Chhapra: महर्षि गौतम की पावन धरती हमेशा से ही मानव मूल्यों और सामाजिक समरसता की मिशाल रही है. गँगा यमुनी तहज़ीब की अनूठी मिशाल देखनी हो तो रिविलगंज के इस अनूठे माता मंदिर मे आइये. नगर पंचायत रिविलगंज वार्ड 11 मे अवस्थित इस मंदिर के दर्शन मात्र से ही मन मे उत्साह व उम्मीद का संचार हो जाता है. मंदिर बुढिया माई के नाम से प्रसिद्ध है.
कहा जाता है कि मंदिर की जगह पर पहले सैकड़ों साल पुराना विशालकाय नीम का पेड़ हुआ करता था, गाँव के बीच मे होने के बावजूद माता की आशीर्वाद गाँववालो पर बनी रही, पेड़ गिरा और किसी को कुछ नुकसान नही हुआ. मंदिर मे खास तौर पर पूजा के दिनो मे होने वाली माता का गीत समाज मे एक धार्मिक सद्भाव को बढ़ाता है. जहां कई मुसलमान और हिंदू महिलायें एक साथ मंदिर प्रांगण मे बैठ माता की गीत गाती है.
मंदिर की आस्था की बात करे तो हिंदू हो या मुसलमान सभी की दिन की शुरुआत मंदिर मे पूजा से होती है. मन्नत माँगने वाले मन्नत पुरी होने पर माता को साड़ी चढाते है, साथ की भोग लगाते है. गाँव के ही सेवानिवृत सेना के जवान निजामुद्दीन के लड़के सलमान ने माता से अपने नौकरी हो जाने पर मंदिर निर्माण मे सहयोग का मन्नत माँगा था. नौकरी हो जाने पर काफी खुशी खुशी माता के मंदिर मे सहयोग किया. विकाश नारायण सिंह सेना मे खुद व भाई प्रकाश के जाने का श्रेय बुढिया माई के आशीर्वाद को ही मानते है. निजी क्षेत्र मे कार्य करने वाले राजकिशोर राय यहां से दुर विशाखापटनम होने के बावजूद बुढिया माई की फोटो साथ रख पूजा करते है, और बताते है की उनके आशीर्वाद की वजह से ही वो आज अच्छी नौकरी मे है. क्षेत्र के लोगो का सैकड़ों सालो से अपनी आस्था बुढिया माई के मंदिर से जुड़ी हुईं है.
मंदिर मे विशालकाय पेड़ का अवशेष आज भी विद्यमान है जिसकी पूजा की जाती है. इसी साल मंदिर का पुनर्निर्माण भी किया गया है. नवरात्र के मौके पर दशमी के दिन पूजन के साथ-साथ विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जाना है.