नगरपालिका की कई मशीनें बनी सिर्फ शोभा की वस्तु, शहरवासी बोले, जनता त्रस्त जनप्रतिनिधि और पदाधिकारी मस्त

नगरपालिका की कई मशीनें बनी सिर्फ शोभा की वस्तु, शहरवासी बोले, जनता त्रस्त जनप्रतिनिधि और पदाधिकारी मस्त

छपरा: छपरा नगर परिषद में इन दिनों पर्याप्त रूप में संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन उपलब्ध संसाधनों के अनुपात में सफाई व्यवस्था शून्य है.

पिछले कुछ दिनों में दर्जनों ट्रैक्टर, सफाई एवं कचड़ा ढोने उठाने वाली मशीनों की खरीदारी की गई है. जिससे शहर साफ़ और स्वास्थ्य रहे. लेकिन कुछ संसाधनों को छोड़कर कई मशीन कार्यालय परिसर में खड़े होकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए शोभा की वस्तु बन गई है.

मुख्य रूप से कुछ जगहों को छोड़कर शहर में कोई ऐसा स्थान नहीं जहाँ इन मशीनों से काम लिया जाए . शहर में ऐसे भी कई जगह है जहां इन मशीनों से सफाई व्यवस्था नहीं हो सकती है लिहाज़ा वहा बड़ी मशीनों की आवश्यकता है.

ऐसे में इन मशीनों को किन उदेश्यो की पूर्ति के लिये खरीदा गया है यह आम लोगों की समझ से परे है. शहर के कुछ लोगों से नगरपालिका की कार्य प्रणाली के बारे में बातचीत की गई अममून सभी लोगों ने नगरपालिका को स्वयं के स्वार्थ का साधन करार दिया. उपर से लेकर नीचे तक जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासन के कर्मचारी प्रत्यक्ष तौर पर दोषारोपण और अप्रत्यक्ष रुप से मिली भगत से काम करते हैं.

कुछ लोगों ने चौक चौराहों पर रखी डस्ट बीन की कहानी बयान करते हुए कहा कि पहले तो कई वर्षों तक यह नगरपालिका कार्यालय में पड़ी रही गुणवत्ता खत्म होने के बाद इनको सड़को के किनारे रखा गया अब आलम यह कि यह डस्ट बीन कबाड़ी हो चुका है. शहरवासियो को तो इन डस्ट बीन का फायदा तो नहीं लेकिन उनको जरूर मिला जो इसकी खरीदारी के समय कुर्सी पर काबिज थे. वैसे ही इन मशीनों की हुई इन मशीनों से शहर की सफाई हो ना हो कार्यालय का काम जरूर हो गया.

ऐसे में हम यही कहेंगे कि जनता हो गई त्रस्त जनप्रतिनिधि और कर्मचारी हुए मस्त. बहरहाल जनता की बात में सच्चाई है बावजूद इसके नगरपालिका के पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियो को भी इन बातों पर ध्यान केंद्रित करना होगा.

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