इसुआपुर: चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों को 28 फरवरी को मिलेगा नियोजन पत्र

इसुआपुर: 3 वर्षो बाद उनके चेहरों पर मुस्कान देखने को मिलेगी जिन्होंने नौकरी पाने के लिए आवेदन तो किया था 2019 में लेकिन जटिल समस्यायों के कारण 2022 में उन्हें नियोजन पत्र मिलने का रहा है.

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मुकबधिरो के लिए 90 दिवसीय प्रशिक्षण का उद्घाटन

जनता शराब की बिक्री एवं सेवन करने वालों की जानकारी देकर सामाजिक दायित्व का निर्वाह करें: थानाध्यक्ष

नियोजन पत्र वितरण को लेकर प्रखंड विकास पदाधिकारी पुष्कल कुमार ने पत्र जारी कर दिया है. सोमवार 28 फरवरी को प्रखंड नियोजन इकाई एवं पंचायत नियोजन के तहत चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों को नियोजन पत्र दिया जाएगा. वर्ष 2019-2020 शिक्षक नियोजन के प्रखंडाधिन 13 पंचायत एवं प्रखंड स्तरीय शिक्षक नियोजन में चयनित अभ्यर्थियों को प्रखंड कार्यालय परिसर में 28 फरवरी को नियोजन पत्र वितरित किया जाएगा. जो कार्यालय अवधि में ही वितरित किया जाएगा.

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सरकार और प्रशासनिक उदासीनता से शिक्षक बेहाल, ना समय पर वेतन ना प्रोन्नति: बंशीधर ब्रजवासी

Chhapra: परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ राज्य इकाई के अध्यक्ष बंशीधर बृजवासी रविवार को छपरा पहुंचे. संगठन के सदस्यों ने यहां उनका जोरदार स्वागत किया.

सारण जिला इकाई द्वारा आयोजित उनके स्वागत सम्मान समारोह में बोलते हुए प्रदेश अध्यक्ष श्री ब्रजवासी ने कहा कि राज्य सरकार और विभागीय पदाधिकारियों की असंवेदनशीलता के कारण शिक्षकों की समस्याओं का सभी जिला में अंबार लग गया है.

चार पांच माह से किसी-किसी जिला में वेतन लंबित है, समय पर जिला को आवंटन प्राप्त नहीं हो रहा है. ग्रुप ब, C, D का वेतन निर्धारण न्यायलय के नियम के आलोक में नहीं हो रहा है. बरसों से स्थानांतरण की बाट जो रहे शिक्षकों को केवल आश्वासन की घुट्टी पिलाई जा रही है. वही नव प्रशिक्षित शिक्षकों के अंतर वेतन का भुगतान भी वर्षों से लंबित है. मृत शिक्षकों के आश्रित अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को विवश है. वर्ष 2016 के पश्चात दक्षता परीक्षा आयोजित नहीं की गई जिस कारण शिक्षकों के वेतन को कम करके निर्धारण किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि सभी समस्याओं के समाधान हेतु सभी प्रखंडों में समस्या संग्रह अभियान चलाया जाएगा. परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ बजट सत्र के दौरान शिक्षकों की समस्याओं का मजबूती से उठाने के लिए सभी सांसदों, पार्षदों और विधायकों का घेराव करेगा.

वही व्रजवासी ने कहा कि प्रखंडों में बैठक आयोजित कर सदस्यता अभियान चलाकर इकाइयों का पुनर्गठन किया जाएगा. साथ ही प्रक्रियाधीन नियोजन के अंतर्गत बहाल होने वाले शिक्षकों के लिए स्वागत समारोह का भी आयोजन किया जाएगा.

बैठक में सारण जिला सचिव संजय राय, जिला महासचिव संजय राय, देव सिंह, निर्मल पांडे, निजाम अहमद, मुकेश कुमार, विनोद राय, इंद्रजीत महतो, अशोक यादव, हवलदार माझी सहित सैकड़ों शिक्षक नेता उपस्थित थे.

विभागीय पत्र पर शिक्षकों ने जताया आक्रोश, कहा अविलंब रद्द करें पत्र अन्यथा होगी तालाबंदी

Chhapra: राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के अपर सचिव द्वारा शराब बिक्री और सेवन करने वाले का पता लगाने का कार्य शिक्षकों से कराने संबंधी पत्र का कड़ा विरोध शिक्षक संगठनों ने किया है. शिक्षकों ने अविलंब इस फरमान के लेटर को रद्द करने का आह्वान करते हुए सूबे में बंद स्कूलों को खोलने की मांग की गई.

शिक्षकों ने आदेश की प्रतियां भी जलाते हुए सरकार के विरुद्ध नारे लगाए.

स्थानीय जिला स्कूल परिसर में परिवर्तनकारी शिक्षक संगठन के सदस्यों द्वारा विभागीय पत्र का जोरदार विरोध करते हुए आदेश की प्रतियां जलाई गई. शिक्षक नेता समरेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि सरकार के आलाधिकारी एसी कमरों में बैठकर उलुलु जुलूल पत्र निकालते है. शिक्षकों से पियकड़ो को पहचानने शराब बेचने वालों की जानकारी देने संबंधी पत्र पर शिक्षक संघ घोर आपत्ति जताते हुए इसे अविलंब रद्द करने की मांग करता है. शिक्षकों कलम के सिपाही है इनसे कलम से सम्बंधित कार्य लिया जाना चाहिए. आप विद्यालयों को सुचारू कीजिये शिक्षक पठन पाठन का कार्य करेंगे.

यह सरकार की विफलता का घोतक है कि सूबे में शराबबंदी अभियान फेल है. सरकार से लेकर डीजीपी और थानेदार से लेकर चौकीदार तक सबको मालूम है शराब कहा से आता है, कहा जाता है, कौन खरीददारी करता है, कौन बेचता है. ऊपर से नीचे तक सबकी मिलीभगत है इसमें निरीह कामजोर शिक्षकों को लगाकर उनकी अस्मिता सम्मान को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने मुख्यमंत्री से आह्वान किया कि आपके पास पूरा तंत्र है, प्रशासनिक से लेकर पुलिस महकमा है. उन्हें लगाइए उनके जमीर को जगाइए कि निस्वार्थ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर शराब और शराबी, शराब व्यवसाय को पूरी तरह से समाप्त करें.

श्री सिंह ने सीधे तौर पर कहा कि अगर यह पत्र वापस नही होता है तो इस पत्र के खिलाफ स्कूलों में तालाबंदी की जाएगी, आंदोलन के लिए शिक्षक तैयार है. शिक्षकों को सिर्फ पठन पाठन की जिम्मेवारी दी जाय.

Chhapra: जिले के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक शिक्षिकाओं को फोटो, मोबाइल नंबर सहित अन्य जानकारियों को लगाया जाएगा. शिक्षा विभाग के द्वारा निर्गत इस आदेश पर भले ही शिक्षक संघ नाराज हो इसके बावजूद भी सरकार के इस फरमान पर गतिविधि तेज हो गयी है.

राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा जारी इस फरमान को अमली जामा पहनाने के लिए पदाधिकारी आदेश जारी कर चुके है. उधर स्कूलों में भी इसको मूर्त रूप दिया जा रहा है.

शिक्षा विभाग द्वारा विगत माह में विद्यालय में कार्यरत शिक्षक शिक्षिकाओं की फोटो सहित मोबाइल नम्बर, नाम, शैक्षणिक योग्यता एवं अन्य जानकारी युक्त फ्लैक्स का निर्माण कर स्कूल परिसर के बरामदे में लगाने का निर्देश जारी किया गया था.

इस आदेश के बाद कई स्कूलों में यह कार्य शुरू हुआ लेकिन ज्यादातर स्कूलों में यह कार्य ना के बराबर था. शिक्षा विभाग द्वारा अनिवार्य रूप से उस आदेश को शत प्रतिशत पालन करने के लिए पुनः निर्देश देते हुए इसका पालन करने का निर्देश दिया है. जिसके बाद विद्यालयों में इसके प्रति सक्रिययता बढ़ गयी है.

उधर इस आदेश का शिक्षक संघों ने विरोध किया है. शिक्षक नेताओं का कहना है कि विद्यालय के बरामदे में शिक्षक और शिक्षिकाओं की फोटो और मोबाइल नंबर से उनके साथ अप्रिय घटना हो सकती है. सरकार और विभाग इस फरमान को वापस ले.

Chhapra: दीक्षा ऑनलाइन प्रशिक्षण में विभिन्न मॉड्यूल के प्रशिक्षण से वंचित हो चुके शिक्षकों को पुनः एक मौका मिला है. जिसके तहत वह विगत वर्ष से आयोजित दीक्षा प्रशिक्षण में छूट चुके प्रशिक्षण को पूरा कर सकते है. राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद पटना के निदेशक गिरिवर दयाल सिंह ने पत्र जारी करते हुए निर्देश जारी किया है.

जारी पत्र में निदेशक ने कहा है कि दीक्षा ऑनलाईन प्रशिक्षण में 18 मॉड्यूल का प्रशिक्षण पूर्ण हो चुका है. लेकिन संज्ञान में आ रहा है कि कई शिक्षक इस प्रशिक्षण के कई मॉड्यूल को पूरा नही कर पाए जिससे उनका प्रशिक्षण पूर्ण नही हो सका. प्रशिक्षण पूरा नही करने वाले शिक्षकों को एक मौका देते हुए पुनः ऑनलाइन प्रशिक्षण के लिए साइट ओपेन हो रहा है.

निदेशक ने बताया कि NCERT दिल्ली से प्राप्त दिशा निर्देश के आलोक में आगामी 20 जनवरी से 16 फरवरी 2021 तक सभी 18 मॉड्यूल को रिओपेन किया जा रहा है.

इस प्रशिक्षण में ऑनलाइन प्रशिक्षण को पूरा नही करने वाले शिक्षकों के साथा साथ फेस टू फेस प्रशिक्षण को पूरा करने वाले शिक्षक भी भाग ले सकते है. इसके लिए शिक्षकों को अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा.

Chhapra: जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ फारूक अली ने परसा स्थित प्रभुनाथ सिंह महाविद्यालय का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने महाविद्यालय से गायब शिक्षकों का एक दिन का हाज़िरी काटते हुए महाविद्यालय की व्यवस्था में सुधार लाने का निर्देश दिया.

कुलपति डॉ अली ने महाविद्यालय कर्मियों को अपनी गतिविधियों में भी सुधार लाने का निर्देश दिया.

शनिवार को कुलपति डॉ फ़ारुख अली अचानक प्रभुनाथ सिंह महाविद्यालय पहुंच गए. इस दौरान महाविद्यालय के करीब एक दर्जन शिक्षक अनुपस्थित थे.

कुलपति ने सभी अनुपस्थित शिक्षक एवं कर्मी का एक दिन का हाज़िरी काट दी. वही महाविद्यालय की लचर व्यवस्था को लेकर प्राचार्य पुष्पराज गौतम और बर्सर को फटकार लगाते हुए महाविद्यालय में विधि व्यवस्था में सुधार लाते हुए बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाने का निर्देश दिया.

विगत दिनों जेपीवीवी में कुलपति के पद पर योगदान देने के बाद डॉ फ़ारुख अली लगातार विश्वविद्यालय के साथ महाविद्यालयों में शैक्षणिक व्यवस्था बेहतर करने के प्रयास में जुटे है. कुलपति द्वारा महाविद्यालय के ख़िलाफ़ प्राप्त शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है. कुलपति डॉ फ़ारुख अली द्वारा लगातार महाविद्यालयों का औचक निरीक्षण कर महाविद्यालयों की लचर स्थिति और शिक्षकों की गैरहाज़िरी को ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है.

बताते चले कि प्रभुनाथ सिंह महाविद्यालय छात्र संघ द्वारा महाविद्यालय में छात्रों की सुविधा का अभाव एवं ध्वस्त हो चुकी शैक्षणिक व्यस्था को लेकर शिकायत पत्र कुलपति को दिया गया था.

Bihar: शिक्षा के क्षेत्र मे उत्कृष्ट योगदान देने पर 5 सितम्बर 2020 को बिहार के दो शिक्षकों ने राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान प्राप्त कर अपने प्रखंड, जिला और प्रदेश का नाम रौशन किया. इस पर बिहार सरकार ने भी सम्मान सभा का आयोजन करने और भारत सरकार द्वारा सम्मानित दोनो शिक्षकों को पटना सचिवालय मे सम्मान समारोह का आयोजन कर सम्मानित किया.

इस अवसर पर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय सिंह द्वारा शिक्षकों को पुष्पगुच्छ, प्राथमिक शिक्षा निदेशक रंजीत कुमार सिंह द्वारा मोमेंटो व बिहार के शिक्षामंत्री कृष्णनंदन वर्मा द्वारा तीस हजार रूपये का चेक शिक्षकों को प्रदान किया.

शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2020 प्राप्त कर बिहार का नाम रौशन करने पर बिहार के दोनो शिक्षकों को बधाईयां दी. राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान प्राप्त कर्ता शिक्षकों मे बिहार के सारण जिला के गडखा प्रखंड स्थित मध्य विद्यालय चैनपुर भैसमारा के प्रधानाध्यापक अखिलेश्वर पाठक व उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय खरमौली बेगुसराय के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्तकर्ता संत सहनी शामिल थे.

इन दोनो शिक्षकों के साथ बिहार के मुजफ्फरपुर, नालंदा व बेतिया के डीईओ को भी मोमेंटो, पुष्पगुच्छ एवं शाल देकर सम्मानित किया गया.

विदित हो कि बिहार मे शिक्षक दिवस के दिन शिक्षक कल्याण कोष मे सर्वाधिक राशि जमा कराने वाले जिला शिक्षा पदाधिकारीयों के बिहार सरकार द्वारा सम्मानित करने की परंपरा रही है. लाक डाउन मे भी इन तीन जिला शिक्षा पदाधिकारीयों ने सर्वाधिक राशि जमा कराकर सम्मान प्राप्त किया. तीन शिक्षा पदाधिकारियो मे सारण के पूर्व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना रहे मनोज कुमार वर्तमान मे नालंदा के जिला शिक्षा पदाधिकारी है शामिल थे.

सारण के चैनपुर भैसमारा के शिक्षक श्री पाठक ने कहा समाज के मध्यम व निम्न वर्ग के बच्चे ही हमारे विद्यालयो मे अधिक संख्या मे आते है, जिनको समाज के मुख्य धारा मे जोडने की जबाबदेही हम शिक्षकों पर अधिक होती है.
इसलिए बिहार के तमाम शिक्षक-शिक्षिकांओ से आग्रह करते है कि यह सम्मान हमारा सम्मान नहीं बल्कि सूबे के पाॅच लाख शिक्षकों का सम्मान है. सभी गुणात्मक शिक्षण के लिए तन्मयता पूर्वक कार्य करते रहें. जिससे कि हर समुदाय और हर वर्ग के बच्चे आगे बढे और देश दुनिया मे नाम रौशन कर सकें. बिहार के हर जिले व प्रखंडो के हमारे शिक्षक भाई बहनों का राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान प्राप्त करने का सुअवसर प्राप्त हो सके. सम्मान समारोह के अवसर पर कई अन्य गणमान्य लोग, पदाधिकारी व सम्मानित शिक्षक उपस्थित थे.

Chhapra: सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को ईपीएफ के लाभ को लेकर अबतक प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, प्रखंड लेखपाल एवं कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा कार्य प्रारंभ नही किये जाने को डीईओ ने गंभीरता से लिया है.

डीईओ अजय कुमार सिंह ने जिले के सभी प्रखंड के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगते हुए 48 घंटे के अंदर शिक्षकों का ईपीएफ के UAN नंबर खोलने का निर्देश दिया है.

डीईओ अजय कुमार सिंह ने कहा है कि शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों को ईपीएफ योजना से आच्छादन को लेकर UAN नम्बर एक सप्ताह के अंदर खोलने का निर्देश दिया गया था. लेकिन अबतक शिक्षकों के अनुपात में कार्य लंबित है.

ईपीएफ UAN के लिए पूर्व में प्रशिक्षण से अवगत कराया जा चुका है. तत्पश्चात यह विभागीय पत्र, आदेश की अवहेलना एवं कार्य मे लापरवाही को दर्शाता है.जो खेद का विषय है.ऐसे में बीइओ अपने लेखपाल, कंप्यूटर ऑपरेटर से स्पष्टीकरण लेते हुए 24 घंटे के अंदर अपना मंतव्य दे. साथ ही 48 घंटे के अंदर UAN से आच्छादन सुनिश्चित करें.

Chhapra: जिले में Quarantine किये गए अप्रवासियों लोगों को सुबह शाम योगाभ्यास कराया जाएगा. जिससे उनका शारिरिक और मानसिक तनाव दूर करने के साथ साथ स्वास्थ्य लाभ हो सकें. इसके लिए तैयारी शुरू हो चुकी है. अप्रवासी लोगों को योगाभ्यास कराने का जिम्मा शारीरिक शिक्षकों का होगा.

जिला शिक्षा पदाधिकारी अजय कुमार सिंह ने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचल पदाधिकारी एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को पत्र भेजते हुए कहा है कि जिला पदाधिकारी सुब्रत कुमार सेन द्वारा की गई समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई कि Quarantine सेंटर में रह रहे अप्रवासी को अगर सुबह शाम योगभ्यास कराया जाय तो एक बेहतर पहल होगा.

डीईओ श्री सिंह ने सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को बीडीओ और सीओ से संपर्क स्थापित कर सभी Quarantine सेंटर पर शारीरिक शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति करने का निर्देश दिया है. जिससे कि अप्रवासी लोगों को योग सिखाया जा सकें.

Chhapra: मार्च में शिक्षकों की फीकी होली के बाद मई के महीनें में शिक्षकों का रमज़ान भी बदरंग होने जा रहा है. नियोजित शिक्षकों के प्रति सरकार की बेरुख़ी और शिक्षकों का अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर डटे रहना दोनों ही इसके कारण है. नियोजित शिक्षक 17 फरवरी से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है.कोरोना वायरस के Lockdown के बाद ही शिक्षक हड़ताल पर है. विद्यालय भी विगत 13 मार्च से बंद है. फिलहाल lockdown की अवधि 17 मई तक निर्धारित है.

17 फरवरी से हड़ताल पर रहने वाले शिक्षकों को वेतन नही मिल रहा है. शिक्षा विभाग द्वारा वैसे शिक्षकों को वेतन देने की अनुमति है जो हड़ताल से वापस आये हो, वह भी उस दिन से जब वह हड़ताल से वापस आये हो. शिक्षक संघ द्वारा जारी सूची के अनुसार जिले में प्रारंभिक विद्यालयों में करीब 95 प्रतिशत से अधिक शिक्षक एवं माध्यमिक विद्यालयों में 85 प्रतिशत शिक्षक हड़ताल पर है.

मुस्लिम शिक्षकों के लिए रमज़ान का महीना पाक पवित्र और ईबादत का महीना है. इस माह में मुस्लिम समुदाय के सभी 30 दिनों का रोजा रखते है साथ ही साथ ईद के अवसर पर नए नए कपड़ों की खरीददारी होती है. लेकिन इस बार मुस्लिम शिक्षकों का रोज़ा और रमज़ान बदरंग हो रहा है. फरवरी से वेतन नही मिलने के कारण शिक्षक आर्थिक रूप से कमजोर हो चुके है, ऐसे में घर परिवार के लोगों का रोजा रखना भी मुश्किल हो रहा है.

25 मई को ईद है ऐसे में मुस्लिम शिक्षकों को यह चिंता सता रही है कि उनके बच्चों एवं परिवार की उम्मीदों पर क्या होगा. बहरहाल केंद्र सरकार ने Lockdown की अवधि में सभी को कार्यरत मानते हुए वेतन देने का आदेश दिया है. लेकिन शिक्षकों के हड़ताल पर रहने से राज्य सरकार ने कोई निर्देश नही दिया है. शिक्षक संघ सरकार से बार बार वार्ता करने की बात कह रहे है लेकिन सरकार वार्ता को तैयार नही हो रही है और ना ही शिक्षकों पर किसी तरह की नरमी का ही आदेश जारी कर रही है.

Chhapra: छपरा जयप्रकाश विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर शिक्षक संघ के सचिव तथा बिहार शिक्षा मंच के संयोजक प्रो रणजीत कुमार ने बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को एक खुला पत्र भेजकर 25 फरवरी से अपनी न्यायोचित माँगो की पूर्ति हेतु शिक्षकों द्वारा जारी आंदोलन को अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि मैंने नियोजित शिक्षकों की मूल मांगों जैसे वेतनमान, पेंशन, सेवांत लाभ, अंतरजिला स्थानांतरण, राज्यकर्मी का दर्जा, भविष्य निधि कटौती, उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के मान सम्मान तथा समय से वेतन भुगतान के मुद्दे पर बेबाकी से समय समय पर सरकार को दर्जनों पत्र लिखकर समस्याओं एवम मांगों से अवगत कराया है. लेकिन एक सोची समझी राजनीति के तहत धरने को सम्बोधित करने से मुझे मना कर दिया गया. इस निर्देश को केवल सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के दायरे में आने वाले सारण, सिवान, गोपालगंज, पूर्वी एवम पश्चिमी चंपारण में सख्ती से लागू किया गया जबकि उसी दिन आपने हड़ताल का समर्थन करने के लिए बिहार की जनता के नाम से एक अपील पत्र भी जारी किया.

सरकार से लोकतांत्रिक मूल्यों एवम परम्पराओं के निर्वहन की अपेक्षा करने वाले अपने संकीर्ण सियासी लाभ के लिए इन शाश्वत मूल्यों को दफन करने में जरा भी संकोच नहीं करते. ऐसा प्रतीत होता है कि संघ और सियासत के शतरंजी बिसात पर आपको मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.

इन सवालों का जवाब दे माननीय

प्रो कुमार ने आम शिक्षकों की तरह संघ नेतृत्व की नीति एवम नीयत को लेकर सवाल खड़ा किया है जिसमे नियोजन वाद का संघ का समर्थन, शिक्षकों के वोट की बदौलत 18 वर्ष से विधान पार्षद के पद पर रहने के बावजूद शिक्षक शोषित हो रहे है. इनकी आवाज नही उठायी गयी. वस्तुतः शिक्षकों की रहनुमाई के नाम पर लगातार शिक्षक हितों की सौदेबाज़ी होती रही है. सत्ता के साए में सुविधा की सियासत करने वाले शिक्षकों के दुःख दर्द को क्या समझेगें? अभी हाल में ही विधानमंडल में राज्यपाल के अभिभाषण पर शिक्षक प्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए सवाल का जबाब देने के क्रम में जब मुख्यमंत्री शिक्षकों को जलील करने वाली भाषा का प्रयोग कर रहे थे तो आपके विधान पार्षद महोदय प्रतिकार करने के बदले सदन से ही अनुपस्थित हो गए.

मुख्यमंत्री का यह कहना कि ज्यादा बोलिएगा तो सारा पोल पट्टी खोलकर रख देंगे. क्या राज है जिसके खुलने से माननीय भयभीत हैं? बिहार सरकार वर्ष 2006 से ही नियोजित शिक्षकों के नाम पर कुल 37500/-(60%केंद्र तथा 40%राज्य) उठाती रही है और शिक्षकों को वेतन मद में 6000 रु से प्रारंभ कर आजकल अधिकतम 30000 रु दे रही है. सब कुछ जानते हुए भी क्या विधान पार्षद ने कभी शोषण एवम अन्याय के खिलाफ सदन में अपनी आवाज़ बुलंद किया ?शिक्षकों के इस अनवरत शोषण में क्यों नहीं माननीय की भी संलिप्तता मानी जाय?

वामपंथी नेताओं के बारे में आम धारणा है कि उनमें पदलोलुपता एवम कुर्सी प्रेम अन्य दलों की तुलना में कम होता है लेकिन यहाँ तो उल्टा दिखाई पर रहा है. संघ के दोनों महत्वपूर्ण पदों पर ताउम्र काबिज़ रहने के लिए संघ के संविधान में संशोधन कर पदों की अदला बदली कर ली गई. क्या संघ में कोई दूसरा काबिल व्यक्ति नहीं है जो इन पदों को सँभाल सके?नियोजित शिक्षकों को अपने हाल पर रोना आ रहा है और नेता शिक्षकों से प्राप्त चंदे की राशि से 27 लाख की गाड़ी खरीदकर सवारी कर रहे हैं.

बी एस टी ए राजनीतिक संगठन है और अध्यक्ष क्या विधानपार्षद पद हेतु संघ के घोषित उम्मीदवार हैं? यदि नहीं तो संघ का व्यक्तिगत सियासी महत्वाकांक्षा के लिए दुरुपयोग क्यों ? अप्रैल में विधानपार्षद का चुनाव होना था इसे ध्यान में रखते हुए 25 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की गई. इससे इनका छिपा हुआ सियासी एजेंडा सामने आ गया. सरकार की हठधर्मिता की वजह से शिक्षक निलंबित हुए हैं.उनके ऊपर प्राथमिकी दर्ज किया गया है. कार्यरत अवधि का भी वेतन रोक दिया गया है. अप्रत्याशित कोरोना महामारी एवम लॉक डाउन की वजह से आंदोलन की धार भी कुंद पर गई है.

कुल मिलाकर शिक्षकों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. सवाल है कि जब सब कुछ शिक्षकों को ही करना और भोगना है तो फिर नेता क्या करेंगे ? विधान मंडल सत्र के दौरान सरकार की हठधर्मिता के विरुद्ध अपने सहयोगियों के साथ अध्यक्ष जी विधानमंडल के समक्ष भूख हड़ताल पर क्यों नहीं बैठे ?सरकार के साथ वफादारी भी निभाएंगे और चुनाव नजदीक आने पर शिक्षकों को सब्जबाग भी दिखाएगें. शिक्षक समाज इस सियासी खेल पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं.

पत्र में उठाये गए मसलों पर आपका तथ्यात्मक जवाब शिक्षकों को मिलेगा, मुझे ऐसी आशा है. पुनश्च मैं चार लाख नियोजित शिक्षकों की न्यायोचित मांगों का समर्थन करता हूँ तथा उनके संघर्ष में शामिल हूँ.

Patna: नियमित शिक्षकों की भांति राज्यकर्मी का दर्जा और हूबहू सेवा शर्त की मांग को लेकर जारी शिक्षकों की हड़ताल जारी है. शिक्षको की हड़ताल 50 दिन के बाद भी जारी है. हड़ताली शिक्षकों के प्रति सरकार का उदासीन रवैया शिक्षकों के आंदोलन को गति प्रदान कर रहा है ऐसे में सबसे विकट समस्या उन शिक्षकों की है जो आर्थिक तंगी के कारण एक एक कार इलाज के अभाव में मौत की गाल में समा रहे है.

सूबे में अबतक 42 शिक्षकों की मौत हो चुकी है. इन शिक्षकों की मृत्यु हड़ताल अवधि में हुई है. सरकार के उदासीन रैवये को देखते हुए परिवर्तनकारी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर ब्रजवासी ने महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दिल्ली, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय भारत सरकार, राज्यपाल बिहार एवं मानवाधिकारी आयोग बिहार को पत्र भेजकर बिहार में आर्थिक तंगी के कारण हो रही शिक्षकों की मौत पर संज्ञान लेने का आग्रह किया है.इस संदर्भ में बंशीधर ब्रजवासी का कहना है कि राज्य के शिक्षक अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है. कोरोना वायरस को लेकर जारी लॉक डाउन में सभी हड़ताली शिक्षक भी सरकार के निर्देशों का पालन कर रहे है. भारत सरकार ने निर्देश दिया कि इस लॉक डाउन अवधि में सभी सरकारी और निजी संस्थान में कर्मचारी को कर्तव्य पर मानते हुए उन्हें वेतन का भुगतान किया जाए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार सभी के लिए राहत योजना एवं अन्य राहत की घोषणाएं कर रही है लेकिन राज्य के 4 लाख शिक्षको को लेकर किसी तरह के बयान नही दे रही है. नियोजित शिक्षकों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है. हालात यह है कि जो शिक्षक बीमार थे वह आर्थिक तंगी के कारण अपना इलाज नही करा पा रहे है. अपने परिवार के हालात सोंचकर कई शिक्षकों की ह्रदयघात से मृत्यु हो चुकी है.

राज्य में एक व्यक्ति की मौत कोरोना वायरस से हुई है. सरकार उनके प्रति जितनी सवेंदनशील दिख रही है वैसे राज्य के 42 शिक्षकों की मौत पर नही दिख रही. एक एक कार शिक्षक मौत के मुँह में जा रहा है लेकिन राज्य सरकार के रवैया उदासीन है. सरकार शिक्षकों के वेतन का भुगतान कर उन्हें इस आर्थिक तंगी से निजात दिलाये, शिक्षकों से वार्ता करें, उनकी मांगों पर पहल करें.