इप्टा के 80 वें वर्षगाँठ पर जन संस्कृति दिवस समारोह सह लोकोत्सव का हुआ आयोजन

इप्टा के 80 वें वर्षगाँठ पर जन संस्कृति दिवस समारोह सह लोकोत्सव का हुआ आयोजन

Chhapra: इप्टा के 80 वें वर्षगाँठ पर “जन संस्कृति दिवस समारोह सह लोकोत्सव का उद्घाटन एम एल सी सह इप्टा अध्यक्ष प्रो. वीरेन्द्र निरायण यादव, महिला उद्यमी सह सामाजिक कार्यकर्ता ई. चांदनी प्रकाश, वरिष्ठ रंगकर्मी अधिवक्ता पशुपतिनाथ अरुण, वरिष्ठ पत्रकार दिलीप कुमार पांडेय ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

प्रो. वीरेन्द्र नारायण यादव, ई0 चांदनी प्रकाश, डॉ. रविन्द्र प्रसाद, पशुपतिनाथ अरुण आदि ने इप्टा के सांस्कृतिक जन आंदोलन की गौरवशाली परम्परा, कला सिद्धांत और महिला सशक्तिकरण पर विस्तृत विमर्श पेश किया, सत्र की अध्यक्षता श्याम सानू ने की।

उद्घाटन सत्र में वरिष्ठ रंगकर्मियों पशुपतिनाथ अरुण और उदय नारायण सिंह को सम्मानित किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम का आग़ाज कंचन बाला और महिला कलाकारों के जनगीतों ‘तू जिन्दा है’, ‘कहब त लाग जाई धक से’, जनता के आवे पलटनिया’ आदि गीतों की शानदार प्रस्तुति से की। दर्शिका पांडेय ने गीत की सधी प्रस्तुति की। फिर इंटरनेट की सनसनी वंडर व्याय रौनक रतन ने सूफीगीत ‘नबजिया वैद क्या जाने’ और ग़ज़ल ‘गाँव मेरा मुझे याद आता रहा’ की प्रस्तुतियों से महफिल लूट ली। रौनक के मंचीय उत्कर्ष को बरकरार रखते हुए लक्ष्मी कुमारी ने ‘चाँद मारेला किरिनिया के बान’ और ‘रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रहे’ की यादगार प्रस्तुति दी। सिद्धिमा सिंह ने ओ री चिरैया और राशिमा सिंह ने तितली गीत पर शानदार नृत्य पेश किया। शरद आनन्द ने सूफगीत ‘दमादम मस्त कलंदर’ से झूमा दिया। प्रियंका कुमारी ने ‘पूर्वी’ की प्रस्तुति की।

संचालक अमित रंजन और अध्यक्ष मंडल सदस्य सुरेन्द्रनाथ त्रिपाठी ने इप्टा की रंग परम्परा, जेंडर के सवाल, आम जनता के सवाल और इप्टा को ले संवाद स्थापित किया। फिर एक लंबे समय के बाद छपरा इप्टा द्वारा भिखारी ठाकुर लिखित और अमित रंजन निर्देशित सधी नपी तुली अविष्मरणीय नाटक ‘गबरघिचोर’ की प्रस्तुति बिल्कुल नये अभिनेता अभिनेत्रियों ने परिपक्व अंदाज में की।

गबरघिचोर की भूमिका में सिद्धिमा सिंह ने सहज स्वाभाविक भावप्रवण अभिनय से कई जगह दर्शकों को जार जार रुलाया। गलीज बो की भूमिका में कोमल कुमारी ने जिबह होते बेटे के माँ की पीड़ा को बड़ी सहजता और स्वाभाविकता से जिया और अपने आर्तनाद से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। गलीज सत्येंद्र कुमार और गड़बड़ी सुबोध कुमार राय ने अपनी भूमिकाओं के साथ भरपूर न्याय किया। सहयोगी पंच पप्पू कुमार और जल्लाद की संक्षिप्त भूमिका में सरोज कुमार ने छाप छोड़़ी। पंच की भूमिका में स्वयं निर्देशक अमित रंजन ने न्याय नाटक को उत्कर्ष प्रदान किया। समाजियों कंचन बाला, लक्ष्मी कुमारी, अनामिका कुमारी, संजना कुमारी, दर्शिका पांडेय, रौनक रतन, रंजीत भोजपुरिया ने नाटक को उत्कर्ष प्रदान किया जिनका बखूबी साथ नाल वादक विनय कुमार और झाल पर नन्हे आयुष कुमार मान और श्याम सानू ने दिया।

कार्यक्रम का संचालन अमित रंजन और कंचन बाला ने किया। अंत में प्रसिद्ध गायक उदय नारायण सिंह ने प्रायोगिक निर्गुण से छाप छोड़ी। एक लंबे समय के बाद छपरा इप्टा ने साढ़े तीन घंटे की बिल्कुल नये रंगकर्मियों के सधी और कलात्मक उत्कर्ष से परिपूर्ण रंगकर्म को सम्पन्न किया।

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