लद्दाख के बाद अब एलएसी के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में तैनात होगी के-9 वज्र तोप

लद्दाख के बाद अब एलएसी के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में तैनात होगी के-9 वज्र तोप

– सेना प्रमुख ने आर्टिलरी सम्मेलन में वरिष्ठ गनर अधिकारियों के साथ बातचीत की

– खुद को ताकतवर बनाने के लिए रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी के प्रयासों को सराहा

नई दिल्ली: भारतीय सेना अब चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में ऊंचाई वाले पहाड़ों पर के-9 वज्र तोप तैनात करने की योजना बना रही है। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने मंगलवार को हैदराबाद में द्विवार्षिक आर्टिलरी सम्मेलन के दौरान वरिष्ठ गनर अधिकारियों के साथ बातचीत की। उन्होंने ‘इन स्ट्राइड विद द फ्यूचर’ में खुद को ताकतवर बनाने के लिए रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी के ठोस प्रयासों को सराहा।

भारतीय सेना उत्तराखंड और चीन के साथ सीमा साझा करने वाले देश के पूर्वोत्तर राज्यों में स्वदेशी के-9 वज्र हॉवित्जर तैनात करने की योजना बना रही है। भारतीय सेना दुर्गम पर्वतीय इलाकों में तैनात करने के लिए 200 के-9 वज्र हॉवित्जर तोपों का ऑर्डर देने की तैयारी कर रही है। फिलहाल इन स्वदेशी तोपों की एक रेजिमेंट यानी 20 तोपें 12 से 16 हजार फीट ऊंचे पहाड़ी इलाकों में चीन के खिलाफ तैनात हैं। 38 किलोमीटर दूर तक मारक क्षमता वाली यह के-9 वज्र तोप 15 सेकंड में 3 गोले दाग सकती है। लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत दक्षिण कोरिया की कंपनी के सहयोग से 100 तोपों का निर्माण गुजरात के हजीरा प्लांट में किया है जिन्हें सेना को सौंपा जा चुका है।

चीन सीमा पर गोलाबारी के लिए सेना ने ऊंचाई वाले इलाके में पिछले साल पूरी रेजिमेंट तैनात करने से पहले परीक्षण के तौर पर कुछ तोपों को तैनात किया था। लद्दाख सेक्टर में हॉवित्जर का सफलतापूर्वक परीक्षण किए जाने के बाद 200 के-9 वज्र हॉवित्जर तोप खरीदने का निर्णय लिया गया है। 38 किलोमीटर से अधिक दूरी पर लक्ष्य को भेदने में सक्षम इस स्वदेशी तोप ने सेना के तोपखाने को मजबूत किया है। भारत की विशिष्ट विशेषताओं के साथ तोप का वज्र संस्करण कठिन और विस्तारित फील्ड परीक्षणों के दौरान भारतीय सेना की जरूरतों के अनुरूप पूरी तरह से उभरा। लार्सन एंड टुब्रो ने कहा कि ‘के9 वज्र-टी’ सिस्टम के निर्माण में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है।

रक्षा मंत्रालय ने 2017 में दक्षिण कोरिया की कंपनी हानवा टेकविन से के-9 वज्र-टी 55मिमी/52 कैलिबर तोपों की 100 यूनिट (पांच रेजिमेंट) आपूर्ति के लिए 4 हजार 500 करोड़ रुपये का करार किया था। शुरुआती 100 तोपों का ऑर्डर मूल रूप से पंजाब के मैदानी इलाकों और अर्ध-रेगिस्तान के लिए था जिसमें पूरी तरह तैयार मिलीं 10 तोपों को नवम्बर, 2018 में सेना में शामिल किया गया था। बाकी 90 टैंक ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी लार्सन एंड टुब्रो कंपनी ने सूरत के हजीरा प्लांट में तैयार किए हैं। फैक्टरी में तैयार किया गया 100वां टैंक एलएंडटी ने 18 फरवरी, 2021 को सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे को सौंपा था।

सेना अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में ऊंचाई वाले पहाड़ों पर तैनाती के लिए अलग से 200 के-9 वज्र ट्रैक्ड सेल्फ-प्रोपेल्ड हॉवित्जर का ऑर्डर करने की तैयारी कर रही है। लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का ऑर्डर देने के लिए रक्षा मंत्रालय ने फाइलों को स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है। भारतीय निजी क्षेत्र की रक्षा फर्म लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) को दिया जाने वाला यह महत्वपूर्ण ऑर्डर अब तक का सबसे बड़ा होगा। यह ऑर्डर सेना के आधुनिकीकरण के साथ ही औद्योगिक रक्षा उद्योग को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए बूस्टर डोज भी साबित होगा।

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