Lockdown में Social Media बना संवाद का बेहतर माध्यम, बस अफवाहों से बचने की जरूरत

Lockdown में Social Media बना संवाद का बेहतर माध्यम, बस अफवाहों से बचने की जरूरत

Chhapra: कोरोना वायरस को लेकर जारी लॉक डाउन के घरों में समय व्यतीत करने के लिए कार्यो में मशगूल है. इन दिनों सबसे ज्यादा समय लोग सोशल मीडिया पर बिता रहे है. सोशल मीडिया पर एक वर्ग पूरा सक्रिय है. आधुनिकता के इस दौर में लोग वीडियो कॉलिंग के जरिये भी एक दूसरे से हाल चाल ले रहे है.

सोशल मीडिया में रहकर सोशल डिस्टेंसिंग का हो रहा पालन

सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह पालन कर रहे लोगो का एक ऐसा भी तबका है, जो पुरी तरह से फेसबुक और व्हाट्सएप पर सक्रिय है. जिनके द्वारा लगातार देश, विदेश से आ रही जानकारियों के शेयर करते हुए लोगों को घरों में रहने की अपील की जा रही है. हालांकि इस दौरान कुछ वैसे भी वीडियो सामने आ रहे है जो लोगो के बीच गलतफहमी पैदा कर दे रहे है.

भ्रामक जानकारी बनेगी घातक

लॉक डाउन के बाद से जिस तरह यूजर सोशल साइट्स पर एक्टिव है, उस तरह से लोगो की जागरूकता का पता तो चलता है लेकिन बिना जांचे परखें वीडियो और विभिन्न भ्रामक मैसेज को शेयर करना घातक दिख रहा है.

गलत जानकारी देने वालो पर होगी कार्रवाई

विगत दिनों इन संदेशों पर लगाम लगाने की कवायद सरकार ने शुरू कर दी है. सरकार के द्वारा यह निर्देश दिया गया है कि कोविड-19 को लेकर अफ़वाह फैलाने वाले, उससे जुड़ी गलत जानकारी देने वालो के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा. इसको लेकर कार्रवाई भी शुरू हो गयी है.

लॉक डाउन में सोशल साइट्स पर एक्टिव पर्सन बिना पुष्ट जानकारी के कोरोना वायरस से सम्बंधित जानकारियों को फॉरवर्ड न करे जिससे कि उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ें.

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