प्रभात किरण हिमांशु
कला के प्रति लगाव और अभिरुचि अधिकतर लोगों में देखी जाती है पर कला के प्रति सम्मान और समर्पण का भाव कुछ खास लोगों में ही देखने को मिलता है. छपरा की प्रियंका कुमारी भी संगीत के प्रति पूर्णतः समर्पित हैं.
बचपन से ही संगीत को कैरियर के रूप में देखने वाली प्रियंका ने संगीत के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं. मूलतः सीवान की रहने वाली प्रियंका आज अपने पति और 2 बच्चों के साथ खुशहाल जिंदगी जी रही हैं. संगीत को मार्ग बनाकर इन्होंने जो सफलता प्राप्त की है उससे ये काफी संतुष्ट दिखती हैं. छपरा के राजकीय कन्या उच्च विद्यालय में वर्ष 2008 से संगीत शिक्षिका के रूप में कार्यरत प्रियंका सारण के संगीत प्रतिनिधि के रूप में कई राज्यस्तरीय कार्यक्रमों में जिले का नाम रौशन कर चुकी हैं.
पिता स्व.सुरेन्द्र सिंह के सपनों के लिए संगीत को आत्मसात कर जीवन को नई दिशा देने वाली प्रियंका का बचपन काफी संघर्षपूर्ण रहा. पूरा परिवार संगीतमय होने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्र में रहने के कारण इन्हें अपने कला को निखारने में जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा उसका इजहार करते समय अक्सर इनकी आँखें नम हो जाती हैं. हालांकि इस बात की प्रसन्नता भी उनके चेहरे पर साफ़ झलकती है कि जिस संगीत के कारण सर्वगुण संपन्न होते हुए भी विवाह में कठिनाई हो रही थी उसी संगीत से प्रभावित होकर प्रियंका के ससुर ने उन्हें एक बार में ही अपनी बहु बनाने की स्वीकृति दे दी. आज विवाह के बाद भी संगीत का सफ़र जारी है जिसमे उनके पति और ससुर उन्हें पूरा सहयोग प्रदान करते हैं.
संगीत से स्नातक प्रियंका कुमारी लोकगीत की सभी विधाओं की जानकर हैं, झूमर, कजरी, चैता, होली के साथ-साथ जन्म से लेकर विवाह तक के संस्कारों के गीत को बखूबी गाना इनकी पहचान है. गुरु पशुपति नाथ मिश्र, रेखा चटर्जी और एकावली देवी से संगीत की विधिवत शिक्षा ग्रहण करने वाली प्रियंका कुमारी शास्त्रीय संगीत में भी दक्ष हैं पर लोकगीत के माध्यम से अपने रीति-रिवाजों तथा संस्कारों को इन्होंने जिस प्रकार जीवंत रखा है वो कला के प्रति इनके जीवटता का ही प्रमाण है.
वैसी विवाहित महिलाऐं जो जीवन में कुछ करना तो चाहती हैं पर विवाह के बंधन के बाद पारिवारिक जिम्मेवारियों के बीच उनके सपने उलझ कर रह गए हैं उन सभी महिलाओं के लिए प्रियंका का जीवन प्रेरणादयाक है. जिले से लेकर राज्य स्तर पर कई बार सम्मान पा चुकी प्रियंका को ‘सारण गौरव’ से भी सम्मानित किया गया है. इनके सार्थक प्रयास से ही आज उनके विद्यालय की बच्चियां सीमित संसाधनों के बीच गीत-संगीत में जिले का नाम कई बार गौरवान्वित कर चुकी हैं.
भिखारी ठाकुर और महेंद्र मिश्र से प्रेरित प्रियंका कुमारी कला के क्षेत्र में अपना और अपने जिले का नाम आगे लाने के लिए हमेशा कटिबद्ध हैं. इनके पुत्र अमितांशु और पुत्री अदिति भी संगीत में रूचि रखते हैं. बेहद भावनात्मक स्वभाव की प्रियंका प्रगति के पथ पर लगातार अपने कदम बढ़ा रही हैं. हर दिन को आशा की नई किरण मानकर जिंदगी जीने वाली प्रियंका संगीत के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर चुकी हैं.