वाराणसी: वाराणसी मण्डल ने अपने प्रयास से नैरो गेज के इंजन को एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में बनारस स्टेशन में पर स्थापित किया गया है.
धरोहर के रूप में बनारस रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शित नैरो गेज (NG) डीजल इन्जन ZDM, -541 का निर्माण 1993 में चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स द्वारा किया गया था.
इस इंजन को पश्चिम रेलवे के बड़ौदा मण्डल में ” मियागाम कर्जन जं. से मोतीकोरल “,” मलसार से डभोई जं.” तथा “प्रतापनगर से जम्बूसर जं” के बीच उपयोग में लाया जाता था. जिसकी गति 50 किमी प्रति घण्टा थी.
भारत में प्रथम नैरोगेज का निर्माण 1863 में किया गया, जो उस समय बड़ौदा स्टेट रेलवे के अधीन था. कम जगह में मुड़ सकने तथा तीखी ढलान चढ़ाई पर चल सकने की क्षमता के कारण रेलवे में प्रारम्भिक दौर में देश के कई पहाड़ी तथा अन्य दुर्गम क्षेत्रों में नैरोगेज रेलवे लाईने बिछायी गयी थीं.
हमारे देश में नैरो गेज बड़ी तेजी से विलुप्त हो रहे है. वर्तमान में नैरो गेज का अधिकतर भाग बड़ी लाईन में परिवर्तित हो चुका है. जिसके कारण नैरो गेज की गाड़ियां बन्द हो जायेगी.
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