छपरा: सारण में पंचायत चुनाव का बिगुल बज चूका है.कई प्रखंडों में चुनाव हेतु नामांकन प्रक्रिया आरम्भ है. इस बार के चुनाव को आरक्षण के नए रोस्टर ने रोमांचक बना दिया है.
पूर्व से चयनित पुरुष जनप्रतिनिधि या पहली बार चुनाव लड़ने का इरादा रखने वाले कई उम्मीदवारों के उम्मीदों पर आरक्षण के नए रोस्टर ने पानी फेर दिया है. चुनावी रेस में अपना झंडा बुलंद रखने के लिए ऐसे लोग अब अपनी जगह अपनी घर की महिलाओं को मैदान में उतार रहे है.
सारण में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में अबतक हुए नामांकन में जिन महिला उम्मीदवारों ने नामजदगी के पर्चे भरे हैं उसमे ज्यादातर वैसी महिलाएं है जिनके पति या रिश्तेदार आरक्षण के रोस्टर की पेंच में फंस कर खुद उस क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ पा रहे है.
पंचायत चुनाव में कुछ महिला प्रत्याशी ऐसी भी है जिनके पति राजनीति के क्षेत्र में विगत कई वर्ष से सक्रिय है और कहीं ना कहीं महत्वपूर्ण पदों पर भी काबिज है. ऐसे पुरुष अपनी राजनीतिक साख को और ज्यादा मजबूत करने के इरादे से पंचायत चुनाव में अपनी माँ, पत्नी, साली,सरहज, भाभी या बहु को चुनावी अखाड़े में उतार रहे है.
पंचायत चुनाव में ऐसी कई महिला प्रत्याशी हैं जिन्हें इन चुनावों की कोई जानकारी नहीं है पर अपने पति या नजदीकी रिश्तेदारों के अरमानों को बचाने और उनके राजनीतिक वर्चस्व को कायम रखने के लिए इन महिलाओं ने घर की जिम्मेदारी के साथ-साथ गांव और समाज की जिमेदारी का निर्वाह करने के लिए भी कदम बढ़ाए हैं.
कारण चाहे जो भी हो पर पंचायत चुनाव में महिला प्रत्याशियों की बढ़ती भागीदारी से गाँव में रहने वाली सभी महिलाओं का हौसला जरूर बढ़ा है.
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