राज्य सरकार के द्वारा शिक्षक आंदोलनकारियों पर कार्रवाई लोकतंत्र में हिटलर शाही का प्रतीक: चंदेल

Chhapra: बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के संरक्षक सह शिक्षक नेता विश्वजीत सिंह चंदेल ने कहा कि शिक्षा जगत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि शिक्षक सम्मान के दिन राज्य सरकार के गलत नीतियों के कारण शिक्षक आंदोलन के लिए सड़क पर उतरने को मजबूर हुए. समान काम का समान वेतन हमारा अधिकार ही नहीं सम्मान भी है. राज्य सरकार के द्वारा शिक्षक आंदोलनकारियों पर करवाई लोकतंत्र में हिटलर शाही का प्रतीक है.

उन्होने कहा कि राज्य सरकार दमनकारी कार्रवाई से बचें और शिक्षकों के जायज मांग को पूरा करें. तत्काल निम्नलिखित कदम उठाकर शिक्षकों के मन में पनप रहा आक्रोश एव कुंठा को दूर करना चाहिए. नियोजित शिक्षकों को तत्काल राज्यकर्मी में घोषित किया जाए. सरकार उदारता दिखाते हुए शिक्षकों के लिए समान काम समान वेतन देने का साहसिक निर्णय ले. शिक्षकों के वेतन से भविष्य निधि कटौती सुनिश्चित किया जाए.

उन्होने कहा कि शिक्षकों को परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर आवंटित कर उसे नेशनल पेंशन स्कीम से जोड़ा जाए ताकि अवकाश ग्रहण करने के उपरांत उनकी सामाजिक आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. राज्य में शिक्षकों के स्वीकृत अस्थाई पदों को समाप्त करने संबंधी निर्णय को अविलंब वापस लिया जाए. क्योंकि जब स्थाई पद नहीं रहेगा तो स्थाई नियुक्ति कैसे होगी? अधिकांश उत्क्रमित उच्च विद्यालय का अपना भवन बन चुका है. अतः इन विद्यालयों में कार्यरत माध्यमिक शिक्षकों की वरीयता एवं प्रतिष्ठा का ध्यान रखते हुए विद्यालय के प्रशासनिक नियंत्रण से मुक्त किया जाए.

0Shares
A valid URL was not provided.