हिलती हुई धरती दे रही चेतावनी

हिलती हुई धरती दे रही चेतावनी

(प्रशांत सिन्हा)
शुक्रवार रात 10.34 के करीब पूरे उत्तर भारत में भूकम्प 6.1 की तीव्रता से आया। इसके अलावा पाकिस्तान,  तजाकिस्तान में भी भूकम्प के झटके आये।  भूकंप का केन्द्र तजाकिस्तान था। इस की तीव्रता 6.3 थी।

कुछ दिनों से कई बार दिल्ली- एनसीआर और देश के कई हिस्से में कई बार भूकम्प के झटके महसूस किए गए हैं।

विगत सालों में लगभग दस के आसपास भूकम्प के झटके दिल्ली एन सी आर में आए हैं। 12 अप्रैल, 13 अप्रैल, 3 मई, 10 मई,15 मई, 28 मई, 29 मई को भी दिल्ली हीली थी। मुझे नहीं लगता कि इस तरह इतनी बार शायद ही कभी भी दिल्ली में भूकम्प के झटके आए होंगे।

हालाँकि भूकम्प की तीव्रता कम रही। भूकम्प का केंद्र सतह से 8 km की गहरायी में स्थित रहा इसलिए जान माल का कोई नुक़सान नहीं हुआ। जानकारों के अनुसार धरातल के नीचे छोटे मोटे adjustment होते रहते हैं। जिससे झटके महसूस होते हैं। यह  भूकम्प fault line pressure के कारण आया या कोई और कारण था यह तो शोध के बाद मालूम होगा। हिंदूकश से हिमालय बड़े भूकम्प बड़े भूकम्प fault line के किनारे लगते हैं। भूकम्प के मामले में दिल्ली और आस पास के क्षेत्रों को zone-4 में रखा गया है जहाँ 7.9 तीव्रता तक के भूकम्प आ सकते हैं। हालाँकि हाल ही में आई आई टी कानपुर के अध्ययन में चेतावनी दी गयी थी कि दिल्ली से बिहार के बीच में बड़ा भूकम्प आ सकता है जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.5 से 8.5 के बीच होने की सम्भावना है। मध्य हिमालय क्षेत्र में भूकम्प आता है तो दिल्ली-एनसीआर, आगरा, कानपुर, लखनऊ एवं पटना तक का क्षेत्र प्रभावित  हो सकता है।

भूकम्प से निपटने के लिए किसी भी स्तर पर कोई भी काम होता नहीं दिख रहा है। 2001 में गुजरात में आए भयावह भूकम्प से किसी ने कोई सबक़ नहीं लिया। दिल्ली की इमारतें 6.6 की तीव्रता को सह सकती है वहीं पुरानी इमारतें 5.5 की तीव्रता को झेल सकतीं हैं। वैसे आपदा विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिकों ने बड़े भूकम्प ( जिसकी तीव्रता 8.5 तक हो सकती है) की जानकारी दी है। नेपाल में आए 2008 और 2015 में आए भूकम्प से दिल्ली थोड़ी सबक़ लेते हुए कुछ सरकारी इमारतों को मज़बूत की गयी थीं। सन 1315-1440 के बीच इस क्षेत्र में बड़ा भूकम्प आया था। तभी से यह हिमालय का क्षेत्र शांत है लेकिन इस पर दवाब बढ़ रहा है इसलिए भूकम्प आने की सम्भावना है।जैसे सभी को ज्ञात है कि भूकम्प को आने से नहीं रोका जा सकता है लेकिन जापान की तर्ज़ पर बचने की प्रयास तो किया जा सकता है।हमें और हमारी सरकार को देरी से जागने की आदत है। National Institute of Disaster Management की तरफ़ से भूकम्प से बचाव के प्रस्ताव कई संस्थाओं को दी गयीं हैं लेकिन इस पर शायद ही कोई अमल हुआ होगा। हमारी ज़्यादातर इमारतें भूकम्प रोधी तकनीक से नहीं बनाए गए हैं। इसलिए अगर भूकम्प आता है तो ईमारतें कमज़ोर या भूकम्प रोधी तकनीक नहीं लगने से गिरतीं हैं। इसलिए पुराने मकानों को मज़बूत एवं नए मकानों को सुरक्षित करने के लिए सख़्त नियमों का होना आवश्यक है। भवन निर्माता को नियमों का पालन ईमानदारी से करने की ज़रूरत है। नगर निगम, नगर प्राधिकरण एवं दूसरी सरकारी एजेन्सीयों को ऐसे मौक़ों पर सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहिए। अगर कोई भी समझौता करता है तो सेवानिवृत के बाद भी सज़ा का प्रावधान रखने की ज़रूरत है।जिस प्रकार करोना वाएरस से लोगों को बचाने के लिए सरकार एवं सम्बंधित विभाग द्वारा प्रयास किए गए उसी प्रकार भूकम्प से बचाने के लिए लोगों को गम्भीरता से प्रयास करना चाहिए।

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