कुर्बानी का पर्व ईद-उल-जुहा (बकरीद) 13 सितंबर को मनाया जायेगा, जिसके लिए पूरे देश में जोर-शोर से तैयारी चल रही है.

त्याग और बलिदान का यह त्योहार कई मायनों में खास है और एक विशेष संदेश देता है. इस त्योहार को रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद मनाया जाता है. हजरत इब्राहिम द्वारा अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तत्पर हो जाने की याद में इस त्योहार को मनाया जाता है. इस्लाम के विश्वास के मुताबिक अल्लाह हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने उनसे अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने के लिए कहा.

हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. बेटा नहीं, बल्कि दुंबा था जब उन्होंने पट्टी खोली तो देखा कि मक्का के करीब मिना पर्वत की उस बलि वेदी पर उनका बेटा नहीं, बल्कि दुंबा था और उनका बेटा उनके सामने खड़ा था. जानवरों की कुर्बानी विश्वास की इस परीक्षा के सम्मान में दुनियाभर के मुसलमान इस अवसर पर अल्लाह में अपनी आस्था दिखाने के लिए जानवरों की कुर्बानी देते हैं.

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छपरा: जिले के एकमात्र सूर्य मंदिर व राम जानकी मंदिर कोठिया नराव के प्रधान पुजारी का स्वर्गवास हो गया. मंगलवार की सुबह पुजारीश्रधालुओं के निधन की खबर सुनकर पुरे गाँव में शोक की लहर दौड़ गई.

वयोवृद्ध संत सप्तर्षि सीता राम जी महाराज 107 वर्ष के थे. निधन की खबर सुनने के बाद महाराज जी के अंतिम दर्शन को लेकर श्रधालुओ की भीड़ उमड़ गयी. आसपास के दर्जनों गाँव के लोग अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे थे. संत सप्तर्षि सीता राम जी महाराज न सिर्फ यहाँ 20वीं  सदी के उतरार्ध से यहा के नियमित पूजेरी थे साथ ही वे सूर्य मंदिर के संस्थापक व सूर्य कुण्ड निर्माण मंडल सदस्य भी थे.

नराव का सूर्य मंदिर उत्तर बिहार का गौरव है. महाराज जी की अंतिम यात्रा सूर्य मन्दिर परिसर से आरंभ होकर मदनपुर, नराव, धनौरा, मुसेपुर, डुमरी, सिंगही होते हुए गंगा यमुना व सोन के संगम पर पहुँची जहाँ राघो बाबा के पास उन्हें विदाई दी गयी. अंतिम यात्रा में एक दर्जन गाँवो के महिला पुरूष व बच्चों ने हिस्सा लिया.

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छपरा: सुहाग की रक्षा को लेकर सुहागीन रविवार को तीज का व्रत करेंगी. तीज को लेकर शहर में महिलाओ द्वारा खरीददारी जोरो पर है. पूरा बाज़ार सुहाग के सामानों से सजा हुआ है. जहाँ सुहागीन अपने पसंदीदा सामानों की खरीददारी जमकर कर रही हैं.

व्रत को लेकर शनिवार से ही अनुष्ठान शुरू हो जाएगा. शनिवार को सुहागीन नहाय खा के साथ इस व्रत की शुरुआत करेंगी अगले दिन उपवास रखकर पूजा अर्चना के साथ कथा का श्रवन करेंगी. दो दिनों के इस व्रत को लेकर सुहागीन पुरे वर्ष इंतज़ार करतीं हैं.

इस व्रत के लिए विशेष पकवान पिरुकिया बनाया जाता है. हरितालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल तृतीया को शिव और पार्वती के पुर्नमिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.

ऐसी मान्यता है कि मां पार्वती ने 107 जन्म लिए थे कल्याणकारी भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए. अंततः मां पार्वती के कठोर तप के कारण उनके 108वें जन्म में भोले बाबा ने पार्वती जी को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था. उसी समय से ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मां पार्वती प्रसन्न होकर पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती है.

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बनियापुर: श्री कृष्ण प्रणामी धर्म श्री निजानंद सम्प्रदाय के संत श्री गोविन्द जी महाराज के द्वारा श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर श्री मद् भागवत कथा का आयोजन किया गया. हरपुर कराह गढ़देवी मंदिर के प्रांगण में आयोजित यह कार्यक्रम 25 से 30 अगस्त तक रोज शाम 7 बजे से 11 बजे रात्रि तक चलेगा. कथा वाचक गोविन्द जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण के अवतार लीला का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान का अवतार अनेको कार्य के लिये हुआ था.

उन्होंने कहा कि जब धरती पर जब जब आसुरी शक्तियो के द्वारा पृथ्वी और पृथ्वी पर रहने वाले प्राणियो को कष्ट पहुँचाया जाता है तथा देवत्त्व को पराजित कर साधु , गौ , ब्राह्मण वेद , यज्ञ आदि को नष्ट करने का प्रयास किया जाता है. तब तब भगवान विष्णु धरती पर अवतार लेकर असुरत्व को पराजित कर धर्म की रक्षा करते हुए देवत्व की स्थापना करते है. अभी जो द्वापर युग में अवतार हुआ था उसमे भगवान के तीन स्वरूप प्रकट हुए थे. इस अवतार में विष्णु के कलेवर में ही श्री कृष्ण पुरुषोत्तम एवम् उनके अंश गौलोक धाम के राधिका पति श्री कृष्ण का भी समावेश था. इस तरह वृन्दावन में 11 वर्ष 52 दिन तक अक्षरातीत श्री कृष्ण की लीला हुई एवम् उसके बाद 7 दिन गोकुल में 4 दिन मथुरा में कंस वध करने वाले राधिका पति श्री कृष्ण की लीला हुई फिर द्वारका में लीला करने वाले सोलहो कला पूर्ण भगवान श्री विष्णु कृष्ण की लीला हुई.

इस अवसर पर मुखिया शिवजी दास, गढ़देवी मंदिर के सचिव कमला सिंह, पुजेरी दीनानाथ सिंह, बृजकिशोर गुप्ता, राम प्रवेश सिंह, मुरारी सिंह, समिति राजेंद्र सिंह, संत लाल गुप्ता, सोनू शर्मा आदि उपस्थित थे.

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छपरा: सावन की चौथी और अंतिम सोमवारी पर शिव मंदिरों में भक्तों की जुटने वाली भीड़ के लिए तैयारियां शुरू हो गयी है. सभी मंदिरों में साफ-सफाई के साथ सजावट की तैयारी जोरों पर है. मंदिरों में इस दिन विशेष पूजा भी आयोजित की जाएगी. शाम में शिव भक्त को भगवान भोले शंकर का वृहद् श्रृंगार देखने को मिलेगा.

इन मंदिरों में रहेगी ज्यादा भीड़

सावन की अंतिम सोमवारी पर शिव भक्तों की भीड़ उमड़ने वाली है. शहर के धर्मनाथ मंदिर, गुदरी मंदिर, बटुकेश्वर नाथ मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, पंकज सिनेमा शिव मंदिर, मसुमेश्वर नाथ मंदिर, साहेबगंज मंदिर, साढा रोड मंदिर, ढोढ स्थान मंदिर, शिलौरी मंदिर, सहित अन्य मंदिरों में उमड़ने वाली है.

भव्यता के साथ हो रही मंदिरों की सजावट

शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक स्थापित शिव मंदिरों को भव्यता के साथ सजाया जा रहा है. फूल के साथ साथ रंग बिरंगी रोशनी से भी मंदिरों को सजाने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. वही इस अंतिम सोमवारी पर कई स्थानों पर भजन कीर्तन के आलावे जागरण के व्यवस्था की जा रही है.

सुरक्षा का भी रहेगा विशेष ध्यान

अंतिम सोमवारी पर मंदिरों में सुरक्षा के भी व्यापक इंतेजाम किये गए है. सभी मंदिरों में बिहार पुलिस के जवानों के साथ साथ दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की जा रही है.

भक्तों के लिए ध्यान रखने वाली बातें

सोमवारी के दिन शिव भक्तों को पूजा के दौरान कई बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना होगा जिससे की इस सोमवारी उनकी पूजा में व्यवधान उत्पन्न ना हो. पुरुष और महिला सोने और चाँदी के आभूषण के साथ मंदिर में प्रवेश न करें. पूजा के दौरान मंदिर परिसर में अपने साथ आने वाले छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखे और उन्हें अकेला न छोड़े, मंदिर परिसर में लावारिश दिखने वाली वस्तुओं की सूचना मंदिर प्रशासन और पुलिस प्रशासन को दे.

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सावन के महीने में सारण जिले के लह्लादपुर प्रखंड स्थित ढो़ढ़नाथ मंदिर में शिवभक्त भारी संख्या में पहुंचते है. ढो़ढ़नाथ मंदिर में स्थापित प्राचीन शिवलिंग के जलाभिषेक के लिए लोग दूर-दूर से यहाँ आते है.

सावन के सोमवारी के अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा और जलाभिषेक होता है. एक अनुमान के अनुसार सोमवार के दिन लाखों लोग जलाभिषेक करने मंदिर पहुंचते है. सावन में श्रद्धालुओं के आगमन को लेकर मंदिर के साथ साथ समस्त परिसर को सजाया सवारा गया है. रात्री बिश्राम करने वाले शिव भक्तों के लिए मंदिर के बरामदे में विश्रामालय बनाया गया है. वही मंदिर के बाहरी हिस्‍से पर पंडाल की व्यवस्था है.

ढो़ढ़नाथ मंदिर में कावरियों द्वारा रिविलगंज से सरयू नदी का पवित्र जल लाकर जलाभिषेक किया जाता है.

कैसे पहुंचे ढो़ढ़नाथ मंदिर

इस मंदिर में पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी स्टेशन एकमा है. एकमा स्टेशन से उतर श्रद्धालू परसा केसरी होते हुए बनपुरा या दयालपुर के रास्‍ते मंदिर तक पहुँच सकते है.

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छपरा: सावन की दूसरी सोमवारी इस बार शिव भक्तों के लिए खास दिन है. कई वर्षो बाद ऐसा संयोग आया है जब सोमवारी के दिन ही शिवरात्रि है.

छपरा टुडे से बातचीत में पंडित द्वारिका नाथ तिवारी ने बताया कि इस सोमवार शिवभक्तो पर भगवान भोले शंकर की आपार कृपा होने वाली है. काफी वर्षो बाद ऐसा संयोग आने वाला है जब सोमवारी के दिन शिवरात्रि है.

इस दिन त्रि-तिथि स्पर्शा योग है. जब त्रयोदशी को स्पर्श कर रही चतुर्दशी तिथि है. साथ ही इसी दिन रात में अमावस्या का आगमन भी हो रहा है. इस कारण इस तिथि के आगमन का विशेष महत्व है.

इस तिथि को भगवान भोले शंकर की पूजा अर्चना करने वाले सभी भक्तों के लिए अत्यन्त पुण्य फलदायी है. उन्होंने बताया है कि यह सोमवारी सभी भक्तों को उपवास रखना चाहिए. भगवान भोले शंकर की पूजा अर्चना करनी चाहिए तथा शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए. एक ही दिन सोमवारी, शिवरात्रि तथा प्रदोष तीनों पावन योग है.

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वरिष्ठ पत्रकार नवीन सिंह परमार व डॉक्टर शम्भू यादव की रिपोर्ट

सीवान: उत्तरप्रदेश के सीमा से सटे जिले के गुठनी प्रखण्ड में अवस्थित भक्तवांच्छा कल्पतरू बाबा हंसनाथ की नगरी सोहगरा धाम धार्मिक आस्था का केंद्र है. मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए शिवभक्तों का जनसैलाब पहुंचता है. बाबा हंसनाथ मंदिर में स्थापित विशाल शिव लिंग पौराणिक काल से स्थापित है और शिवभक्तों के आस्था का केंद्र है.

ऐतिहासिक महत्व

ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार कई देशी-विदेशी इतिहासकारों ने अपनी यात्रा वृतांत में धार्मिक स्थलों के वर्णन के दौरान सोणितपुर या सोहनपुर का जिक्र किया है. सन् 630 ईसवी में चीनी यात्री ह्वेनसांग भी जब चन्द्रभूमि भारत के गंधार प्रदेश में प्रवेश किया और घूमते -घूमते बिहार आया तो धार्मिक स्थलों के परिभ्रमण में सोणितपुर /सोहनपुर का भी जिक्र किया है. (ह्वेनसांग यात्रा वृतांत हिंदी विश्वकोश).

ऐसा भी वर्णन मिलता है कि एक वार तत्कालीन मझौली नरेश महाराज हंस ने इस मंदिर का जिर्णोधार कराया था. जिससे इसका नाम हंसनाथ हो गया.

पौराणिक महत्व

पौराणिक दृष्टिकोण से भी इस स्थल का बहुत ही बड़ा महत्व है. जिसका वर्णन शिवपुराण के रूद्र संहिता (युद्ध खण्ड ) के पृ0सं0 355 में वर्णित है. कथा के अनुसार दक्ष प्रजापति की तेरह कन्यायें कश्यप मुनि से ब्याही थी. उनमें से दिति सबसे बड़ी थी जिससे दानवों की उत्पत्ति हुई थी. छोटी पुत्री अदिति से द्वादश आदित्य यानि देवता उत्पन्न हुए. दिति से हिरण्यकशिपु तथा हिरण्याक्ष उत्पन्न हुए. हिरण्यकशिपु के चार पुत्र लाद, अनुह्लाद, संह्लाद, प्रह्लाद हुए प्रह्लाद का पुत्र विरोचन उसका पुत्र बलि और बलि का पुत्र बाणासुर हुआ जो महान शिव भक्त था. बाणासुर ने कठिन तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न कर उनके परिवार और गणों सहित अपने राजधानी शोणितपुर में रहने के लिए वर प्राप्त कर लिया था. ऐसा कहा जाता है कि शोणितपुर ही कालांतर में सोहनपुर हो गया जिसकी राजधानी सोहगरा में बाणासुर ने इस विशाल शिव लिंग की स्थापना की थी.

सहस्त्रों भुजाओं से सम्पन्न महावली बाणासुर अपने बल के अभिमान में अपनी सहस्त्रों भुजाओं से ताली बजाता हुआ ताण्डव नृत्य करके महेश्वर शिव को प्रसन्न किया और युद्ध में अपना जोड़ लगाने का ही वर मांग लिया. शरणागतवत्सल भगवान शिव ने अट्ठाहास करके कहा कि तुम्हारे राज्य में लगा मयूर ध्वज जब अकस्मात झुक जायेगा तो समझ लेना तुम से लड़ने वाला आ गया है. एक दिन ऐसा ही हुआ, बाणासुर की बेटी ऊषा ने स्वप्न में एक सुन्दर पुरूष को देख लिया जिसने उसका चित चुरा लिया. अपनी सखी चित्रलेखा जो कल्पना मात्र से ही किसी का चित्र बना सकती थी द्वारा बनाए गए बहुत सारे चित्रो को देख उस पुरूष को पहचान लिया वह श्री कृष्ण का पोता प्रदुम्न का पुत्र अनिरूध था. चित्रलेखा की सहायता से वह उनका हरण कर सोणितपुर ले आई और बाणासुर से युद्ध हुआ शिष्य के तरफ़ से भगवान शिव भी युद्ध भूमि में उतर आए नारदजी से समाचार पाकर भगवान श्री कृष्ण भी बारह अछौहिणी सेना और प्रदुम्न आदि बीरो के साथ सोणितपुर चढ़ आए भगवान शिव के द्वारा ही उपाय बताए जाने पर श्री कृष्ण ने जृम्भणास्त्र संधान कर भगवान शिव को स्तम्भित कर दिया और बाणासुर की सेना को तहस नहस कर दिया और सुदर्शन चक्र से उसका वध करना चाहा लेकिन भक्तवांच्छा भगवान शिव के कहने पर उसे क्षमा कर दिया सिर्फ उसका 998 भुजा काट दिया.

साभार: श्रीनारद मीडिया सर्विसेज, सीवान

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छपरा: शहर के चांदमारी रोड स्थित श्री पंचमुखी महावीर मंदिर में बुधवार को भगवान बजरंग बली की पंचमुखी प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा किया गया. इस अवसर पर चांदमारी रोड स्थित समस्त मुहल्लावासियों समेत शहर के तमाम श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया.

पिछले पांच दिनों चल रहे अखंड अष्टयाम एवं कलश यात्रा के बाद प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा किया गया. इस अवसर पर वातावरण भक्तिमय और जय बजरंग बली और जय श्री राम के जयघोष से गुंजायमान रहा.

इस अवसर पर आयोजक बी. के. सिंह, हरेन्द्र सिंह, बी एन सिंह, देवेन्द्र सिंह, महेश्वर सिंह, मिथिलेश सिंह, सुरेश सिंह एवं सरोज प्रसाद सहित अन्य लोगों ने अपनी सहभागिता दी.

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