नहाए खाय के साथ चारदिवासीय महापर्व छठ का अनुष्ठान प्रारंभ

Chhapra: लोक आस्था के महापर्व छठ का चारदिवसीय अनुष्ठान शुक्रवार से प्रारंभ हो गया. पहले दिन नहाय खाय के साथ व्रतियों ने इस महापर्व की शुरुआत की.

इसके बाद व्रती अनुष्ठान के तहत व्रती खरना, प्रथम दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे वही दूसरे दिन अनुष्ठान के चौथे दिन व्रती उदयीमान भगवान को अर्घ्य देंगे.

चारदिवासीय अनुष्ठान को लेकर पूरा बाजार सामग्रियों से सजा पड़ा है. महापर्व में उन सभी सामग्रियों की जरूरत होती है जो सभी समुदाय से मिलते है.

छठ में मुख्य रूप से बांस के दौरा, कलसुप, फल और सब्जियों के साथ साथ गुड़ के पकवान की महानता है.

Chhapra: छठ के लोकगीत हमेशा से इतने मनभावन होते है की उन्हें सुनते ही उसमे सभी रम जाते है. छठ के गीतों के धुनों को सुनते ही लोग इस महान पर्व के अलौकिक छटा को याद करने लगते है.

छठ पूजा का एक ऐसा ही भोजपुरी गीत इन दिनों लोग खूब पसंद कर रहें है. इस गीत को छपरा के अभिषेक अरुण ने लिखा और गाया है. खास बात यह है कि इस गीत के साथ एक वीडियो भी जारी किया गया है, जिसे छपरा के ही विभिन्न स्थानों पर फिल्माया गया है. 

‘छठ करिह जरुर’ नाम से जारी इस एल्बम का गीत एक वीडियो के साथ आगे बढ़ता है जिसमे प्रदेश से घर लौटे एक युवक के अन्दर छठ पूजा को करने की चाहत और उसके लिए जरुरी पैसे को जुटाने की जद्दोजहद को बेहद शानदार तरीके से प्रस्तुत किया गया है.

छपरा टुडे डॉट कॉम से बातचीत में अभिषेक अरुण ने कहा कि छोटा शहर, कम रिसोर्स, कम बजट में काम करना मुश्किल होता है, लेकिन जज़्बा हो तो कुछ भी हो सकता है, एक प्रयास था कुछ अच्छा करने का, लोग इस वीडियो को इतना प्यार देंगे ये तो मैंने सोचा ही नहीं था.

अभिषेक पिछले तीन वर्षों से छठ विषय पर म्यूजिक वीडियो बनाते आ रहे हैं. जिसमें वे अलग अलग कहानियों के साथ गायकी का भी प्रदर्शन अच्छे तरह से करते हैं.

छठ के इस भोजपुरी गीत को लोक खासा पसंद कर रहें है. लोग इसे सोशल पर शेयर कर अपने विचार भी प्रकट कर रहें है.

आप भी देखिये VIDEO (साभार:फ्रेमज़ोमेनिया)

गीत, गायक, वीडियो निर्देशक – अभिषेक अरुण
म्यूजिक डायरेक्टर – अप्रतीम त्रिपाठी
म्यूजिक सुपरविशन – अजय त्रिपाठी का
सिनेमेटोग्राफी और संकलन – शक्ति डॉस
बांसुरी वादन – अतुल शंकर
वोकल सपोर्ट और आलाप – ऋषव तुषार
बैनर – फ्रेमज़ोमेनिया

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Chhapra: आस्था के महापर्व छठ उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य के साथ संपन्न हो गया . व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला व्रत रख अर्घ्य दिया. उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद सभी ने पारण किया और प्रसाद वितरण किया.

 पारंपरिक लोक गीतों के साथ महिलाओं ने छठ घाटों पर कोशी भरा. अहले सुबह लोग छठ पूजा घाटों पर पहुंचे. पहले कोशी भरने की परंपरा को पूरा किया गया.

इस दौरान घाटों पर अलौकिक दृश्य देखने को मिला. सभी छठ महापर्व में लीन दिखे. व्रतियों को घाटों पर लाने उन्हें कोई कष्ट ना हो इसके लिए खास इंतजाम किये गए थे.

पूजन सामग्री का हुआ वितरण
शहर के पूजा घाटों पर दूध, पुष्प, अगरबत्ती आदि का वितरण भी पूजा समितियों के द्वारा किया गया.

खूब ली गयी सेल्फी
छठ पूजा में दूर दूर से अपने शहर पहुंचे लोगों ने घाटों पर अपनों के साथ खूब मस्ती की और इस दौरान सेल्फी का भी दौर चला.

सुरक्षा को लेकर पूजा समितियां रही सजग
महापर्व के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पूजा समितियों ने अपने स्तर से व्यापक इंतजाम किये थे. पूजा समितियों के स्वयंसेवक लगातार लोगों पर ध्यान दे रहे थे. लाउडस्पीकर के माध्यम से जरुरी निर्देश दिए जा रहे थे. वही घाटों पर गोताखोर और नाव की व्यवस्था भी की गयी थी.

छपरा टुडे डॉट कॉम की टीम भी शहर के विभन्न घाटों पर मौजूद रही और आपतक वीडियो, LIVE और तस्वीरों को पहुँचाया. हमारा यह प्रयाश आपको कैसा लगा बताइयेगा ज़रुर. अपने feedback आप हमें chhapratoday@gmail.com पर भेज सकते है.


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Chhapra: जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के संयुक्तादेश के आलोक में अनुमंडल पदाधिकारी सदर अभिलाषा शर्मा के द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की घारा-144 के तहत सम्पूर्ण सदर अनुमडल क्षेत्र में छठ पर्व के प्रारम्भ होने की तिथि से समाप्ति की तिथि तक निरोधात्मक कार्रवाई के रुप में निषेधज्ञा लागू की गयी है.

छठ में इन कार्यो पर लगी है रोक

  • छठ पर्व के अवसर पर
  • घाटों पर अनुष्ठान के दौरान पटाखा की बिक्री एवं प्रयोग पूर्णतः वर्जित रहेगा
  • घाटो पर तैराकी और जल क्रीड़ा बंद रहेगा
  • गंगा, सरयु एवं एवं गंडक सहित अन्य नदियां में सरकारी नाव को छोड़ कर किसी अन्य प्रकार के नाव का परिचालन नहीं होगा
  • डीजे का प्रयोग पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा
  • ध्वनि विस्तारक यंत्र 40 डेसीबल से अधिक आवाज में नहीं बजेगा तथा इस पर अशलील गीत संगीत, जाति, धर्म को आक्रोशित करने वाले गीत नही बजेंगे
  • लाउडस्पीकर बजाना रात्रि 10 बजे से प्रातः 6 बजे तक प्रतिबंधित किया गया है
  • अनुमण्डल क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति आग्नेयास्त्र, धारदार हथियार या घातक हथियार का प्रदर्शन नहीं करेंगा

Chhapra: दीपावली, लक्ष्मी पूजा और लोक आस्था का महापर्व छठ के अवसर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समाहरणालय सभागार में विधि-व्यवस्था को लेकर बैठक की गयी. जिसमें पुलिस अधीक्षक श्री हरकिशोर राय के साथ-साथ जिलास्तरीय पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी आदि उपस्थित थे.

जिलाधिकारी ने कहा कि छठ पूजा के महातम्य को देखते हुए सभी छठ घाटों का का निरिक्षण करने और खतरनाक घाटों को चिन्हित करते हुए इनकी सूचना स्थानीय लोगों को पहले देने का निर्देश दिया. उन्होंने माइकिगं भी कराने का निर्देश दिया. चिन्हित घाटों ओएर पोस्टर या फ्लैक्स लगा के निर्देश दिए.

छठ घाटों की वैरिकेटिंग के कराने के निर्देश
साथ ही जिन घाटों पर छठ किया जाना है वहाँ वैरिकेटिंग कराकर लाल झण्डे़ का निशान लगाने और नाव एवं गोताखोरों की व्यवस्था करने के निर्देश दिए साथ ही गोताखोरों का नाम और मोबाइल नम्बर पहले ही प्राप्त कर लिया जाय.

घाटों पर करें पर्याप्त लाइटिंग व्यवस्था
घाटों पर पूजा समितियों से वार्ता कर पर्याप्त लाइटिंग की व्यवस्था करायी जाय. वैसें घाट जहाँ बड़ी संख्या में भीड़ एकत्रित होती है वहाँ पब्लिक एड्रेस सिस्टम लगायी जाय. वहाँ के लिए एस डी आर एफ की टीम व्यवस्था भी करायी जा रही है.

छठ घाटों पर आतिशबाजी पूर्णतः प्रतिबंधित
छठ घाटों पर आतिशबाजी पूर्णतः प्रतिबंधित करने का जिलाधिकारी ने निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि वैसे तलाब जो ज्यादे गहरे है अगर वहाँ छठ पूजा की जानी है तो वहा भी वैरिकेटिंग करायी जाय.

कालीपूजा के संबंध में जिलाधिकारी द्वारा निदेश दिया गया कि थाना स्तर पर शांति समितियों की बैठक कर लिया जाय एवं कालीपूजा के लिए स्थापित किये जाने वाले मूर्ति हेतु अनुज्ञप्ति दिया जाय तथा मूर्ति के विसर्जन का मार्ग तथा समय निर्धारित कर दिया जाय. इन अवसर पर डीजे पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा. केवल लाउडस्पीकर का उपयोग किया जाय.

रात्रि के 10 बजे के बाद नहीं होगी पटाखाबाजी
पर्व त्योहार के अवसर पर किये जाने वाले पटाखाबाजी के संदर्भ में जिलाधिकारी ने कहा कि पटाखाबाजी रात्रि के 10 बजे के बाद नहीं किया जाय इसे सभी थाना प्रभारी सुनिश्चित करायें. पटाखा दुकान खुले स्थान पर हो पतली गली में नही हो यह भी सुनिश्चित करायी जाय. पटाखा भण्डारण का जगह भी भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र में नहीं होना चाहिए यह भी देखें. वैसे पटाखे जिसे प्रतिबंधित कर दिया गया है उसे नहीं छोड़ा जाना चाहिए.

पुलिस अधीक्षक हर किशोर राय ने कहा कि रात्रि में पुलिस बाधा दी गयी है. सुनसान इलाको में विशेष व्यवस्था रखी जा रही है. होटल, वस स्टैण्ड एवं अन्य सार्वजनिक सथलों की जाँच की जा रही है. पर्व-त्योहार के अवसर पर यातायात को सुचारू रखने की व्यवस्था की गयी है. उन्होने कहा कि छपरा जंक्शन से पुलिस के द्वारा रात्रि बस सेवा उपलब्ध करायी जा रही है यात्रिगण उसका भी उपयोग कर सकते है.

Chhapra: चैती छठ नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया. छठ पूजा को लेकर घाटों के निर्माण में जुटें समितियों के लिए नदी घाटों के नजदीक पानी नहीं होने से परेशनी हो रही है. छठ घाटों का निर्माण कृत्रिम तरिके से किया जा रहा है. इसके लिए जेसीबी की सहायता से रेत इकठ्ठा कर घाटों का निर्माण स्थानीय लोगों के द्वारा कराया जा रहा है.\

शहर के सभी नदी घाटों का बमुश्किल यही हाल है. व्रतियों को परेशानी ना हो इसके लिए समितियों के द्वारा अपने स्तर से तैयारियां करायी जा रही है. छठ पूजा में नदी घाटों के आलावे लोग छतों और तालाबों के किनारे भी पूजा करते है.

छपरा शहर के पूर्वी भाग स्थित नदी घाटों में छठ पूजा के लिए चल रही तैयारियों का हमारे संवाददाता कबीर ने जायजा लिया.

देखिये यह रिपोर्ट

Chhapra: आस्था के महापर्व के जश्न में सभी गोते लगा रहे है. चार दिवसीय महापर्व के तीसरे दिन संध्या पहर में अस्ताचलगामी भगवान को अर्घ्य दिया गया.

वही छठ घाटो से वापसी के बाद व्रतियों ने अपने अपने घरों में कोसी भरी गयी. घर के सभी सदस्यों के साथ व्रतियों ने कोसी भरी. इस अवसर पर व्रतियों और महिलाओं ने पारंपरिक छठ गीतों को भी गाया जा रहा था.

ऐसी मान्यता है कि अपने मन्नतों की पूर्ति होने के बाद छठ व्रती अनुष्ठान के तीसरे दिन प्रथम अर्घ्य देने के बाद अपने घर के आँगन एवं छत पर कोसी भराई की विधि पूरी की जाती है. दूसरे दिन प्रातः अनुष्ठान के चौथे दिन छठ घाट पर पुनः इन कोसी को भरा जाता है. जिसके बाद उदयीमान भगवान भाष्कर को अर्घ्य दिया जाता है.

Chhapra: आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो चुका है. अनुष्ठान के दूसरे दिन सोमवार को व्रतियों ने नदी, सरोवर एवं तालाबों में स्नान कर पूजा अर्चना की. स्नान ध्यान के बाद व्रति अब संध्या में भोजन की तैयारी करेगी.

व्रत के दूसरे दिन व्रती गुड़ की खीर, रोटी, पराठा एवं केला से खरना विधि को पूरा करती है. खरना विधि के साथ ही सूर्य आरधना के महापर्व छठ को लेकर 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारम्भ हो जाएगा.

Chhapra: दूर देश-विदेशों रहने वालों को हर समय अपनी मिट्टी की याद आती है. खासकर त्योहारों में तो अपने शहर देश से दूर रहना सभी को खलता है. ऐसे में जो जहाँ है वही से त्योहारों से जुड़ना चाहते है. डिजिटल क्रांति के इस युग में सोशल साइट्स ने दूरियाँ कम की है. लोग अपने शहर और वहां के त्योहारों को देख पा रहे है और उनसे जुड़ भी रहे है.

देश से दूर रहने वाले कई लोगों के छपरा टुडे डॉट कॉम को छठ के गीत अपनी आवाज़ में गाकर भेजें है. कनाडा के टोरंटो में रहने वाली सुमिता सिन्हा उनमे से एक है.

सुमिता ने भोजपुरी स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के गाए कई गीतों को अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड कर हमें भेजा है. सुमिता कनाडा में आईटी कंसल्टेंट् है और मूल रूप से सारण की रहने वाली है. उनके पिता इंजिनियर व गाडा के चेयरमैन रह चुके है. वही उनके दादाजी छपरा के जाने माने वरिष्ठ अधिवक्ता थे.

कई वर्षों से अमेरिका में रहने के बावजूद अपने लोगों और अपनी संस्कृति से उनका जुड़ाव बना हुआ है. छठ पूजा के गीतों को गाकर उन्होंने अपने संस्कृति और परंपरा को जीवंत रखने की कोशिश की है. अपनी परंपराओं और संस्कृति से जुड़े रहना अपने आप में सराहनीय है.  

आप भी सुनिए (वीडियो साभार: Sumita Sugandha)

उन्होंने बताया कि मैथिली भाषा में छठ पूजा का एक पारंपरिक गाना गाने की कोशिश की है. यह गीत सुबह के अर्घ्य में गाया जाता है.

आप भी सुनिए.

 

Chhapra: छठ पूजा की महिमा और इसकी लोकप्रियता सर्वविदित है. दूर देश रहने वाले लोग भी छठ में अपने घर आते है और परिवार वालों के साथ छठ पूजा करते है.

लोक आस्था के इस महापर्व की शुरुआत आज से हो रही है. व्रतिया आज नहाय खाय के साथ चार दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत करेंगी.

नहाय-खाय पर व्रती स्नान आदि कर छठ का प्रसाद बनाएंगी और ग्रहण करेंगी.

छठ पूजा को लेकर बाज़ारों में भी रौनक बढ़ गयी है. सालों भर घर से दूर रहने वाले भी छठ में घर पहुंचे है और इस महापर्व को मनाने में जुटे है.

chhapratoday टीम की ओर से आप सभी को महापर्व छठ की हार्दिक शुभकामनायें.

Chhapra/Doriganj:  चार दिवसीय सूर्य उपासना के पावन पर्व छठ व्रत के पहले दिन नहाय खाए के अवसर पर छठ व्रतियों ने गंगा के पावन जल मे स्नान किया. इस अवसर पर डोरीगंज के विभिन्न घाटों बंगाली बाबा घाट, तिवारी घाट, महुआ घाट, रहरिया घाट, डोरीगंज घाट सहित सभी घाटों पर हजारों छठ व्रतियों ने गंगा मे स्नान कर भगवान सूर्य को जल अर्पित किया.

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नहाय खाए पर गंगा मे स्नान को विशेष महत्व दिया गया है. जिसे देखते हुए दूर दराज के गाँवों के साथ साथ छपरा शहर से भी हजारों की संख्या मे छठ व्रती गंगा मे स्नान को पहुँचे थे. सभी घाटों पर मेले सा नजारा था. खासकर बंगाली बाबा घाट पर व्रतियों की खासी भीड़ देखी गयी.

नहाय खाए के साथ ही छठ पर्व की शुरुआत हो गयी है. इसके बाद 22 को खरना 23 को पहला अर्ध्य एवं 24  मार्च को परना यानि उगते सूर्य को अर्ध्य के साथ छठ व्रत की समाप्ति हो जाएगी.

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वैसे तो यह पर्व पूरे देश मे मनायी जाती है लेकिन बिहार मे यह पर्व खासी उत्साह एवं श्रद्धा के साथ मनायी जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सारे कष्ट दैहिक, दैविक एवं भौतिक सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है एवं शरीर मे एक नई उर्जा का संचार होता है.

(सुरभित दत्त)

छठ पूजा की परंपरा दूर देश रहने वाले लोगों को उनके घर की ओर खींचती है. सालों भर अपने घर से दूर रह जीवन यापन करने वाले लोग छठ पर्व के अवसर पर घर जरूर आते है. छठ पूजा अपनी संस्कृति और परम्पराओं से परिचय कराती है. नई पीढ़ी को परंपरा से अवगत कराती है.

छठ पर्व पर रिश्तों को जोड़ने का एक मौका होता है जब घर का हर सदस्य, पड़ोसी सभी द्वेष मिटा कर एक साथ घाट पर पूजा करने पहुंचते है और एक दूसरे की मदद भी करते है. दूर-देश और विदेश में रहने वाले लोग भी अपने गांव देहात तक पहुंचते है और आस्था के महापर्व छठ में सम्मिलित होते है. कई महीनों से छुट्टी मिलने का इंतज़ार कर रहे लोग छुट्टी मिलते ही अपनी मिटटी से जुड़े इस महान पर्व में शामिल होने पहुंचते है.

छठ पूजा के चार दिनों तक चलने वाले अनुष्ठान की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. जिसके पूर्व लोग तैयारियों में जुटे जाते है.
आम हो या खास सभी छठपूजा में घर पहुंच कर चार दिवसीय इस अनुष्ठान में सम्मिलित होना चाहते है. शहर से लेकर गांव तक पूजा की रौनक देखते ही बनती है. बाज़ारों में सजे फल के दुकानों से लेकर सुप और दउरा तक. संध्या अर्घ्य और फिर प्रातःकाल में भगवान भास्कर को अर्घ्य समर्पित किया जाता है. तब जाकर यह पर्व संपन्न होता है.  

महापर्व छठ: अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य संपन्न

बदलते दौर में छठ पूजा ने भी व्यापक रूप ले लिया है. गांव और शहर के नदी, पोखर के घाटों पर होने वाला छठ पूजा अब महानगरों तक पहुंच चुका है. वैसे लोग जो छठ पूजा में घर नही आ सकते वे जहां है वही पूजा कर रहे है. छठ पूजा की महिमा को जानने के बाद अन्य राज्यों के लोग भी छठ पूजा करने लगे है. दिल्ली हो या अमेरिका का टेक्सास हर जगह बिहार के लोग है और वे सभी छठ के महत्व को समझते हुए पूजा करने में व्यस्त होते है.


आधुनिक दौर में छठ पर्व की महत्ता विधमान है. आज भी लोग छठ पूजा को सभी त्योहारों से उपर मानते है. इस पूजा में साक्षात भगवान् भास्कर की पूजा की जाती है. नदियों घाटों पर अर्घ्य देने के लिए शाम और फिर सुबह में लोग पहुंचते है. इसे लेकर साफ़ सफाई का भी पूरा ध्यान रखा जाता है. सभी लोग साफ़ सफाई में मदद करते है, चाहे वह किसी भी धर्म के हो.

छठ पूजा अपनी संस्कृति से जोड़े रखने और उसका महत्त्व बताने का एक महान पर्व है. तो आइये हम सब भी जुड़े अपनी संस्कृति से और छठ के इस महान पर्व में शामिल हो.

||जय छठी मैया||