शिक्षक दिवस विशेष: सारण के गर्व बने सारंगधर और विनय, राष्ट्रपति अवार्ड से हुए सम्मानित

शिक्षक दिवस विशेष: सारण के गर्व बने सारंगधर और विनय, राष्ट्रपति अवार्ड से हुए सम्मानित

प्रभात किरण हिमांशु के साथ छपरा टुडे ब्यूरो की रिपोर्ट:

एक सच्चा शिक्षक जीवन जीने की प्रेरणा देता है. हमारे अंदर शिक्षा और संस्कार के समुचित विकास का सर्वश्रेष्ठ माध्यम भी शिक्षक ही होते हैं. आज के बदलते दौर में भले ही शिक्षा और शिक्षक का स्वरूप बदल रहा हो पर हमारे समाज में आज भी ऐसे शिक्षक हैं जो अपने कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी और संकल्पशक्ति के आधार पर समाज के लिए प्रेरणा का सशक्त माध्यम बन गए हैं.

‘सारण’ के दो महान शिक्षक सारंगधर सिंह और विनय कुमार दूबे ने भी शिक्षा के क्षेत्र में जो कार्य किये हैं उसकी मिशाल आने वाले कई वर्षों तक दी जाएगी. स्कूल की एक टूटी हुई कुर्सी से अपने शिक्षण कार्य की शुरुआत कर राष्ट्रपति पदक तक का सफ़र तय करने में भले ही इन्होंने काफी कठिनाइयों का सामना किया हो पर कठिन रास्तों पर चलकर शिक्षा का आजीवन प्रसार करना आज भी इनके जीवन का एक मात्र उद्देश्य है.

‘दोनों ही अपने विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य है. इन्हें शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित किया जा रहा है. बिहार से कुल 5 शिक्षकों का चयन इस अवार्ड के लिए हुआ है जिसमे 2 सिर्फ सारण से ही हैं”

अनुशासित जीवन के साथ शिक्षा के प्रसार को संकल्पित हैं सारंगधर

सारण जिला के गड़खा प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय सरगट्टी के प्रभारी प्राचार्य सारंगधर सिंह बेहद ही सरल स्वभाव के है. अनुशासित जीवन जीना और समाज में शिक्षा का प्रसार करना इनके जीवन का एक मात्र उद्देश्य है. 

प्रभारी प्राचार्य सारंगधर सिंह
प्रभारी प्राचार्य सारंगधर सिंह 

16 मई 1988 में मशरक में राजापट्टी प्राथमिक विद्यालय से शिक्षक जीवन की शुरुआत करने वाले सारंगधर सिंह का बचपन काफी कठिनाइयों से भरा रहा. आभावग्रस्त जिंदगी और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच इन्होंने अपनी शिक्षा के साथ कभी समझौता नहीं किया. शिक्षा के प्रति उनका लगाव ही था कि इन्होंने संघर्ष को झेलते-झेलते एक-दो नहीं 5 विषयों से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की.

 

 

 

 

शिक्षण सेवा में जाने के बाद इन्होंने भवनहीन विद्यालय में योगदान दिया, पर इनके संकल्प शक्ति ने महज 6 महीनों में उस विद्यालय को एक सुन्दर भवन में प्रवेश करा दिया. जनप्रतिनिधियों से सहयोग प्राप्त कर इन्होंने उस विद्यालय को तरक्की के राह पर लाकर खड़ा कर दिया.

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अपने विद्यालय के कक्षा में प्रभारी प्राचार्य सारंगधर सिंह

 8 वर्षों तक इस विद्यालय में सेवा देने के बाद 31 जनवरी 1996 को इनका स्थानांतरण छपरा के छोटा तेलपा स्थित एक वैसे विद्यालय में किया गया जहाँ भवन के नाम पर एक छोटा सा बरामद 4 टूटी कुर्सियां तथा लगभग 100 बच्चे थे. सारंगधर सिंह ने अथक प्रयास किया. दिन रात एक कर छपरा के तत्कालीन विधायक का सहयोग प्राप्त किया. इनके संकल्प को आधार मिला और महज एक साल के भीतर ही छोटा तेलपा स्थित यह विद्यालय खुद के भवन में स्थापित हुआ. 

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विद्यालय के शिक्षकों के साथ प्रभारी प्राचार्य सारंगधर सिंह                                                           Photo: प्रभात किरण हिमांशु  

छपरा के सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों में से एक इस विद्यालय को देखने कभी बिहार के दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव भी आये थे. स्कूल में ऐसा परिवर्तन हुआ कि यहाँ बच्चों की संख्या 400 पार कर गई तथा सभी बच्चे प्राइवेट स्कूल के तर्ज पर टाई, बेल्ट, जूता, मोजा पहनकर स्कूल आने लगे. आज भी यह विद्यालय सारण के कुछ गिने-चुने विद्यालयों में शामिल है. 

वर्तमान में सारंगधर सिंह उत्क्रमित मध्य विद्यालय सरगट्टी में प्रभारी प्राचार्य हैं. यह विद्यालय जिले के आदर्श विद्यालयों में से एक है. विद्यालय का प्रांगण एक मंदिर के सामान है जहां सभी शिक्षक पूरे ईमानदारी के साथ बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हैं. स्वच्छता से लेकर अनुशासन में ये विद्यालय अव्वल है. हालांकि सारंगधर सिंह का कहना है कि अगर स्थानीय लोगों और शिक्षकों का भरपूर सहयोग मिले तो सारण के सभी विद्यालयों का कायाकल्प हो सकता है.

विद्यासागर डी. लिट से सम्मानित सारंगधर सिंह का कहना है कि उन्होंने कभी अवार्ड पाने के लिए काम नहीं किया. शिक्षा के बदलते स्वरुप को समय की मांग बताने वाले सारंगधर सिंह अपनी सभी उपलब्धियों को अपनी माँ को समर्पित करते हैं. हर जन्म में शिक्षक ही बनूं यही उनकी तमन्ना है.
ईमानदार विचारों के धनी है शिक्षक विनय कुमार दुबे

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प्रभारी प्राचार्य विनय कुमार दूबे

श्रम को साधना मानकर ईमानदारी से जीवन व्यतीत करने वाले सारण के शिक्षक विनय कुमार दूबे भी शिक्षक दिवस के दिन राष्ट्रपति अवार्ड पाने जा रहे हैं. काफी सकारात्मक सोंच रखने वाले विनय दूबे के अंदर एक विशेष प्रकार की ऊर्जा देखने को मिलती है. उनकी यही ऊर्जा उन्हें शिक्षा के प्रति बेहद समर्पित बनाती है. 

रिविलगंज प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय,अवली में 1999 से शिक्षण कार्य प्रारम्भ करने वाले विनय कुमार दूबे शिक्षा के प्रसार के साथ-साथ समाजसेवा के लिए भी तत्पर रहते हैं. इनके ईमानदार प्रयासों से कभी 3 कट्ठे के जीर्ण-शीर्ण भवन में चलने वाला विद्यालय आज 13 कट्ठे के भवन में शिफ्ट हो चूका है. इनका विद्यालय सारण के सर्वश्रेष्ठ विद्यालय के रूप में जाना जाता है. स्कूल के अंदर की व्यवस्था और शिक्षा प्रणाली अन्य सरकारी विद्यालयों के साथ-साथ निजी विद्यालयों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत है. अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त इस विद्यालय को देखने के लिए दूसरे जिलों से भी लोग आते हैं.

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अपने विद्यालय के शिक्षकों के साथ प्रभारी प्राचार्य विनय कुमार दूबे                           Photo: प्रभात किरण हिमांशु  

विद्यालय के विकास के लिए सदैव तत्पर रहने वाले विनय कुमार के मन में लालच का कोई स्थान नहीं है. यह आज भी अपनी पुरानी साइकिल से प्रतिदिन लगभग 10 किलोमीटर यात्रा कर विद्यालय जाते हैं. इनका कहना है कि विद्यालय के विकास के लिए मैंने कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं किया बल्कि जो योजनाएं थी उसे पूरे ईमानदारी के साथ क्रियान्वित किया. नियमित प्रयास और दृढ संकल्प के बूते विनय कुमार शिक्षा क्षेत्र में विशिष्ट योगदान हेतु राजकीय सम्मान से भी नवाजे जा चुके हैं. वर्ष 2015 में पूरे बिहार में मध्याह्न भोजन योजना के सफल संचालन में इनका विद्यालय सर्वश्रेष्ठ घोषित हुआ था. 

विनय कुमार दुबे का मानना है कि शिक्षा की पुरानी प्रणाली में कुछ परिवर्तन होना चाहिए. सरकारी योजनाओं के साथ-साथ अभिभावकों को जागरूक करने का प्रयास सरकारी विद्यालयों की स्थिति को बेहद सम्मानजनक बना सकता है. हर शिक्षक अगर अपने सम्मान के लिए कार्य करे तो बिहार की शिक्षा व्यवस्था पूरे देश के लिए मिशाल बन सकती है.

सारण में सारंगधर सिंह और विनय कुमार दूबे जैसे कई शिक्षक हैं जिन्होंने शिक्षा के प्रति समर्पण का भाव दिखाया है. आज भी कई शिक्षक अपने कार्यों से एक आदर्श कायम कर रहे हैं. इन दोनों को राष्ट्रपति पदक मिलने से शिक्षा जगत में एक सकारात्मक सन्देश जरूर जाएगा पर बिहार की बिगड़ती शिक्षा व्यवस्था को तभी सुदृढ़ किया जा सकता है जब आम जनता, शिक्षक, प्रशासन और सरकार एक बेहतर तालमेल के साथ मोह-माया से परे शिक्षा के सर्वांगीण विकास के लिए मिलकर प्रयास करें. एक नई सोंच,नए संकल्प के साथ शिक्षक दिवस के अवसर पर सारण के सभी कर्मठ शिक्षकों को छपरा टुडे का नमन.

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