पटना: पूर्व उप मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सारण में जहरीली शराब से बड़ी संख्या में लोगों की मौत की जांच करने के लिए आयोग की टीम का आना एक रुटीन प्रक्रिया है। इससे सरकार क्यों डरी हुई है? मानवाधिकार आयोग की धारा-17(2) के अन्तर्गत आयोग को अधिकार है कि राज्य सरकार की रिपोर्ट से संतुष्ट न होने पर वह जांच के लिए अपनी टीम घटनास्थल पर भेज सकता है।
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मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) एक स्वायत्त संस्था है और यह केंद्र सरकार के निर्देश पर काम नहीं करती। आयोग ने भाजपा शासित राज्यों की घटनाओं पर भी संज्ञान लेकर जांच टीम भेजी है। सत्ता पक्ष के नेताओं को जानकारी देते हुए मोदी ने आज पटना में कहा कि आयोग ने गुजरात के मोर्वी में दुर्घटना के बाद वहां की राज्य सरकार को भी नोटिस भेजी थी। भाजपा शासित यूपी के आगरा और मध्यप्रदेश के ग्वालियर में मानसिक आरोग्य केंद्र की जांच के लिए भी आयोग की टीम गई थी।
राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में जब भाजपा सरकार में थी, तब आधे दर्जन से अधिक जहरीली शराब से जुड़े मामलों का संज्ञान मानवाधिकार ने लिया था। तब इसने संबंधित जिलों के एसपी और राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस देकर जवाब मांगा और तीन लाख रुपये तक मुआवजा देने का निर्देश दिया था। सुशील मोदी ने कहा कि जहरीली शराब से मौत के मामले में यदि बिहार सरकार कुछ छिपाना नहीं चाहती तो आयोग की टीम के दौरे का राजनीतिक विरोध क्यों किया जा रहा है?
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