कुछ नही होगा पठान का वरदान है… एक Soilder ये नहीं पूछता की देश ने उसके लिए क्या किया, पूछता है वो देश के लिए क्या कर सकता है… पार्टी पठान के घर रखोगे, तो मेहमान नवाज़ी के लिए पठान तो आएगा ही और पटाखे भी लाएगा… ऐसे ही महज दो चार Dialogue के साथ Pathaan की मेहमान नवाजी पूरे 2hr 26min तक चलती है। कमजोर कहानी, एक्शन ज्यादा, रोमांच ज्यादा, कमजोर पटकथा, कमजोर किरदार, जबरदस्त Background Score, कमजोर निर्देशन, John Abraham का जोरदार Screen Presence, John का बवाल Action Sequence, Shahrukh का ठीक – ठाक वाला Acting, Aasutosh Rana का कमजोर किरदार, दीपिका के फ़िल्म में होने पर मन मे आते सवाल और राष्ट्रवाद के संदेश से सजी है फ़िल्म।
कहानी
कहानी कहाँ से कैसे और क्यों शुरू होती है ये पता करते करते पूरी फिल्म निकल जाती है। दिमाग पर ज्यादा जोड़ दे कर भी सोचें तो कुल मिला कर 10 लाइन की कहानी में 50 लाइन का Action फ़िल्म में डाला गया है। किसी भी किरदार को बेहतर परिभाषित करने में फ़िल्म विफल दिखती है। कहानी की खोज में ज्यादा दिमाग दौड़ाने पर यही पता चलता है कि धारा 370 हटने के बाद पाकिस्तान का परेशान होना और उसके बाद प्राइवेट आतंकवादी गिरोह के साथ एक मिशन को शुरू करना। प्राइवेट आतंकवादी गिरोह का मुखिया जिम (John Abraham) एक वक्त पर इंडियन इंटेलिजेंस फोर्स का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन उसके साथ हुए एक हादसे ने उसको देश के प्रति नफरत पैदा कर दी। जिसके बाद इस प्राइवेट आंतकवादी गिरोह का मकसद एक वायरस के जरिए इंडिया में तबाही मचाना होता है। इंडियन इंटेलिजेंस एजेंसी को John Abraham (जिम) के इस प्लान की भनक लगती है और उसको रोकने के लिए वो अपने सबसे काबिल एजेंट पठान (Shahrukh Khan) को खड़ा करते हैं। इस मिशन के दौरान पठान (Shahrukh Khan) की मुलाकात रुबीना (Deepika Padukone) से होती है। क्या पठान, जिम (John Abraham) को ऐसा करने से रोक पाता है ? क्या Pathaan देश मे वायरस फैलने से रोक पायेगा ? वो ऐसा कौन सा वायरस है जो देश के लिए खतरनाक साबित हो सकता है ? रुबीना (Deepika) पठान की मदद करती है या धोखा देती है ? पठान आखिर पठान बना कैसे ? ये सब आपको फ़िल्म खत्म होते पता चल जाएगा।
एक्टिंग
जिम के किरदार में (John Abraham) पूरे फ़िल्म की जान है। जब – जब John का किरदार 70mm के पर्दे पर आता है दर्शकों में जोरदार उत्साह दिखता है। John के किरदार को बहुत की खूबसूरती से बेहतर अंदाज़ में फिल्माया गया है। कई बार John का किरदार पठान से मजबूत दिखता है। एक्शन करते हुते John फ़िल्म में बवाल लगते हैं। पठान के किरदार में Shahrukh Khan का काम समझ के बाहर है। पहला, ना तो Shahrukh Khan के किरदार पठान को ठीक तरीके से फ़िल्म में स्थापित किया गया है, ना ही उनके किरदार को बढ़िया से लिखा गया है। एक बहुत ही हल्की व्यक्तित्व के साथ पठान का किरदार कहानी में आगे बढ़ता है जो कि कुछ एक्शन करते वक्त दर्शकों को भाता है। आशुतोष राणा का किरदार बहुत कमजोर तरीके से पेश किया गया है। इससे बेहतर आशुतोष राणा का काम फ़िल्म ‘वॉर’ में रहा था। Deempal Kapadia का किरदार कुछ हद तक स्क्रीन पर जचता है। फ़िल्म के आखरी एक सीन में जब Deempal Kapadia वायरस की चपेट में आतीं हैं तब उस सिन में पठान को सलामी देते हुए उनका सिन दर्शकों की ताली बटोरने में कामयाब रहता है। बाकी और भी किरदार हैं जिन्होंने अपना काम बख़ूबी किया है।
लेखक और निर्देशन
फ़िल्म की कहानी को लिखा है Sidharth Anand ने जो कि इस फ़िल्म के निर्देशक भी हैं। Shridhar Raghavan ने फ़िल्म का Screenplay लिखा है साथ ही Abbas Tyrewala ने Dialogue लिखा है। Siddharth Anand के निर्देशन में कुछ भी नया नही है। फ़िल्म देखते ही ऐसा लगता है कि डायरेक्टर ने सिर्फ स्टार फैक्टर की आड़ में अपना काम निकाल लिया है। कहीं से भी निर्देशक का काम तारीफ के काबिल नही लगता है। Siddharth Anand की पिछली निर्देशित फिल्म ‘वॉर’ की बात करें तो वहां भी दर्शकों का झुकाव सिर्फ Hrithik Roshan के तरफ ही था। Siddharth Anand अभी वैसे निर्देशक की कतार में खुद को खड़े करने में विफल दिखतें हैं जहां निर्देशक के नाम पर दर्शक सिनेमा हॉल के दरवाजे पर पहुँचे।
क्यों देखें ये फ़िल्म ?
John Abhrahm को आपने एक्शन करतें बहुत सारी फिल्मों में देखा होगा, लेकिन इस फ़िल्म में John का अंदाज़ आपके सर चढ़ के बोलेगा। कहानी में दम उतना नही है लेकिन अगर आप मसाला फ़िल्म के शौकीन हैं तो ये फ़िल्म आपके लिए है।
यह फिल्म समीक्षा हमें अभिनंदन कुमार ने भेजी हैं। समीक्षा लेखक के निजी विचार हैं।