प्रशांत किशोर ने जन सुराज की सोच को लेकर छपरा में किया संवाद

प्रशांत किशोर ने जन सुराज की सोच को लेकर छपरा में किया संवाद

Chhapra: प्रशांत किशोर ‘जन सुराज’ अभियान के तहत बिहार के विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हैं। इसी क्रम में वे सोमवार को सारण पहुंचे।

जिले में कई अलग अलग कार्यक्रमों में भाग लेते हुए प्रशांत किशोर ने समाज के प्रबुद्ध नागरिकों, युवाओं, महिलाओं, शिक्षकों, चिकित्सकों, अधिवक्ताओं से जन सुराज की सोच पर संवाद किया। लोगों ने भी प्रशांत किशोर से जन सुराज के बारे में जाना और सभी जरूरी सवाल पूछे। प्रशांत किशोर ने सभी सवालों के जवाब दिए और जन सुराज की परिकल्पना को लोगों के सामने रखा।

जन सुराज का अगर कोई दल बनेगा तो, वो बिहार के सभी सही लोगों का दल होगा

प्रशांत किशोर ने जन सुराज के विचार को रेखांकित करते हुए बताया कि जन सुराज के माध्यम से वह लोगों के साथ संवाद स्थापित करना चाहते हैं। प्रशांत किशोर ने कहा, “उद्देश्य है बिहार में एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाना। सत्ता परिवर्तन हमारा मकसद नहीं है। अगर पदयात्रा के बाद सब लोगों की सहमति से कोई दल बनता भी है तो वो बिहार के सभी सही लोगों का दल होगा, प्रशांत किशोर का दल नहीं होगा। सब मिलकर अगर तय करेंगे तो दल बनाया जाएगा। मैं अभी लोगों से बात करने, उनकी समस्याओं को समझने में अपना पूरा वक्त लगा रहा हूं।”

60 के दशक से ही बिहार विकास के मामले में पिछड़ता चला गया

बिहार की बदहाली पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले 30 साल की सरकारों ने जो अच्छे काम किए हैं उसे स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। चाहे लालू जी के सामाजिक न्याय की बात हो या नीतीश जी के आर्थिक विकास की बात हो, लेकिन सच्चाई यह है की 60 के दशक के बाद से ही बिहार विकास के तमाम मापदंडों पर पिछड़ता चला गया और आज बिहार विकास लगभग मामले में देश में सबसे निचले पायदान पर है। अगर यहां से बिहार को फिर से विकास के तमाम सूचकांक में देश के अग्रणी राज्यों में खड़ा करना है तो सभी सही लोगों को एक साथ आना होगा और मिलकर प्रयास करना होगा।

पदयात्रा के माध्यम से समाज के हर वर्ग तक पहुंचने का प्रयास करेंगे

प्रशांत किशोर ने कहा की वह 2 अक्तूबर से पश्चिम चंपारण के गांधी आश्रम से पदयात्रा शुरू करेंगे। इस पदयात्रा के माध्यम से वो बिहार के हर गली-गांव, शहर-कस्बों के लोगों से मुलाकात करेंगे और उनकी समस्याओं को सुनेंगे। उनसे समझेंगे कि कैसे बिहार को बेहतर बनाया जा सकता है। पदयात्रा में जब तक पूरा बिहार पैदल न चल ले, तब तक वापस पटना नहीं जाएंगे। समाज में ही रहेंगे और समाज को समझने का प्रयास करेंगे। समाज को मथ कर सही लोगों को एक मंच पर लेकर आएंगे।

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