भोपाल, 22 सितंबर (हि.स.)। खगोल विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए शनिवार, 23 सितम्बर का दिन खास होने जा रहा है। इस दिन एक खास खगोलीय घटना होने जा रही है। दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर सूर्य की किरणें भूमध्यरेखा पर लंबवत होंगी। माना जाता है कि इस दौरान दिन और रात बराबर होते हैं लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं है। यह जानकारी शुक्रवार को भोपाल की नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने दी।
उन्होंने बताया कि बताया कि पृथ्वी के मध्यभाग में सूर्य के पहुंचते दिखने की खगोलीय घटना इक्वीनॉक्स कहलाती है। यह 21 मार्च के बाद इस साल का दूसरा इक्वीनॉक्स होगा। उन्होंने बताया कि यह दिन भर चलने वाली घटना नहीं है। भारत में यह घटना दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर होगी। इसके बाद सूर्य दक्षिण में मकर रेखा की ओर बढ़ता दिखेगा। किसी भी स्थान के लिए यह समय आम तौर पर पिछले साल की तुलना में छह घंटे बढ़ जाता है। 2022 में यह भारत में प्रात: 6 बजकर 28 मिनट पर हुआ था।
सारिका ने बताया कि सितम्बर में इक्वीनॉक्स की घटना 22, 23 या 24 सितम्बर को होती है लेकिन इस सदी के अंत में सन 2092 और 2096 में यह 21 सितम्बर को होगा। इसी प्रकार 24 सितम्बर को पिछली बार यह घटना 1931 को हुई थी और इस तिथि में अगली इक्वीनॉक्स की घटना 2303 में होगी।
उन्होंने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इक्वीनॉक्स में दिन और रात ठीक बराबर नहीं होते हैं। दिन और रात बराबर होने की घटना उत्तरी गोलार्ध में इसके कुछ दिन बाद होती है। इसे इक्वीलक्स कहते हैं। यह उस स्थान के अंक्षाश पर निर्भर करता है कि कब दिन और रात बराबर होंगे। अगर मौसम साथ दे तो कल यानी शनिवार को सूर्ययात्रा के मध्यातंर से साक्षात्कार के लिए तैयार रहें।