छपरा: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चतुर्थ सरसंघचालक प्रो.राजेन्द्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया की पुण्य स्मृति में प्रत्येक वर्ष आयोजित की जाने वाली ‘रज्जू भैया स्मृति व्याख्यानमाला’ के 7वीं कड़ी का आयोजन सोमवार को स्थानीय स्नेही भवन में हुआ.

व्याख्यानमाला का उद्घाटन भाजपा के मुख्य सचेतक एवं लोकसभा सांसद अर्जुन राम मेघवाल और विधान पार्षद ई.सच्चिदानंद राय ने किया.

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक एवं प्रसिद्ध वक्ता तथा संघ के चिन्तक डॉ. राकेश सिन्हा ने अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि छपरा की भूमि उर्वरा भूमि है. लोकनायक जयप्रकाश नारायण, डॉ राजेन्द्रप्रसाद इसी धरती के थे. दोनों ही सादगी में रहना पसंद करते थें. उन्होंने कहा कि संघ चाणक्य है.संघ मजबूत रहेगा तो कितने चन्द्रगुप्त विकास कर सकते हैं.
असामान्य बनना व्यक्ति के गुणों पर आधारित होता है, लोकप्रियता और प्रसिद्धि से दूर रहकर कार्य करने वाले महान बनते हैं.

उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बोलते हुए कहा कि देश में हर व्यक्ति को अपने विचार रखने की आजादी मिली है पर राष्ट्रहित का ध्यान रखना हम सबका कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि आज हम सब को आत्मालोचन करने की आवश्यकता है, जो व्यक्ति स्वयं के अंदर की अच्छाइयों और कमियों पर चिंतन करता है वो सदैव समाज के लिए समर्पित भाव रखता है.

श्री सिन्हा ने कहा कि मैं आग की वो चिंगारी हूँ जो राख के बीच भी छुप कर रहता हूं, ताकि जब भी जरूरत पड़े समाज के विकास के लिए पुनः जल सकूँ.

व्याख्यानमाला को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांतीय संपर्क प्रमुख प्रो. रविन्द्र नाथ पाठक, विभाग संचालक विजय कुमार, एमएलसी सच्चिदानंद राय आदि वक्ताओं ने संबोधित किया.

इस अवसर पर सांसद अर्जुन मेघवाल और डॉ.राकेश सिन्हा को अभिनन्दन पत्र एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया साथ ही छपरा के वरिष्ठ स्वयंसेवक अश्विनी गुप्ता, रामबहादुर सिंह एवं जगन्नाथ प्रसाद को भी अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया.

कार्यक्रम का सञ्चालन रज्जू भैया स्मृति व्याख्यानमाला आयोजन समिति के अध्यक्ष अवधकिशोर मिश्रा एवं सचिव प्रो.वैधनाथ मिश्र ने किया. धन्यवाद ज्ञापन सुधांशु शर्मा ने किया. व्याख्यान माला में सैकड़ो की संख्या में स्वयंसेवक एवं समाज के प्रबुद्ध लोग सम्मिलित हुए.

प्रभात किरण हिमांशु की रिपोर्ट

आपराधिक गतिविधियों के लिए देश भर में चर्चित बिहार का जिला सीवान एक बार फिर सुर्ख़ियों में है. इस बार चर्चा का केंद्र बना है पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड. सीवान के हिन्दुस्तान अखबार के प्रभारी की बीच बाजार गोली मार कर हत्या कर दी जाती है. हालांकि सीवान के लिए ऐसी घटनाएं कोई नई बात नहीं रही है पर अपनी कलम को ताकत बनाकर मुद्दों को उजागर करने वाले एक साहसिक पत्रकार को जिस प्रकार गोली मारी जाती है वो विरोध के निम्न स्तर का परिचायक है.

पत्रकार जब अपनी लेखनी से सच को उजागर करने का प्रयास करता है तो कई बार उससे प्रभावित लोगों में विरोधाभास झलकता है पर विरोध के रूप में किसी की हत्या कर देना सर्वथा अनुचित है.

13 मई की शाम सीवान में जो हुआ उससेआज पूरा देश सोंचने पर मजबूर है. अपराधियों के लिए भले ही ये हत्याकांड एक पेशेवर अपराध रहा हो पर उस अपराध से पत्रकारिता जगत एवं आम समाज में जो खौफ़नाक दर्द उठा है उसकी कराह सालों तक बरक़रार रहेगी.

दरअसल ये हुआ क्यों! पुलिस बता रही है कि हत्या में पेशेवर अपराधी संलिप्त हो सकते है. राजदेव रंजन मुख्यधारा के पत्रकार थे. 25 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय थे. ऐसे में अपनी बेबाक लेखनी से कई लोगों की नजर की किरकिरी बनना स्वाभाविक है. पूर्व में भी उनपर हमले हुए और कई बार धमकियां मिली पर हत्या करने का दुस्साहस अपराधी कभी जुटा नहीं सके. 13 मई को अपराधियों का दृष्टिकोण एकदम से बदल जाना और राजदेव रंजन की नृशंस हत्या कर देना विरोधाभास का परिणाम है या सोंची समझी साजिश का नतीजा पुलिस इसकी जाँच कर रही है.

सीवान में अपराध की घटना हो और बाहुबली पूर्व सांसद मो.शहाबुद्दीन की चर्चा ना हो ऐसा हो नहीं सकता. राजदेव रंजन हत्याकांड के बाद पुलिस सक्रिय हो गई है. शक की सुई मो.शहाबुद्दीन की ओर भी इशारा कर रही है. पर ऐसा क्यों है! हत्याकांड के बाद पुलिस शक के आधार पर पूर्व सांसद के करीबी शार्प शूटर मुंशी मियां को शहाबुद्दीन के पैतृक गांव प्रतापपुर से गिरफ्तार करती है. ये वही मुंशी मियां है जिसपर शहाबुद्दीन के इशारों पर कई हत्याओं में संलिप्त रहने का आरोप लग चूका है. पुलिस का ये मानना है कि हत्या के सूत्र सीवान जेल से जुड़े हो सकते हैं ऐसे में मो. शहाबुद्दीन को एहतियात के तौर पर सीवान जेल से भागलपुर जेल शिफ्ट कर दिया गया है. हालांकि प्रशासनिक कारणों का हवाला देकर सात अन्य कुख्यातों को भी बक्सर एवं मोतिहारी जेल शिफ्ट किया गया है पर अबतक हत्याकांड में संलिप्त लोगों को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पायी ऐसे में कैदियों का जेल ट्रान्सफर पुलिस की दोहरी मानसिकता को दर्शाता है. अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस अब भी मशक्कत कर रही है.

पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड का अपना एक राजनैतिक नजरिया भी है. विपक्ष इसे सरकार की नाकामी बताने में जुटा है. सरकार को कठघड़े में खड़ा करने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है. ऐसा होना स्वाभाविक भी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्रकार के परिवार के लिए ना तो कोई खास मुआवजे का ऐलान किया है ना ही उनके परिवार से मिलने तक की जहमत उठाई है. साथ ही छोटे बड़े किसी भी मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखने वाले लालू प्रसाद यादव भी इस घटना क्रम से अबतक अपनी दूरी बनाये हुए हैं.

चुकि मो.शहाबुद्दीन राजद के नेता हैं और लालू यादव के खासमखास भी ऐसे में अगर शाहबुद्दीन जांच के घेरे में आते हैं तो नीतीश कुमार को इस मामले में डिफेंड करना मुश्किल हो सकता है. शायद यही कारण है कि सुशासन बाबू अब तक चुप्पी साधे हुए हैं. बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी इस मुद्दे का जिक्र कर चुके हैं.

इन सब के बीच दिवंगत राजदेव रंजन का परिवार न्याय के लिए इन्तजार में है. राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन की आँखे रो-रो कर सूख चुकी हैं. उनके बेटे और बेटियों को हौसले की जरूरत है. तमाम पत्रकार संगठन एवं उससे जुड़े लोग अपनी तरफ से पूरी कोशिश में जुटे है कि स्व.राजदेव के परिवार को आर्थिक सहायता और इन्साफ मिल सके. आज पूरे देश में चर्चा का केंद्र बना राजदेव हत्याकांड वक्त के साथ कई सवाल खड़े कर चूका है. देखने वाली बात होगी कि जीत कलम की होती है या हमेशा की तरह गोलियों की आवाज से सच को दबाने का इरादा कामयाब होगा.

छपरा: दिवंगत पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के विरोध में सारण पत्रकार संघ के तत्वावधान में गुरुवार को धरना दिया गया. नगरपालिका चौक पर आयोजित इस धरने में सारण जिले के सभी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और न्यू मीडिया से जुड़े पत्रकार शामिल हुए.

पत्रकार राजदेव के परिजाओं को सहायता राशी देने के लिए कुछ लोग सामने आये. ग्राम पंचायत मोहबत परसा के समाजसेवी रेखा मिश्रा के पति बुलबुल मिश्रा के द्वारा 5 हजार रुपये, वही अश्विनी शांडिल्य एवम् समाजसेवी मनोज कुमार तिवारी के द्वारा भी 5-5 सौ रूपये का आर्थिक सहयोग दिया.

पत्रकारों ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सशक्त कानून बनाने, राजदेव रंजन के हत्यारों को अविलंभ गिरफ्तार करने जैसे मुद्दों को लेकर धरना दिया गया.

आपको बता दें कि गत 13 मई को सीवान के पत्रकार व दैनिक हिन्दुस्तान के स्थानीय प्रभारी राजदेव रंजन की अपराधियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी. जिसके बाद सारण जिले के पत्रकार लगातार आन्दोलन कर रहे है.

छपरा से सटे सीवान में शुक्रवार को दिनदहाड़े कुछ अज्ञात अपराधियों ने ‘हिंदुस्तान’ अखबार के स्थानीय ब्यूरो चीफ राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी.

हत्या के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है. पुलिस हत्या के कारणों की जांच और अपराधियों के गिरफ्तारी की कोशिशों में जुट गई है.

राजदेव की हत्या सीवान शहर में स्थित फल मंडी के पास की गई जिसके बाद से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों और पत्रकारों में काफी रोष है.

छपरा: लायंस इंटरनेशनल की स्थानीय इकाई लायंस क्लब छपरा द्वारा सत्र 2016-2017 के लिए नई टीम का गठन किया गया. शहर के एक होटल में आयोजित एक विशेष बैठक की अध्यक्षता मनोज कुमार वर्मा संकल्प ने की.

चुनाव पर्यवेक्षक चयनित उप जिलापाल डॉ० एस० के० पाण्डेय तथा चुनाव प्रभारी डॉ० उदय कुमार पाठक थे.
चुनाव के उपरांत निम्न लोग चयनित किये गए:

अध्यक्ष – डॉ० ओम प्रकाश गुप्ता
उपाध्यक्ष (1) – प्रह्लाद सोनी
उपाध्यक्ष (2) – डॉ० अनिल कुमार
उपाध्यक्ष (3) – ई० मनीष कुमार सिंह
सचिव – चन्दन कुमार
संयुक्त सचिव – उज्जवल कुमार
कोषाध्यक्ष – दिलीप चौरसिया
संयुक्त कोषाध्यक्ष – आनंद अग्रहरी
मुख्य संपादक – आशुतोष शर्मा
जन संपर्क अधिकारी – गणेश पाठक
संयुक्त जन संपर्क अधिकारी – रविंद्र कुमार सिंह
टेमर – नागेंद्र कुमार
टेल- ट्विस्टर – कौशल कुमार सिंह
लियो चेयरपर्सन – विक्की आनंद
लायनेस चेयरपर्सन – डॉ० नविन कुमार द्विवेदी
सदयस्ता चेयरपर्सन – राजीव दास
रिलीविंग हंगर चेयरपर्सन – प्रकाश कुमार सिंह
विज़न चेयरपर्सन – प्रवीण कुमार सिंह
पर्यावरण चेयरपर्सन – संजय आर्या
सेंटेनियल कोऑर्डिनेटर- डॉ० उदय कुमार पाठक
संवैधानिक बायलॉज- अनिल कुमार सिंह

इसकी जानकारी लायंस क्लब छपरा सारण के जनसंपर्क पदाधिकारी चन्दन कुमार ने दी.
लायन चन्दन कुमार
पी० आर ओ०

छपरा(कबीर अहमद): पूरी ज़िंदगी की कमाई एक पल में खो देने का दर्द, खोने वाले से बेहतर और कौन समझ सकता है. दुनिया दो पल के लिए तो सांत्वना दे सकती है लेकिन वो दर्द को न तो कम कर सकती है ना ही महसूस कर सकती है.

सुबह में आँख खुली नही की शाम में घर में चूल्हा कैसे जलेगा इसकी चिंता सताने लगती थी. ऐसे ही कई परिवार जिसके पास अपनी ज़मीन नही किराया पर ठिकाना और वो भी एक पल में सब ख़ाक हो गया. वो प्यारी सी कुटिया जो महल से कम नहीं थी. अब वो भी नही रही.

जिले में इन दिनों तेज पछुआ हवा के कारण अगलगी की घटनाओं में इजाफा हुआ है. लोग आग के लगने से एक पल में अपने जीवन भर की कमाई को खो दे रहे है.

रविवार की दोपहर शहर के भगवान बाज़ार थाना क्षेत्र के मिर्चईया टोला मुहल्ले में एक परिवार की ज़िन्दगी भर की कमाई पल में आगलगी से ख़ाक हो गयी. किराये की ज़मीन पर ज़िन्दगी भर की कमाई और पाई-पाई जोड़कर मोहम्मद अली ने अपना आशियाना बनाया था. वह एक पल में सब ख़ाक हो गया. मोहम्मद अली की पत्नी ने बार बार कह रही थी कि मेरे के पास अब कुछ नही बचा. जो पैसे थे घर में वो भी जल गए. सर के ऊपर जो छत संजोया था वो भी अब नही रहा. 20160424060133

वही दूसरी ओर गड़खा थाना क्षेत्र के तीन स्थानों पर हुई आगलगी की घटना में तीन लोगों की मौत आग के चपेट में आने से हो गयी. यह केवल एक दिन की बात नहीं पिछले एक महीने के अंदर लगभग सैकड़ों घर आग की चपेट में आये है और लोग बेघर हुए है.   

यह हाल किसी एक परिवार का नहीं बल्कि जिले के कई परिवार इस विभीषिका से जूझ रहे है. जिले में लगातार हो रही आगलगी की घटनाओं से कितनों के आशियाने उजड़ गए और कितनो ने अपनों को खो दिया. कुदरत के इस कहर से कई लोग खुले आसमान के नीचे रात बिताने को विवश हुए है. मुआवजे के नाम पर जो भी सरकारी सहायता मिल रही है. वह महज एक औपचारिकता मात्र है. जीवन भर संजोया एक पल में गवां बैठे लोगों को अब समझ नहीं आ रहा की जिंदगी की गाड़ी को पटरी पर फिर से कैसे लाया जाए.

{फोटो: अमन कुमार, छपरा टुडे} 

रिविलगंज: सरयू नदी के किनारे सेमरिया नई बस्ती में गुरुवार को मिट्टी धंसने से दो किशोरियों की मौत हो गयी. वही दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गयी. जिनका ईलाज सदर अस्पताल में चल रहा है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार रामनवमी पर घर लिपने के लिए सभी सभी लडकियां मिट्टी लाने गई थी. तभी पहले से खुदी गई मिट्टी से बने गुफा में मिट्टी खोदने के दौरान उपर का हिस्सा टूट कर गिर गया. जिसमें दब जाने से ये हादसा पेश आया. rivilganj

घटना की जानकारी मिलते ही पूरे इलाके में कोहराम मच गया. ग्रामीणों ने किसी तरह मिट्टी हटाकर चारो बच्चियों को बाहर निकाला. लेकिन तबतक दो बच्चियों की मौत हो चुकी थी.

गंभीर रूप से घायल दोनों बच्चियों को रिविलगंज PHC ले जाया गया, जहाँ से गंभीर स्थिति को देखते हुए छपरा सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया है. सदर अस्पताल में चिकित्सक उनकी स्थिति पर नज़र बनाये हुए है. मृतकों में बारह साल की सोना कुमारी और सोलह साल की शोभा कुमारी शामिल हैं.

छपरा: लोक आस्था का महापर्व चैती छठ उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो गया. सुबह सवेरे नदियों के घाटों पर पहुँच भगवान् भास्कर के दर्शन देने का इतजार किया. भगवान् भास्कर के दर्शन देते ही व्रतियों द्वारा अर्घ्य दिया गया.  

इस से पहले मंगलवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को व्रतियों ने अर्घ्य दिया. शहर से लेकर गाँव तक सभी तालाबों, नदियों के किनारे व्रतियों ने अर्घ्य दिया.

Live: शहर के राजेंद्र सरोवर से छठ पूजा लाइव #छठ चैती छठ के अवसर पर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने राजेंद्र सरोवर पर पहुंची व्रती

Posted by Chhapra Today on Tuesday, April 12, 2016

चैत्र के महीने में मनाए जाने वाले इस पर्व का खास महत्व है. कार्तिक में मनाए जाने वाले छठ के समान चैती छठ भी काफी लोकप्रिय है. नहाय-खाय से शुरू होकर खरना और उसके बाद संध्याकालीन अर्घ्य और फिर प्रातः काल में भगवान सूर्य की आराधना तक श्रद्धा और समर्पण के साथ इस पर्व को मनाया जाता है.

छठ-पर्व को लेकर बाजारों में बढ़ी रौनक

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लोकआस्था के इस पर्व को लेकर बाजारों में रौनक बढ़ गई है. कलसुप, नारियल, फल-मूल, आम की लकड़ियाँ, ईख इत्यादि से पूरा बाजार काफी सुन्दर और त्यौहारमय दिख रहा है. 

कलसुप 50 रुपये तो 80 रुपये बिक रहा नारियल 

छठ पूजा के सामानों की बिक्री बाज़ारों में हो रही है.  कलसुप 50 से 60 रूपए जोड़ा, नारियल 80 से 100 रूपए जोड़ा की कीमत से बेचा जा रहा है वहीं आम की लकड़ी 70 से 100 रूपए पसेरी (प्रति 5 किलो) की दर से बिक रही है.  20160410204855

कच्चे फलों को उनकी ताजगी के अनुसार कीमत लगाकर बेचा जा रहा है. ईख की कीमत 30 से 40 रूपए जोड़ा, अंगूर 100 से 120 रूपए प्रति किलो और सेब 70 से 80 रूपए प्रति किलो है.  ch

छठ घाटों की हो रही साफ़-सफाई

चैती छठ के लिए शहर के विभिन्न घाटों की साफ़-सफाई की जा रही है. छठ-पूजा समिति के कार्यकर्ताओं ने छठ-घाटों की साफ़-सफाई और व्यवस्था को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. 

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छपरा: स्थानीय सेंट्रल पब्लिक स्कूल प्रशासन ने पहल करते हुए स्कूल के शिक्षक स्व० रामदास चतुर्वेदी के परिवार को सहायता प्रदान की है. पूर्व शिक्षक विगत दो वर्षों से असाध्य बीमारी से पीड़ित थे और पिछले महीने उनका देहांत हो गया.

विद्यालय परिवार के छात्र-छात्राओं, सदस्य तथा प्रबंधन की ओर से मंगलवार को उनके श्रद्धा-क्रम के अवसर पर एक लाख रूपये की सहयोग राशि निदेशक हरेन्द्र सिंह एवं प्राचार्य मुरारी सिंह के हाथों उनके सुपुत्र भी प्रियव्रत को दिया गया.

इसके साथ ही उनके पुत्र को प्रबन्धन द्वारा विद्यालय में सेवा प्रदान करने हेतु नियुक्त पत्र प्रदान किया गया. विद्यालय के द्वारा सामाजिक दायित्व के तहत किया गया प्रयास सराहनीय कदम है.

छपरा: तपती धूप और गर्म हवाओं ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. आम हो या खास हर कोई गर्मी के इस महीने में काफी परेशान दिख रहा है. चिलचिलाती धूप में लोग घरों से बाहर कम ही निकल रहे हैं जिस कारण सड़कों पर सन्नाटा पसरा रह रहा है.

दोपहर में सुनी सड़क
दोपहर में सुनी सड़क

  छोटे बच्चे हों या बड़े-बुजुर्ग सभी मौसम की इस बढ़ती तपिश से बेहाल हैं.

राहगीरों के विश्राम की नहीं है कोई व्यवस्था

शहर में अगर कोई राहगीर तपती दोपहरी में अगर थोड़ी देर कहीं सुस्ताना चाहे तो इसकी कोई व्यवस्था नहीं है. शहर का एक मात्र पार्क जो शहर के ठीक बीचोबीच स्थित है वहां भी पिछले काफी दिनों से निर्माण कार्य चल रहा है.

शिशु पार्क
शिशु पार्क

   समय पर निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाने का परिणाम आम लोगों को झेलना पड़ रहा है. इस पार्क में फिलहाल धूप से थोड़ी राहत पाने की कोई व्यवस्था नहीं हैं.

राहगीरों के ठहराव के लिए भी नहीं है इंतजाम

राह चलते लोगों के लिए शहर में कही कोई ठहराव केंद्र या कोई यात्री पड़ाव नहीं बनाया गया है जहाँ गर्मी के दिन में सुदूर इलाकों से आये लोग थोड़ी देर रुक सकें. गाँव से शहर किसी काम से आये लोग यत्र-तत्र फूटपाथ पर बैठकर अपनी थकान कम करने को मजबूर हैं.

प्यास बुझाने के लिए गन्ने के रस और सत्तू का सहारा

शहर में इतनी गर्मी है जो लोगों के प्यास को बढ़ा दे रही है. ऐसे में लोग अपना गला तर करने के लिए गन्ने का रस और सत्तू का शरबत पीकर थोड़ी राहत महसूस कर रहे है.

गर्मी से परेशान, गन्ने के जूस सहारा
गर्मी से परेशान, गन्ने का जूस सहारा

  गन्ने का रस 10 रूपए प्रति ग्लास और सत्तू भी इतने ही दाम पर बिक रहा है. हालांकि युवा वर्ग के ज्यादातर लोग कोल्ड ड्रिंक को ही गर्मी से राहत पाने की पहली पसंद मान रहे है.

अभी तो गर्मी की शुरुआत हुई है अगर आने वाले दिनों में यही स्थिति बरकरार रही तो लोग और भी ज्यादा मुश्किलों का सामना करते नजर आएंगे.

छपरा टुडे की अपील 

chhapratoday.com आप सब से अपील करता है कि इस गर्मी में अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें. बिना किसी जरूरी काम के धूप में बाहर ना निकलें.

धूप से बचाव के सामान के साथ निकले घर से 

धूप से बचाव के लिए छाता, टोपी, गमछा, स्कार्फ इत्यादि लेकर ही निकलें. घर से निकलते समय भरपूर मात्र में पानी पीकर निकलें.

छपरा: स्थानीय सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के छात्रों ने रविवार को स्वच्छता अभियान चलाया. अभियान के तहत विद्यालय द्वारा गोद लिए गए राजेन्द्र सरोवर की सफाई की गयी.

छात्रों ने प्रधानाध्यापक रामदयाल शर्मा के नेतृत्व में स्वच्छता अभियान चलाया. प्रधानाचार्य रामदयाल शर्मा ने बताया कि विद्यालय के द्वारा अपने सामाजिक दायित्वों के लिए स्वच्छता अभियान चलाया जाता है. विद्यालय ने राजेन्द्र सरोवर को पिछले साल साफ़ सफाई के लिए चिन्हित किया था. विद्यालय द्वारा प्रत्येक महीने के दूसरे रविवार को परिसर की सफाई की जाती है. उन्हीने बताया कि इस बार चैती छठ के मद्देनज़र छात्रों ने स्वच्छता अभियान चलाया है.

छपरा: सारणवासियों के लिए अच्छी खबर. छपरा शहर के पश्चिमी छोर पर बनियापुर रोड पर अवस्थित करिंगा को पर्यटन क्षेत्र रूप में विकसित करने की मंजूरी पर्यटन विभाग ने दे दी है. ऐसा करिंगा के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए किया गया है.

आपको बता दें कि डीएम दीपक आनंद ने विस्तृत कार्य योजना तैयार कर एक करोड़ 67 लाख 14 हजार दो सौ रूपये की स्वीकृति का प्रस्ताव पर्यटन विभाग को दिसम्बर 2015 में भेजा था. डीएम के प्रस्ताव पर पुरातत्व निदेशक अतुल कुमार वर्मा ने हर्ष रंजन कुमार, वरीय तकनीकी पदाधिकारी पुरातत्व निदेशालय से स्थल की जांच करायी. जिसके बाद स्थल का निरीक्षण कर पुरातत्व विभाग के पदाधिकारी ने डीएम के प्रस्ताव को जनहित एवं कार्यहित में अत्यधिक लाभकारी बताया है. 

क्या है इतिहास

करिंगा छपरा मुख्यालय से पश्चिम 5 किलोमीटर दूरी पर छपरा-बनियापुर मेन रोड पर अवस्थित है. करिंगा का इतिहास बहुत पूराना है और ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि 1770 ई0 तक यह डच के कब्जे में रहा है. करिंगा के पास एक पूराना डच सिमेट्री था, जहां डच गर्वनर जैकवस वैन हर्न की याद में एक स्मारक बनाया गया था. जो उस समय की महत्ता का प्रमाण है.

17वीं सदी के अंत और 18वीं सदी के प्रारंभ में यूरोपियन व्यापारी कंपनी के यह आकर्षन का केन्द्र भी रहा है. इसके ऐतिहासिक स्वरूप को देखते हुए करिंगा के विकास का जिलाधिकारी दीपक आनंद ने निर्णय लेते हुए कहा था कि इस क्षेत्र को समुन्नत बनाया जायेगा अब वह सपना साकार होने जा रहा है.  

इसके विकसित होने और पर्यटक केंद्र के रूप में पहचान मिलने से क्षेत्र के लोगों को भी फायदा पहुँचने की उम्मीद है.