हिन्दू धर्म के मान्यताओ के अनुसार मृत्युलोक पर हमारे पूर्वज की आत्माए अपने परिवार के उपर उनका नजर बना हुआ रहता है. जिन परिवार में अपने पूर्वजो का पूजन पाठ नहीं करते है या उनको कष्ट देते है जिससे उनको पितृदोष लग जाता है.
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जन्मकुंडली में सूर्य के साथ राहू की यूति हो तब पितृदोष बन जाता है। पितृदोष कुण्डली के अलग -अलग भाव में पितृ दोष बनने से उसका प्रभाव भी अलग -अलग तरीके से पड़ता है. व्यक्ति के कुंडली में यह ऐसा दोष है जो सभी प्रकार के कष्ट एक साथ मिलता है कई बार व्यवहार में यह भी देखा जाता है। व्यक्ति कर्म कर रहा है काम में उसका कोई दोष नहीं है फिर भी उसे कष्ट मिलते रहता है मानसिक तनाव में दुखी तथा अशांत रहते है. वह शाररिक कष्ट धन की कमी, पराक्रम का अभाव माता -पिता के सुख में कमी, भूमि भवन मकान व्यापार में कमी, जीवन साथी के साथ अन -बन बना रहता है.
पितृदोष में पिता के साथ अनबन ज्यादा बना रहता है। कुंडली में नवा घर पिता का घर होता है इस हर में सूर्य के साथ राहू केतु या शनि बैठे है तब इस भाव को दूषित कर देते है. जिसे कारण पिता के साथ अनबन होता है पिता और पुत्र दोनों एक साथ एक मकान में नहीं रह पाते है। व्यक्ति किसी प्रकार से हमेशा टेंशन में बना रहता है अगर पढाई कर रहा है उसको शिक्षा में मन नहीं लगता है।
जाने पितृदोष कैसे लगता है.
लगन कुंडली में सूर्य के साथ राहू केतु का युति बना हो या सूर्य के उपर शनि की दिर्ष्टि अगर बन रहा हो तब पितृदोष बनता है। सूर्य अगर शनि के राशि मकर तथा कुम्भ राशि में विराजमान हो तब भी पितृदोष माना जाता है।
पितृ दोष का लक्षण क्या होता है.
(1)पितृदोष वंशनाश का धोतक है जातक के परिवार में कन्याये पुत्रो की अपेक्षा ज्यादा होती है किसी -किसी को पुत्र की प्राप्ति नहीं हो पाता है .
(2)पितृदोष जब लग जाता है उनके मामा के साथ रिश्ता ठीक नहीं रहता है यदि मामा होते है तो उनकी स्थति बहुत नाजुक व ख़राब होती है
(3)पितृ दोष का विशेष प्रभाव सबसे बड़े या सबसे छोटे या उस संतान पर अधिक रहता है जो लाडला हो .
(4)पितृ दोष में जातक हमेशा भाग्यहीन व पीड़ित रहता है .
पितृदोष के कारण क्या होता है.
(1)घर परिवार में जातक के सगे सम्बंधित की आकाल मृतु होना.
(2) व्यक्ति के पिता या माता के जन्मपत्रिका में पितृ दोष हो तभी पितृदोष लगता है .
(3) व्यक्ति के पूर्वजो के यहाँ किसी का पैसा अनैतिक तरीके से आया हो तब भी जन्मपत्रिका में पितृदोष लगता है.
(4) व्यक्ति के पिता या दादा की एक से अधिक पत्नी हो तब भी पितृ दोष लगता है.
(5) व्यक्ति के परिवार में मृत वयोक्ति के आत्मा के शांति के लिए विधि -विधान से पूजन अर्चन नहीं करने से भी पितृदोष लगता है.
पितृ दोष का उपाय :
पितृ पक्ष में अपने पूर्वजो को तर्पण करे.
पितृ पक्ष में पंचबली श्राद्ध करे .पितरो को प्रसन्न करने के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध करे.
प्रत्येक दिन सूर्य भगवान को जल चढ़ाये.
अमावस्या के दिन दोपहर में पीपल के पेड़ में जल चढ़ाये राहत मिलेगा.
अमावस्या के दिन गरीबो को भोजन कराये.
रविवार को सूर्य के मन्त्र ॐ सूर्याय नमः एक माला का जाप करे.
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847
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