छपरा सहित बिहार के कई शहरों की हवा हो गई है जहरीली: डॉ प्रशान्त सिन्हा

छपरा सहित बिहार के कई शहरों की हवा हो गई है जहरीली: डॉ प्रशान्त सिन्हा

सर्दियों में दिल्ली एनसीआर एवं देश के अन्य प्रदेशों सहित बिहार के कई शहरों की हवा प्रदुषित हो चुकी हैं। सर्दियों में गंगा के मैदानी भाग में बसे उत्तर बिहार के शहरों वायु प्रदुषण कहर बरपा रहा है।

इन शहरों की वायु गुणवत्ता ए क्यू आई 300 – 400 के बीच बनी हुई है जो बहुत खतरनाक है। उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच AQ I को अच्छा 51 और 100 के बीच संतोषजनक 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब 401 से 500 के बीच बेहद खराब और 500 के ऊपर गंभीर माना जाता है। भागलपुर, आरा, छपरा, पटना, राजगीर, किशनगंज जैसे शहर प्रदुषित वायु के गिरफ्त में है।

बिहार में सड़कों की धूल, गाडियां, कचरों के जलने के अलावा भौगोलिक परिस्थितियां जैसे जलौढ़, मिट्टी, बाढ़ आदि के कारण उपजी धूल को वायु प्रदुषण के लिए ज़िम्मेदार माना जा रहा है। नागरिकों के द्वारा सड़कों पर कचड़ा फेंकने, नगर निगमों की लापरवाही के कारण सफाई नही होने एवं उसपर गाड़ियों के चलने से धूलकण उड़ने से वायु प्रदुषण बढ़ रहा है।

वायु प्रदूषण जहर का काम कर रहा है जो धीरे धीरे मनुष्य के शरीर को क्षति पहुंचाता हुआ उम्र को कम करता जा रहा है। गंदी हवा गैसों और कणों का जटिल मिश्रण है। PM 2.5 कण जिनमे से कुछ इतने छोटे होते हैं कि वे रक्त प्रवाह मे चले जाते है जो बहुत घातक होते हैं। 2019 मे वायु प्रदूषण घर के अंदर और बाहर, दुनिया भर मे लगभग सात करोड़ मौतों मे यौगदान देने अनुमान है जो वैश्विक मृत्यु दर का लगभग 12 प्रतिशत है।

‌इसका असर शरीर के विभिन्न प्रणाली को प्रभावित करता है। सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के लंबे समय तक सम्पर्क में रहने से संज्ञात्मक गिरावट हो सकती है। मस्तिस्क की संरचना मे परिवर्तन से अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ जाता है।

तंत्रिका प्रणाली ( Nervous System ) : प्रदूषण न्यूरो डेवलपमेंटल विकारों और पार्किनसन्स से होने वाली मौतों से जुड़ा हुआ है। कण केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की यात्रा कर सकते हैं और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय कर सकते हैं।

‌हृदय प्रणाली ( Cardio Vescular System ) संसर्ग हृदय रोगों से मृत्यु के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है जिसमें कोरोनरी धमनी रोग, दिल का दौरा, आघात और रक्त के थक्के शामिल हैं।

‌श्वसन प्रणाली ( Respiratory System ) प्रदूषण वायु मार्गों को परेशान कर सकता है और सांसों की तकलीफ, खांसी, अस्थमा और फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है। यह Chronic Obstructive Pulmonary Disease ( COPD ) में खतरे को बढ़ा सकता है।

अंतः स्त्रावि तंत्र ( Endicrine System ) कण प्रदूषण एक अंत स्त्रावी अवरोधक है जो मोटापा और मधुमेह जैसे रोग होते हैं। दोनों हृदय रोग के लिए जोखिम है। गुर्दे की प्रणाली ( Renal System ) लम्बे समय तक सूक्ष्म कणों में वायु प्रदूषण के संपर्क मे रहने से क्रॉनिक किडनी रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। शहरी क्षेत्रों में गुर्दे की बीमारी की दर सबसे अधिक है।

‌प्रजनन प्रणाली ( Reproductive System ) प्रदुषण कम, प्रजनन क्षमता और असफल गर्भधारण से जुड़ा हुआ है। प्रसव पूर्व संसर्ग से समय से पहले जन्म, जन्म के समय वजन और सांस की बीमारियां हो सकती हैं।

प्रदूषण के कारण सांस की बीमारियां तेजी से बढ़ रही है। मेडिकल जर्नल लॉसेंट मे प्रकासित एक अध्ययन के मुताबिक़ तीन दशक में सांस की बीमारी Chronic Obstructive Pulmonary Disease से पीड़ित मरीजों की संख्या देश में करीब 4.2 % व 2.9% लोग अस्थमा से पीड़ित हैं। इसका सबसे बड़ा कारण प्रदूषण को माना गया है। प्रदूषण के कारण कम उम्र के लोगों में भी फेफड़े का कैंसर देखा जा रहा है। जो लोग धुम्रपान नही करते वे भी फेफड़े के कैंसर का शिकार हो रहे हैं।

वायु प्रदूषण एवं पर्यावरण सम्बन्धित समास्याओं को समझने , विश्लेषण करने और समाधान के लिए सरकार और जनता दोनों में जागरूकता की आवश्यकता है अन्यथा भावी पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी।

यह लेखक के निजी विचार हैं

लेखक डॉ प्रशांत सिन्हा, पर्यावरणविद हैं 

 

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