पौराणिक काल में एक भगीरथ प्रयास हुआ और भगीरथी की आराधना और दृढ संकल्प के फलस्वरूप धरती पर गंगा का अवतरण हुआ. तब से लेकर आज तक विशाल हृदय लिए गंगा की धारा समाज के लिए समस्त पापों का नाश करने वाली मोक्षदायिनी नदी के रूप में हमारे बीच विद्यमान है.
गंगा पवित्र है, पर सुविधाभोगी समाज के आचरण ने गंगा की पवित्रता और उसकी अविरलता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है. समय के साथ गंगा की निर्मलता प्रदूषित हो चुकी है. आज गंगा अपने वजूद को बचाने के लिए संघर्षरत है. गंगा का पानी अपनी स्वच्छता के लिए जाना जाता था, पर आज गंगा में जिस प्रकार गन्दगी बढ़ी है उसने इस मोक्षदायिनी नदी के अस्तित्व पर संकट ला दिया है.
शहरों का तेजी से हो रहा आधुनिकीकरण, बढ़ती जनसंख्या और सरकार और समाज की दोहरी मानसिकता का दुष्परिणाम आज गंगा के प्रदूषित होने की प्रमुख वजह है. सदियों से गंगा प्रदूषण की मार झेलती आ रही है. कभी कल-कारखानों की गन्दगी तो कभी शहरों में फ़ैल रही गन्दगी, सबको गंगा ने अपने अंदर समावेशित किया है किन्तु गंगा की सफाई को लेकर समाज में व्याप्त उदासीनता के कारण आज गंगा को बचाना एक चुनौती बनी हुई है.
हमारी रूढ़िवादी सोंच ने भी गंगा को काफी हद तक प्रभावित किया है. पूजा-पाठ एवं महत्वपूर्ण समय पर होने वाले स्नान के समय गंगा को प्रदूषण का जो दंश झेलना पड़ता है वो हमारी लापरवाही का नतीजा है. आज गंगा में प्रतिदिन हजारो टन कचड़ा किसी न किसी माध्यम से प्रवाहित किया जा रहा है पर हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए की मोक्षदायिनी गंगा को भी प्रदूषण से मुक्ति की आवश्यकता है.
वर्तमान केंद सरकार ने भी गंगा को पूर्णतः निर्मल बनाने के लिए कई योजनाओं का सृजन किया है पर उन योजनाओं का निराकरण तभी संभव है जब हम सब मिलकर गंगा की अविरलता और निर्मलता स्थापित रखने में सहयोग करें. गंगा से कचड़े को निकालने के लिए कई आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया जा रहा है. पूरे देश में इसके अंतर्गत वृहत जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है. देश और विदेश के एनजीओ की मदद से भी गंगा को स्वच्छ बनाने की दिशा में कई योजनाएं चल रही हैं पर हम सब को जीवन और मुक्ति देने वाली गंगा की धारा तभी निर्मल हो पाएगी जब पूरा देश एक साथ खड़ा होगा और ये निर्णय करेगा की हम गंगा को कभी प्रदूषित नहीं होने देंगे.
हम सब अगर एक दिशा में सार्थक प्रयास करें तो निश्चित ही गंगा प्रदूषण मुक्त हो सकती है. हम सब ने मिलकर फिर से एक भगीरथ प्रयास किया तो हमारे मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करने वाली गंगा पुनः निर्मलता के साथ हमारे बीच अविरल रहेगी. बस गंगा को जरूरत है आज ‘एक और भगीरथ की’.
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