महान लोक कलाकार ‘भोजपुरी के शेक्सपीयर’ कहे जाने वाले लोक जागरण के सन्देश वाहक भिखारी ठाकुर की आज 130 वीं जयंती है. उनका जन्म 18 दिसम्बर 1887 को सारण जिले के कुतुबपुर दियारा गाँव में हुआ था.
बहु आयामी प्रतिभा के धनी भिखारी ठाकुर भोजपुरी गीतों एवं नाटकों की रचना एवं अपने सामाजिक कार्यों के लिये प्रसिद्ध हैं.
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भिखारी ठाकुर का जन्म एक नाई परिवार में हुआ था. उनके पिताजी का नाम दल सिंगार ठाकुर व माताजी का नाम शिवकली देवी था. रोज़ी कमाने के लिये उन्हें अपने गाँव को छोड़कर बंगाल जाना पड़ा वहाँ उन्होने काफी पैसा कमाया किन्तु वे अपने काम से संतुष्ट नहीं थेऔर लौट के गाँव वापस आ गए. उनका मन रामलीला में बस गया था. अपने गाँव आकर उन्होने एक नृत्य मण्डली बनायी और रामलीला खेलने लगे.
इसके साथ ही वे गाना गाते एवं सामाजिक कार्यों से भी जुड़े. उनकी मुख्य कृतियाँ लोकनाटक बिदेशिया, बेटी-बेचवा, गबर घिचोर, बिधवा-बिलाप, कलियुग-प्रेम आदि आज भी लोगों को समाज की कुरीतियों से लड़ने का साहस देती है.
सारण के इस महान विभूति ने 10 जुलाई 1981 को चौरासी वर्ष की आयु में अंतिम साँस ली.
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