी पड़ेगी लेकिन इसका आध्यत्मिक लाभ भी किसी ना किसी रूप में अवश्य मिलेगा। मन के आज शांत रहने से किसी भी कार्य को बेहतर रूप से कर सकेंगे कार्य व्यवसाय में विलंब के बाद भी धन लाभ के अवसर मिलते रहेंगे धन लाभ थोड़े थोड़े अंतराल पर होते रहने से संतुष्ट रहेंगे। महिलाए सेहत का विशेष ध्यान रखें कमजोरी अथवा अन्य शारीरिक समस्या बनेगी। धार्मिक यात्रा एवं कार्यो में खर्च होगा।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन शुभफलदायक रहेगा। दिन के पूर्वार्ध और अंत मे शुभ कर्म के लिये प्रेरित होंगे घर मे मांगलिक आयोजन होने से नई ऊर्जा का संचार होगा। कार्य व्यवसाय से भी आज निराश नही होना पड़ेगा परिश्रम के अनुसार लाभ अवश्य मिल जाएगा। धन संबंधित उलझन भी आज थोड़ी कम रहने से राहत मिलेगी। व्यवसायी वर्ग नए कार्य आरंभ करेंगे भविष्य में इससे उन्नति होगी। नौकरी वाले लोग आज काम पर ज्यादा ध्यान नही देंगे। महिलाए आज कम समय मे अधिक पाने की लालसा रखेंगी लेकिन सफलता नही मिलेगी। परिजनों से संबंध सामान्य रहेंगे। शारीरिक कमजोरी अनुभव होगी।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन प्रतिकूल रहेगा खराब सेहत आज प्रत्येक कार्य मे बाधक बनेगी फिर भी जबरदस्ती कार्य करेंगे जिससे कम समय मे अधिक थकान बनेगी। घर का वातावरण भक्तिमय रहेगा पूजापाठ आदि में सम्मिलित होने के अवसर सुलभ होंगे परन्तु मानसिक रूप से आज किसी भी कार्य मे उत्साह नही रहेगा। कार्य क्षेत्र पर भी व्यवहारिकता मात्र रहेगी मजबूरी में किये गए कार्य फलित नही होंगे सीमित साधन से काम निकालना पड़ेगा। व्यवसायी वर्ग आज व्यवसाय से काफी उम्मीद लगाए रहेंगे लेकिन आशा निराशा में बदलेगी। घर मे कुछ ना कुछ परेशानी में डालने वाले प्रसंग लगे रहेंगे।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन पूर्वार्ध में अस्त व्यस्त रहेगा लेकिन आज आपके सभी कार्य सही दिशा में आगे बढ़ेंगे मध्यान तक व्यक्तिगत अथवा अन्य कारणों से व्यवसायिक कार्यो में विलंब होगा। लेकिन धीरे धीरे गाड़ी पटरी पर आने लगेगी व्यवसाय में थोड़ी तेजी मंदी लगी रहेगी कुछ समय के लिये मानसिक बेचैनी बनेगी लेकिन संध्या तक धन की आमद संतोष जनक हो जाएगी। नए कार्यो में निवेश करना आज शुभ रहेगा। उधारी अथवा अन्य लेन देन के कारण किसी से गरमा गरमी होने की संभावना है। गृहस्थ में आज अन्य दिनों की अपेक्षा शांति रहेगी तालमेल की कमी रहने के बाद भी स्थिति सामान्य रहेगी। शरीर मे कुछ कमी अनुभव करेंगे।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन धन-धान्य में वृद्धि करने वाला रहेगा। दिन का आरंभिक भाग घरेलू व्यस्तता के कारण व्यावसायिक कार्यो से लाभ नही उठा सकेंगे। लेकिन मध्यान बाद से स्थिती पूर्ण रूप से आपकी पकड़ में रहेगी बाजार में तेजी रहने से लाभ के अवसर मिलते रहेंगे प्रतिस्पर्धा भी आज कुछ अधिक रहेगी लेकिन आपके व्यवसाय पर इसका ज्यादा असर नही पड़ेगा धन लाभ आज निश्चित ही आशाजनक रहेगा। नौकरी वाले लोग आज काम की जगह इधर उधर की बातों पर ज्यादा ध्यान देंगे अधिकारी वर्ग से कहा सुनी हो सकती है। घर मे सुख के साधनों की वृद्धि होगी खर्च भी करना पड़ेगा। स्वास्थ्य संबंधित थोड़ी बहुत समस्या लगी रहेगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन आप अपनी कमियों को छुपाने का प्रयास करेंगे। लोगो के आगे अपनी बुद्धि चातुर्य का प्रदर्शन करेंगे बाहर से व्यवहारिकता लेकिन अंदर से ईर्ष्या और अहम की भावना रहेगी। परिजन को छोड़ अन्य सभी लोग आपकी मनगढंत बातो के झांसे में आसानी से आ जाएंगे लेकिन पोल खुलने के बाद लोगो का आपके ऊपर से विश्वास कम होगा। कार्य व्यवसाय में सोची हुई योजना स्वयं अथवा सहकर्मी की गलती से अनियंत्रित रहेगी। धन लाभ के अवसर मिलेंगे परन्तु सभी अवसरों का लाभ नही उठा सकेंगे फिर भी काम चलाऊ हो ही जायेगा। परिजनों के आगे ज्यादा अक्लमंदी ना दिखाये बेज्जती हो सकती है।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपके लिये विपरीत फलदायक रहेगा। परिवार के सदस्य आपसे अधिक सहयोग की अपेक्षा रखेंगे लेकिन टालमटोल करने पर घर का वातावरण खराब होगा। कार्य क्षेत्र पर लाभ की उम्मीद लगाए रहेंगे परन्तु आज मानसिक रूप से अशान्त रहने के कारण वहां से भी सकारात्मक परिणाम नही मिल सकेंगे फिर भी धन संबंधित उलझन अकस्मात लाभ होने से कुछ हद तक शांत रहेंगी। घरेलू खर्च के साथ अन्य खर्च आने से बजट प्रभावित होगा। घर मे आज मनमानी व्यवहार से बचें अन्यथा मनोकामना पूर्ति होने की जगह अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। सेहत मानसिक क्लेश के कारण शिथिल रहेगी।

नोट यह केवल राशि फलकथन है सटीक फलकथन जातक की स्वंम की जन्मपत्रिका से सम्भव है…….

यदि किसी जन के यहां कोई भी मंगल(शुभ) कार्य हो. परिवार में झगड़े शुरू हो जाते है. तो समझ लीजिए उस जन की कुंडली मे मंगल ग्रह बहुत अधिक पीड़ित है. जन्मकुंडली विश्लेषण एंड वास्तु परामर्श हेतू अपनी जन्मतिथि
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मेष राशि :- आज का दिन शुभ रहेगा। परिवार में सुख और धन की वृद्धि होगी। नौकरी में प्रमोशन का योग बन सकता है। खान का ध्यान रखेंगे, तो सेहत अच्छी रहेगी। शरीर में ज्यादा ऊर्जा रहने के कारण आप अपने सभी रुके हुए कार्यों को पूरा कर पाएंगे। जीवन को लेकर कोई कठोर फैसला कर सकते हैं। वाणी पर संयम बरतना जरूरी है। समाज के कार्यों में आज आप उत्साह के साथ भाग लेंगे।
वर्ष राशि:- आज का दिन अच्छा रहेगा। कारोबार में लाभ प्राप्ति के योग हैं। आर्थिक निवेश फायदेमंद होगा। धन संबंधित कार्य पूरे होंगे। मानसिक शांति की तलाश में अध्यात्म से जुडऩे का मौका मिलेगा। सेहत में सुधार आने की संभावना है। किसी लंबी बीमारी से निजात मिलता दिखाई दे रहा है। गर्मी के मौसम में तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें। पूरे दिन भागदौड़ रहेगी।
मिथुन राशि :- आज का दिन मिला-जुला रहेगा। धनप्राप्ति के योग रहेंगे, लेकिन अनावश्यक खर्चों की भी अधिकता रहेगी। खराब सेहत की वजह से आप अपने जरूरी कामों को नहीं कर पाएंगे। इसलिए अपने शरीर को आराम दें, जिससे आप तरोताजा महसूस कर पाएं। जीवनशैली और रहन-सहन में बदलने लाने की कोशिश करेंगे। कारोबारी हालात आशाजनक रहेगी। जीवनसाथी के साथ समय बिताएंगे।
कर्क राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। आर्थिक लाभ का योग बन रहा है। कारोबार में नई योजनाओं की शुरुआत हो सकती है। अच्छी दिनचर्या की वजह से अपने स्वास्थ्य में सुधार आएगा, लेकिन बाहर का खाना खाने से आपको बचना होगा। अपने काम करने के तरीके में बदलाव लाएं, वरना नुकसान हो सकता है। घर की सजावट पर भारी संख्या पर खर्च हो सकता है। किसी यात्रा पर जा सकते हैं।
सिंह राशि :– आज का दिन मिला-जुला रहेगा। कारोबार में लाभ होगा। समाज में यश, मान और सम्मान में बढ़ोतरी होगी। सरकारी कार्यों में सफलता मिलेगी, लेकिन लोगों का व्यवहार आपके लिए निराशाजनक रहेगा। खान-पान का ध्यान रखना होगा, वरना पाचन क्रिया खराब हो सकती है, जिसके कारण पूरे दिन मन खराब रहेगा। जीवन साथी की सेहत भी चिंता का विषय बनी रहेगी।
कन्या राशि :- आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा। आपकी सूझबूझ से कारोबार में अच्छा लाभ मिलेगा। परिजनों और मित्रों से भरपूर सहयोग मिलेगा। नौकरी में तरक्की के योग हैं। योजना अनुसार कार्य करने से सफलता मिलेगी, लेकिन स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है। कोई दुर्घटना भी हो सकती है, इसलिए वाहन सावधानी से चलाएं। यात्रा पर जाने से बचें। परिवार में खुशनुमा माहौल रहेगा।
तुला राशि :- आज का दिन मिला-जुला रहेगा। कारोबार में आर्थिक लाभ होगा और धनप्राप्ति के योग रहेंगे, लेकिन अनावश्यक खर्च बढऩे से चिंता भी रहेगी। परिवार में खुशी का माहौल बना रहेगा। स्वास्थ्य सम्बंधी शिकायतें हो सकती हैं, इसलिए डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। क्रोध पर नियंत्रण एवं वाणी पर संयम रखें, वरना विवाद में पड़ सकते हैं। किसी धार्मिक यात्रा पर जा सकते हैं।
वृश्चिक राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। अपने करियर को लेकर चिंतिंत रहेंगे, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वाह बखूबी कर सकेंगे। सिर दर्द की समस्या परेशान कर सकती है। बिना कारण ही मन बेचैन रहेगा, जिससे किसी काम में मन नहीं लगेगा। शांति के लिए योग और ध्यान करने की कोशिश करें। नए कार्यों की शुरुआत करने से बचें। कार्यस्थल पर कर्मचारियों की वजह से मन परेशान रहेगा।
धनु राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। कारोबार में अच्छा मुनाफा होगा। आकस्मिक धनलाभ के योग भी बन रहे हैं, लेकिन अनावश्यक और व्यर्थ खर्चे भी अधिक रहेंगे, जिससे परिवार में कलह हो सकती है। वाणी पर नियंत्रण रखना होगा। किसी खास दोस्त की तबीयत अचानक से खराब होने से मन उदास रहेगा। अपनी सेहत का भी ध्यान रखना पड़ेगा। अधिक कार्यभार होने से अधिक व्यस्त रहेंगे।
मकर राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। कारोबार में आर्थिक लाभ के प्रबल योग हैं। सामाजिक कार्यों में सुयश मिलेगा और समाज में प्रतिष्ठा व प्रभाव की बढ़ोतरी होगी। कार्यस्थल पर कोई नई योजना शुरू कर सकते हैं, जिसकी सभी चर्चा करेंगे। स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहें और खान-पान पर ध्यान दें। बच्चों की तबीयत खराब हो सकती है। यात्रा पर जाने से बचें।
कुम्भ राशि :- आज का दिन मिला-जुला रहेगा। धन प्राप्ति के योग बनेंगे, लेकिन अनावश्यक खर्च अधिक होने से चिंतित रहेंगे। नौकरी में तरक्की मिल सकती है। कार्यभार की अधिकता रहेगी। मित्रों-सहयोगियों का भरपूर सहयोग मिलेगा। परिवार के साथ समय का अच्छा इस्तेमाल होगा। वाद-विवाद और झगड़े के चलते मानिसक कष्ट बढ़ेगा। जीवन साथी और माता-पिता की सेहत का खास ध्यान रखना होगा।
मीन राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। कारोबार में अच्छा मुनाफा रहेगा। पारिवारिक सुख और धन में बढ़ोतरी होगी। समाज के कार्यों में उत्साहपूर्वक भाग लेंगे। नौकरी में प्रमोशन के योग बन सकते हैं। किसी पुरानी बीमारी से राहत मिल सकती है। परिवार में मांगलिक कार्य हो सकते हैं। धार्मिक यात्रा पर जा सकते हैं। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। खान-पान का ध्यान रखें और क्रोध से बचें।
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करोड़ो जन के नाम समान होने पर भी प्रत्यक जन का भविष्य अलग अलग  होता है…
कारण सभी की कुंडली मे ग्रह स्थिति अलग अलग होती है…
सटीक फलकथन जातक की स्वंम की जन्मपत्रिका से सम्भव है….
एस्ट्रोलोजी एडवाजर गर्ग जी..
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(कबीर की रिपोर्ट)
पाँच साल पहले सारण मे ऐसी घटना घटी जिसने प्रदेश ही नही देश और विदेश मे सभी को झकझोर कर रख दिया. घर से माँ ने अपने बच्चों को अपनी हाथों से सजा-संवार के स्कूल के लिए भेजा था वो क्या जानती थी मेरा लाल कभी लौट कर नही आएगा. सारण के लिए ये काला दिन साबित हुआ जिसने 23 मासूमों को खो दिया. ज़हरीली खिचड़ी ने मासूमों के ज़िंदगी ने जहर घोल दिया.

पाँच साल बाद भी जख्म अभी भरे नही है. आज भी माँ अपने बच्चों का स्कूल से लौटने का इंतज़ार करती है. आज भी उन 23 बच्चों कि सदाएं गहरी नींद मे जगा देती है. अभी भी 16 जुलाई 2013 की चितकार आपको गाँव मे पहुँचते ही सुनाई देती है. आईए आपको उस घटना से रु-ब-रु कराते है.

सारण के धर्मासती गंडामन गाँव के सरकार स्कूल मे मिड डे मिल योजना के तहत दोपहर का भोजन खाने के बाद बच्चे बीमार पड़ने लगे. बच्चों की हालत देखते हुये छपरा सदर अस्पताल और पटना पीएमसीएच रेफर किया गया. जैसे जैसे समय बीतता गया एक-एक करके 23 बच्चे काल के गाल मे समाते गए. छपरा से लेकर पटना तक मातम छा गया.

इतनी बड़ी घटना को देश के बड़े अखबारों ने अपने पहले पृष्ट पर तो जगह दी ही, विदेशों के अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया.

तीन साल बाद मिड डे मील मामले में छपरा सिविल कोर्ट ने 2016 मे सज़ा का एलान किया. अदालत ने धर्मासती गंडामन गांव के सरकारी स्कूल की तत्कालीन हेडमास्टर मीना कुमारी को 17 वर्ष की सज़ा सुनाई. उनपर तीन लाख 25 हजार का जुर्माना भी लगाया गया. एक धारा में दस साल की सजा सुनायी गयी. धारा 304 में दस साल की सजा और ढाई लाख रुपया जुर्माना. धारा 308 में सात साल की सजा और सवा लाख रुपया जुर्माने की सजा मिली.

बहरहाल घटना के बाद से सरकार ने गांव को सुविधा मुहैया कराई है. विद्यालय का भी नया भवन बना है और कई अन्य विकास के कार्य भी हुए है. इस सब के बीच जिन्होंने अपने घरों के चिराग को खो दिया उन्हें वे याद कर विकास के बीच अपने बच्चे को आज भी तलाशते है. विकास तो हुआ पर बच्चे लौट के फिर नही आ सकते.

बताते चले कि विश्व की सबसे बड़ी योजना जिसमें बच्चों को दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जाता है, उसे खाकर बच्चों की मौत से सभी स्तब्ध थे. आज भी उस दिन को याद कर लोगों के रौंगटे खड़े हो जाते है.

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(प्रशांत सिन्हा)
शुक्रवार रात 10.34 के करीब पूरे उत्तर भारत में भूकम्प 6.1 की तीव्रता से आया। इसके अलावा पाकिस्तान,  तजाकिस्तान में भी भूकम्प के झटके आये।  भूकंप का केन्द्र तजाकिस्तान था। इस की तीव्रता 6.3 थी।

कुछ दिनों से कई बार दिल्ली- एनसीआर और देश के कई हिस्से में कई बार भूकम्प के झटके महसूस किए गए हैं।

विगत सालों में लगभग दस के आसपास भूकम्प के झटके दिल्ली एन सी आर में आए हैं। 12 अप्रैल, 13 अप्रैल, 3 मई, 10 मई,15 मई, 28 मई, 29 मई को भी दिल्ली हीली थी। मुझे नहीं लगता कि इस तरह इतनी बार शायद ही कभी भी दिल्ली में भूकम्प के झटके आए होंगे।

हालाँकि भूकम्प की तीव्रता कम रही। भूकम्प का केंद्र सतह से 8 km की गहरायी में स्थित रहा इसलिए जान माल का कोई नुक़सान नहीं हुआ। जानकारों के अनुसार धरातल के नीचे छोटे मोटे adjustment होते रहते हैं। जिससे झटके महसूस होते हैं। यह  भूकम्प fault line pressure के कारण आया या कोई और कारण था यह तो शोध के बाद मालूम होगा। हिंदूकश से हिमालय बड़े भूकम्प बड़े भूकम्प fault line के किनारे लगते हैं। भूकम्प के मामले में दिल्ली और आस पास के क्षेत्रों को zone-4 में रखा गया है जहाँ 7.9 तीव्रता तक के भूकम्प आ सकते हैं। हालाँकि हाल ही में आई आई टी कानपुर के अध्ययन में चेतावनी दी गयी थी कि दिल्ली से बिहार के बीच में बड़ा भूकम्प आ सकता है जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.5 से 8.5 के बीच होने की सम्भावना है। मध्य हिमालय क्षेत्र में भूकम्प आता है तो दिल्ली-एनसीआर, आगरा, कानपुर, लखनऊ एवं पटना तक का क्षेत्र प्रभावित  हो सकता है।

भूकम्प से निपटने के लिए किसी भी स्तर पर कोई भी काम होता नहीं दिख रहा है। 2001 में गुजरात में आए भयावह भूकम्प से किसी ने कोई सबक़ नहीं लिया। दिल्ली की इमारतें 6.6 की तीव्रता को सह सकती है वहीं पुरानी इमारतें 5.5 की तीव्रता को झेल सकतीं हैं। वैसे आपदा विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिकों ने बड़े भूकम्प ( जिसकी तीव्रता 8.5 तक हो सकती है) की जानकारी दी है। नेपाल में आए 2008 और 2015 में आए भूकम्प से दिल्ली थोड़ी सबक़ लेते हुए कुछ सरकारी इमारतों को मज़बूत की गयी थीं। सन 1315-1440 के बीच इस क्षेत्र में बड़ा भूकम्प आया था। तभी से यह हिमालय का क्षेत्र शांत है लेकिन इस पर दवाब बढ़ रहा है इसलिए भूकम्प आने की सम्भावना है।जैसे सभी को ज्ञात है कि भूकम्प को आने से नहीं रोका जा सकता है लेकिन जापान की तर्ज़ पर बचने की प्रयास तो किया जा सकता है।हमें और हमारी सरकार को देरी से जागने की आदत है। National Institute of Disaster Management की तरफ़ से भूकम्प से बचाव के प्रस्ताव कई संस्थाओं को दी गयीं हैं लेकिन इस पर शायद ही कोई अमल हुआ होगा। हमारी ज़्यादातर इमारतें भूकम्प रोधी तकनीक से नहीं बनाए गए हैं। इसलिए अगर भूकम्प आता है तो ईमारतें कमज़ोर या भूकम्प रोधी तकनीक नहीं लगने से गिरतीं हैं। इसलिए पुराने मकानों को मज़बूत एवं नए मकानों को सुरक्षित करने के लिए सख़्त नियमों का होना आवश्यक है। भवन निर्माता को नियमों का पालन ईमानदारी से करने की ज़रूरत है। नगर निगम, नगर प्राधिकरण एवं दूसरी सरकारी एजेन्सीयों को ऐसे मौक़ों पर सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहिए। अगर कोई भी समझौता करता है तो सेवानिवृत के बाद भी सज़ा का प्रावधान रखने की ज़रूरत है।जिस प्रकार करोना वाएरस से लोगों को बचाने के लिए सरकार एवं सम्बंधित विभाग द्वारा प्रयास किए गए उसी प्रकार भूकम्प से बचाने के लिए लोगों को गम्भीरता से प्रयास करना चाहिए।

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