(संतोष कुमार ‘बंटी’) दोपहर का समय था. उपर आसमान से चिलचिलाती धूप और नीचे पानी. पसीने से लथपथ सभी के चेहरे बस एक टक अपने आशियाने को निहार रहे थे. दूर तक फैली सफेद चादरों के बीच उम्मीद की लौ के बीच इनका आशियाना आत्मबल को बढ़ा रहा था, मानोंRead More →

प्रभात किरण हिमांशु/कबीर अहमद ‘दुनिया में हम आएं हैं तो जीना ही पड़ेगा, जीवन है एक जहर तो पीना ही पड़ेगा’. मदर इंडिया फ़िल्म का यह गीत कई मायनों में जीवन के कठिन दौर को दर्शाता है. बढ़ते भारत के इस दौर में आज भी ऐसे कई उदहारण हैं जो अपनेRead More →

(प्रभात किरण हिमांशु) जीवन के हर मोड़ पर संघर्ष है. पर संघर्ष जब अपनी पराकाष्ठा पर हो तो वेदना का रूप ले लेता है. संघर्ष कभी सफल होने के लिए होता है तो कभी जीवन यापन के लिए. हर संघर्ष की अपनी ही एक कहानी है. छपरा के कटहरीबाग कीRead More →