नई दिल्ली (एजेंसी): सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर अंतरिम आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पटाखों पर बैन का उसका पहले का आदेश लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गलत प्रभाव के मद्देनजर दिया गया था। जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केंद्र और राज्य की एजेंसियों की ये जिम्मेदारी बनती है कि वो इस पर अमल सुनिश्चित करें। दूसरों की जिंदगी की कीमत पर उत्सव मनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
कोर्ट ने कहा कि दीपावली और अन्य त्यौहारों जैसे गुरुपर्व इत्यादि पर रात आठ बजे से दस बजे तक पटाखे चलाए जा सकेंगे। क्रिसमस और नववर्स के अवसर पर रात 11 बजकर 55 मिनट से रात 12 बजकर तीस मिनट तक पटाखे चलाए जा सकेंगे। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी इलाके विशेष मे प्रतिबंधित सामग्री वाले पटाखों के उत्पादन या बिक्री की बात सामने आती है तो ऐसे में वहां के चीफ सेकेट्री, होम सेकेट्री, कमिश्नर , डीएसपी, एसएचओ तक की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी। इसे गंभीरता से लिया जाएगा। कोर्ट आदेश को धता बताने की इजाज़त नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया है कि सभी पटाखों पर बैन नहीं है। सिर्फ उन्ही पटाखों पर बैन लगाया गया है जो कि लोगों के ख़ासकर बुजुर्गों और बच्चों के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है।
28 अक्टूबर को कोर्ट ने पटाखों पर रोक लगाने के आदेश का उल्लंघन करने पर केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि पटाखों पर बैन पर हमारा आदेश व्यापक जनहित में दिया गया था। कोर्ट ने कहा था कि इसे इस तरह से नहीं प्रोजेक्ट नहीं किया जाना चाहिए कि हमने किसी उत्सव विशेष के लिए पटाखों को बैन किया था। कोर्ट ने कहा था कि हम किसी समुदाय विशेष के खिलाफ नहीं है। हम लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए यहां बैठे हैं। कोर्ट ने कहा था कि हम उत्सव के खिलाफ नहीं है, पर उत्सव मनाने की आड़ में लोगों की ज़िंदगी से खिलवाड़ की इजाज़त नहीं दी जा सकती। हम देख रहे हैं कि बाजारों में पटाखे बिक रहे है, जबकि हमने सिर्फ ग्रीन पटाखों की इजाज़त दी है। एजेंसियों की जवाबदेही बनती है कि वो पटाखों पर रोक सुनिश्चित करें। कोर्ट ने कहा था कि हम सीबीआई से कहेंगे कि वो उन पटाखा निर्माताओं के खिलाफ जांच करे जो फर्जी ग्रीन पटाखे बेच रहे हैं। किसी को इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है।
6 अक्टूबर को ग्रीन पटाखों के नाम पर पुराने पटाखे बेचने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि वो पटाखा बैन का कोर्ट के आदेश का पालन करें। कोर्ट ने कहा था कि हम जीवन की कीमत पर उत्सव मनाने की इजाजत नहीं दे सकते। उत्सव के समय शोर वाले पटाखे कहां से प्राप्त कर सकते हैं।
29 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन लगाने के उसके आदेश का पालन नहीं करने पर देश के छह पटाखा बनानेवाली कंपनियों को अवमानना नोटिस जारी किया था। ये पटाखा निर्माता कंपनियां हैं मेसर्स स्टैंडर्ड फायरवर्क्स, मेसर्स हिन्दुस्तान फायरवर्क्स, मेसर्स विनायक फायरवर्क्स इंडस्ट्रीज, मेसर्स श्री मरिअम्मन फायरवर्क्स, मेसर्स श्री सूर्यकला फायरवर्क्स और मेसर्स सेल्वा विनयागर फायरवर्क्स। कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई, चेन्नई के ज्वायंट डायरेक्ट की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि पटाखा निर्माता कंपनियां अभी भी बेरियम नाईट्रेट का और उसके दूसरे लवणों का इस्तेमाल पटाखा बनाने में कर रही हैं। पटाखा निर्माता कंपनियां पटाखों के लेबल पर उसमें शामिल सामग्री का उल्लेख नहीं करती हैं। ऐसा करना कोर्ट के पहले के आदेश का खुला उल्लंघन है।
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