छपरा(कबीर अहमद): पूरी ज़िंदगी की कमाई एक पल में खो देने का दर्द, खोने वाले से बेहतर और कौन समझ सकता है. दुनिया दो पल के लिए तो सांत्वना दे सकती है लेकिन वो दर्द को न तो कम कर सकती है ना ही महसूस कर सकती है. सुबह मेंREAD MORE CLICK HERE