शारदीय नवरात्रि: जानें क्या है कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त तथा पूजन विधि

शारदीय नवरात्रि: जानें क्या है कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त तथा पूजन विधि

हिन्दू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि का व्रत आश्विन मास के शुक्लपक्ष के प्रतिपदा तिथि से आरंभ होकर नवमी तिथि तक यानि पुरे 9 दिन तक चलने वाला यह शारदीय नवरात्रि का व्रत बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.

प्रतिपदा के दिन प्रातः काल यानि ब्रह्म मुहूत से माँ दुर्गा का पूजन का शुरुआत आरंभ होता है. प्रायः हिंदू परिवार के सभी घरों में घट की स्थापना यानी कलश स्थापना किया जाता है. शारदीय नवरात्रि में माता का पूजन बड़े ही धूम -धाम से मनाया जाता है. माता के नवरूप का पूजन अलग -अलग दिन को अलग -अलग रूप में किया जाता है।माता के नवरूप के पूजन करने से परिवार में बने हुए सभी कष्ट दूर हो जाते है.

ऐसे में नवरात्रि साल में चार बार पड़ती है. चैत, अषाढ़, आश्विन और माघ मास इन मास में पूजन करने से परिवार में बने हुए सभी दोष दूर होते है.

माता की कृपा आपके ऊपर भरपूर बनी रहती है. इस दिन घर में कलश स्थापना करके दुर्गासप्त्शी का पाठ 9 दिन तक किया जाता है. साथ में अन्य देवी देवता का पूजन किया जाता है. नवरात्रि के अंतिम दिन पाठ समाप्त करके पाठका हवन करे. उसके बाद बाद में कुआरी कन्याओ को भोजन कराये.

कब है कलश स्थापना

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
15 अक्तूबर 2023 दिन रविवार समय सुबह 11 :12 मिनट से लेकर 11:58 मिनट तक यह मूहूर्त अभिजीत मूहूर्त होता है इस मूहूर्त में कलश का स्थापना करना बहुत ही सौभाग्यपूर्ण होता है.

प्रतिपदा तिथि का आरंभ 14 अक्तूबर 2023 की रात्रि 11 :24 मिनट से
प्रतिपदा तिथि समाप्ति 16 अक्तूबर 2023 रात्रि 12 :32 में
इस वर्ष कलश स्थापना का प्रतिपदा तिथी है. वह पूरे दिन बन रहा है जो कल्याणकारी है.

कलश स्थापना कैसे करे

पूजनकर्ता सुबह उठकर नित्य क्रिया से निर्वित होकर स्नान करे स्वस्छ कपड़ा या नया कपडा लाल रंग का धारण करे.गंगाजी से मिट्टी लाए या स्वच्छ स्थान का मिटटी हो. मिट्टी को पूजा वाले स्थान में रखे. जहां पूजा करनी हो. कलश जहा पर रखने की है मिट्टी में सप्तधान्य मिलाए या जौ मिलाकर रखे. उसके ऊपर मिटटी का कलश या पीतल ,तांबे का लोटा रखे.उसमे जल डाले, या गंगाजल डाले,कलश के ऊपर नारियल लाल कपडा में लपेटकर रखे.कलश पर स्वस्तिक बनाये.कलश को लाल कपडा से लपेट दे. कलश के ऊपर चंदन, कुमकुम,हल्दी चढ़ाये.कलश में सर्व औषधि डाले ,सुपारी डाले.फिर हाथ जोरकर कलश का प्रार्थना करे.फिर गणेश जी के साथ सभी देवी देवताओं का आहवान करे उनका पूजन करे.

दुर्गा जी पूजन कैसे करे 

छोटी चौकी ले उसके ऊपर लाल रंग या पिला रंग के कपडा बिछा दे जो माता के आसन रहेगा.उसके उपर माता का प्रतिमा या फोटो रखे .माता को वस्त्र चढ़ाये ,चंदन लगाये ,फूलमाला चढ़ाये ,फिर अखंड दीप जलाये .अगरबती दिखाए .नैवेद में ऋतुफल फल के साथ में पकवान चढ़ाये .पान के पता लौंग इलायची का भोग लगाये.उसमे तुलशी के पता डाले ।

दुर्गा पूजन तथा कलश पूजन करने के लिए पूजन सामग्री

रोड़ी, सिंदूर, पान, सुपारी, रक्षा के सूत, गंगाजल, रुइबती, चावल, कपूर लौंग, इलाइची, माचिस, पान के पता, लाल कपडा, पिला चंदन, फुल, गुड, शहद, दही, दूध, शक्कर, पंचमेवा, फल, मिठाई, जनेऊ, पक्का केला, ऋतुफल, काजल, दिया, थाली पूजन के लिए, पूजन के लिए पीतल का लोटा, आसानी, दुर्गा चालीसा का पुस्तक या दुर्गासप्त्शी का पुस्तक, पंचमामृत के लिए गाय का दूध, दही, श्रृंगार के सामान, आम के पता, दुर्वा.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष , वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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